हिंदी सेक्स स्टोरी

घर बुलाकर गर्लफ्रेंड सेक्स का मजा-1

गर्लफ्रेंड सेक्स की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे एक देसी लड़की ने पहल करके मुझसे दोस्ती की. बात होने लगी, आगे बढ़ी और हम सेक्स करने का मौक़ा खोजने लगे.

हैलो फ्रेंडज़, मेरा नाम आशु है. मैं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 19 साल है. मेरे लंड का साइज 7 इंच है. मुझे शुरू से ही सेक्स करने का बहुत मन रहता था.

मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड सेक्स की कहानी सुनाने जा रहा हूँ. ये बात यही कुछ 6 महीने पहले की है. मैं आपको जो कहानी बात रहा हूँ, वो एकदम सच्ची घटना है.

ये बात जब की है, तब मैं क्रिकेट खेल कर घर आ रहा था. उसी समय मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया. मैंने दखा तो ये किसी लड़की का मैसेज आया हुआ था. उस मैसेज में लड़की ने अपना नाम लिखा था. लड़की का नाम निशि था, उसका हाय का मैसेज आया था.

मैंने रिप्लाई किया.

उसने मुझसे डायरेक्ट प्रपोज़ कर दिया. वो बोली- आई लव यू … मैं आपको बहुत लव करती हूं … आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो.

उसकी ये बात सुनकर मेरी तो समझो लॉटरी लग गई थी. लेकिन तब भी मैंने थोड़ा सख्ती दिखाते हुए मना कर दिया. मैंने बोला- मैं तो आपको जानता भी नहीं हूँ.
वो बोली- जान भी लोगे … मुझसे मिलोगे तो पहचान भी लोगे.

मुझे तो वैसे भी मना नहीं करना था. बस मैं तो थोड़ा भाव खा रहा था. मैंने उसको मिलने के लिए बोला, वो मान गई.

अगले दिन मैं उससे मिलने गया और मैंने उसको देखा. वो हमारी कोलोनी के एक दुकानदार की बेटी थी, मैंने उसे कई बार उस दूकान पर देखा था.

सच में भाई … क्या माल थी … एकदम टॉप क्लास आइटम थी. उसका फिगर 30-28-34 का था.

मेरा लंड तो उसकी कमसिन काया को देखते ही खड़ा हो गया. फिर कैसे भी करके मैंने अपने लंड को कंट्रोल किया.

उसने बताया कि वो भी अकसर मुझे उसकी दूकान के सामने से निकलते देखती थी और मुझे पसंद करने लगी थी.

पहली मुलाकात में मैंने कुछ ज्यादा नहीं किया … बस कुछ देर बातचीत हुई. उसने मुझे हग किया. मैंने भी उसे हग करते हुए बड़ी नजाकत से उसके गालों पर किस किया. उसने मेरी तरफ होंठ भी बढ़ाए, पर मैंने होंठों पर किस न करके उसे वापस भेज दिया.

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इससे उसके ऊपर मेरा बड़ा बढ़िया प्रभाव पड़ा.

मैंने घर आकर उसकी नाम की मुठ मार ली. उसके बाद मैंने सोचा कि माँ चुदाए शरीफाना अंदाज … इसको तो बस कैसे भी करके गर्लफ्रेंड सेक्स करना है, इसे चोदना है.

एक घंटे बाद ही उसका फोन आ गया. उसने मेरी बड़ी तारीफ़ की और बोली- मुझे तुमको चैक करना था कि तुम और लड़कों की तरह ही हो, या कुछ अलग हो.

मैंने पूछा- तो तुमने मुझे चैक कर लिया?
वो बोली- हां तुम मुझे बहुत पसंद आए. जितने तुम देखने में मस्त लगते हो, उससे एक कदम आगे तुम शरीफ भी निकले.
मैंने कहा- मैं तुमको पूरी तरह से जान न लूं, तब तक कैसे तुम्हारे साथ खुल सकूँगा.

वो हंस दी और बोली- तुम्हारे पास मुझे पूरी तरह से जानने का क्या तरीका है?
मैंने कहा- वो कोई तरीका नहीं होता है … बस एक दूसरे को समझना ही एक तरीका होता है. मैं तुमको समझना चाहता हूँ कि तुमको क्या पसंद है और तुम मुझमें क्या देखना पसंद करोगी.
वो बोली- बस जैसे मिले थे, वैसे ही तुम मुझे पसंद आ गए हो.

उसकी बात सुनकर मेरा भेजा घूम गया कि साली हाथ लगाने को रोकने की बात कर रही है.
तब भी मैंने हंस कर उसकी बात का समर्थन किया- हां मैं ऐसा ही हूँ.

