चुदाई की कहानियाँ

हमीदा को वायेग्रा खा के चोदा

हमीदा के साथ ज़िंदगी का रिश्ता तब शुरू हुआ जब वो कॉलेज में थी, और उसकी छोटी सी, प्यारी सी गांड उस समय भी बहुत ही आकर्षक लगती थी। उसके पिता रोशन अली हमारे घर के ड्राइवर थे, और उनकी पत्नी सलमा भी यहाँ काम करती थी। हमीदा हमारे कॉलेज में ही पढ़ती थी। जब मैं तीसरे वर्ष में था तब उसका एडमिशन हुआ था, और दूसरे साल में हमारी पहली शारीरिक मुलाक़ात हुई थी मेरे छत पर। उस दिन बारिश हो रही थी, और मैं छत पर नहा रहा था। मेरी माँ ने हमीदा को कपड़े लेने भेजा, और उसके भीगे हुए शरीर और गर्म बट्टे को देखकर मैंने उसे पकड़ लिया। उसमें भी मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा थी, इसलिए उसने मेरे लंड को चूसकर मुझे चुदाई करवाई। अगर उसके मन में चुदाई के लिए कोई भावना नहीं होती तो वो कपड़े नीचे रखने के बाद कभी ऊपर आती ही नहीं। फिर मैंने उसे नीचे, बारिश में भी उठा लिया और उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। उस दिन के बाद से वो मुझसे नियमित रूप से चुदाई करवाती थी, और उसकी गांड भी मैंने लंड देकर बड़ी बना दी थी।

मुझे सदमा तब लगा जब उसने मुझे पिछले महीने बताया कि उसकी शादी उसके चचेरे भाई के साथ तय हो चुकी है। और शादी के लिए वो लोग अपने गाँव, बिलासपुर जाने वाले थे। मुझे पता था कि एक बार हमीदा की शादी हो जाएगी तो उसकी चूत और बड़ी गांड मेरे लिए बंद हो जाएगी। मुझे बहुत दुःख हुआ, और मैंने उसे कहा भी कि हम भाग चलें लेकिन हमीदा डरपोक थी, उसे रोशन अली से बहुत डर लगता था। फिर जो होना था वो हो गया। लेकिन मैंने उसके जाने से पहले आखिरी बार उसकी एक लंबी चुदाई की योजना बना ली। हर हफ्ते हम लोग रविवार को पूजा के लिए जाते थे, और इस बार मैंने माँ को एग्जाम के बहाने से आने से मना कर दिया। रोशन अली के साथ माँ बाबूजी चल गए थे, और वो लोग शाम के पहले आने वाले नहीं थे। सलमा आंटी शाम को कपड़े धोती थी, और मैंने हमीदा को कहा था कि जब उसकी माँ कपड़े धोये तब वो किचन से होते हुए मेरे कमरे में आ जाए। एक दिन पहले ही मैंने वायाग्रा और कंडोम लाकर रूम में छिपा दिया था। शाम होते ही मैंने पीछे से किचन का दरवाजा खोल के रख दिया ताकि हमीदा अंदर घुस सके।

जैसे ही मैंने हमीदा को किचन की तरफ आते देखा मैंने वायाग्रा खाकर ऊपर दूध पी लिया। उसने आके दरवाजे की तरफ अपनी गांड घुमा के दरवाजे की कुंडी लगा दी। वो सीधा मेरी बाहों में आ गई और बोली, हमें आपकी बहुत याद आएगी। मैंने उसके गलें में हाथ रखे और हमने भी कहा, जानू तो क्या हम खुश होंगे तुमहारे बिना। उसने फट से अपने कपड़े खोलना शुरू कर दिया। मैंने आज पहली बार वायाग्रा खाया था इसलिए मुझे पता ही नहीं था कि वो कितना समय लेती हैं लंड को पूर्ण रूप से खिलाने में। मैंने हमीदा के चुंचे हाथ में लिए और उसके काले निप्पल को मुंह में ले लिया। हमीदा ने नीचे झुक के मेरी पैंट के ऊपर से बेल्ट को खोल दिया और उसने दूसरी मिनिट में तो मुझे भी नंगा कर दिया। मैं पलंग के ऊपर टाँगे लंबी कर के बैठ गया और वो अपनी गांड मेरी जांघ के ऊपर रख के बैठ गई। उसके बूब्स भी मैंने दबा दबा के और चूस चूस के झुक दिए थे। वैसे भी यह लड़की 19 की हो चुकी थी लेकिन मैंने इसे ब्रा पहने देखा ही नहीं था। कभी-कभी कोई त्यौहार होता तो यह ब्रा पहनती थी वरना खुले में ही दो जानवर पाल रखे थे। ब्रा ना पहनने की वजह से उसके स्तन बहुत ही बाउंसिंग थे और जब वो झाड़ू देती थी तब तो और भी मादक लगते थे। मैंने कितनी बार झाड़ू देने के वक्त उसकी गांड में पीछे से ऊँगली की हुई थी। आज वो भी मुझसे भरपूर मजा ले के चुदाई चाहती थी क्योंकि उसे भी पता था कि जब हम जायेंगे…जाने कहाँ होंगे।

