हिंदी सेक्स स्टोरी

दोस्त की विधवा बहन की चूत-1

Dost ki vidhwa behan ki choot-1

हैल्लो दोस्तों, में भगवान से प्राथना करता हूँ कि आप सभी हमेशा बिल्कुल ठीक रहे,  दोस्तों मेरा नाम रमीज़ है और वैसे मुझे सभी लोग प्यार से राजा कह कर बुलाते है और हमारा गावं कुछ अलग हटकर आता है, जिसमें ज्यादा अमीर लोग नहीं है.

मैंने अपनी पढ़ाई एक अच्छे कॉलेज से बीकॉम तक की हुई है और अब में एक प्राइवेट कंपनी में एक केशियर की नौकरी करता हूँ और गावं में रहने वाले सभी रिश्तेदार मध्यमवर्गीय परिवार से भी नीचे मतलब उनको दो वक़्त का खाना और कपड़े पाना भी बहुत मुश्किल होता है. दोस्तों शहर में रहने का तरीका और वहां की ज़िंदगी का सब कुछ बहुत अलग है और हम तो पैसे कमाने की वजह से अपने गावं से निकल आए और अब शहर में रहने लगे. मेरे पापा एक अकाउंटेंट की नौकरी करते है उनकी तरक्की होती रही है और पहले हम लोग दूसरे शहर में थे, लेकिन अब उनका तबादला एक अच्छे बड़े शहर में हो गया और तब से हम लोग यहीं पर है.

दोस्तों अब में आप सभी का ज्यादा समय खराब ना करते हुए सीधे अपनी आज की कहानी की तरफ आगे बढ़ता हूँ यह बात 24 दिसंबर 2015 की है, जब में अपने चाचा के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए अपने गावं गया हुआ था.

वहाँ पर मेरे गावं के बचपन वाले बहुत सारे दोस्त भी रहते है. फिर जब में अपने गावं जाता हूँ तब वो लोग मेरी बहुत इज्जत करते है और मुझे देखकर बहुत खुश होते है.

फिर उनमें से मेरा एक दोस्त है जिसका नाम मज़हर है और हम दोनों ने कुछ सालों तक अपनी पढ़ाई एक साथ की थी और उसकी एक बड़ी बहन है, उसका नाम सुनीता है और उसकी उम्र करीब 32 साल की होगी. मुझे उसके फिगर का आकार उसकी चुदाई करने के बाद पता लगा, वो 38 इंच की ब्रा पहनती है और बड़े आकार की पेंटी पहनती है, लेकिन सिर्फ़ पीरियड्स के दिनों में.

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दोस्तों मुझे यह बात सुनकर बहुत दुःख हुआ कि उसके पति की म्रत्यु हार्ट अटेक होने की वजह से हुई है और वो भी आज से करीब पांच साल पहले तो वो अब अपने सुसराल में रहकर अपने सास ससुर की सेवा करती है और उसके दो बच्चे भी है एक बेटा और एक बेटी.

वो उन दोनों को भी बहुत प्यार से अपने साथ रखती है और शादी उसकी 12 साल पहले हुई थी और वो विधवा होने के बाद भी बहुत शांति से अपनी बची हुई ज़िंदगी गुजार रही थी.

उसकी दूसरी शादी करना बहुत मुश्किल था और इस महगाई के दौर में तो बिल्कुल मुमकिन नहीं और उसके घरवालों को कोई अच्छा रिश्ता भी नहीं मिल रहा था.

फिर उस शादी में कुछ मेहमान पहले से आए हुए थे और हमारे यहाँ पर शादियों में रिवाज है कि ज्यादा क़रीबी लोग 4 से 5 दिन पहले घर पर आए हुए होते है और में वहाँ पर जब पहुंचा तो बहुत सारे लोग थे और में उन सबसे मिला तो मैंने देख कि सुनीता भी वहीं पर थी और वो मुझसे हाथ मिलाकर मिली और फिर वो मेरी तरफ मुस्कुराकर कहने लगी कि क्यों शहरी बता तू कैसा है? तो मैंने कहा कि में तो बिल्कुल ठीक हूँ तुम अपनी सुनाओ तुम कैसी हो? और मज़हर कैसा है में शाम को फ्रेश होकर उससे मिलने जाऊंगा.

