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गाँव वाली काकी ने सेक्स का पूरा मज़ा दिया-1

Ganv Wali Kaaki Ne Sex Ka Poora Maja Diya-1

नमस्ते दोस्तो यह एक सच्ची कहानी है मेरा नाम जितेंद्र कुमार है मै नई दिल्ली रहता हू वैसे यह जो भी घटना हुई है बीते दिनो की है जब मै अपने गाँव गया था मेरा गाँव कानपुर देहात मे है  Ganv Wali Bhabhi Ne Sex Ka Poora Maja Diya.
मेरा परिवार दिल्ली मे रहता है ।
मेरे ताऊ जी प्रताप कुमार
रेल्वे मे नोकरी करते है फैजाबाद मे
इन्ही का परिवार गांव मे रहता है ।
उनके परिवार मे उनकी पत्नी (ताईजी) है
नाम-विमला देवी
उम्र -48
नैन नक्श तिखे है भरा हुआ शरीर बिल्कुल किरन खेर की तरह है दिखने मे , विमला के दो बेटे है सुधीर और नरेश ।
सुधीर की उम्र 28 साल है
नरेश की उम्र 25 साल है
दोनो बेटो की शादी हो चुकी है , सुधीर पैसे कमाने के सिलसिले मे बैंगलोर रहता है ओर नरेश यही गांव रहकर माॅ पत्नी और भाभी की देखभाल करता है । नरेश बहुत मेहनती है खेती का काम करने के साथ साथ गांव से थोडी दूर मार्केट
जाकर छोटी सी नोकरी करता है ।सुबह उठकर खेतो मे काम करना फिर नौ बजते ही नोकरी पर चले जाना ।
सुधीर की बीवी( कजल) दिखने मे दिव्या भारती की तरह थी
फीगर अंदाजन 34 28 36 होगा ।गोरा रंग छलकती जवानी जाहिर सी बात है पति बैंगलोर मे था तो लंड की प्यास तो होगी ही होठो के पास एक तील था जो उसकी हर मुस्कान पर लंड खडा कर देता था
नरेश की पत्नी (अनिता )बहुत संस्कारी थी पूजा-अर्चना करने मे ही व्यस्त रहती थी कोई पराया मर्द अगर उसपर नजर भी डाले तो उसकी खैर नही ।

अब चाचाजी का परिवार
नाम-राघव कुमार
उम्र -50 के आसपास
पत्नी का स्वर्गवास हो चुका है
दो बेटिया एक बेटा
पहली बेटी -शीला
शीला की शादी 2 साल पहले हो चुकी थी
दूसरी बेटी -मीना
जिसकी शादी होने जा रही थी ।
बेटा-विशाल कुमार
मेरे चाचा कानपुर city मे रहते है ।
पडोस मे ही निर्मला देवी रहती है जिनके पती का स्वर्गवास बहुत पहले हो चुका था उनका एक बेटा है जो परदेस मे रहता है

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निर्मला चाची अकेले रहती है उनकी देवरानी है देवर है जो उनसे अलग रहते है ।
और भी किरदार है जो जुडते चले जाएंगे दोस्तो अब कहानी पर आता हू
निर्मला चाची अकेली थी उम्र अंदाजन 50 के आसपास होगी
गोरा दुधिया रंग चुचिया तनी हुई हल्का सा पेट बाहर चूतड गोल फूले हुए शायद ही कोई ऐसा हो जो उन्हे देखने के बाद लंड ना सहलाए । गांव पहुचा मेरे परिवार को छोड़कर सबका परिवार उपस्थित था प्रताप कुमार भी आए थे और चाचा राघव कुमार का पूरा परिवार था ।
मै गांव पहुचा सबने मेरा स्वागत किया, करते भी क्यू ना 4 साल बाद जो गया था काजल भाभी से पहली बार मिला था बात तो नही की थी बस पहली बार देख रहा था वो भी मुझे देख रही थी फिर वो खाना बनाने चली गई अनिता भाभी मायके गई थी उनके मा की तबियत खराब थी इसलिए देखभाल करने के लिए वो गई थी । अभी शादी मे 15 दिन बाकी थे मेरे घर मे 7 कमरे है और एक बडा सा अंगना है आंगन मे नल है सभी वही नहाते कपडे धोते है । मै अपने कमरे मे बैठा था अचानक मुझे एक फोन आया कमरे मे नेटवर्क नही था तो मै बाहर निकलकर जाने लगा ……………

