हिंदी सेक्स स्टोरी

होली के रंग चाची की सहेलियों के संग–4

Holi Ke rang chachi ki saheliyon ke sang-4

मैं–देखो भाभी,अगर आप चुपचाप गेट खोल दोगी तो मै आराम से रंग लगाऊंगा,अगर गेट नहीं खोला तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी।
तभी मैंने ज़ोरदार धक्का देकर गेट को खोल दिया। अब शिखा भाभी बाथरूम में से बचकर कहां जाती। अब शिखा भाभी बाथरूम में छटपटाने लगी। तभी मैंने शिखा भाभी को कसकर दबोच लिया।शिखा भाभी पहले से ही रंग में रंगी हुई थी।वो अभी भी मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी। तभी मैंने चाची को बुलाया
मैं– चाची ज़रा रंग लेकर आना।

कुछ ही देर में चाची रंग लेकर आ गई। अब चाची ने बाल्टी में अच्छे से रंग घोल लिया। अब मैंने काला कट्टा रंग हाथो में लिया और शिखा भाभी के गौरे चिट्टे चेहरे को अच्छी तरह से काले रंग में रंग दिया।मैंने बुरी तरह से भाभी के चेहरे को काले रंग में रंग डाला था। अब तो भाभी को पहचानने में भी मुश्किल हो रही थी। कुछ ही देर में काला रंग भाभी को जलन देने लगा। अब वो खुद को सम्हालने लगी।तभी मैंने शिखा भाभी का साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया। अब शिखा भाभी के बड़े बड़े बूब्स का खजाना मेरे सामने था।जो ब्लाउज में बंद था। अब मैंने झट से फिर से हाथो में रंग लिया और अबकी बार शिखा भाभी के ब्लाऊज के अंदर हाथ डालकर भाभी के मस्त मस्त मुलायम बूब्स को रंग में रगड़ने लगा।शिखा भाभी अभी भी मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उन्हें अच्छी तरह से मेरी पकड़ में जकड़ रखा था।मुझे शिखा भाभी के बूब्स को रंगने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

आह इतने मस्त शानदार बूब्स भाभी के।कसम से यारो मै तो पागल सा हो रहा था।थोड़ी देर तक भाभी के आमो को अच्छी तरह से रंगने के बाद मैंने भाभी के गौरे चिट्टे पेट को भी अच्छी तरह से काले रंग में रंगने लगा।।मुझे भाभी के माखन मिश्री जैसे पेट को रगड़ने और रंगने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी चुपचाप बाथरूम की दीवार से सटकर खड़ी हुई थी। मैं आहिस्ता आहिस्ता भाभी के मुलायम पेट को रगड़ने का पूरा मज़ा ले रहा था।तभी मैंने भाभी की साड़ी को पेटीकोट में से निकालने लगा। अब भाभी मुझे रोकने लगी।लेकिन मै कैसे रुक जाता।मैने भाभी के हाथो को एक तरफ झटककर तुरंत साड़ी को पेटीकोट में से निकाल दिया। अब भाभी ब्लाउज और पेटीकोट में ही मुझे चिपकी हुई थी।भाभी का मस्त गाजरया बदन अब मेरे लन्ड की आग को भड़का रहा था। अब मेरा लन्ड तनकर फिर से लोहे की रॉड बन चुका था।

अब मैं शिखा भाभी के पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगा लेकिन तभी शिखा भाभी ने खींचकर नाड़े को पकड़ लिया। अब मेरा भाभी के नाड़े को खोलना मुश्किल हो रहा था।नाड़े पर भाभी ने कब्जा जमा लिया था।फिर भी मै भाभी के नाड़े को खोलने की कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन शिखा भाभी नाडा खोलने ही नहीं दे रही थी।तभी मैंने चालाकी करते हुए भाभी के पेटीकोट के अंदर हाथ डाल दिया।मेरा हाथ तुरंत ही भाभी की पैंटी में से होता हुआ भाभी की चूत में जा घुसा।

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अब भाभी के लिए कंडीशन को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था।उनको समझ में नहीं आ रहा था कि पेटीकोट के नाड़े को खुलने से बचाए या चूत को सहलाने से बचाए। अब मैं भाभी की चूत को सहलाते हुए चूत को रंग में अच्छी तरह से रगड़ने लगा।मुझे भाभी की गरमा गर्म चूत को रंगने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी कभी तो नाड़े को सम्हाल रही थी। तो कभी वो मेरे हाथ को चूत में से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी।दोनो चिजो को बचाने के चक्कर में भाभी की चूत पूरी तरह से मेरे कब्जे में आ चुकी थी। मैं शिखा भाभी की चूत को अच्छी तरह से सहला रहा था। अब मैंने भाभी की चूत में मेरी उंगलियां अंदर पेल दी।उंगलियां चूत के अंदर घुसते ही भाभी फड़फड़ाने लगी। अब भाभी को मीठा मीठा सा दर्द होने लगा।
भाभी– आईईईई रोहित, प्लीज ऐसा मत कर।

