हिंदी सेक्स स्टोरी

एक साथ चार माल की चुदाई का मजा पाया-3

Ek Sath Char Maal Ki Chudai Ka Maja Paya-3

उसने कहा, “तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में…”।मैं थोड़ा हिचक कर बोला-“पर मीता?”
अब वो मुस्कुराते हुए बोली, “आपको कब से लड़की से लज लगने लगा” और उसने आँख मार दी। मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था सो निकल गया। एक नजर मीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ मीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। मीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं मीता को घुरने लगा। खुब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चुचक हीं था, अभी मीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढ़ंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, “काश इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रींग पहनी होती…” और तभी मीता अपने दोनों बाहों को उपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी उपर खींच गई और तब मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काला बाल बन चुका था। अब वहाँ काला बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुरना और हल्का घुंघराला होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। मीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बूर पर किस तरह का और कैसा बाल होगा। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी कि जरूरत थी, और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था।अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी, और दुबारा से सब लोग चाय ले कर बीच आंगन में बिछे चटाईओं पर बैठ गए थे।
रागिनी ने अब पूछा, “कब तक आपको छुट्टी है?”
मैंने पूछा, “क्यों…?”
तो वो बोली, “असल में रीना को तो हमलोग के साथ हीं चलना है तो उसको अपना सामान भी ठीक करना होगा न…दो-तीन दिन तो अभी है कि नहीं?”

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मैंने कहा, “अभी तीसरा दिन है, और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, सो अभी तो समय है।”
अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली, “रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम….कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी?” रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया, “तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा जिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार तो बहुत खराब लगा फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सेक्स किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है, लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सेक्स का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? ”

बिंदा ने थोडा मुस्कुरा कर अपना सर निचे झुकाया और कहा – नहीं री. तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से सेक्स करते हैं.

मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खुब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया, “तुम हो हीं इतनी प्यारी बच्ची….” और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चुम लिया।

रागिनी ने अब एक नई बात कह दी – “मौसी मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा भय निकल जाएगा।”

मुझे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रीएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी।
बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली, “कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर…फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में….इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो…”।

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मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला, “आप बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा. मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना हीं पड़ेगा।”

जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और मीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपने बात में किया था। रागिनी भी बोली, “हाँ मौसी अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म हीं हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और मीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? एक एक आह की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है बाहर में. क्यों रीई रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि रात में मैं या तेरी माँ अंकल से साथ क्यों सोते हैं ?

रूबी शर्मा गई और हाँ में सर ऊपर नीचे हिलाया.

मैं बोला, “मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी हीं नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई कर के उसके बाद नहा धो ले…उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे हीं सोना होगा।”
बिन्दा के चेहरे से लग गया कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और सब कुछ रागिनी पर छोड़ दी है।

बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का, “तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही है सब बात…जाओ जा कर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बनाओ।”
मीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई।
मैंने उसको छेड़ दिया, “अरे थोड़े हीं दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी… तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ।”
वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँढ़ जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा।”
मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया, “साँड़…..ठीक है पर बुढ़्ढ़ा साँड़” और खिल्खिला कर हँस दी।
मैंभी कहाँ चुकने वाला था सो बोला, “अरे तुमको क्या पता….नया-नया जवान साँढ़ सब तो बछिया की नई बूर देख कर हीं टनटना जाता है और पेलने लगता है, मेरे जैसा बुढ़्ढ़ा साँढ़ हीं न बछिया को भी मजा देगा। बाछिया की नई-नवेली चूत को सुँघेगा, चुमेगा, चुसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा….इतना बछिया को गरम करेगा कि चूत अपने हीं पानी से गीली हो जाएगी, तब जा कर इस साँढ़ का लन्ड टनटनाएगा….”

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अब रूबी बोल पोड़ी, “छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप…अब चुप रहिए।”

मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा, “अरे मेरी जान….यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना हैं शहर। मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है…..वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो।”

रागिनी भी बोली, “हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा, और साथ में बोलना भी होगा”।

रीना का गाल लाल हुआ था, बोली, “मैं यह सब नहीं बोलुँगी…”।

मैंने उसकी चुची सहला दी वहीं सब के सामने, वो चौंक गई। मैं हँसते हुए बोला, “अभी चलो न भीतर एक बार जब लन्ड तुम्हारी बूर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि तुम्हारे इस रूबी देवी जी का गाँड़ फ़ट जाएगा सब सुन कर।”

मीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा, “वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो…बच्ची तो अब मीता भी नहीं है। 14 साल की दो-तीन लड़की तो मैं हीं चोद चुका हूँ, और वो भी करीब-करीब इतने की हीं है।”