जैसे ही आंगन तक पहुचा मै सन्न रह गया आंगन मे काजल भाभी अपनी साडी गांड तक उठाकर मुतने बैठी थी मुझे देखकर वो चौक गई लेकिन खडी नही हुई शर्म के कारन मै तुरंत कमरे मे चला गया मुझे बार बार वही सब याद आ रहा था उनकी गोरी गांड ही नजरो के सामने आ रही थी ।फिर थोडी देरबाद खाना खाने का समय हुआ सबको काजल भाभी अपने कमरे मे खाना दे रही थी ,वह मेरे लिए अब भी अजनबी थी क्यूकी हमारी बात नही हुई थी अबतक । काजल भाभी मेरे कमरे मे आई
भाभी – जितेंद्र बाबू ये खाना खा लिजिए वरना ठंडा हो जाएगा
मै- भाभी वो सुबह आंगन मे , वो मै गलती से मुझे पता नही था आप वहा…
भाभी – कोई बात नही बाबू ।
(और मुस्कुराती हुई )बाहर चली गई ।
मै खाना खा ही रहा था कि भाभी वापस आई
भाभी -बाबू और और कुछ लाऊ रोटी दाल
मै – नही भाभी पेट भर गया
भाभी -खा लिजिए गरम मै सबको इतना गरम नही मिलता ।
(और आकर जबरदस्ती रोटी प्लेट मे डालने लगी )
जोर जबरदस्ती करने के कारन उनका पल्लू गिर गया और मेरे आखो के सामने उनकी बडी बडी चूचिया आ गई जो बलाउज से बाहर झाकने की कोशिश कर रही थी ।उनहोने अब भी पल्लू नही संभाला मै चुचिया देख रहा था रूई की तरह सफेद बडी बडी ।इतने मे वो खडी हुईऔर बाहर चली गई ।खाना खाने के बाद मै सो गया।
शाम को आख खुली विशाल मुझे जगा रहा था
विशाल – कितना सोता है भाई तू चल मेरे साथ ताईजी को पूजाकरने के लिए फूल चाहिए
मै-कहा चलना है

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विशाल -यही पडोस मे निर्मला चाची के यहा
(दोस्तो निर्मला चाची अकेली रहती है सो उन्होंने अपने घर के आगे फुलवारी लगाई है ताईजी रोज उनके यहा से फूल लेती थी )
मै और विशाल निर्मला चाची के यहा पहुचे वो उकडू बैठकर छोट सा गड्ढा खोद रही थी
विशाल ने आवाज दी
विशाल – चाची कहा बाडू हो ?
चाची – हा बेटवा , आवा बैठा
( उनका पल्लू जमीन पर गिरा था उकडू बैठे होने की वजह से उनके घुटने से चूचिया दबकर फूल गए थे )
मै यह देखने लगा विशाल जाकर खटिया पर बैठ गया मै दूर खडे होकर चाची के चुचियो को देख रहा था । लंड खडा होने लगा अचानक चाची की आवाज सुनकर होश आया
चाची – अरे जितेंद्र बेटवा कैसे हो
मै -(हडबडाते हुए ) ठीक हू चाची ।
चाची – बहुत दिन बाद गाव आए हो पहचान रहे हो ना
मै-हा चाची ।

चाची -अरे विशाल बेटा,नरेश कहा है उससे बोली थी मजदूर लगा दे मेरे खेतो मे कटाई करनी है सबका गेंहू कट गया मेरा अबतक नही कटा अकेली हू तो सारे काम बच जाते है ।
विशाल -ठीक है नरेश भईया से बात करता हू
मै- काकी मै काट दू आपकी फसल मुझे मजदूरी दे देना
काकी – अरे बेटा तेरी काकी का खेत बहुत बडा है तू नही काट पाएगा काकी की फसल को (हसने लगी) काकी जौन मजदूरी देगी तुझे पसंद भी नही आएगी ।
(विशाल हसने लगा) मेरी कुछ समझ मे नही आयाआ पर थोडी देर बाद समझ गया कि शायद काकी डबल मिनिंग मे बोल रही है ।
फिर हमने फूल लिए और वहा से वापस आ गए ।

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घर आकर हमने फूल ताई जी को दिए । वी मंदिर चली गई विशाल बाहर गाय को चारा डालने लगा ,मै घर के अंदर गया घर मे काजल भाभी सबके कमरे मे झाडू लगा रही थी । फिर वो मेरे कमरे मे आई , मै बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठा था । भाभी बोली
भाभी -बाबू पैर उपर कर लिजिए झाडू लगाना है
मै-ठीक है भाभी
भाभी झुकर झाडू लगाने लगी पल्लू चुचियो पर से गिर चुका था
मै उनकी चुचियो को देखने मे मगन हो गया । वो जानती थी मै उनकी चुचियो को देख रहा हू इसलिए जानबूझकर और झुककर झाडू मारने लगी ।
मेरा लंड उठने लगा , मेरे लोवर मे तंबू बन चुका था अचानक वो खडी हो गई
भाभी- लग गया झाडू अब घर के और काम ……..(अचानक उनकी नजर मेरे तंबू पर पडी ) वह चुप हो गई
और साड़ी के उपर से ही अपने चूत को सहलाकर बाहर जाने लगी
मै – भाभी , सुनिए (और मै खडा हो गया जिस वजह से पूरे लंड की लंबाई पता चल रही थी )
भाभी -क्या हुआ बाबू