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गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ कुनबा 1

Gendamal halwai ka chudakkad kunba-1

ये 1910 के दौर की बात है, जब हमारे देश पर अंग्रजों का राज था।

उ.प्र. के एक छोटे से कस्बे में अंग्रेज सरकार की छावनी हुआ करती थी और उसी कस्बे में हलवाई गेंदामल की दुकान थी।

गेंदामल का घर पास के ही गाँव में था और दुकान काफ़ी अच्छी चलती थी।

दुकान पर उसने दो काम करने वाले लड़के भी रख हुए थे।

लगभग 45 साल के गेंदामल के सपने इस उम्र में भी बहुत रंगीन थे।

गेंदामल के अब तक तीन शादियाँ हो चुकी थीं। पहली पत्नी की मौत हो गई थी, जिससे एक लड़की भी थी।

लड़की के जन्म के 3 साल बाद ही उसकी पहली पत्नी चल बसी। गेंदामल काफ़ी टूट गया, पर समय के साथ-साथ गेंदामल सब भूल गया।

उस समय गेंदामल की माँ जिंदा थी। उसके कहने पर गेंदामल ने दूसरी शादी कर ली।

गेंदामल छावनी के कमान्डर का ख़ास आदमी बन चुका था। क्योंकि गेंदामल की दुकान पर जो भी मिठाई बनती थी, वो वहाँ के कमान्डर के पास सबसे पहले पहुँचती थी।

पैसा और रुतबा इतना हो गया था कि गेंदामल के सामने सब सर झुकाते थे।

जब दूसरी पत्नी से कोई संतान नहीं हुई तो, बेटे की चाहत में गेंदामल ने तीसरी शादी कर ली।

आज 15 जनवरी 1910 के दिन ट्रेन में गेंदामल अपनी तीसरी बीवी से शादी करके लखनऊ से अपने गाँव वापिस आ रहा है।

लखनऊ में गेंदामल का छोटा भाई रहता था। जिसके कहने पर गेंदामल उसके नौकर के बेटे को जो 18 साल का है.. उसे भी अपने साथ लेकर अपने घर आ रहा है, साथ में दूसरी बीवी और पहली बीवी से जो बेटी थी, वो भी साथ में थी।

गेंदामल- उम्र 45 साल, अधेड़ उम्र का ठरकी।

कुसुम- गेंदामल की दूसरी पत्नी, उम्र 33 साल। एकदम जवान और गदराया हुआ बदन, काले लंबे बाल, हल्का सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श, हल्का सा भरा हुआ बदन।

सीमा- गेंदामल की तीसरी और नई ब्याही हुई पत्नी, उम्र 23 साल, एकदम गोरा रंग, कद 5’4” इंच, लंबे बाल, गुलाबी होंठ और साँप सी बलखाती कमर।

दीपा- गेंदामल की बेटी, उम्र 18 साल अभी जवानी ने दस्तक देनी शुरू की है।

राजू- उम्र 18 साल गेंदामल के भाई के नौकर का बेटा, जिसे गेंदामल अपने घर के काम-काज के लिए ले जा रहा है।

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जैसे की आप जानते ही हैं कि गेंदामल तीसरी शादी के बाद अपने गाँव लौट रहा है।

उसके साथ उसकी दूसरी पत्नी कुसुम, नई ब्याही पत्नी सीमा और बेटी दीपा के अलावा उसके भाई के नौकर का बेटा राजू भी है।

गेंदामल और उसके परिवार को छोड़ने के लिए उसका भाई रेलवे स्टेशन पर आया और उसका नौकर भी साथ में था, जिसका बेटा गेंदामल के साथ उसके गाँव जा रहा था।

राजू का पिता- देख बेटा… मैं तुम पर भरोसा करके सेठ गेंदामल के साथ नौकरी के लिए भेज रहा हूँ, वहाँ पर जाकर दिल लगा कर काम करना। मुझे शिकायत नहीं मिलनी चाहिए तुम्हारी…!

राजू- जी बाबा… मैं पूरा मन लगा कर काम करूँगा, आप को शिकायत का मौका नहीं दूँगा।

अपने बेटे से विदा लेते समय, उसकी आँखें नम हो गईं।

राजू गेंदामल के साथ ट्रेन में चढ़ गया। आज ट्रेन में खूब भीड़ थी, बैठने की तो दूर.. खड़े रहने की जगह भी गेंदामल और उसके परिवार के लिए मुश्किल से बन पाई थी।

ट्रेन में चढ़ने के बाद.. गेंदामल ने किसी तरह अपने परिवार के लिए जगह बनाई।

सुबह के 10 बज रहे थे। ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी।

सर्दी का मौसम था, इसलिए बाहर घना कोहरा छाया हुआ था।

गेंदामल ने देखा, ट्रेन में बैठने के लिए कोई जगह नहीं थी, इसलिए उसने अपने संदूकों को नीचे रख कर एक पर कुसुम को और दूसरे पर अपनी नई पत्नी सीमा को बैठा दिया।

तीसरे बक्से पर उसकी बेटी दीपा बैठ गई।

गेंदामल अपनी नई पत्नी सीमा के पास उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया।

भीड़ बहुत ज्यादा थी। गेंदामल के ठरकी दिमाग़ में कीड़े तभी से कुलबुला रहे थे, जब से उसने सीमा को देखा था।

अब वो और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता था, पर ट्रेन मैं वो कर भी क्या सकता था?

उसकी नज़र राजू पर पड़ी, जो अभी भी खड़ा था।

गेंदामल- तुम क्यों खड़े हो, बैठ जाओ…!