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मेरा लंड अब वायाग्रा की असर दिखाने लगा था और मेरे मस्तक की साइड से मुझे पसीना होने लगा था। रूम में पंखे फुल स्पीड में थे लेकिन फिर भी मुझे जैसे कि बदन के अंदर बहुत गर्मी चढ़ी हुई थी। मैंने हमीदा को उठाया और उसकी भरपूर चुंचाड़ चूत और गांड के ऊपर हाथ फेर। वो अब मेरी टांगो के बीच बैठी हुई थी और मेरे लंड को अजीब तरीके से देख रही थी। लंड के अंदर खून के बहाव के चलते वो पूरा लाल हो चुका था। उसने जैसे ही मेरे लंड को छुआ मुझे करंट सा लगा। मैंने उसे कहा, हमीदा चुसो मेरे लंड को लोलीपॉप की तरह। आज के बाद पता नहीं कब मुझे तुम मिलोगी। हमीदा ने सीधे मुंह खोल के बड़े टारजन जैसे लौड़े को मुंह में लिया और वो बिलकुल किसी लोलीपॉप की तरह ही मेरे लौड़े को चूसने लग गई। उसने मुझे पूछा भी कि आज लंड इतना गर्म क्यों हैं। अब उसे क्या पता कि उसकी ठुकाई के लिए हमने 167 रूपये का खर्च किया हुआ है। मैंने हमीदा के मस्तक को पकडे रखकर जोर जोर से उसके मुंह में लंड देना शुरू कर दिया। उसी वक्त मैंने अपने पाँव के अंगुठे को उसकी चूत और गांड के छेद के ऊपर पसार रहा था। चूत के अंदर से प्रवाहक झरने लगा था जिसका मतलब यह थी कि यह सेक्सी भारतीय लड़की चूत मारने के लिए रेडी थी।

मैंने बड़ी और सेक्सी बट्ट वाली हमीदा को अब उठाया और उसे वहीँ बिस्‍तर में लेटा दिया। मैंने बिस्‍तर के नीचे छिपाए हुए कोहिंनूर कंडोम के पैकेट को निकाला और उसमें से एक कंडोम को अपने लंड के ऊपर चढ़ा दिया। मेरे लंड के ऊपर मेरा हाथ लगते ही मुझे भी आज उसमे एक अलग गर्मी का अहसास हुआ। मैंने हमीदा की टांगो को फाड़ा और उसकी चूत के ऊपर ढेर सारा थूंक दिया। हमीदा ने अपने हाथ को मुंह में ले के अपना थोड़ा थूंक लिया और चूत को वो हम दोनों के थूंक से मलने लगी। मेरे लंड को उसने अपने हाथ में पकड़ा और धीरे से चूत के अंदर घुसाने लगी। आह आह….बहुत ही मजा था आज तो हमीदा की चूत में। शायद मेरे लिए ही उसने अपनी चूत के बाल निकाले थे और उसकी साफ़ चूत में लंड देने के तो मजे ही और थे। मेरा लंड फच फच कर के हमीदा की खूली हुई चूत को फाड़ने लगा। वो मुझ से गलें लग रही थी और मुझे होंठों के ऊपर चुम्बन देने लग गई। उसके सेक्स में आज प्यार की मात्रा बहुत ज्यादा थी……!!!

