फिर आऊँगी राजा तेरे पास !-2
Fir Aaungi Raja Tere Pas-2
मैंने पूछा- पूनम, खुजली कम हुई कुछ?
तो बोली- भैया, और बढ़ रही है ! अब तो अन्दर तक हो रही है !
मैंने कहा- अन्दर कहाँ तक?
तो बोली- इसके अन्दर तक !
उसने अपनी चूत पर हाथ लगा कर कहा।
मैंने कहा- यह जो मेरा लण्ड है, यह इसके अन्दर की खुजली मिटा सकता है।
पर उसे इतना पता था, बोली- इससे तो मैं माँ बन सकती हूँ। नहीं गड़बड़ हो जाएगी, तुम ऊपर-ऊपर ही कर लो बस।
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और जबरदस्त तरीके से हिला दिया जीभ को और चूसने लगा।
फिर मैं घर में अन्दर तेल ढूंढने चला गया तो वहाँ मुझे कंडोम मिल गए जो चाचाजी इस्तेमाल करते होंगे चाची को चोदने में।
मैंने पूनम को कंडोम दिखाया और बताया- इसे लगाने से तू माँ नहीं बनेगी, अब डरने की कोई बात नहीं है। और यह देख, मैं तेल लगा कर डालूँगा अपना लण्ड तेरी चूत में ! पता भी नहीं चलेगा।
वो बोली- जो मर्जी कर लो ! बस मैं फंस न जाऊँ !
फिर मैंने उसकी चूत पर तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी और उसकी टांगें चौड़ी करके लण्ड उसकी चूत में रख दिया और जोर लगाया तो वो मारे दर्द के चिल्लाने लगी, बोली- मुझे नहीं करना यह सब।
पर लण्ड जब चूत को चाट ले तो कहाँ रुकने वाला था। घर इतना बड़ा था और अन्दर का कमरा कि उसकी चीख बाहर तक नहीं जा सकती थी।
तो मैंने धक्के पे धका मारा पर बड़ी तंग चूत थी, साली गाँव की थी ना !
लण्ड आधा अंदर चला गया और दो धक्कों में पूरा अन्दर। बिस्तर पूरा खून से सन गया !
वो दर्द से तड़प रही थी और मैं धक्के पे धक्के मार रहा था।
थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा, मैंने स्पीड बढ़ा दी। तभी मेरा वीर्य निकलने वाला हो गया। मैंने लण्ड निकालना चाहा पर निकाल नहीं पाया मजे के कारण !
और सारा माल उसकी चूत में ही डाल दिया और लेटा रहा उसके ऊपर।
वो बोली- भैया कुछ निकला है तुम्हारे लण्ड से गर्म-गर्म मेरी चूत में !
जब उठे तो वो खून देखकर घबरा गई, बोली- अब क्या होगा?
मैंने कहा- तू इसे ठिकाने लगा चादर को ! बाकी मुझ पर छोड़ दे।
उसने वो चादर कूड़े में दबा दी।
गाँव की छोरी थी तो शाम तक सब दर्द दूर।
जब सब घर आये तो मैंने चाची से कहा- पूनम को कुछ दिन के लिए शहर भेज दो मेरे साथ !
तो वे तैयार हो गए और अगली सुबह हम दोनों स्कूटर से शहर आ गए।
चार दिन बाद ही उसे माहवारी हो गई तो हमारी चिन्ता दूर हो गई।
अब वो मुझसे खुल चुकी थी हमारे घर में मेरा कमरा अलग था पढ़ने के लिए, वो भी साथ पढ़ती पाठ रोज नए नए सेक्स के।
साली न दिन देखे न रात ! जब भी मौका मिले- बस चोदो मुझे भैया।
आखिरी दिन जिस दिन उसे वापस गाँव आना था, रात को मेरे पास आई, बोली- भैया बहुत याद आयेगी तुम्हारी।
मैंने पूछा- मेरे लण्ड की या मेरी?
बोली- दोनों की ! दोनों बहुत प्यारे हो।
तो मैंने कहा- पूनम आज लण्ड का एक और मजा दिखा दूँ?
वो बोली- दिखाओ।
सब सो चुके थे, किसी को जरूरत ही नहीं यह जानने कि बहन-भाई क्या कर रहे हैं कमरे में !
सो मैंने उसे नंगा किया और खुद नंगा हो गया। उसने लण्ड को खड़ा कर दिया, अब उसे कुछ भी बताने की जरूरत नहीं थी। उसे पलंग से नीचे उतार कर घोड़ी बना लिया और उसके हाथ पलंग पर टिका दिए। अब उसकी गाण्ड मेरे लण्ड के बिल्कुल सामने थी। मैंने उसकी गांड के छेद पर तेल लगाकर अपनी उंगली घुमाई तो वो बोली- इसमें भी करने में मजा आता है भैया?
मैंने कहा- अभी पता चल जायेगा !
और लण्ड का सुपाडा गांड के छेद पर रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़ ली जो लटक कर हिल रही थी। हाथों से चूचियाँ दबाते हुए लण्ड पर पूरा जोर और लण्ड अन्दर जाने का नाम न ले। उसकी चीख निकल गई पर बन्द कमरे से बाहर नहीं गई।
बोली- भैया ऐसे लग रहा है जैसे मेरी गाण्ड में लण्ड नहीं लोहे का डण्डा घुसा रहे हो।
फिर तेल लगाया और जोरदार धक्का !
लण्ड आधा गाण्ड के अन्दर ! फिर एक धक्का और पूनम पलंग पर गिर गई, लण्ड पूरा अन्दर हो गया।
वो बोली- जल्दी निकालो ! मर जाऊँगी भैया !
अब मैं लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा तो उसे भी अच्छा लगने लगा। बहुत देर तक अन्दर-बाहर होता रहा लण्ड और वीर्य चल पड़ा बाहर को !
मैंने लण्ड गाण्ड से बाहर निकाल लिया और फिर लण्ड को साफ किया और पूनम को सीधा किया, सर के नीचे तकिया लगाया और उसके मुँह के पास आकर मुठ मारनी शुरु की।
बहुत धीरे धीरे वीर्य जैसे ही बाहर निकलने वाला था, मैंने अपना लण्ड पूनम के होंठों पर रख दिया, वीर्य की फुहार आई और पूनम का मुँह भर गया और वो गटक गई। फिर लण्ड अपने होंठों से चूसने लगी। उसे जाते जाते एक बार और जो चुदना था।
वो गाँव चली गई इस वादे के साथ कि फिर आऊँगी राजा तेरे पास !