चुदाई की कहानियाँ

दुश्मन -2

अंकल मम्मी की बात सुन बहुत खुश हो गए.
अंकल =ओह भाभी जी थैंक यू सो मच.
ठीक है अब मैं चलता हूं. फ़िर अंकल खड़े हो गए और मम्मी भी खड़ी हो गई. अंकल अपनी जेब से एक कैडबरी और एक डार्क चॉकलेट निकाले. और मम्मी को देने लगें..
मम्मी =ये सब क्या है.
अंकल =वो ये कैडबरी रोहन के लिए लाया था और ये डार्क चॉकलेट आपके लिय…..
मम्मी = क्यूँ किसलिए,,,
अंकल =बस यूँही…
मम्मी =नहीं…
अंकल = ले लीजिए…

फिर मम्मी ने ले ली और जाकर दरवाज़ा खोल यहां वहाँ देखी और फिर अंकल को जाने के लिए कहीं.  फ़िर अंकल जल्दी से निकल गए.
और मम्मी ने दरवाज़ा बंद कर दी. फ़िर मम्मी कुछ सोचने लगी और पता नहीं मन ही मन मुस्कुराने लगी. मुझे भी थोड़ा अजीब लगा. फ़िर मम्मी मेरे कमरे मे आ गई.
मम्मी =मेरा बेटा क्या कर रहा है.
मैं =मम्मी…
मम्मी=देख तेरे लिए क्या है.
मम्मी मुझे अंकल की दी हुई कैडबरी देने लगी.
मैं =कैडबरी. किसने दी.
मम्मी = मैं लेकर आयी थी.
मम्मी को लगा कि मुझे कुछ पता नहीं है इसीलिए मम्मी ने मुझसे झूट कहा. और मम्मी के हाथो मे वो डार्क चॉकलेट भी नहीं दिखी
फिर मम्मी उठ कर चली गई. मैं चुपके से देखा तो मम्मी अंकल की दी हुयी डार्क चॉकलेट खाने लगी. मम्मी कुछ सोच भी रहीं थीं और थोड़ी मुस्कुरा भी रहीं थीं. मैं सोचने लगा कि कल तक मम्मी अंकल को गालियां दे रहीं थीं आज वहीं उनकी दी हुयी चॉकलेट खा रहीं है.
क़रीब 15 दिन बाद अंकल मुझे स्कूल में मिले. और मुझसे पूछे कि बेटा तुम्हारी मम्मी नहीं आयी. और फिर मुझे एक कैडबरी दिए. जब घर जाकर मैंने ये बात मम्मी से कहीं तो…

मम्मी = (थोडी चौंक कर) असलम अंकल आए थे
मैं = हाँ मम्मी.
मम्मी = चल ठीक है तू जा फ्रेश हो जा..
फिर मम्मी कुछ सोचती हुयी किचन मे चली गई. रात मे जब खाना खाने बैठे तब फिर से अंकल की बात हुई. तो मम्मी गुस्से मे अंकल को अनाप-शनाप बोलने लगी. मैं सोचने लगा कि मम्मी को इतना ही गुस्सा आता है तो दोपहर मे अंकल को चाय क्यूँ पिलाई और अंकल की दी हुई डार्क चॉकलेट क्यूँ खाने लगी.
दूसरे दिन मम्मी मुझे स्कूल मे लेने आयी थी. मम्मी ने पिंक कलर की सारी पहनी थी. और थोड़ी सजीधजी थी. सर पर सारी का पल्लू, माथे पर बिंदी, मांग मे सिंदूर और हाथो मे चूडी थी. जब हम घर जाने लगे तो स्कूल से थोड़ी दूर अंकल खड़े मिले. अंकल मम्मी को देख स्माइल कर रहे थे और मम्मी भी अंकल को देखी.
अंकल = नमस्ते.. भाभी.
मम्मी = जी नमस्ते, कब आए आप.