मैने भाभी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और भाभी की चूत को सहलाता रहा।थोड़ी सी देर में ही मैंने भाभी की चूत को गीली कर दिया था।
तभी मैंने शिखा भाभी की पीठ पर हाथ मारा और पीछे से भाभी के ब्लाऊज ब्रा की डोरिया खोल फेंकी।डोरिया खुलते ही शिखा भाभी का ब्लाउज ब्रा सहित मेरे हाथ में आ गया। अब मैंने बिना कोई देर किए झट से भाभी का ब्लाउज उनके जिस्म में से निकाल फेंका। ब्लाउज खुलते ही भाभी के बड़े बड़े मस्त नरम चूचे मेरे सामने नंगे हो गए।ऐसा लगा जैसे भाभी के चूचे कूदकर बाहर आए हो।भाभी के शानदार चूचे नंगे होने के बाद बहुत ज्यादा चमाचाम रहे थे। भाभी के चूचों को देखकर मेरे लन्ड में २०० वाट का करंट सा लगा। अब भाभी ने शर्म के मारे पेटीकोट के नाड़े को छोड़ा और दोनो हाथो से चूचियों को ढक लिया।तभी मैंने भाभी के नाड़े को एक ही झटके में खींचकर खोल दिया।

पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही भाभी को ३०० वाट का करंट लगा और उन्होंने बूब्स को छोड़कर पेटीकोट को पकड़ लिया। अब भाभी के चूचे पूरे तरह से फ्री थे। अब मैंने बाल्टी में से रंग किया और भाभी के चूचों को काले रंग में रंगना शुरू कर दिया।मुझे भाभी के मस्त बूब्स को रंगने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं भाभी के चूचों को आराम आराम से मसल रहा था। भाभी चुपचाप खड़ी खड़ी बूब्स को रंगवा रही थी। मैं भी भाभी का पूरा फायदा उठाते हुए भाभी के बूब्स को अच्छी तरह से रंग रहा था थोड़ी ही देर में मैंने भाभी के चमचमाते चूचों को काला कर डाला। अब तो भाभी को ऊपर से पहचानना मुश्किल हो रहा था।

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शिखा भाभी के चूचों को अच्छी तरह से रंगने के बाद मैंने भाभी को पलट दिया। अब भाभी की गौरी चिकनी पीठ मेरे सामने थी। अब मैं भाभी की चिकनी पीठ पर किस करने लगा।धीरे धीरे भाभी गरम होने लगी।मैंने भाभी को बाथरूम की दीवार से अच्छी तरह से सटाकर खड़ी कर रखी थी। मैं भी भाभी से बुरी तरह से चिपक गया था।मेरा लन्ड भाभी की गांड में घुसने के लिए भाभी की गांड का छेद ढूंढने लगा।मुझे भाभी की पीठ पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी बुरी तरह से गरम हो चुकी थी।तभी मैंने बाल्टी में से फिर रंग लिया और भाभी की पूरी गौरी चिकनी पीठ को काले रंग में रंग दिया।
अब मैंने पीछे से भाभी के पेटीकोट को ऊपर उठा दिया और उनके मस्त शानदार चूतड़ों को मसलने लगा।आह क्या नरम, सुंदर चूतड़ थे भाभी के।कसम से यारो मेरे तो मुंह में ही पानी आ गया था।फिर थोड़ी देर तक मैंने भाभी के चूतड़ों को अच्छी तरह मसला।फिर भाभी के चूतड़ों को भी काले घने रंग में रंग डाला।

अब मेरा लन्ड शिखा भाभी को चोदने के लिए बूरी तरह से तड़प रहा था। अब मैंने शिखा भाभी को उठाया और उन्हें बेडरूम में ले जाने लगा।
अजब गजब नज़ारा था यारो।जिस शिखा भाभी को कभी मैंने चोदने के बारे में नहीं सोचा था आज वो शिखा भाभी अधनंगी होकर मेरी बाहों में लटकी हुई थी।शिखा भाभी ने शरमा कर चेहरा नीचे कर रखा था और एक हाथ से पेटीकोट को पकड़ रखा था। मैं लंड को तनकर शिखा भाभी को चोदने के लिए बेडरूम में ले जा रहा था।
सामने ही चाची और सलोनी भाभी हमें देखकर हंस रही थी।
चाची– रोहित, मेरी सहेली को रंगने में कोई कसर मत छोड़ना।
मैं– आपकी सहेली को शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा चाची।

