गाँव की गोरियाँ देसी छोरियां-1
Gaon Ki goriyan Desi Chhoriyan-1
सुबह के 9 बज रहे थे मुझे पुणे से अपने गांव जाने के लिये बस लेनी थी तो मैं बस स्टैंड पहुंच गया। मै आज बहुत दिन बाद अपने गांव जा रहा था!
बस लगी हुई थी, मैं बैठ गया और पिछले ख्यालों में खो गया। मैं 4 साल पहले इधर पुणे में आया था काम की तलाश में घर से भागकर आया था… मुझे भागना पड़ा गाँव से क्योंकि मैं जब उन्नीस साल का था तब मेरी पड़ोस वाली लड़की जो मुझसे एक साल की छोटी थी … उसके गोल गोल स्तनों को देखकर हर किसी का जी ललचाता था, उसके होंठों को देखकर प्यासा भी तृप्त हो जाये … उसके मदमस्त नयनों को देखकर सपनों में खो जाए।
उसका नाम था सुजाता … सुजाता का नाम सुनते ही मेरा शांत सोया हुआ वासना का घोड़ा जाग कर दौड़ने लगता! वाह … क्या चीज थी वो कसम से … वो मेरी नजरों के सामने से कभी हटी ही नहीं थी।
“हेलो … टिकट टिकट!” कंडक्टर ने आवाज लगाकर मुझे मेरी यादों से बाहर निकाला।
मैंने पैसे देकर अपने गाँव का टिकट लिया।
और फिर वापिस उन्ही यादों में चला गया.
सुजाता 10वीं में थी और मैं 12वीं क्लास में था क्योंकि गाँवों में देर से ही पढाई शुरू होती है. हम दोनों ही हर रोज एक दूसरे घर जाते आते रहते थे. उस समय सुजाता के घर में टी वी नहीं था तो वो देखने के लिए मेरे ही घर आती थी।
एक दिन रविवार को वो मेरे घर टी वी पर उसका फेवरेट सीरियल देखने के लिए आई थी. उस समय घर में अकेला था।
वो आई और बोली- रेक्स आज कहाँ गए सारे? कोई भी नहीं है?
मैंने कहा- आज सब लोग शहर गए हुए हैं, इसलिए मैं अकेला हूँ.
सुजाता- तो तुम क्यों नहीं गए?
मैं बोला- कुछ नहीं यार … मेरा सिरदर्द हो रहा था इसलिए नहीं गया!
सच तो यह था कि मुझे पक्का पता था सुजाता आज मेरे घर जरूर आयेगी टीवी देखें… और उसको आज किसी भी स्थिति में पटाकर ही छोड़ना है? और मान गई तो चोदना भी था।
मैं यह प्लान बनाकर ही अपने परिवार के साथ शहर नहीं गया था।
मैंने सुजाता को टी वी लगाकर दिया और मैं उधर ही साथ में सिंगल बेड था, उस पर लेट कर टी वी देखने लगा!
कुछ समय बाद मैंने सुजाता को कहा- सुजाता, थोड़ा इधर आकर सिर को दबाओगी क्या?
सुजाता- हां, क्यों नहीं … आ रही हूँ।
वो मेरे पास आकर बैठ गई और सिर पर एक हाथ से दबाने लगी. जैसे ही उसने मुझे छुआ, वैसे ही मेरे अंदर एक सुरसुर सी दौड़ी लेकिन मैंने अपनी वासना पर काबू रखा. आप इस कहानी को HotSexStory.Xyz में पढ़ रहे हैं।
कुछ समय बाद मैंने उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ा तो उसका शरीर भी एकदम से तपा हुआ लगा। तो मैंने मजाक में कहा- यार तुझे तो बुखार है!
उसने कहा “नहीं तो …पता नहीं तुमने मेरे हाथ पकड़ा तो अजीब सा महसूस हो रहा है।
मैं समझ गया उसको क्या हो रहा है।
मैं फिर करवट लेकर उसके जांघ पर अपना सिर रखा तो वो घबराकर बोली- रेक्स कोई देख लेगा।
मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा, तुम सिर दबाओ।
फिर मैंने उसे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो यार!
उसने भी मेरे बात का जवाब दिया- चलो झूठे कहीं के? तू तो उस दिन सीमा के साथ खेत में गया था. पता नहीं क्यों … पर मुझे बहुत गुस्सा आया था।
“मतलब तुम मुझसे प्यार करती हो?”
