हिंदी सेक्स स्टोरी

होली के रंग चाची की सहेलियों के संग–3

Holi Ke rang chachi ki saheliyon ke sang-3

अब मेरा लन्ड भाभी की चूत को फाड़ने के लिए बूरी तरह से तड़प उठा था। अब मै और ज्यादा देर तक इंतजार नहीं कर सकता था।
अब मैंने सलोनी भाभी की दोनो टांगो को मेरे कंधो पर रखा। अब मैंने मेरे लन्ड को अच्छी तरह से रंग में रंगा।फिर मेरे लन्ड के सुपाड़े को सलोनी भाभी की चूत की फांकों के बीचोबीच रख दिया।
भाभी– रोहित, ये बहुत ज्यादा गलत है।
मैं– कुछ गलत नहीं है भाभी। अगर ऐसा नहीं करूंगा तो अंदर रंग नहीं लग पाएगा। आप इस होली को जिंदगी भर याद रखोगी।
भाभी– नहीं रोहित,प्लीज मत कर ना ऐसा।
मैं– अब मै खुद को नहीं रोक सकता भाभी। रंग तो मै लगाकर ही रहूंगा। अब बस हो जाने दीजिए जो हो रहा है।
मेरी बात सुनकर भाभी चुप हो गई। अब मै भाभी का इशारा समझ चुका था। तभी मैंने भाभी की जांघों को पकड़ा और ज़ोरदार धक्का लगाकर पूरा का पूरा लन्ड भाभी की चूत में घुसा दिया।मेरा लन्ड भाभी की चूत के परखच्चे उड़ाता हुआ सीधा चूत के गर्भ ग्रह में पहुंच गया।
इस ज़ोरदार हमले से सलोनी भाभी ज़ोर से चिल्ला पड़ी।दर्द के मारे भाभी की गांड फट गई।
भाभी– आईईईई आईईईई मर गई।
तभी सलोनी भाभी की चीख को सुनकर चाची ने कहा– क्या हुआ रोहित? मेरी सहेली को चीख रही है?
मैं– कुछ नहीं चाची अंदर रंग नहीं लग रहा है जो मै अब पिचकारी से रंग डाल रहा हूं।
चाची– अच्छा।
मैं– हां चाची।
चाची– कोई बात नहीं।अच्छी तरह से रंग लगा। कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।
मैं– हां चाची।
मेरे लन्ड के एक शॉट में ही सलोनी भाभी पस्त हो गई।दर्द के मारे उनके चेहरे की भाव भंगिमाएं बिगड़ चुकी थी।तभी मैंने भाभी की चूत में दूसरा शॉट दे मारा।भाभी फिर से ज़ोर से चीख पड़ी।
भाभी– आईईईई आईईईई मर गई।थोड़ा धीरे धीरे रंग लगा रोहित।
मैं– भाभी, रंग तो मै धीरे धीरे ही लगा रहा हूं।बस आपकी गुफा ही छोटी पड़ रही है।
भाभी– बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है रोहित।
मैं–कुछ देर बाद मज़ा भी बहुत आयेगा भाभी।
तभी मैंने भाभी की चूत में ज़ोरदार धक्के लगाना शुरू कर दिया। अब पूरे बेडरूम में भाभी की चीखे गूंजने लगी।मुझे सलोनी भाभी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मेरा पूरा का पूरा लंड सलोनी भाभी की चूत की गहराई में उतर कर रंग लगा रहा था।मेरे लन्ड के हर एक शॉट के साथ सलोनी भाभी के बूब्स ज़ोर ज़ोर से उछल रहे थे। मैं गांड़ हिला हिलाकर सलोनी भाभी को बुरी तरह से चोद रहा था।
अजब गजब नज़ारा था यारो जिस सलोनी भाभी को कभी मैंने चोदने के बारे में नहीं सोचा था।आज मै उस सलोनी भाभी को बुरी तरह से बजा रहा था।मेरे लिए ये बड़ी सम्मान की बात थी कि सलोनी भाभी जैसे रीपचिक माल की चूत मेरे लन्ड को मिल रही थी।ये होली मेरे लिए अलग ही आनंद दे रही थी।
मेरे लन्ड के लगातार हमलों से सलोनी भाभी बुरी तरह से दर्द से तड़प रही थी।उनकी दर्द भरी चीखे पूरे माहौल को और भी ज्यादा सेक्सी बना रही थी।
भाभी– आईईईई आईईईई आह आह आह ओह आईईईई आह आह आह ओह आह आईईईई।
मैं– आह आह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है भाभी। बहुत अच्छे तरीके से रंग लग रहा है।आह आह आह ओह।
भाभी– आईईईई आईईईई आह आह आह ओह।बहुत दर्द हो रहा है रोहित।
मैं– दर्द में ही तो मज़ा है भाभी।
खचाखचं चुदाई के कारण सलोनी भाभी थोड़ी ही देर में बुरी तरह से पिघल गई और उनकी चूत ने गरमा गर्म इंडियन लावा बाहर निकाल दिया। अब भाभी पसीने पसीने हो चुकी थी। अब लंड के हर एक शॉट के साथ फ्फ्फच फ्फ्फच फ्फ्फच फ्फच की आवाजे गूंजने लगी। अब मेरा लन्ड भाभी के गरमा गर्म लावे में भीग चुका था।