अंकल = 4 दिन पहले आया और आपसे बात भी करनी है कुछ. अगर आप की इजाजत हो तो क्या मैं आज चाय के लिए आ सकता हूं.
मम्मी = (अंकल को देखती हुयी) ठीक है लेकिन जरा सम्भल कर. मम्मी की बात पर अंकल मुस्कुरा दिए और मम्मी भी अंकल को देखती हुयी मुस्कुरा कर मेरा हाथ पकड़ चलने लगी.
3 बजे से पहले ही मम्मी चाय बनाकर रख दी. और फिर थोड़ा सा शृंगार (makeup) की. फिक्स 3 बजे घंटी बजी मम्मी जाकर दरवाजा खोली. अंकल मुस्कराते हुए अंदर आ गए. मम्मी ने दरवाजा बंद कर दी. अंकल के हाथ मे थैली भी थी. अंकल पेंट शर्ट पहने हुए थे और सर पर टोपी.
अंकल = रोहन कहां है.
मम्मी = अंदर कमरे मे है कहती हुयी मम्मी अंदर किचन मे चली गई. मम्मी के पीछे पीछे अंकल भी अंदर किचन मे चले गए.
मम्मी अंकल को अंदर किचन मे देख..
मम्मी = आप बैठिए ना मैं चाय लेकर आती हूं.
अंकल = वो मुझे आपसे कुछ कहना है.
मम्मी कप मे चाय डाल रही थी.

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मम्मी = जी कहिये.
अंकल = प्लीज़ आप बुरा मत मानना.
मम्मी =ऐसी भी क्या बात है.
अंकल = (थोड़े डरे हुए) वो…. वो ना हम आपसे…. आपसे मोहब्बत करने लगे हैं.
मम्मी = क्या? आप होश में तो है..
अंकल =हाँ, मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूं.
मम्मी = ये आप क्या बोल रहे हैं असलम जी..
अंकल =देखिए मुझे माफ कर देना, लेकिन ये सच है.
मम्मी = गुस्सा करती हुयी = आपका दिमाग तो ठिकाने है क्या बोल रहे है ये आप, कुछ उम्र का तो लिहाज कीजिए.
अंकल = (मायूस होकर) निर्मला सच मे मेरा यकीन करो मै बहुत चाहने लगा हूं तुमको. कह्ते हुए अंकल मम्मी के कंधों पर अपने हाथ रखने लगे..
मम्मी =  (गुस्से मे) हाथ मत लगाइए मुझे, मैं कभी नहीं सोची थी कि आपकी नज़रे ऐसी भी होगी. पहले आप रोहन के पापा के साथ वैसा किए और अब आप मेरे साथ… छि
अंकल = देखो निर्मला…..
मम्मी = नाम मत लीजिए हमारा. चाय पी लीजिए और चले जाईए यहां से.

अंकल बहुत निराश लाग रहे थे.
अंकल = ठीक है चला जाता हूँ. खुदा आपको दुनिया की सारी खुशिया दे. मेरे दिल के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे, खुदा आफिस..
कहकर अंकल चले गए. मम्मी को तो जैसे बहुत बड़ा झटका लगा हो जैसी सोच मे डूब गई. पूरा दिन मम्मी परेशान थी. रात को खाना खाते वक़्त भी मम्मी उदास ही थी.
पापा =क्या हुआ कुछ परेशानी है.
मम्मी डर गई
मम्मी = नहीं नहीं वो मेरी तबीयत ख़राब है थोड़ी.
पापा = तो दवा लेकर आ जाती.
मम्मी = कल ले आऊंगी. फ़िर मम्मी ने उस रात खाना भी नहीं खाई. पापा ने कहा तो बोली मुझे भूख नहीं है.  उस दिन से मम्मी थोड़ी खोयी खोयी रहने लगी. थोड़े दिन बाद एक त्योहार आ गया और सोसाइटी मे सब उसमे बिजी रहने लगे. उन्हीं दिनों मे बड़े भैया और भाभी, छोटे भैया भी घर आ गए थे इसीलिए अब सब कुछ नॉर्मल पहले की तरह हो गया था. लेकिन वे लोग एक हफ्ते बाद वापस भी चले गए थे. फ़िर एक दिन अंकल मुझे मेरी स्कूल मे मिले…
अंकल = हैलो बेटा बेटा केसे हो.