सुजाता ने शरमा कर हाँ कर दी और मैंने झट से उसकी गर्दन को एक हाथ से झुकाकर किस कर दिया.
एक सेकेण्ड में क्या से क्या हो गया था, पता नहीं चला। मुझे ऐसा लगा कि मुझे लॉटरी लग गई हो।
वैसे मैंने उसकी एक सहेली सीमा को उस दिन खेत में ले जाकर चोद दिया था। वो मेरी पसंद नहीं थी लेकिन मजे के लिए थी वो।
मैं भी सुजाता को मन ही मन में चाहता था पर कभी हिम्मत नहीं हुई थी कि उससे प्यार का इजहार करूँ।
अब पहले मैं वो घटना सुनाता हूँ जब मैंने सीमा के साथ चुदाई की थी.
सीमा एक गरीब घर की मेरे ही मोहल्ले में रहने वाली लड़की थी। वो दिखने में सांवली थी लेकिन दिखने में फिर भी बहुत सुंदर थी। सीमा अक्सर अपनी भैंस के लिए घास लेने के लिए मेरे खेत में आती रहती थी।
एक दिन छुट्टी के दिन में अपने खेतों में था और पापा शहर गए थे. और अकेले में होने के कारण मुठ मारने के लिए मेरा दिल बेचैन हो रहा था. तो मैं मक्की के खेत में थोड़ा सा अंदर गया और अपनी लुँगी को हटाकर अंडरवियर भी निकालकर एक तरफ रख दिया और अपनी आँखें बंद करके ‘सुंदर सी सुजाता को नंगी करके चोद रहा हूँ.’ यह कल्पना कर मैं अपने लंड को हिलाकर मुठ मारने में मग्न हो गया था।
सुजाता को मैं मन ही मन में हर पोजीशन में … झुकाकर … लिटाकर … उसकी गांड में … उसके मुंह में … ऐसे सोच सोच कर मुठ मार रहा था।
मुझे क्या पता था वहां मेरे अलावा कोई और भी था।
वो थी सीमा…
सीमा मेरे खेत में घास लेने आई थी तो वो सीधे हमारे मक्की के खेत में आ गई थी. उसने मुझे मुठ मारते हुए देखा.
मैं मेरा मोटा लंबा लंड आंखें बंद करके हिला रहा था, उसने देख लिया तो उसके मन में भी मुझसे चुदने की इच्छा जागृत हो गयी … तभी उसने मेरे पास दबे पांव आकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
मैंने एकदम घबराकर आंखें खोलकर देखा तो सीमा ने मेरे लंड को पकड़ा हुआ था।
मैं समझ गया कि साली की कामवासना उठान पर है, आज तो ये चुद कर ही जायेगी. मैं चुपचाप खड़ा हुआ और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने सामने किया. फिर उसकी सलवार का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया तो उसकी सलवार सर्र से नीचे गिर गयी. खोलकर सलवार को दूर कर दिया। अब थी उसकी चड्डी उसे भी निकालकर साइड में फेंक दिया।
तब मैंने सीमा को नीचे बैठाया और मेरा लंड उसके मुँह में दिया और वो बिना किसी आनाकानी के चूसने लगी। उसके बाद फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसके चूत पर रखकर झट से मेरा लण्ड को अंदर किया, वैसे ही उसके मुँह से एक चीख निकली लेकिन फिर भी वो खुद अपने मुंह पर हाथ रखकर चुपचाप मेरे लण्ड को अंदर बाहर करने में मदद करने लगी।
मैं भी सीमा की देसी चूत को जोर जोर से चोदने लगा।
फिर मैंने उसे जमीन पर लिटा लिया और उसके ऊपर आकर चूत में लण्ड डालकर कर जोर जोर से चोदने लगा। कुछ ही समय बाद मेरे लण्ड ने सारा वीर्य उसके चूत में ही छोड़ दिया।
वो खड़ी होकर बोली- रेक्स, आज पहली बार तुमने खूब मजा दिया… उस विनोद का लंड तो छोटा पतला है, वो इतना मजा नहीं दे पाता है।
मैंने कहा- क्या तुम पहले चुद गई हो?
सीमा बोली- हाँ… बहुत बार!
