हिंदी सेक्स स्टोरी

गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ कुनबा-15

Gendamal halwai ka chudakkad kunba-15

जैसे ही सुपारा चमेली की चूत में घुसा.. राजू ने चमेली की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की तरफ दबा दिया।

चमेली की गीली हो चुकी चूत में राजू का लण्ड फिसलता हुआ अन्दर जा घुसा।

‘ओह्ह छोरे.. क्या कर रहा है, ज़रा भी सबर नहीं है.. ओह मार दियाआ रेए… ओह रुक जा ओह आह्ह.. ओह!’

राजू नीचे से लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए चमेली की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।

उसके लण्ड ने चमेली की चूत के छेद को बुरी तरह फैलाया हुआ था।

चमेली की आँखें मस्ती में बंद हो गई’, राजू ने उसके ऊपर-नीचे हो रही चूचियों में से एक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।

चमेली- ओह राजू.. धीरे-धीरे अई बेटा.. ओह हाँ.. चूस ले.. बेटा मेरी चूची.. ओह राजू हाँ.. ऐसे मसल…ऊऊओ मेरी गाण्ड कूऊऊ सलिएईई सब के नज़रें इसी पर रहती हैं.. ओह.. बेटा चोद अपनी काकी को.. चोद डाल बेटा.. अपनी काकी की फुद्दीई ओह..

चमेली अपने पैरों के बल बैठ गई और राजू के कंधों को पकड़ कर पागलों की तरह अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे उछालने लगी, लण्ड तेज़ी से चमेली की चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।
चमेली की चूत से निकल रहे कामरस से राजू का लण्ड पूरी तरह भीग गया था, जिससे उसका लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था।

राजू ने अब अपनी कमर हिलाना बंद कर दिया था और दोनों हाथों से चमेली के चूतड़ों को मसलते हुए, उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था।
खुले आसमान के नीचे चुदाई का जबरदस्त दौर चल रहा था।

चमेली- ओह्ह.. बेटा ले.. मजा आ रहा है नाआअ.. अपनी काकी की फुद्दी मार कर्ररर.. ओह बेटा ले चूस्स्स लेए जीईए भरररर तुन्न्न् मुझसे नाराज़ तो नहीं हाईईईईई ओह…

राजू- नहीं काकी मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ।

चमेली ने राजू को ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और राजू ने भी चमेली के चूतड़ों को फैला कर अपनी एक ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में घुसा दी।

चमेली एकदम तड़फ उठी और होंठों पर कामुक मुस्कान लाकर बोली- क्या इरादा है.. तेरा..आँ.. मेरी गाण्ड में ऊँगली कर रहा है।

Hindi Sex Story :  बहन की चुदाई गर्लफ्रेंड की मदद से-2

राजू इस पर कुछ नहीं बोला और धीरे-धीरे अपनी ऊँगली से उसकी गाण्ड के छेद को कुरदने लगा।

चमेली अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी और पूरी रफ़्तार से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर राजू का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी।

अब उसकी चूत में सरसराहट और बढ़ गई थी।

उसका पूरा बदन काँपने लगा और फिर चमेली का बदन एकदम से अकड़ गया और वो राजू के ऊपर पसर होकर लुड़क गई।

राजू के लण्ड ने भी लावा छोड़ दिया।

चमेली को चोदने के बाद राजू सामान लाने के शहर चला गया और चमेली अपने घर चली गई।

दूसरी तरफ कुसुम अपने कमरे में कान्ति देवी के साथ बैठी बातें कर रही थी।
ऊपर से तो भले ही वो कान्ति देवी के साथ हंस-हंस कर बातें कर रही थी, पर मन ही मन वो उससे गालियाँ दे रही थी।

‘और सुना बहू, नई दुल्हन लाने के बाद बेटा गेंदामल तेरी तरफ ध्यान देता है कि नहीं?’ कान्ति देवी ने बातों-बातों में कुसुम से पूछा। कुसुम बेचारा सा मुँह लेकर बैठ गई।

‘ये सारे मर्द ना.. एक ही जात के होते हैं.. पर तू फिकर ना कर, भगवान के घर देर है.. अंधेर नहीं..’

कुसुम ने उदास होते हुए कहा- पर मुझे तो लगता है भगवान ने मेरे लिए अंधेरा ही रखा है, अब तो वो मुझसे सीधे मुँह बात भी नहीं करते।

कान्ति- बोला ना.. सब मर्दों की एक ही जात होती है.. अपने अनुभव से बोल रही हूँ। कुछ दिन उसको नई चूत का चाव रहेगा, देखना बाद मैं सब ठीक हो जाएगा.. अच्छा चल मैं एक बार घर भी हो आती हूँ.. वहाँ की खबर भी ले लूँ।

उधर राजू बाज़ार से सामान खरीद कर वापिस गाँव आ चुका था।
अब दोपहर के 12 बज चुके थे।

जैसे ही राजू घर में दाखिल हुआ, वो सीधा कुसुम के कमरे में चला गया।
चमेली भी आ चुकी थी और खाना बना रही थी।

राजू ने कुसुम के कमरे में जाकर कहा- मालिकन सामान ले आया हूँ।

कुसुम- इतनी देर कहाँ लगा दी।

राजू- वो मालकिन ये जगह मेरे लिए नई है ना…इसलिए देर हो गई।

कुसुम- अच्छा ठीक है, जा रसोई में सामान रख दे और कुछ देर आराम कर ले।

Hindi Sex Story :  दोस्त की बहन के साथ कामलीला

राजू जैसे ही रसोई में जाने लगा।
कुसुम भी उसके साथ रसोई में आ गई।
वो किसी भी कीमत पर राजू और चमेली को एक पल के लिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।