इस तरह से करीब एक हफ्ते तक हमारी बातें फोन के माध्यम से होती रहीं.

वो मुझसे मिलने के लिए कहने लगी- यार तुमसे मिलने को जी कर रहा है.
मैं भी उससे मिलने को तड़फ रहा था.

एक दो बार हम दोनों पार्क में मिले. कुछ ही दिनों में वो मुझसे खुल गई थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ लिपटा चिपटी और मम्मों को सहलाने मसलने वाले प्यार पर आ गए थे.
सादगी से प्यार करने की बातें सब हवा हो गई थीं. अब हम दोनों अकेले कमरे में मिलने को बेचैन हो गए थे. मतलब कि बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड सेक्स के लिए उतावले हो गए थे.

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उन्हीं दिनों हमारे रिलेशन में किसी की शादी थी, तो मेरे घर के सारे सदस्यों को उधर जाना था. मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि गर्लफ्रेंड को चोदने का इससे अच्छा मौका मुझे नहीं मिलेगा.

मैंने घर में बहाना बना दिया कि मेरे टयूशन टेस्ट हैं, मैं शादी में नहीं जा पाऊंगा.
मम्मी बोलीं- तू नहीं जाएगा, तो मैं जाकर क्या करूंगी. इधर तेरा ध्यान कौन रखेगा.
मैंने बोला- मैं सब मैनेज कर लूंगा. आप चली जाओ.

कैसे भी करके मैंने मम्मी को भेज दिया. वो चली गईं. अब मैं घर पर 5 दिनों के लिए अकेला था.

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मैंने उन सभी के जाते ही सारी व्यवस्था कर ली. मैं कंडोम पेनकिलर वगैरह सब कुछ मार्किट से ले आया. फिर मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को घर बुलाया. वो आने को राजी हो गई.

शाम को वो जब मेरे घर आई, तो क्या बताऊं क्या मस्त लग रही थी. उसका फिगर ऐसा था कि कोई भी उसे देख कर ही दस बार मुठ मार ले.

मैंने उसको हग किया. उसकी चुचियां मेरी छाती को छू रही थीं. मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया था.

मैंने उसको अपने पलंग पर बैठाया और उसको एक चॉकलेट दी. उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और चॉकलेट का रैपर खोल कर अपने होंठों से लगाने लगी.
तो मैंने हंस कर कहा- शेयरिंग शेयरिंग.

तो उसने अपने होंठों में चॉकलेट कुछ इस तरह से दबा ली कि उसका आधे से ज्यादा हिस्सा बाहर रह गया. उसने मेरी तरफ अपने होंठों को किया, तो मैं उसके होंठों में दबी उस चॉकलेट को अपने होंठों में लेकर उसके होंठों के रस का मजा लेने लगा. हालांकि इस वक्त मेरे होंठ और उसके होंठ सिर्फ आपस में जुड़े हुए थे. हम दोनों चॉकलेट के कारण एक दूसरे को किस नहीं कर पा रहे थे.

तभी हमारी साँसों की गर्मी और होंठों की तपिश ने चॉकलेट को पिघलाना शुरू कर दिया, जिससे चॉकलेट की मिठास हमारे मुँह में घुलने लगी और एक मिनट से कम समय में हम दोनों के होंठों आपस में चुम्बक से जुड़ गए. हम दोनों के मुँह में चॉकलेट का रस अब भी भरा था.

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मैंने उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में लेकर चूसना शुरू किया और धीरे से उसके निप्पल को मसल दिया. इससे उसके होंठ खुल गए और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो भी ऐसा ही चाहती थी. उसने भी मेरी जुबान को चूसना शुरू कर दिया. सच बता रहा हूँ … इतना अधिक मजा आ रहा था कि बस यूं समझिए जन्नत का मजा मिल रहा था.

हम दोनों ने वो चॉकलेट का रस एक दूसरे को किस करते हुए चूस लिया. मैंने उसके होंठों पर लगभग दस मिनट तक किस किया. मैं अब उसको गर्म करने लगा था. वो इस समय टॉप और टाईट पैंट पहन कर आई थी.

मैंने उससे बोला- चालू करें?
उसने शर्माते हुए अपनी आंखों से कहा- हां.

मैंने उस देसी लड़की को एक बार फिर से होंठों पर किस किया और इस बार उसे किस करते करते मैंने अपना हाथ उसके टॉप में डाल कर उसकी चुचियों को छू लिया. वो थोड़ा शरमा रही थी.