मुझे आश्चर्य हुआ कि मुझसे भी आगे तो ये लड़कियाँ हैं।
जिस लड़के का नाम उसने लिया था विनोद … वो तो मेरा दोस्त था लेकिन उस कमीने ने कभी बताया नहीं था इस देसी चुदाई के बारे में!
एक दिन सुबह ही मैं अपने कमरे के खिड़की के पास खड़ा था तो मैंने देखा कि सीमा सुजाता के साथ खेतों की ओर जा रही थी. मैं सीमा को पहले ही चोद चुका था, आज फिर मेरी तमन्ना जाग उठी कि फिर से एक बार सीमा के साथ खेत में सेक्स का खेल खेलना है. यह बात दिमाग में आते ही मेरा लंड खड़ा होकर बाहर आने को फड़फड़ाने लगा था.
मैंने अपने लंड को हाथ से पैंट के ऊपर से सहलाया. मेरा अंडरवियर तक गर्म हो गया था. कुछ भी हो सीमा को आज ही चोदना है.
मैं जल्दी से सीमा और सुजाता के पीछे पीछे कुछ दूरी रखकर जाने लगा था. उनसे छुपकर उनका पीछा करने लगा था. वो दोनों सुजाता के खेत पर पहुंचीं और एक इमली के पेड़ के नीचे खड़ी हो गईं.
आज ही सुबह सुजाता के मम्मी पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे. तब ये दोनों खेतों में आई … पर क्यों?
सवाल मेरे दिमाग में घूम ही रहा था कि मैंने देखा राहुल, मेरा एक और दोस्त वहां आ गया था. अब मुझे स्पष्ट पता चल गया कि आज यहां क्या होने वाला है. राहुल भी सीमा को मिलने या यों कहें कि चोदने आया था. पता नहीं कितने यार थे इस सीमा के, एक विनोद, दूसरा मैं, तीसरा ये राहुल… सीमा थी ही चालू… यह समझ कर मेरे दिल को बड़ी ठेस पहुंची कि क्या सोचा था, क्या हो गया.
फिर मैं सुजाता को आज चोदने की सोचने लगा. प्लान मेरे दिमाग आने लगे थे कि कैसे उसे चुदवाने के लिए राजी करना है. मैंने देखा कि सीमा और राहुल साथ वाले नाले के पास को चली गई थी. उधर बहुत ऊंची झाड़ियां थीं. उसमें अगर कोई खड़े होकर भी चुदाई करे, तो भी बिल्कुल नजर नहीं आएगा. सुजाता वहां से मेरे पास वाले नीम के पेड़ की नीचे आकर खड़ी हो गई और कुछ सोचकर उसने अपना सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपना बांयाँ हाथ अन्दर डालकर चूत सहलाने लगी थी.
इस वक्त उसकी आंखों में वासना का खुमार चढ़ा हुआ साफ़ दिख रहा था.
मुझे यही मौका सही लगा और मैंने दबे पांव जाकर उसे पीछे से कमर में हाथ डालकर अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरे अचानक इस हमले से वो एकदम से घबरा गई और अपने आपको मुझसे छुड़वाने की कशमकश करने लगी थी. वो अच्छा हुआ कि मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया था, नहीं तो वो चिल्लाने ही वाली थी.
वो छटपटाते हुए छूटने का प्रयास कर रही थी. मैंने उसे चूमा और चुप रहने का कहा, मैंने कहा- शांत रहो.. कुछ नहीं कर रहा हूँ.
उसने मेरी आवाज पहचान ली थी और शांत खड़ी हो गई.
जब उसने मुझे देखा तो वो चुप हो गई.
मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटाया और दूध सहलाते हुए कहा- तुम बहुत सुंदर हो.
सुजाता- सच में?
मैं- हां.
सुजाता- तुम यहाँ कब आये थे?
मैं- जब तुम अपनी चुत को सहला रही थीं.. तब आया था.
सुजाता- तुमने देखा था मुझे?
मैं- हाँ.. पर पूरा नहीं देख पाया था इसलिए पूरा देखने के लिए आया हूँ.
सुजाता- ठीक है, पर पहले एक कसम खाओ कि किसी को बताओगे नहीं.
मैं- तुम मेरी जान हो… कई दिन से तुम्हारे ख्यालों में रहता हूँ. आज खुले में मिली हो जान.. मैं कैसे ये सब किसी से कह सकता हूँ.
सुजाता- रेक्स सुनो, अभी मेरे साथ सीमा भी आई है.. और वो राहुल के साथ में है!