हिंदी सेक्स स्टोरी

एक साथ चार माल की चुदाई का मजा पाया-4

Ek Sath Char Maal Ki Chudai Ka Maja Paya-4

मीता सब सुन रही थी बोली, “अभी 14 नहीं पूरा हुआ है, करीब पाँच महीना बाकी है।”
मैं अब रंग में था, “ओए कोई बात नहीं एक बार जब झाँट हो गया तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारे काँख में बाल देख चुका हूँ, सो झाँट तो पक्का निकल गया होगा अब तक तुम्हारी बूर पर…” मीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली-“हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर दीदी सब की तरह नहीं है”।

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा, तो मैंने उसको शह दी और कहा, “अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उमर में यह सब बोलना सीखेगी उतना हीं कम हिचक होगा वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दी कि मैं नहीं बोलुँगी ऐसे…।” सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा-“अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दुँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे”।

उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा-“क्या कहना पड़ेगा?”

मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला, “आओ न, चोदो न मुझे….जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से”।

मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था।मैंने वहीं सब के सामने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बहर निकाल कर उसको अपने अँगुठे से पोछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगुठा सुँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वस्ता होगा, सो मैंने अपने अँगुठे को रीना की नाक के पास ले गया-“सुँघ के देखो इसकी खुश्बू”।

मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को हीं देख रहे थे।

रीना हल्के से बिदकी-“छी: मैं नहीं सुँघुगी।”

मीता तड़ाक से बोली, “मुझे सुँघाईए न देखूँ कैसा महक है।”

मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढ़्कने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और मीता मेरे हाथ को सुँघी और बिना कुछ समझे बोली, “कहाँ कुछ खास लग रहा है…?”

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अब रुबी भी बोली-“अरे सब ऐसे हीं बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए और तू है कि बनते जा रही है।”

मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा, “सीधा लन्ड हीं सुँघना चाहोगी”।
वो जरा जानकार बनते हुए बोली-“आप, बस दीदी तक हीं रहिए….मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इस सब बात में कोई दिल्चस्पी नहीं है।”

मीता तड़ से बोली-“पर मुझे तो इसमें खुब दिलचस्पी है…।

अब बिन्दा बोली, “ले जाइए न अब रीना को भीतर….बेकार देर हो रहा है।”

मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा, “दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा हीं, हर लड़की की चूत का यही होता है- आज चुदो या कल पर यह तय है।”

और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का ईशारा किया। रीना थोड़ा हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी-“जाओ रीना डरो मत….अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरुर चुदेगी…सो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने हीं घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी.. जाओ उठो…।”

रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं सो वो उठ गई और मैंने उसको बाहों में ले कर वहीं उसके होठ चुमने लगा। तब बिन्दा मुझे रोकी, “यहाँ नहीं, अलग ले जाइए….यहाँ सब के सामने उसको खराब लगेगा।”

मैंने हँसते हुए अब उसको बाहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा, “पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ…अगर पैसा कमाना है तो…” और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चुमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।

मैंने उसको चुमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया – “देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो. मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद हीं चोदुँगा. तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो. अब जब घर पर हीं परमीशन मिल गई है तो मजे लो. मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता. पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता. फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी.। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चुम रहा था।
रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी, “बहुत दर्द होगा न जब आप करेंगे मुझे?”

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मैंने उसको समझाते हुए कहा, “ऐसा जरुरी नहीं है, अगर तुम खुब गीली हो जाओगी तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी हीं पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर. फ़िर खुब चुदाना।”

अब वो बोली, “और अगर बच्चा रह गया तो…?”

मैंने उसको दिलासा दिया, “नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है….निश्चिंत हो कर चुदो अब…” और मैंने उसके कपड़े खोलने लगा।

मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली, “इसको खोलना जरुरी है क्या.सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा?”

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया…अब शर्म छोड़ों और अपना बदन दिखाओ. एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में” और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चुची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से हीं उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चुचियों को आजाद कर दिया। छोटे से गोरे चुचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थी।

मैंने कहा, “बहुत सुन्दर चुची है तुम्हारी मेरी जान…” और मैं उसको चुसने में लग गया।
जल्द हीं उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है।इसके बाद मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघो को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरुरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना हीं बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उमर भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनाशा (क्लीट) को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाँड़ के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द हीं चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म हो कर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टौप की रंडी बना दुँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टौप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी।

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मैंने कहा, “रीना, अब जरा अपने जाँघ खोलो न जानू…तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है।”
यह सुन कर वो आह कर उठी और बोली, “बहुत जोर की पेशाब लग रही है…इइइइस्स्स अब क्या करूँ…।”

मैं समझ गया की साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा, “तो कर दो ना पेशाब…”

वो अकचकाई, “यहाँ….कमरे में” और जोर से अपने पैर भींची।

मैंने कहा, “हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?”