हिंदी सेक्स स्टोरी

होली के रंग चाची की सहेलियों के संग–2

Holi Ke rang chachi ki saheliyon ke sang-2

तभी मैंने सलोनी भाभी की चूत पर रंग लगाते हुए भाभी की चूत को अच्छी तरह से मसल डाला।फिर मैंने भाभी की चूत को उंगलियां पेल दी। अब मैं धीरे धीरे भाभी की चूत को उंगलियों से चोदने लगा।मेरी। इस हरकत से भाभी को 200 वाट का करंट लगा। अब वो समझ गई कि यहां तो मामला उल्टा पड़ चुका है। तभी भाभी गुस्से में हो गई।
भाभी– रोहित,छोड़ मुझे।
मैं– नहीं छोडूंगा भाभी।आज तो होली है।
अब मैंने धीरे धीरे भाभी की चूत में उंगलियों की स्पीड बढ़ा दी। अब भाभी धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगी।मेरा लन्ड भाभी की चूत में समाने के लिए बूरी तरह से तड़पने लगा।

लगातार चूत में उंगली होने की वजह से कुछ ही देर में भाभी की चूत रिसने लगी। अब मैं भाभी की चूत में उंगली करते हुए भाभी के रंग में रंगे हुए होंठो को चूसने लगा।धीरे धीरे भाभी के जिस्म की आग बढ़ने लगी।भाभी अभी भी मेरे हाथ को पेटीकोट में से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी।इधर मै जबरदस्त बल्लेबाजी करते हुए भाभी की चूत की गहराई को नाप रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैंने सलोनी भाभी को उठाकर बेड पर पटक दिया।
भाभी उठने के लिए झटपटाने लगी। तभी मैंने फिर से भाभी को पकड़कर बेड पर पटक दिया। मै फटाफट से मेरे कपड़े खोलकर सलोनी भाभी पर चढ़ बैठा। अब सलोनी भाभी पूरी तरह से मेरी पकड़ में आ चुकी थी लेकिन वो अभी भी मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी। अब भाभी पूरी तरह से समझ चुकी थी कि रंग लगाने के चक्कर में आज उनकी जबरदस्त ठुकाई होने वाली है। अब मैंने भाभी को कसकर जकड़ा और उनके गले को चूमने लग गया।भाभी हाथो पैरो को इधर उधर पटकने लगी।

वो अभी भी ये मानने को तैयार नहीं थी कि उनकी चूत में लंड जाने वाला है।
भाभी– रोहित ये क्या कर रहा है तू।प्लीज छोड़ ना मुझे।
मैं बिना कुछ कहे भाभी के जिस्म की आग भड़काने में लगा हुआ था। मैं लगातार भाभी के गले पर चुम्बनों की बारिश कर रहा था।
भाभी– रोहित प्लीज मत कर ना यार।
लेकिन मै कहां मानने वाला था। मैं भाभी को रगड़ रगड़कर किस करता रहा।थोड़ी ही देर में भाभी ने थक हारकर मुझे बाहों में जकड़ लिया। अब भाभी ने छीनाझपटी बंद करके मेरी पीठ पर हाथ फेरना चालू कर दिया था। अब वो धीरे धीरे सिसकारियां लेने लगी। अब भाभी अच्छी तरह से गरम हो चुकी थी। अब मैं थोड़ी देर तक सलोनी भाभी को ऐसे ही किस करता रहा।फिर मैंने सलोनी भाभी के बड़े बड़े बूब्स को ब्लाउज में से मसलने लगा और उन्हें फिर से रंग में रंगने लगा।
भाभी– ओह रोहित तू ये क्या कर रहा है? ऐसे मत कर ना।

मैं– भाभी मै तो सिर्फ रंग लगा रहा हूं।
भाभी– मुझे तेरा इरादा रंग लगाने का नहीं लग रहा है।
मैं– नहीं भाभी मै तो सिर्फ रंग ही लगा रहा हूं।
थोड़ी ही देर में मैंने फिर से सलोनी भाभी के मस्त बूब्स को रंग में भिगो दिया। अब मैंने सलोनी भाभी की पीठ के नीचे हाथ चलाकर भाभी के ब्लाउज की लेस को खोल दिया। अब भाभी का ब्लाउज ढीला हो चुका था।भाभी ने मेरा इरादा भांप लिया था।तभी भाभी ने ब्लाउज को पकड़ लिया। सलोनी भाभी मुझे ब्लाउज खोलने से रोक रही थी और मैं भाभी का ब्लाउज खोलने की पूरी पूरी कोशिश कर रहा था।
मैं– भाभी ब्लाउज खोलने दो। नहीं तो ब्लाउज फट जाएगा।
भाभी– नहीं मै नहीं खोलने दूंगी।
मैं– मै ब्लाउज फाड़ दूंगा।
भाभी– नहीं ऐसा मत कर।
मैं– तो फिर चुपचाप ब्लाउज खोलने दो।