राजू सामान रख कर पीछे अपने कमरे में चला गया।

चमेली खाना बना कर अपना और अपनी बेटी का खाना साथ लेकर अपने घर वापिस चली गई।

अब कुसुम घर पर अकेली थी और राजू पीछे अपने कमरे में था।

भले ही कुसुम के पास ज्यादा समय नहीं था, पर कुसुम ये वक्त भी बर्बाद नहीं करना चाहती थी।
वो जानती थी कि चाची कान्ति किसी भी वक्त टपक सकती है।

कुसुम ने सबसे पहले मैं दरवाजा बंद किया और फिर घर के पीछे चली गई।

राजू के कमरे में पहुँच कर उसने देखा कि राजू अन्दर पलंग पर लेटा हुआ सो रहा था।

कुसुम ने एक बार उसे अपनी हसरत भरी आँखों से ऊपर से नीचे तक देखा, फिर उसके पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे आवाज़ दी।

राजू ने अपनी आँखें खोलीं, तो कुसुम को अपने ऊपर झुका हुआ पाकर वो एकदम से हड़बड़ा गया और उठ कर बैठ गया।

राजू- क्या हुआ मालकिन आप आप यहाँ?

कुसुम- उठो.. खाना तैयार है, आकर खाना खा ले।

कुसुम ने एक बार फिर से राजू के बालों में प्यार से हाथ फेरा और पलट कर बाहर चली गई।

राजू को ये सब कुछ अजीब सा लगा, पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उठ कर घर के आगे की तरफ आ गया।

पूरे घर मैं सन्नाटा छाया हुआ था, बस रसोई से बर्तन की आवाज़ आ रही थी।

राजू रसोई में गया, यहाँ पर कुसुम एक प्लेट मैं खाना डाल रही थी- आ गया तू.. चल बाहर जाकर बैठ.. मैं खाना लेकर आती हूँ।

राजू- रहने दीजिए ना मालकिन.. मैं खुद ले लेता हूँ।

कुसुम- हाँ मैं जानती हूँ, तू बड़ा होशियार है.. सब खुद ले लेता है।

राजू कुसुम के दोअर्थी बात सुन कर थोड़ा सा झेंप गया।

उसे भी शक हो गया कि हो ना हो कुसुम को उसके और चमेली के रंगरेलियों के खबर लग चुकी है।
वो चुपचाप बाहर आकर बैठ गया, थोड़ी देर बाद कुसुम रसोई से बाहर आई।

Hindi Sex Story :  देसी पत्नी और मेरा दोस्त चुदाई-1

उसने अपनी साड़ी के पल्लू को कमर पर लपेट रखा था और उसकी 38 साइज़ की चूचियां उसके ब्लाउज में ऐसे तनी हुई थीं, जैसे हिमालय की चोटियाँ हों।
इस हालत में राजू के सामने आने मैं कुसुम को ज़रा भी झिझक महसूस नहीं हो रही थी।

कुसुम- अरे नीचे क्यों बैठ गया तू.. उठ ऊपर उस कुर्सी पर बैठ जा.. नीचे फर्श बहुत ठंडा है, सर्दी लग जाएगी।

राजू- नहीं मालकिन.. मैं यहीं ठीक हूँ।

कुसुम- अरे घबरा मत.. ऊपर बैठ जा.. घर पर कोई नहीं है।

राजू बिना कुछ बोले कुर्सी पर बैठ गया, कुसुम ने उससे खाना दिया और खुद सामने पलंग पर जाकर बैठ गई।

राजू सर झुकाए हुए खाना खाने लगा, कुसुम उसकी तरफ देख कर ऐसे मुस्करा रही थी..जैसे शेरनी अपने शिकार होने वाले बकरे को देख कर खुश होती है।

राजू तो ऐसे सर झुकाए बैठा था, जैसे वहाँ और कोई हो ही ना।

कुसुम जानती थी कि इस उम्र के लड़कों को कैसे लाइन पर लिया जाता है।

वो पलंग पर लेट गई, उसने अपनी टाँगों को घुटनों से मोड़ कर पलंग के किनारे पर रख दिया और अपनी साड़ी और पेटीकोट को अपने घुटनों तक चढ़ा लिया, ताकि राजू उसकी चिकनी चूत का दीदार कर सके।

टाँगों के फैले होने के कारण साड़ी में इतनी खुली जगह बन गई थी कि सामने बैठे राजू को कुसुम की चूत साफ़ दिखाई दे सके, पर राजू को तो जैसे साँप सूँघ गया था, वो सर झुकाए हुए खाना खा रहा था।

‘अबे गांडू.. मादरचोद.. थाली में तेरी माँ चूत खोल कर बैठी है.. जो तेरी नज़रें वहाँ से हट नहीं रही हैं.. यहाँ मैं अपनी चूत खोल कर बैठी हूँ।’
कुसुम ने मन ही मन राजू को कोसा, पर राजू तक कुसुम के मन की बात नहीं पहुँची।

अपने विचारों से अवगत कराने के लिए लिखें, साथ ही मेरे फेसबुक पेज से भी जुड़ें।
एक लम्बी कथा जारी है।