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हमिदा के चुंबन बढ़ते गए और वो उछल उछल के अपनी चूत में मेरे लंड को भरने लग गई। मैंने भी उसके चुंचो को पकड़े रखकर मसलने के साथ साथ उसकी चूत में नीचे से ही झटक देने चालू कर दिए। उसकी आह आह ओह ओह निकल रही थी और साथ में जब वो चूत में लंड भरने के लिए उछलती थी तो उसके सेक्सी बूब्स बहुत ही मादक और उत्तेजक लग रहे थे। मैंने भी कस कस के उसकी चूत में झटक दिए और उसकी सेक्सी गांड के ऊपर अब मेरा मन मोहित हो रहा था। उसकी सेक्सी गांड के ऊपर हाथ रख के ही मैंने उसकी चुदाई चालू की थी। मैंने अब अपने लंड को हमीदा की चूत से बाहर किया। वो भी खड़ी हो गई। अब मैंने हमीदा को उलटा लेटा के उसके गोठन से ऊँचा कर के उसे कुतिया बना दिया। पीछे उसकी चूत खुली पड़ी थी जिस में से रस की तरह चिकनाहट टपक रही थी जो एक दो बूंदों के स्वरूप में नीचे भी गिर गई। मैंने लंड को उसकी सेक्सी गांड के फाटक से पास करवाते हुए चूत के होंठो में डाल दिया। हमीदा की आह आह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चालू हुई क्योंकि इस पोज़िशन में तो चूत की गहराई को लंड का हेल्मेंट सलाम करता है। मैंने सेक्सी गांड पकडे रखा और जोर जोर से चूत की चुदाई करने लगा। वैसे भी आज तो मेरा लंड थकने वाला नहीं था क्योंकि उसे सिडानिफिल सिट्रेट (वायाग्रा) की शक्ति की टिकिया लगाई गई थी। वरना 10 मिनिट की चुदाई तो काफी थी, आज तो 10 मिनिट से कितने मिनिट ऊपर हो चुके थे। मैंने ठोके रखा चूत को वही रफ़्तार से और फिर मैंने सेक्सी गांड में लौड़ा डालने का मन बना लिया।

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चूत से लंड को निकाल के मैंने अब धीरे से उसको गांड पर रगड़ना चालू कर दिया। कंडोम के ऊपर चिकनाहट थी और गांड के ऊपर घिसने से उसमे मस्ती भी चढ़ रही थी। हमीदा बोली, अनूप जलदी करो मुझे गुदगुदी हो रही हैं। मैंने फिर से ढेर सारा थूंक लंड के ऊपर निकाला और एक ही झटक में हमीदा की सेक्सी गांड को पेल दिया। हमीदा आह आह आह ओह ओह करती रही और मैंने बिलकुल तेजी से उसकी गांड को ठकाठक लेता रहा। मैंने अपने हाथ उसकी सेक्सी गांड के ऊपर ही रखे हुए थे और मैं उसे जोर जोर से ठोक रहा था। हमीदा ने अपनी टाँगो थोड़ी और फैला दी ताकि गांड के अंदर लंड और भी आराम से प्रवेश कर सके। मैंने उसकी गांड को 20 मिनिट तक ऐसे ही जोर जोर से ठोक दिया और उसकी गांड भी मस्त लाल लाल हो चुकी थी। हमीदा ने मुझे पूछ भी लिया कि क्या तुमने कोई दवाई ली है आज। मैंने उसे कहा हाँ क्योंकि आज तुमसे शायद आखरी बार चुदाई का मौका हाथ आया हैं इसलिए। उसने कुछ नहीं कहा और वो अपनी सेक्सी गांड हिला हिला के मुझ से मजे लेती रही। जब 10 मिनिट के बाद मेरे वीर्य ने उसकी सेक्सी गांड में वीर्य छोड़ दिया तब जाके मुझे और उसे शांत मिली। मैंने उसे अपनी गोद में ही सुलाए रखा और उसने भी मुझे प्रोमिस् किया कि अगर शादी के बाद उसे चांस मिले तो वो यहाँ आके अपने माँ बाप से मिलने के बहाने मुझसे चुदाई जरुर करवाएगी………….!!!