मैं = ठीक हुँ अंकल.
अंकल =मम्मी नहीं आयी आज.
मैं =नहीं अंकल.
अंकल = ये लो कैडबरी तुम्हारे लिए. और अगर मम्मी पूछे तो कह देना असलम अंकल ने दी.
फिर जब मैं घर आया तब मम्मी कुछ काम कर रहीं थीं.
मैं = मम्मी…
मम्मी = हाँ बचा बोल…
मै =मम्मी वो अंकल ने मुझे कैडबरी दी है.
मेरी बात पर मम्मी चौक गई और
मम्मी = कौन-से अंकल ने.
मैं = असलम अंकल ने.
मम्मी = स्कूल में आए थे.
मै = हाँ मम्मी.
मम्मी कुछ परेशान हो गई. आज के दिन भी मम्मी गहरी सोच मे डूबी हुयी थी.

दूसरे दिन मम्मी मुझे स्कूल मे लेने आयी. मम्मी ने ब्लू कलर की सारी पहनी थी और थोड़ा सिंगार भी की हुयी थी. पहले दिन आकर मुझसे मिलना इस बात की ओर इशारा करते है कि दूसरे दिन मम्मी से मिलना. और हुआ भी यही अंकल हमे वहा मिले. अंकल मम्मी को बहुत प्यार से देख रहे थे. मम्मी भी अंकल को देखी लेकिन मम्मी उन्हें नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहीं थीं
जैसे ही हम अंकल के पास आए
अंकल =हैलो बेटा…
मैं =हैलो अंकल.
फिर अंकल मम्मी को प्यार भरी नज़रों से देखने लगे.
मम्मी को देख लग रहा था कि मम्मी थोड़ी गुस्से मे भी है और थोड़ी शर्मिंदा भी.
अंकल = माफ करना उस दिन आपकी बनी चाय छोड़ आया.
मम्मी = चाय पीकर चले जाते
अंकल =हाँ अह, क्या आज……
मम्मी = (थोड़ी स्माइल करती हुयी हाँ मे जबाब दी l) ह्म्म.
अंकल खुश हो गए और मम्मी मेरा हाथ पकड़ चलने लगी.
3 बजे अंकल घर आए. अंकल ने व्हाइट कुर्ता पाजामा पहना थ. मम्मी किचन मे चाय लेने चली गई. अंकल आज भी मम्मी के पीछे किचन मे चले गए. मम्मी डरी शहमी कप मे चाय डाल रहीं थीं.
मम्मी =बार बार चाय के बहाने घर आना ठीक नहीं है.

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मम्मी अंकल को चाय देने लगी. अंकल अपने दोनों हाथ आगे कर मम्मी के हाथ को टच करते हुए कप पकड़ लिए और मम्मी को प्यार से देखने लगे. मम्मी अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की. फ़िर अंकल ने कप पकड़ मम्मी का हाथ छोड़ दिया.
अंकल = मैं जानता हूं इसीलिए मैं पूरी सावधानी से आया हूं.
अंकल किचन का सहारा लेकर खड़े थे और मम्मी भी उनके बाजू मे किचन का सहारा लेकर खड़ी हो गई. और चाय पीने लगी.
अंकल = उस दिन मेरी बात का बुरा लगा हो तो मुझे माफ कर देना.
मम्मी = उम्र का लिहाज कीजिए असलम जी हमारे बच्चे है, परिवार है, फिर भी आप हमसे ये सब कह रहे हैं.
अंकल = मुझे पता है निर्मला. लेकिन हमारे अपने भी कोई ज़ज्बात है क्या हम हमारा सुख-दुख एक दूसरे मे बांट भी नहीं सकते.
मम्मी = (मायूस होकर) असलम जी ये समाज हमे जीने नहीं देगा. अगर सोसाइटी मे किसी को पता चल गया तो.
अंकल मम्मी के कंधों पर हाथ रख..
अंकल = निर्मला मेरा विश्वास करो मैं तुम्हें कोई परेशानी आने नहीं दूँगा खुदा कसम.
मम्मी = (मुह नीचे करती हुयी) नहीं मुझे डर लग रहा है…
मम्मी अंकल को देखने लगी…
अंकल मम्मी के मुह को अपने दोनों हाथो मे लेकर बहुत प्यार से मम्मी को देखते हुए बोले….
अंकल = यकीन करो मेरा. कहकर अंकल मम्मी को अपनी बाहों में भर् लिए और मम्मी भी उनकी बाहों मे सिमट गई.
मम्मी की सारी का पल्लू उनके सर से उतर गया.