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भाभी– लेकिन तुझे ब्लाउज क्यों खोलना है? तूने रंग तो लगा दिया ना। अब क्या चाहिए?
मैं– नहीं अभी अच्छी तरह से रंग नहीं लगा है।
भाभी– लगा तो दिया ना यार। अब तो छोड़ दे मुझे।
मैं– नहीं,आज तो आपको अच्छी तरह से रंग में रंगना है।
भाभी– अरे यार।आज तो बुरी फंस गई मै।
तभी मैंने सलोनी भाभी के दोनो हाथ झटक कर हटा दिए। अब भाभी की पकड़ ढीली पड़ते ही मैंने सलोनी भाभी का ब्लाउज ब्रा के साथ ही निकाल फेंका।सलोनी भाभी ब्लाउज को पकड़ते ही रह गई लेकिन ब्लाउज अब उनकी पहुंच से दूर जा चुका था।

सलोनी भाभी का ब्लाउज खुलते ही भाभी के बड़े बड़े बूब्स बाहर उछल पड़े। भाभी के बूब्स अब खुली हवा में लहरा रहे थे।भाभी शर्म से पानी पानी हो चुकी थी। भाभी के बूब्स को देखकर मेरा लन्ड बुरी तरह से तन गया। अब मेरा लंड भाभी की चूत के दर्शन करने के तड़पने लगा। फिर मैंने बड़ी मुश्किल से मेरे लन्ड को समझाया।
भाभी बूब्स केवल ऊपर ऊपर ही रंग में रंगे हुए थे। अब मैंने मेरे हाथो को रंग में भिगोया और फिर सलोनी भाभी के बड़े बड़े बूब्स को अच्छी तरह से रंगने लगा।सलोनी भाभी ने तो शरमाते हुए आंखे बंद कर ली थी। अब बस भाभी का पूरा माल मेरे हाथ में था। अब मै भाभी के चूचों को रंग लगा लगाकर अच्छी तरह से मसल रहा था।बीच बीच में बूब्स को अच्छी तरह से दबा भी रहा था। अब भाभी फिर से सिसकारियां भरने लगी। अब भाभी के बूब्स गौरे चिट्टे से हरे हो चुके थे।

तभी बेडरूम के बाहर से चाची की आवाज़ आई–रोहित अभी तक रंग नहीं लगा क्या?
मैं– नहीं चाची, आज मै सलोनी भाभी को अच्छी तरह से रंग रहा हूं।
चाची– हां तो अच्छी तरह से रंग लगाना मेरी सहेली को।कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।
मैं– कोई कमी नहीं रहेगी चाची। आज आपकी सहेली को मै ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी रंग बिरंगी कर दूंगा।
चाची– ठीक है लगा रहे। मैं सबके लिए नाश्ता बना लेती हूं।
सलोनी भाभी के बूब्स को अच्छी तरह से रगड़ने के बाद अब मै भाभी के बूब्स को चूसने लगा।
भाभी– रोहित ये तू क्या कर रहा है?
मैं– भाभी, मै वहीं कर रहा हूं जो मुझे करना चाहिए।
चाची– नहीं, अब तू ज्यादा ही शैतान हो रहा है।

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मैं– आज तो शैतानी करने का मेरे पास पूरा मौका है।
भाभी मुझे बूब्स चूसने से रोकने लगी लेकिन मै भी ज़िद पर अड़ा था। मैं भाभी से ज़िद करते हुए भाभी के बूब्स को चूस रहा था।मुझे भाभी के बड़े बड़े गजराए हुए चूचों को चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं बड़ी शिद्दत से सलोनी भाभी के बूब्स को चूस रहा था।भाभी अभी भी मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब तो वो भी समझ चुकी थी कि अब बेवजह कोशिश करने में कोई फायदा नहीं है।भाभी ना नुकुर करती रही और मैं भाभी के बूब्स को बड़ी मस्ती से चूसता रहा।
थोड़ी ही देर में मैंने भाभी के बूब्स को अच्छी तरह से चूस डाला।
मैं–ओह भाभी,मज़ा आ गया।बहुत मस्त है यार आपके बूब्स।
भाभी– बहुत ज्यादा शैतान निकला तू।
मैं– वो तो मै हूं ही भाभी।

अब मैं तुरंत भाभी के ऊपर से नीचे उतरा और फटाफट पेटीकोट में फंसी हुई सलोनी भाभी की साड़ी को खोलने लगा।
भाभी– अब इसको क्यो खोल रहा है?
मैं– अभी यहां रंग लगाना बाकी है भाभी।
भाभी– रंग लगा तो दिया अब और कितना रंग लगाएगा?
मैं– असली रंग तो अभी बाकी है भाभी।
तभी मैंने सलोनी भाभी की पूरी साड़ी को पेटीकोट में से निकाल नीचे फेंक दी। अब मैंने सलोनी भाभी के पेटीकोट पर धावा बोल दिया। अब मै भाभी के नाड़े को खोलने की शुरुआत करने लगा।तभी भाभी ने पेटीकोट के नाड़े को पकड़ लिया।
भाभी– रोहित,थोड़ी सी तो मेरी इज्जत रहने दे।