राजू ने इधर-उधर देखा, पर जो बैठने की जगह थी, वो बिल्कुल उसकी बेटी दीपा के बगल में थी, जिस संदूक पर दीपा बैठी थी।

गेंदामल- हाँ..हाँ.. इधर-उधर क्या देख रहा है..! वहीं पर बैठ जा… बहुत लंबा सफ़र है…!

गेंदामल की बात को सुन कर राजू थोड़ा झिझका, पर हिम्मत करके उसी संदूक पर दीपा के पास बैठ गया, जिस पर दीपा बैठी थी।

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राजू को बैठाने का गेंदामल का अपना मकसद था।

ताकि राजू उसकी हरकतों को देख ना पाए।

आख़िरकार नए जोड़े में उसकी नई पत्नी जो बैठी थी.. उसके सामने।

राजू के बैठने के बाद गेंदामल ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई, सब अपनी ही धुन में मगन थे।

गेंदामल की पहली पत्नी कुसुम को तो बैठते ही नींद आने लगी थी, क्योंकि पिछली रात वो शोर-शराबे के कारण ठीक से सो नहीं पाई थी।
अधेड़ उम्र के गेंदामल ने अपनी नई दुल्हन की तरफ देखा, जो लंबा सा घूँघट निकाले हुए संदूक पर बैठी थी।

सीमा अपने गोरे हाथों को आपस में मसल रही थी, जिस पर सुर्ख लाल मेहंदी लगी हुई थी।

गेंदामल के पजामे में हलचल होने लगी।

उसने इधर-उधर देखा और अपने हाथ नीचे ले जाकर सीमा के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया।

सीमा बुरी तरह घबरा गई और उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और अपने घूँघट के अन्दर से ऊपर की तरफ देखा।

गेंदामल अपने होंठों पर मुस्कान लाया और सीमा को कुछ इशारा किया और फिर अपना हाथ सीमा के हाथ की तरफ बढ़ाया।

सीमा का दिल जोरों से धड़क रहा था, उसने अपनी कनखियों से चारों तरफ देखा।

उसकी सौत कुसुम तो बैठे-बैठे सो गई थी और उसकी बेटी दीपा नीचे सर झुकाए ऊंघ रही थी।

इतने में गेंदामल ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर सीमा के हाथ को पकड़ लिया।

एक अजीब सी झुरझुराहट उसके बदन में घूम गई।

गेंदामल ने एक बार फिर से अपनी नज़र चारों तरफ दौड़ाई, किसी की नज़र उन पर नहीं थी।

गेंदामल ने सीमा के हाथ को पकड़ कर अपने पजामे के ऊपर से अपने लण्ड पर रख दिया।

सीमा एकदम चौंक गई, उसे अपनी हथेली में कुछ नरम और गरम सा अहसास हुआ, उसने अपना हाथ पीछे खींचना चाहा, पर गेंदामल ने उसके हाथ नहीं छोड़ा और वो सीमा के हाथ को पकड़े हुए अपने लण्ड के ऊपर रगड़ने लगा।

नई-नई जवान हुई सीमा भी समझ चुकी थी कि उसका पति भले ही अधेड़ उम्र का है, पर है एक नम्बर का ठरकी।

जैसे ही सीमा का कोमल हाथ गेंदामल के लण्ड पर पड़ा, उसके लण्ड में जान आने लगी।

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सीमा का दिल जोरों से धड़क रहा था।

वो अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द के लण्ड को छू रही थी, जिसके कारण वो मदहोश होने लगी।

उसका हाथ खुद ब खुद गेंदामल के पजामे के ऊपर से उसके लण्ड के ऊपर कस गया और वो धीरे-धीरे उसके लण्ड को सहलाने लगी।

गेंदामल तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था।

उसकी आँखें बंद होने लगीं और सीमा भी अपनी तेज चलती साँसों के साथ अपने हाथ से उसके लण्ड को सहला रही थी।

कुछ ही पलों के बाद गेंदामल का साढ़े 5 इंच का लण्ड तन कर खड़ा हो गया।

दूसरी तरफ उनके पीछे बैठे हुए राजू का ध्यान अचानक से गेंदामल और सीमा की तरफ गया, जिससे देखते ही उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।

राजू उम्र के उस पड़ाव में था, जहाँ पर से जो भी कुछ देखता है, वही सीखता है।

सीमा का हाथ तेज़ी से गेंदामल के पजामे के ऊपर से उसके लण्ड को सहला रहा था।

अब सीमा की पकड़ गेंदामल के लण्ड के ऊपर मुठ्ठी मारने का रूप ले चुकी थी।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सीमा चलती हुई ट्रेन में गेंदामल की मुठ्ठ मार रही थी और वो भी सब की नज़रों से बच कर!
पर राजू की नज़र उस पर पड़ चुकी थी, जिससे देखते-देखते उसका लण्ड भी उसके पजामे में कब तन कर खड़ा हो गया.. उसे पता भी नहीं चला।

गेंदामल के विपरीत राजू अभी अपनी जवानी के दहलीज पर था और उसका लण्ड गेंदामल से 3 इंच बड़ा और कहीं ज्यादा मोटा था।

अपने सामने कामुक नज़ारा देख कर कब राजू का लण्ड खड़ा हो गया और कब उसका हाथ खुद ब खुद लण्ड के पास पहुँच गया, उसे पता ही नहीं चला।

उसने अपने लण्ड को पजामे के ऊपर से भींच लिया और धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया।

वो अपने सामने हो रहे गेंदामल और सीमा के कामुक खेल को देख कर ये भी भूल गया था कि उसके बगल में गेंदामल की बेटी दीपा बैठी हुई है।
यह लम्बी कथा जारी रहेगी।