मम्मी = (अंकल की बाहों मे सिमटी हुयी) मुझे बहुत डर लग रहा असलम जी…
अंकल मम्मी की पीठ पर अपने हाथ कसते हुए.
अंकल = नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे तुम्हें कोई परेशानी होगी. विस्वास रखो मुझपर, मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूँगा ये मेरा वादा है. हम्म
मम्मी अंकल की बाहों मे सिमट चुकी थी. मैं खुद ये सब देखकर हैरान हो चुका था कि ये क्या हो रहा है जो औरत इतनी संस्कारी है वहीं आज किसी गैर मर्द की बाहों मे और वो भी असलम अंकल जो कल तक हमारे दुश्मन थे. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू. फ़िर अंकल अपनी जेब से एक बॉक्स निकाले और उसमे से एक डायमंड गोल्ड रिंग निकालकर मम्मी के हाथ मे पहनाने लगे. मम्मी ये सब देख बहुत मायूस हो रहीं थीं.
अंकल = जब मुंबई से आया था तब तुम्हारें लिए ये लेकर आया था… पसंद है या नहीं…
मम्मी = बहुत अच्छी है.  काफी महंगी दिख रही है.
अंकल = हाँ लेकिन तुम्हारें लिए ये कुछ भी नहीं है मैं तो तुम्हें पूरा डायमंड से सजाना चाहता हूं. अंकल की बात सुनकर मम्मी के होंठो पर गहरी स्माइल आ गयी. मम्मी रिंग को ही देख रहीं थीं.
मम्मी = बताईए ना कितने की है.

अंकल = ये लो तुम खुद ही देख लो…फ़िर अंकल बिल निकालकर मम्मी को दे दिए और मम्मी बिल को देख शॉक हो गई…
अंकल = हंसते हुए = क्या हुआ..
मम्मी = 1 लाख रुपये की रिंग है ये…
अंकल =हम्म…
मम्मी = क्यूँ इतनी महंगी लाने की क्या जरूरत थी.
अंकल मम्मी के गोरे गोरे गालों को पकड़ते हुए…
अंकल = तुम्हारी बजह से मुझे इतना बड़ा कोन्टरेक्ट मिला है तो क्या इतनी सी भी गिफ्ट नहीं ले सकता तुम्हारे लिए. अरे मैं तो पूरे 10 लाख का हार लाने वाला था.
मम्मी = जाइए मुझे बनाने की कोशिश मत कीजिए.
अंकल = हंसते हुए = सच मे…. दोनों फिर से एक दूसरे के गले मिल गए. दोनों एक दूसरे की बाहों मे सिमट रहे थे.
अंकल = अछा मैं रोहन के लिए भी कुछ लाया हूं.
मम्मी = रोहन के लिए…
अंकल =हाँ
मम्मी = वो क्या…
अंकल = चलो बाहर मैं तुम्हें दिखाता हूं. फ़िर अंकल और मम्मी बाहर हॉल मे आ गए.  और फिर अंकल ने सोफ़े पर पडी एक थैली मम्मी को दिए. मम्मी बहुत मुस्कुरा रहीं थीं. मम्मी उसमे से एक कपड़े की ड्रेस निकाली जिसमें एक टी शर्ट और 3*4 पेंट थी. मम्मी ड्रेस देख मुस्कराने लगी.
अंकल = अच्छी है.
मम्मी = बहुत अच्छी है.