मैं– तो भाभी मै तो सिर्फ रंग ही लगा रहा हूं।आप इतनी क्यो डर रही हो?
भाभी– नहीं मुझे तेरा इरादा कुछ और ही लग रहा है।
मैं– अरे भाभी! मेरा इरादा सिर्फ रंग लगाने का ही है।आप मेरी बात का विश्वास तो कीजिए।
भाभी– नहीं,रंग लगाना हो तो ऐसे ही लगा लें।
मैं– नहीं मै तो आपका पेटीकोट खोलकर ही रंग लगाऊंगा।
भाभी– नहीं मै नहीं खोलने दूंगी।
मैं– भाभी खोलने दो नहीं तो नाडा टूट जाएगा।
भाभी– नहीं , मै नहीं खोलने दूंगी।

 

अब मैंने सोचा भाभी ऐसे नहीं मानेगी।तभी मैंने ज़ोर से भाभी के दोनो हाथो को पहले तो पेटीकोट के नाड़े पर से हटाए फिर पेटीकोट के नाड़े पर कब्जा जमा कर एक ही झटके में नाड़े को खोल भाभी की टांगों में से पेटीकोट को बाहर निकाल फेंका। अब सलोनी भाभी पेटीकोट को पकड़ते ही रह गई।पेटीकोट अब भाभी की पकड़ से दूर हो चुका था। अब भाभी के जिस्म पर अटकी हुई पैंटी को भी मैंने तुरंत निकाल फेंका।
अब सलोनी भाभी मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी। सलोनी भाभी ने शरमा कर चूत को दोनों हाथों से छुपा लिया। भाभी की चूत को देखते ही मेरा लन्ड मेरी अंडरवियर फाड़ने के लिए आतुर होने लगा। अब मेरा लन्ड किसी भी हालत में सलोनी भाभी की चूत में घुसना चाहता था। अब मैंने फिर से रंग में मेरे हाथो को भिगोया और फिर सलोनी भाभी की मजबूत टांगो को मेरे कंधे पर रखकर अच्छी तरह से रंग में रंग डाली। अब भाभी की दोनो टांगो को अच्छी तरह से रंगने के बाद मैंने भाभी के हाथो को चूत पर से हटाया। अब मैं भाभी की चूत को हरे पक्के रंग में अच्छी तरह से रंगने लगा।मुझे भाभी की नंगी चूत पर रंग लगाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी की चूत के आस पास घनी घुंघराली झांटों का झुरमुट था।कुछ ही पलों में मैंने भाभी की चूत को हरा भरा कर दिया।

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अब भाभी का मखमली पेट ही बाकी था।फिर मैंने भाभी के गौरे चिट्टे पेट को भी अच्छी तरह से रंग में रंग डाला। अब भाभी आगे से बुरी तरह से रंग में रंग चुकी थी। अब सलोनी भाभी को पहचानना भी मुश्किल हो रहा था। अब भाभी की नंगी चूत मेरे लंड के सामने थी।मेरा लन्ड तो बहुत देर से सलोनी भाभी की चूत की गहराई नापने के लिए बेकरार हो रहा था।तभी मैंने मेरे लन्ड को अंडरवेयर खोलकर बाहर निकाल लिया। बाहर निकलते ही मेरा लन्ड बूरी तरह से तन गया। अब मेरा लन्ड भाभी की चूत में गदर मचाने के लिए तैयार था।
अब मैंने सलोनी भाभी की चूत में उंगलियां घुसा डाली और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए भाभी की चूत को सहलाने लगा।भाभी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी।

भाभी– आईईईई आईईईई आईईईई आईईईई ओह आह आह आह आह।
मैं– आह भाभी मज़ा आ रहा है।आह आह आह ओह भाभी।
भाभी– आईईं आईईईई ओह आह आह ओह रोहित प्लीज ऐसा मर ना।आह आह आह
मैं भाभी की चूत को बुरी तरह से कुरेद रहा था।भाभी दर्द के मारे तड़प रही थी। अब वो दर्द से करहाते हुए चेहरे को इधर उधर पटक रही थी।मुझे भाभी की चूत को सहलाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर थोड़ी देर बाद मैं भाभी की चूत को चाटने लगा।बहुत देर तक उंगलियां करने की वजह से भाभी की चूत बहुत ज्यादा गीली हो चुकी थी।मुझे भाभी की गीली और गरमा गरम चूत को चाटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी चुदाई की आग में तड़पते हुए अब मेरे सिर को चूत पर दबाने लगी। अब तक सलोनी भाभी बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी।

कहानी जारी है………………………………………..
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Rohit