फेसबुक से बनी गर्लफ्रेंड से सेक्स-1
Facebook se bani girlfriend se sex-1
मैं सुनता था कि फेसबुक पर लड़की पटाई। मैं सोचता था कि सच में ऐसा नहीं होता; लोग झूठ बोलते हैं। लेकिन जब मैंने खुद एक लड़की को गर्लफ्रेंड बना कर सेक्स किया तो …
नमस्कार दोस्तों! यहां पर कहानी पढ़ने के लिए पधारे सभी लंड और चूतों को रोमी का अभिवादन!
दोस्तो, यह सेक्सी कहानी मेरी फेसबुक वाली फ्रेंड की है जिसको मैंने पटाकर चोदा।
मेरी पिछली कहानी शादी से पहले बुआ की चुदाई भी आपने पढ़ी होगी.
इस घटना से पहले मैं हमेशा सुनता था कि फेसबुक पर लड़की को पटाया। मैं सोचता था कि क्या सच में ऐसा होता होगा? शायद ये लोग झूठ बोलते होंगे।
लेकिन ऐसा मेरे साथ भी हुआ तो विश्वास हो गया कि सच में ऐसा होता है।
कुछ साल पहले की बात है कि मेरी गर्लफ्रेंड से मेरा ब्रेकअप हो गया था और मैं अकेला था।
एक दिन मैं फेसबुक चला रहा था तब एक लड़की का नाम नजर आया। उसका नाम कविता था। मैंने उसकी प्रोफाइल देखी और उसको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। अगले दिन मैंने देखा कि उस लड़की ने मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी। मैं बहुत खुश हुआ और उसको हेलो का मैसेज किया। लेकिन उस वक्त वह ऑफलाइन थी इसलिए उसने जवाब नहीं दिया।
कुछ घंटे बाद उसका जवाब आया। उसने भी मुझे हेलो कहा। और फिर मैंने उससे इधर उधर की बातें करना शुरु कर दिया।
जैसे क्या आपका असली नाम यही है। आप क्या करते हो वगैरा-वगैरा। उसने भी मुझे सारे सवालों के जवाब दिए।
लेकिन मैं सोच रहा था कि कोई लड़की है इतना आसानी से मुझसे कैसे बात कर रही है इसलिए मुझे भरोसा नहीं हो रहा था कि यह लड़की ही है। जो फेसबुक चलाते हैं उनको पता ही होगा कि बहुत सारे लड़के झूठी प्रोफाइल बनाकर बातें करते हैं।
कुछ दिनों तक मैं कविता से ऐसे ही बातें करता रहा फिर मैंने उसकी फोटो भेजने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया। लेकिन बातें करना जारी रहा।
फिर एक दिन उसने उसके एक्सीडेंट होने की बात कही।
मैंने भी उससे पूछा कि कैसे एक्सीडेंट हो गया? ज्यादा लगी तो नहीं?
उसने जवाब दिया कि नहीं ज्यादा नहीं लगी, वह ठीक है।
लेकिन मैं नहीं माना और मैंने कहा कि आप अपनी फोटो भेजो, तभी मैं मान लूंगा कि आप को कम लगी है और आप ठीक हो।
फिर उसने जहां पर लगी थी वहां का फोटो खींचकर भेजा। मैंने उस फोटो में जांच पड़ताल की तो पता चला कि वाकई लड़की है। अब मैं निश्चिंत था की मैं लड़की से बात कर रहा हूं।
अब हम खुलकर बात करने लगे और धीरे-धीरे अच्छा दोस्त बन गए।
वह भी मेरे साथ सहज महसूस करने लगी थी। इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर मांग लिया।
उसने भी बिना हिचकी चाहे उसका नंबर दे दिया। लेकिन उसने कहा कि बार-बार कॉल करके परेशान मत करना।
मैंने भी कह दिया कि आपने मुझ पर भरोसा किया है तो मैं आपको परेशान नहीं करूंगा।
उसके नंबर पर मैंने मिस कॉल किया और फोन काट दिया। और फिर मैसेज करके बताया कि इस नंबर को सेव कर लेना।
फिर शाम को मैंने कविता को मैसेज किया कि क्या हम थोड़ी देर फोन पर बात कर सकते हैं?
कुछ देर बाद उसका फोन आया। मैं बहुत खुश हुआ दिल धड़कने लगा और मैंने कविता का फोन उठाया।
इतना सारा होने में लगभग एक महीना लग गया। मैंने फोन उठाकर उसको हेलो कहा। जवाब में उसने हाई कहा। उफ़ क्या आवाज थी मैं कुछ देर के लिए शांत रहा।
कविता ने फिर से कहा- हेलो, कहां रह गए?
मैंने होश में आते हुए कहा- कविता आपकी आवाज बहुत अच्छी है।
कविता- अच्छा सच बोल रहे हो या मेरी फिरकी ले रहे हो?
मैं- सच बोल रहा हूं … आपकी कसम!