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फिर मम्मी ड्रेस को रखने लगी.
अंकल = अछा मैं निकलता हूं अब.
मम्मी = हाँ काफी टाइम हो गया है कोई आ गया तो…
अंकल = और हाँ एक बात तो बताना ही भूल गया.
मम्मी = क्या
अंकल = मुझे कल फिर से 10 दिन के लिए जाना होगा.
मम्मी = ठीक है सम्भल कर जाईए गा.
फिर अंकल मम्मी के बहुत करीब आ गए और मम्मी को सेक्सी नज़रों से देखने लगे. मम्मी को शायद बहुत शर्म आ रहीं थीं.
अंकल = वैसे जाने का दिल तो नहीं कर रहा है….
मम्मी = वो क्यूं..
फ़िर अंकल अपना मुह मम्मी के मुह के पास ले जाने लगे…
मम्मी उनके मुह को रोकती हुयी…
मम्मी =क्या कर रहे हैं आप. जाईये…
अंकल = हाँ जा रहा हूं बाबा, फिर अंकल मम्मी के गोरे गाल पर एक किस कर लिए….
मम्मी अंकल को नशीली आंखों से देखती हुयी गुस्से मे…
मम्मी = हटीय, बेशरम. कहकर मम्मी स्माइल करने लगी और अंकल हंसने लगे.
अंकल = अछा अपना और रोहन का ख्याल रखना. फ़िर अंकल वहीं कैडबरी और डार्क चॉकलेट मम्मी को देकर चले गए. उस दिन मम्मी बहुत खुश लग रहीं थीं. मम्मी के चेहरे पर एक अजीब सी रौनक थी. और उसी वक़्त मैं अपने कमरे से बाहर निकला. मम्मी मुझे देख थोड़ी चॉक गई.
मम्मी = (स्माइल करती हुयी) उठ गया बेटा.
मैं = हाँ मम्मी, कोन आया था अभी.
मम्मी थोड़ी घबरा रहीं थीं शायद मम्मी को डर लग रहा होगा.
मम्मी = कोई नहीं आया था रोहन.
फिर मेरी नज़र उस ड्रेस पर पडी.
मैं = बाउंंंं मम्मी इतनी अच्छी ड्रेस किसने दी. पापा आए आए थे क्या अभी.
मम्मी = नहीं रोहन मैं ही लेकर आयी थी.
मैं = कब? आप तो यही थी. प्लीज मम्मा बताओ ना कोन लेकर आया है ये ड्रेस.
अब मम्मी थोड़ी परेशान होने लगी.
मम्मी = तू किसी से कहेगा तो नहीं, अपने पापा से भी नहीं.
मैं = नहीं कहूँगा किसी से, पापा से भी नहीं,
मम्मी = खा मेरी कसम..
मैं = मम्मी आपकी कसम मैं पापा से कुछ नहीं कहूँगा.
फिर मम्मी थोड़ी स्माइल कर दी.
मम्मी = वो तेरे असलम अंकल है ना उन्होंने दी है तेरे लि‍ए.
मैं = असलम अंकल मेरे लिए लेकर आए. क्यूँ मम्मी वो मेरे लिए क्यूँ लेकर आए.
मम्मी = क्यूंकि तू उनको बहुत अछा लगता है बहुत प्यार आता है तुझपर शायद इसीलिए. हैं ना..
फिर मम्मी मेरे गालों को पकड़ खिंचने लगी.
मम्मी = अच्छी है ना.
मैं = मम्मी बहुत अच्छी है.
मम्मी = 15 दिन बाद तेरा बर्थडे आने वाला है ना उस दिन पहन लेना.
मैं = हाँ मम्मी.