हल्की भूरे रंग की झांटों में गुलाबी रंग की कसी हुई चूत 1
Halki bhure rang ki jhanton me gulabi rang ki kasi hui chut-1
हेलो दोस्तों,
मेरा नाम मिका है, मेरी उम्र है बाइस साल, ऊंचाई पांच फुट ग्यारह इंच है और मैं एक छोटे से कसबे मैं रहता हूँ।
मैंने एम एस एस पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं, ये काफी रोमांचक और उत्तेजना दायक हैं। दोस्तो, आप सभी की कहानियाँ बहुत अच्छी हैं।
मैंने भी काफी सोचने के बाद मेरी एक कहानी लिखने की ठानी। ये मेरे और मेरे पड़ोस में रहने वाली मुँह बोली दीदी की लड़की की कहानी है, जिसे मैं भांजी कहता हूँ।
तो, अब कहानी पर आता हूँ…
मैं करीब १८-१९ साल का था तब की ये घटना है। भांजी की उम्र तकरीबन १७ थी, वो देखने में बहुत ही खुबसूरत और कामुक थी। उसका फिगर ३६-३०-३४ था।
मेरा एक दोस्त बताता था कि वो मुझे बहुत लाइन देती है, मेरे बारे में बहुत पूछती है, पर मैं ध्यान नहीं देता था।
एक दिन की बात है… मैं रिंकी के घर, ओ सॉरी मैं तो आपको बताना ही भूल गया, भांजी का नाम रिंकी है। तो मैं उसके घर कुछ काम से गया, दरवाजा खटखटाया तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। दरवाजा लॉक नहीं था तो मैं खोल कर अंदर चला गया।
अंदर आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं आया, मैंने समझा कोई नहीं है घर में। यह सोच कर मैं चुपचाप बैठ गया।
थोड़ी देर बैठने के बाद मैं उनके बाड़ी साइड जाने लगा। वहां एक टंकी है, उसके बगल में एक बाथरूम है, बिना दरवाजे का।
मैं वहीं टंकी के पास बैठ गया, थोड़ी देर बैठने क बाद मुझे कुछ आवाज़ें आईं, बाथरूम के साइड से।
कोई वहाँ है, यह सोच कर मैं वहाँ जाने के लिए हुआ तो थोड़ी अजीब टाइप की आवाज़ें आने लगीं।
मैं चुपचाप बाथरूम के पास पहुँच कर बगल में छिप गया। आवाज कुछ आह… उफ़… ईईसस… करके आ रही थी। मैंने झाँक कर बाथरूम के अंदर देखा तो अचम्भित हो गया। रिंकी पूरी नंगी होकर मोबाइल मैं ब्लू-फिल्म देख-देख कर अपने चुचे और अपनी बूर को जोर से रगड़ रही है और बिलकुल ब्लू-फिल्म के जैसे आह… आहह… कर रही है।
ये सब देख मेरा लण्ड मेरे पैंट से बाहर आने को बेताब होने लगा, मैं अपना लण्ड पैंट के ऊपर से ही मसलने लगा।
फिर रिंकी आँख बंद करके मेरी और मुँह कर अपनी चूत सहलाने लगी।
दोस्तो, मैं उसके चुचे और बूर को देखता ही रह गया। क्या बडे-बडे मम्मे थे बहन की लौड़ी के, एकदम गोल तने हुए ३६ के और गुलाबी कलर के उसके वो कातिल निप्पल।
जी तो कर रहा था, अभी अपने मुँह में लेकर चूस लूँ, पर क्या करता रिश्ते में भांजी हो रही थी, तो चुपचाप मुँह बना कर बैठना पड़ा।
पर वो रंडी की बच्ची रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, अब वो धीरे से एक टांग को दीवार पर रख कर अपनी चूत फैला कर रगड़ने लगी। बस अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अपना आठ इंच का लण्ड निकाला और सहलाने लगा।
उसकी चूत को देख मन ही मन उसे चोदने लगा। क्या चूत थी उसकी, हल्की भूरे रंग की झांटों में गुलाबी रंग की कसी हुई चूत।
अब मैं अपना लण्ड जोर-जोर से हिलाने लगा। दो मिनट में मेरा पानी निकल गया।
उसके बाद मैं चुपचाप वहाँ से सीधा उनके आंगन मैं आकर बैठ गया।
आधे घंटे बाद वो टावेल लपेट कर अंदर आई, तो मुझे आंगन मैं बैठा देख वो बोली – मामा, आप कब आये?
मैं बोला – बस अभी आया हूँ… और बस एक टक उसकी तरफ देखता रहा।
वो मुझे ऐसे घूरते देख बोली – क्या हुआ मामा, कहाँ खो गए।
अचानक ही मेरे मुँह से निकल गया – तुझ में।
वो कुछ नहीं बोली और मुस्करा के अपने कमरे में चली गई।
जाते जाते वो बोली – मामा, अंदर बैठ जाओ।
मैं उठ कर उनकी रसोई के पास कुर्सी पर बैठ गया।
वो अंदर कपड़े पहन रही थी। कपड़े बदलते-बदलते उसने पूछा – और क्या हाल-चाल है मामा?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया।
थोड़ी देर में वो कमरे से बाहर निकली, वो नाईटी पहनी हुई थी…
मैंने उससे पूछा – दीदी कहाँ हैं?
तो वो बोली – बाहर गई हैं, कल सवेरे आएँगीं।
मैंने कहा – चलो ठीक है, मैं चलता हूँ।
जैसे ही मैं जाने लगा वो बोली – मामा, एक बात बताओ, आप बाड़ी मैं आये थे ना?
दोस्तो मैं एकदम अचंभित हो गया और डर कर कहा – मैं… मैं… नहीं तो…
वो बोली – झूठ नहीं बोलो… मैंने आपको देखा था।
मैंने चुपचाप अपना सिर झुका लिया।
फिर वो बोली – मामा, दो मिनट के लिए अंदर आओ।
मैं डरता हुआ अंदर गया ये सोचते हुए की ना जाने क्या करेगी ये।
वो बोली – बैठो मामा।
मैं शर्म से अपना सर झुका कर बोला – आई एम सॉरी।
दोस्तो, मैं आप को बता नहीं सकता मेरी धड़कने रुकने को थीं।
जाने क्या होने वाला था, पर मेरी तरह आप न घबराएं, जल्दी ही आपको बताऊंगा की आगे क्या हुआ…
बस थोड़ा सा इंतज़ार…
आपके विचारों का स्वागत है…