अब मैंने भाभी की जांघों को छोड़ा और भाभी को अच्छी तरह से मेरी पकड़ में लेकर उनकी चूत की बखिया उधेड़ने लगा। अब सलोनी भाभी ने मुझे बाहों में कस लिया और सीने से चिपका लिया। अब भाभी को भी खुद चूत में रंग लगवाने में मज़ा आ रहा था। मैं भी गांड़ उछाल उछाल कर सलोनी भाभी की चूत में रंग डाल रहा था।सलोनी भाभी भी अब बड़े मज़े से रंग डलवा रही थी।
अब मैंने सलोनी भाभी को छोड़ दिया और उनसे घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो नखरे करने लगी।फिर मैंने उन्हें समझा बुझाकर बेड पर ही घोड़ी बना दिया। अब मैंने फिर से भाभी की चूत में लंड रखा और दे दना दन सलोनी भाभी को फिर से पेलने लग गया।मुझे सलोनी भाभी को घोड़ी बनाकर पेलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
भाभी– आईईईई आईईईई आईईईई आह आह आह आई आईईईई।
मैं– आह आह ओह भाभी,बहुत अच्छा लग रहा है।आह आह आह।
भाभी– आज पहली बार कोई मुझे इस तरह से रंग लगा रहा है।
मैं– अब चिंता मर कीजिए। मै आपको अब हर होली पर ऐसे ही रंग लगाऊंगा।
भाभी– लगा देना रोहित।
मैं भाभी की गांड़ पकड़कर दे दना दन चुदाई कर रहा था।मेरा लन्ड भाभी की चूत की हालत खराब कर रहा था।तभी भाभी फिर से कांप उठी और भाभी की चूत ने झर झर झर झर झर गरमा गर्म लावा बेड पर बहा दिया।आज तो सलोनी भाभी की बुरी तरह से चुदाई हो रही थी। मैं बड़ी शिद्दत से सलोनी भाभी को चोद रहा था। मैं खुद को खुशनसीब समझ रहा था कि सलोनी भाभी मेरे लन्ड से चुद रही थी।
बहुत देर की चुदाई के बाद अब मेरा लन्ड भी शबाब पर पहुंच चुका था।तभी मैंने भाभी की चूत में ही लंड रोक दिया और पूरा का पूरा रस भाभी की चूत में ही भर दिया। अब मै पसीने पसीने होकर सलोनी भाभी की गांड से ही चिपक गया। अब सलोनी भाभी ऐसी की ऐसी ही बेड पर पड़ गई और मैं उनके ऊपर पड़ गया।हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे।
भयंकर चुदाई से सलोनी भाभी की बुरी तरह से थक चुकी थी। लेकिन अभी तो पीछे से सलोनी भाभी पर रंग नहीं लगा हुआ था।तभी मै उठा और फिर से रंग घोलकर अब भाभी की पीठ और गांड़ को अच्छी तरह से रंग में पोत दिया।भाभी के शानदार गौरे चिकने चूतड़ अब हरे रंग में रंग चुके थे।फिर टांगो को भी पीछे की तरफ से रंग में पोत दिया। अब सलोनी भाभी का अंग अंग रंग में रंग चुका था। अब तो सलोनी भाभी को पहचानना भी मुश्किल हो रहा था।
सलोनी भाभी अभी भी बेड पर उलटी पड़ी हुई थी। अब मैंने पीछे से सलोनी भाभी पर रंग चढ़ना शुरू कर दिया।मुझे भाभी की गांड में किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी की शानदार गांड़ मुझे अलग ही मज़ा दे रही थी।भाभी अब फिर से धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगी।तभी मैंने भाभी की गांड के छेद में उंगली घुसा दी।उंगली घुसते ही भाभी एकदम से चिहुंक उठी।भाभी की गांड का छेद ज्यादा टाइट तो नहीं था। मैं समझ चुका था कि भाभी की गांड़ में लंड कांड ज़रूर करता है।
तभी मैंने एक साथ दो उंगलियां भाभी की गांड में पेल डाली तो भाभी ज़ोर से चीख पड़ी।
भाभी– आईईईई आईईईई प्लीज रोहित,उसमे तो कोई छेड़छाड़ मत कर।
मैं– भाभी अभी तो इसमें पिचकारी घुसी ही नहीं है।
भाभी– नहीं यार उसमे पिचकारी मत घुसाना।बहुत दर्द होगा।तेरी पिचकारी बहुत बड़ी है।
मैं– अब भाभी दर्द होगा तो हो जाएगा लेकिन पिचकारी तो घुसाऊंगा ही।