सलोनी भाभी– ये रोहित, जान निकाल देता है।लेे लेे बेटा मज़े,फिर ये मौका दोबारा नहीं मिलेगा।
मैं– हां भाभी, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा।
चाची वो रंग की बाल्टी उठाकर यहां ले आओ।
चाची– हां अभी लाती हूं।

अब मैंने शिखा भाभी को बेड पर पटक दिया।कुछ देर में ही चाची रंग की बाल्टी लेे आई। अब मैंने तुरंत गेट बंद कर दिया। अब शिखा भाभी समझ चुकी थी कि आज उनकी चूत में पिचकारी छुटने वाली थी।मेरा लन्ड तनकर बुरी तरह से तैयार था।शिखा भाभी मेरे लन्ड को निहार रही थी। अब मैंने मेरे लन्ड को रंग में अच्छी तरह से रंग लिया।
अब मैं भाभी के ऊपर चढ गया और मेरे काले लंड को शिखा भाभी के मुंह में डाल दिया। शिखा भाभी को ज्यादा कुछ समझ में नहीं आ रहा था।तभी मैंने झटका देकर पूरे लंड को भाभी के मुंह में घुसा दिया। अब भाभी का पूरा मुंह मुझ पेक हो चुका था। अब उनका सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। अब मैं धीरे धीरे लंड को भाभी के मुंह में अन्दर बाहर करने लगा।मुझे भाभी के मुंह को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मेरा पूरा लन्ड भाभी के थूक से गीला हो चुका था। मैं गापाघप भाभी के मुंह को चोदने में लगा हुआ था।कुछ देर में ही भाभी हांपने लगी।फिर मैंने भाभी के मुंह को अच्छी तरह से चोदकर छोड़ दिया। अब जाकर भाभी की सांस में सांस आई। भाभी को भी शायद इस बात की उम्मीद नहीं होगी कि लंड का हमला चूत में होने के बजाए सबसे पहले मुंह में होगा।

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अब मैं नीचे आया और शिखा भाभी के मस्त शानदार चूचों को मसलने लगा।मुझे भाभी के चूचों को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी को धीरे धीरे मेरे हाथो की कसावट चुभने लगी।
भाभी– आईईईई ऊंह आह ओह ऊंह आईईईई ऊंह आह।
मैं लगातार भाभी के बूब्स को मसलता हुआ जा रहा था।भाभी अब दर्द से तड़पती हुई धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगी।
भाभी– ऊंह आह आह आईईईई ऊंह आह आह ओह ओह।

थोड़ी सी देर में ही मैंने भाभी के चूचों को अच्छी तरह से मसल डाला। अब मैंने कोई और देर नहीं करते हुए फटाफट भाभी के चूचों को मुंह में भर लिया। अब मैं भूखे शेर की तरह भाभी के चूचों पर टूटते हुए उन्हें बुरी तरह से चूसने लगा।मुझे भाभी के रंगे हुए चूचों को चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं भाभी के चूचे को पूरा मुंह में दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन भाभी की चूची बड़ी होने के कारण पूरी मेरे मुंह में नहीं आ पा रही थी।
तभी मैंने भाभी के चूचों को काट लिया।चूचे को काटते ही भाभी के मुंह से मादक सिसकारी फुट पड़ी।
भाभी– आईईईई ,प्लीज आराम से चूसो।

लेकिन मैंने भाभी की कोई बात नहीं सुनी और धमाधम भाभी के चूचों को चूसता रहा।थोड़ी ही देर में मैंने शिखा भाभी के चूचों को अच्छी तरह से चूस डाला। अब तक मै भाभी के चूचों को बुरी तरह से निचोड़ चुका था। अब बारी भाभी की चूत की थी।
अब मैं सीधा भाभी की चूत पर आ गया।भाभी ने फिर से पेटीकोट के नाड़े को पकड़ लिया।फिर मैंने ज़ोरदार झटका देकर भाभी के हाथो में से नाडा छुड़ाकर तुरंत ही भाभी का पेटीकोट खोल फेंका। अब रही सही कसर मैंने भाभी की पैंटी खोलकर पूरी कर दी। अब शिखा भाभी मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी।ये मेरे लिए अदभुत पल था।