दोस्तों इसी मिलने में एक बात और है हमारे गावं में लड़के लड़कियाँ एक दूसरे से ज्यादा खुलकर बात नहीं करते, सब ठीक-ठाक रहते है, लेकिन मेरी सुनीता से बहुत अच्छी तरह खुलकर बातचीत होती रहती थी, क्योंकि मेरी उसके भाई से बहुत अच्छी दोस्ती थी और उस वजह से वो हर वक़्त मुस्कराकर देखती रहती थी और में उसको कभी समझता नहीं था कि वो मुझसे क्या चाहती है?

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फिर रात हुई और सब चाय के साथ साथ गप्पे लगा रहा थे और सर्दिया थी तो चूल्हा भी बाहर लगाया हुआ था और सभी लोग मुझसे शहर के बारे में पूछ रहे थे कि मेरी वहां पर कैसी गुज़र रही है और भी बहुत कुछ पूछा फिर ऐसे ही बातें चलती रही हम सभी खाना खाकर ही गप्पे लगा रहे थे, लेकिन अब टाइम बहुत हो गया और करीब तीन बज रहे थे.

अब एक एक करके सभी लोग अपने रूम में चले गए और सुनीता भी उठकर मुझे स्माइल करके चली गई, लेकिन मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आया. फिर मुझे जो रूम मिला था में उसी में सोने चला गया और मेरे घर वाले भी उसी रूम में थे.

वैसे दोस्तों उस घर में उस रात को करीब 30 से 35 लोग थे, 3 नीचे कमरे थे और 3 ऊपर सब मिलाकर 6 कमरे थे सभी लोग आज दुबककर सो रहे थे, लेकिन में अपने रूम में मोबाइल पर गाने सुन रहा था और मुझे यह सब करते हुए क़रीब आधा घंटा हो गया था. मैंने अपने लिए पूरा बिस्तर लिया था और मेरे पास एक सिंगल बेड जितनी जगह थी. फिर एक घंटा गुज़र गया और 4 बज गये, लेकिन मुझे अब भी नींद नहीं आ रही थी.

दोस्तों अब में बस करीब सोने ही लगा था कि मुझे दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई और लाईट उस समय बंद की हुई थी और मैंने देखा कि दरवाजे पर कोई था, लेकिन अँधेरे की वजह से मुझे पता ही नहीं चल रहा था. आने वाला जैसे ही मेरे क़रीब हुआ तो मैंने देखा कि वो सुनीता थी और मैंने उससे पूछा कि तुम यहाँ पर क्या कर रही हो? तब उसने मुझसे कहा कि मुझे नींद नहीं आ रही और फिर वो मेरे बिस्तर में आ गई और मेरे कंबल के अंदर आ गई थी.

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फिर मैंने उससे कहा कि तुम क्या पागल हो, यहाँ कहाँ आ रही हो, कोई उठ जाएगा तो मुसीबत खड़ी हो सकती है. मेरे परिवार वालों पर इस बात का गलत असर पड़ेगा, लेकिन फिर भी वो अंदर घुस गई और उसने मुझसे कहा कि कोई नहीं उठने वाला तुम इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो. फिर मैंने उससे कहा कि तुम्हारा क्या मतलब, में कुछ नहीं समझा? तब उसने मुझसे कहा कि उसने सभी लोगो को नींद की दवाई दे दी है क्योंकि उस समय चूल्‍हे पर चाय वही बना रही थी और मुझे भी उसी ने दी थी.

अब मैंने उससे पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया इसकी कोई खास वजह? तब उसने कहा कि यह सब उसने अपने लिए किया और फिर उसने मेरा हाथ थामा और मुझसे बातें करने लगी. मेरे पूरे जिस्म में करंट सा लगा और वो मुझसे पूछने लगी कि शहर में तो तुम बहुत अय्याशी करते होंगे? तो मैंने कहा कि मुझे यह सब करने के लिए समय कहाँ मिलता है.