भाभी– अरे यार मान जा ना।
मैं– नहीं भाभी,आज तो बिल्कुल नहीं मानूंगा।
अब मैंने सलोनी भाभी से फिर से घोड़ी बनने के लिए कहा।
भाभी– नहीं अब मै घोड़ी नहीं बनूंगी।
मैं– बन जाओ भाभी ज्यादा नखरे मत करो।अगर आप घोड़ी नहीं बनोगी तो मै पिचकारी अंदर नहीं डाल पाऊंगा।
भाभी– मत डाल तू तो पिचकारी।
भाभी फिर से घोड़ी बनने के लिए बहुत ज्यादा नखरे कर रही थी।तभी मैंने उन्हें उठाकर घोड़ी बना दिया।
भाभी– अरे यार एक तो तू सुनता नहीं है।
मैं–बस भाभी थोड़ी सी देर की बात है।
भाभी की गौरी चिकनी गांड़ रंग बिरंगी हो चुकी थी। अब मैंने फटाफट मेरे लन्ड को काले रंग में रंगा लिया। अब मैंने मेरे लन्ड के सुपाड़े को भाभी की गांड के छेद पर रखा और भाभी की गांड को पकड़कर फट से भाभी की गांड में लंड पेल दिया।भाभी गांड़ में लंड लेते ही चिल्ला पड़ी।
भाभी– आईईईई आईईईई ओह आईईईई सिसिसिस् मर गई।
अभी मेरा पूरा लन्ड भाभी की गांड में नहीं घुसा था तभी मैंने लंड बाहर निकाल कर फिर से ज़ोरदार धक्के के साथ लंड सलोनी भाभी की गांड में पेल दिया। अबकी बार मेरा पूरा का पूरा लन्ड भाभी की गांड में घुस गया।भाभी फिर से ज़ोर से चिल्ला पड़ी। तभी बाहर से चाची बोल पड़ी– रोहित,पिचकारी थोड़ी धीरे धीरे डाल।
मैं– हां चाची धीरे ही डाल रहा हूं लेकिन भाभी का छेद ही बहुत ज्यादा छोटा है।
चाची– आराम से डाल यार।
अब यहां आराम से सलोनी भाभी की गांड में लंड डालने का टाइम कहां था। मैं तो अब दे दना दन सलोनी भाभी की गांड मारने लग गया। अब सलोनी भाभी भी कराहती हुई मेरे लन्ड को गांड़ में ठुकवा रहीं थीं।भाभी के मुंह से मादक सिसकारियां निकल रही थी।
भाभी– आईईईईई आईईईई आईईईई ओह आह आह आह आह आह आईईईई।
मैं– आह मज़ा आ गया भाभी, पिचकारी पूरी अंदर तक घुस रही है।आह आह आह।आज होली पर पहली बार मुझे इतना मज़ा आ रहा है।
भाभी– आईईईई आईईईई ओह,तुझे तो मज़ा आ रहा है और यहां मेरी गांड फट रही है।बस कर यार अब डाल ली ना तूने पिचकारी ,अब तो बाहर निकाल ले।
मैं–भाभी अच्छे से रंग तो भरने दो।तभी तो पिचकारी को बाहर निकालूंगा।
भाभी– तेरी पिचकारी बहुत दर्द दे रही है मुझे।
मैं– बस थोड़ी देर और भाभी।
अब मैं धकाधक सलोनी भाभी की गांड में मेरी पिचकारी लगातार अंदर बाहर अंदर बाहर करता जा रहा था।भाभी नीचे गर्दन करके गांड़ में पिचकारी घुसवाए जा रही थी।मुझे तो भाभी की गांड में पिचकारी डालने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अब धीरे धीरे भाभी का जिस्म कांपने लगा और थोड़ी ही देर बाद भाभी की चूत में से गाढ़ा माल नीचे टपकने लगा। मैं समझ चुका था कि सलोनी भाभी झड़ चुकी है।मेरा लन्ड अभी भी उफान पर था।मैंने थोड़ी देर और भाभी की गांड में ज़ोरदार धक्के लगाए। तभी मुझे याद आया कि अभी तो शिखा भाभी को भी रंग लगाना है।

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कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह से मैंने सलोनी भाभी को पूरी नंगी करके उनके जिस्म पर रंग लगाया। फिर बाद में उनको अच्छी तरह से चोदकर उनकी गांड़ मारी। अब कहानी आगे….
सलोनी भाभी की गांड मारते हुए मुझे याद आया कि अभी तो शिखा भाभी बाकी है।तभी मैंने सलोनी भाभी को छोड़ा और शिखा भाभी को रंग लगाने के लिए बेडरूम से बाहर आ गया।मेरे तंतनाए हुए लंड को देखते ही शिखा भाभी सब कुछ समझ गई। अब वो मुझसे बचने के लिए बाथरूम की ओर भागी। मैं भी उनके पीछे पीछे बाथरूम की ओर भागा।तभी शिखा भाभी बाथरूम का गेट खोलकर बाथरूम में घुसने ही लगी थी कि मैंने उनको पकड़ लिया।