कविता- ओह थैंक यू।
इस तरह हमारी फोन पर बातें शुरू हुई और बातें करते करते हैं बहुत रात हो गई।
जैसे-जैसे हमारी बातें बढ़ी, हम एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानने लगे।
उसने बताया कि वह अजमेर की रहने वाली है और अभी सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रही है। उसकी उम्र उसने 26 साल बताई। वह मुझ से 2 साल बड़ी थी। लेकिन मुझे क्या तुम मुझसे बात कर रही थी और उससे भी इस बात से कोई एतराज नहीं था।
बातों बातों में मैंने उससे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा तो उसने कहा कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। लेकिन सगाई हो गई है।
मैंने कहा- आप मुझसे बात करती हो, इससे आपके मंगेतर को परेशानी हो सकती है।
कविता ने बताया कि उसके मंगेतर से वहां दिन में ही बात करती है शाम के समय कुछ देर बात करने के बाद फोन रख देती है और वह भी वापस फोन नहीं करता।
मैं- हां, तभी तो इतनी देर तक मुझसे बात कर पा रही हो।
कविता- हां मैं तुमसे बात करना चाहती थी।
मैं- अच्छा! ऐसे क्या बात हो गई जो आप मुझसे बात करना चाहती थी?
कविता- एक महीना से मैंने आपसे बात की आपका व्यवहार और आप के बात करने का तरीका मुझे अच्छा लगा।
मैं- अच्छा जी तो ऐसी बात है।
इस तरह हम रोज रात को देर देर तक बात करने लगे और बातों ही बातों मैं हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए।
एक दिन मैंने बात करते वक्त उससे कहा- मुझे आपसे कुछ कहना है।
कविता ने कहा- क्या बात करनी है? बोलो।
मैं- वह मुझसे डर लग रहा है कहने में!
कविता- अच्छा जी … ऐसी क्या बात है जो आपको डर लग रहा है?
मैं- कविता, वादा करो कि आप मुझसे नाराज नहीं होंगे और बात करना बंद नहीं करोगे।
कविता- ठीक है बाबा, अब बोलो भी।
मैं घबरा कर- मुझे आप बहुत पसंद हो। मैं आपसे प्यार करता हूं। आई लव यू।
कविता कुछ देर तक शांत जाने के बाद- क्या?
मैं- आपने वादा किया था कि आप मुझसे नाराज नहीं होंगे।
कविता- हां मैं नाराज नहीं हूं। लेकिन दोबारा ऐसा नहीं करोगे।
मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया तो कविता ने कुछ देर कहा- अरे कहां गए, जवाब तो दो?
मैं- आप गुस्सा तो नहीं हो ना?
कविता- हां नहीं हूं. और सुनो मुझे भी तुमसे कुछ कहना है।
मैंने उदास मन से कहा- बोलो।
कविता- आई लव यू टू।
यह सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि कविता ऐसा कह रही है। कुछ देर चुप रहा और फिर बोला- आप मजाक तो नहीं कर रहे हो ना?
कविता- ना सच्ची बोल रही हूं आई लव यू रोमी।
दोस्तो, जब उसने ऐसा कहा तो मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई थी विश्वास नहीं हो रहा था कि कविता ने मुझे ऐसा कहा है।
मैं उत्साहित होते हुए- ओह आई लव यू, लव यू, लव यू सो मच।
फिर मुझे होश आया कि उसकी मंगनी हो चुकी है. मैंने कविता से पूछा- आपके मंगेतर को पता चल गया तो क्या होगा।
कविता ने बताया कि उसका कोई मंगेतर नहीं है वह झूठ बोल रही थी।
यह जान कर मेरा खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
उस रात हमने पूरी रात बात की।
इस तरह मेरी और कविता की बात आगे बढ़ी।
अब हमारी रोज रात को देर तक बात होने लगी। उससे मैं सेक्स चैट करने लगा। लेकिन मैंने उससे पहले ही पूछ लिया कि कविता को इस तरह बात करने में कोई परेशानी तो नहीं है।
उसने इजाजत दे दी कि हम इस तरह बात कर सकते हैं।
फिर क्या था … रोज रात को हम बात करते थे। कभी-कभी सेक्स चैट भी करते थे।
यह सिलसिला कई महीनों तक चला। इस दौरान मैंने उसकी फोटो भी मंगवाई। वाह … बहुत खूबसूरत है कविता। उफ क्या बताऊं आपको वाह क्या चीज है? बस आप लोग कल्पना कीजिए कि वह क्या दिखती होगी।
अब तो हम दोनों रोज बात करते थे।
एक दिन मैंने कविता से कहा कि मुझे आपसे मिलना है।
लेकिन कविता ने कहा- सब्र करो जानू, सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने कहा- बहुत हो गया फोन पर बात करना … मुझे आपसे मिलना है.
लेकिन मैं जयपुर में रहता था और वहां अजमेर की थी. हम दोनों का मिलना मुश्किल था क्योंकि उस वक्त मैं भी पढ़ाई कर रहा था और वहां पर जाकर मिलना मुश्किल था।
कुछ दिन ऐसे ही निकले।
फिर एक दिन कविता ने फोन पर बताया कि वहां जयपुर पढ़ने के लिए आ रही है और वहीं रहेगी कुछ महीनों के लिए।
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और कविता भी बहुत खुश थी।
लेकिन वहां पढ़ाई को लेकर बहुत जागरूक थी। उसने हमारे फोन पर बात करने का समय भी तय कर रखा था. रात को लेट बात करते थे दिन में कोई बात नहीं होती थी।
कुछ दिन बाद वहां अपना सामान लेकर उसके पिताजी के साथ जयपुर आ आ गई। उसने फोन करके बताया कि उसने जयपुर का कोई कोचिंग क्लास शुरू किया है।
1 दिन के बाद उसके पापा वापस चले गए।
और उसी शाम मैं उससे मिलने मेरी बाईक लेकर पहुंचा। वह मुझसे मिलने नीचे आई।
मैंने कहा- आपका कमरा नहीं दिखाओगे क्या?
उसने कहा- मकान मालिक इजाजत नहीं देता।