Raksha Bandhan Sex Stor
भाई-बहन की चुदाई

पिछली राखी पर राखी बांधकर गले मिली पर भाई ने चोद दिया

Raksha Bandhan Sex Story : राखी पर बहन की चुदाई – रिश्ते तार तार हो जाते है कभी कभी जिस्म में जब आग लगती है। दोष चाहे किसी का भी हो पर रिश्ते तो बदनाम होते ही है। आज मैं आपको अपनी सेक्स कहानी HotSexStory.xyz पर सुनाने जा रही हूँ। पिछले रक्षाबंधन में कैसे मेरी चुदाई मेरे भाई ने कर दिया। राखी का गिफ्ट लंड नहीं होता है पर क्या करती मैं भी बह गयी और चुद गई। ना चाहते हुए भी मुझे लंड का गिफ्ट ही अच्छा लगा और मैं दिन भर भाई से चुद गई। अब मैं सीधे कहानी पर आती हूँ।

दोस्तों मेरा नाम शीतल है मैं आगरा की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मम्मी पापा और मेरा एक छोटा भाई है जो की दिल्ली में रहता है। मैं वो हमेशा ही आगरा आ जाता था पर वो नहीं आया। मैं मम्मी पापा को बोली की मैं दिल्ली जाकर ही राखी बाँध आती हूँ। तो उन लोगों को भी एतराज नहीं हुआ और जब मैं भाई को फ़ोन कर के बोली एक दिन पहले की कल सुबह आ रही हूँ राखी बांधने तो वो भी खुश हो गया। बोला आ जाओ दीदी एक दिन मजे करेंगे। मुझे लगा की राखी में कुछ करेगा बहन को घुमायेगा फिरायेगा। मार्किट जायेंगे मॉल जायेंगे यही सोचकर मैं भी खुश हो गयी और सुबह चार बजे की बस पकड़कर मैं दिल्ली के लिए रवाना हो गयी और 9 बजे भाई के कमरे पर पहुंच गयी।

वो मयूर विहार में रहता है। जब नौ बजे पहुंची वो सोकर उठा था तुरंत नहाया, मैं भी नहाई, बगल में ही अग्रवाल स्वीट से रसगुल्ले लेकर आई और फिर राखी बांध दी टिका लगा कर रसगुल्ला खिला कर। बदले में मुझे 1000 रूपये दिया। और गले लगाया। पर दोस्तों यही गलती हो गयी उसके गले लगाना और एक हलके से किस करना वो मैं बहन बनकर गले लगाई और प्यार से किस की थी। पर उलटा हो गया सबकुछ।

जब मेरी बड़ी बड़ी और टाइट चूचियां उसके सीने से लगी की वो बौखला गया और घी में आग का काम किया मेरा किश। वो पागल हो गया मुझे बाहों में भर लिया और मेरी पीठ को सहलाने लगा। मेरी ब्रा के हुक को महसूस करने लगा और मेरे गर्दन पर अपना मुँह रख कर फील करने लगा मेरी जिस्म की खुशबु को। उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होगा गया। वो मेरी जांघों के ऊपर फील हो रहा था। वो अकेले रहता था कमरा बंद था मैं और वो बस और कोइ नहीं।

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दोस्तों मैं क्या बताऊँ वो तो जो कर रहा था पर मैं भी बहने लगी थी। मुझे भी उसका सहलाना उसकी गरम गरम साँसे मेरी कान से टकराना अच्छा लगने लगा था। वो जैसे ही मेरी गाल पर किस किया मैं अपना आपा खो दी। और मैं अपनी आँखे बंद कर ली और मैं खुद भी उसको पकड़ ली। अब दोनों की गरम गरम साँसे चल रही थी। और मेरे होठ पर उसके होठ के तरफ चला गया पता ही चला और मैं लिप लॉक कर ली। हौले हौले से साँसे चल रही थी और धड़कने तेज हो रही थी। और हॉट दोनों के लॉक हो गए थे एक दूसरे के होठ को आँखबंद कर के चुम रहे थे।

कभी उसका होठ मेरे मुँह के अंदर कभी मेरा होठ उसके मुँह के अंदर। कभी मैं हौले से अपने दांत से दबाब देती तो कभी वो देता। धीरे धीरे हम दोनों के जीभ एक दूसरे के मुँह में जाने लगा और एक दूसरे के जीभ में ऐसे चूस रहे थे मानो बर्फ का आइसक्रीम हो। ओह्ह्ह क्या बताऊँ दोस्तों मेरे पुरे शरीर में आग दौड़ गई थी। मैं बेहाल और बेकाबू हो गयी थी।

उसने मुझे बैड पर बैठाया पर मैं लेट गयी और अपने बाल को सहलाने लगी मेरे होठ सुख रहे थे। आँखे लाल हो गयी थे। दिल धड़क रहा था। उसमे अपना बनियान उतार दिया और मेरे होठ को फिर से चूसने लगा अब उसका हाथ मेरे बूब्स पर आ गया था। वो हौले हौले से मेरी बूब्स को सहलाने लगा पर मैं चाहती थी वो ऊपर से नहीं बल्कि अंदर से बूब्स को दबाये।

मैंने तुरंत ही बैठ गयी और अपना टी शर्ट उतार दी। वो मेरी ब्रा के तरफ देख कर ऐसे हैरान हुआ जैसा की उससे क्या मिल गया था। मैं फिर ब्रा भी उतार दी। बड़ी बड़ी चूचियां उसके सामने थी। मैं गरम हो गयी थी इसलिए मेरी चूचियां भी टाइट हो गयी थी। वो मेरी बूब्स को पहले ध्यान से देखा फिर निप्पल को अपनी ऊँगली से रगड़ने लगा। ऐसा लगा की मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया हो। मैं मदहोश हो गयी। मैं अब उसको पकड़ ली और उसके होठ को वाइल्ड तरीके से चूसने लगी। अब मेरे सारे कपडे उतार दिए और वो भी नंगा हो गया।

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उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा तो उसकी सिसकारियां निकल गयी। वो पागल हो गया। मेरी चूत गीली हो गयी थी वो मेरी चूत के के पास जाकर चाटने लगा। मैंने अपनी दोनों टांगो को अलग अलग कर दिया वो अपना जीभ मेरी चुत को चाट रहा था। क्या बताऊँ दोस्तों मुझे कैसा लग रहा था। पहली बार मुझे लगा की सेक्स में इतना मजा है चाहे अपनी सगी बहन के साथ हो या सगे भाई के साथ। आज मैं खुद ही अपने सगे भाई के साथ ही सेक्स कर रही थी।

उसका मोटा लंड तड़प रहा था। सलामी दे रहा था। मैं खुद ही छूने के लिए ब्याकुल थी। उसने तुरंत ही लंड को मेरी हाथ में रख दिया। सुपाड़ा अंदर बाहर कर देख रही थी। फील कर रही थी। उसके बाद रहा नहीं गया और मैं मुँह में ले ली। उसके सुपाडे को अपनी जीभ से छू रही थी जैसे की मैं नागिन हु। दोस्तों मजा आ रहा था फिर मैं उसके लंड को अपनी मुँह में ले ली और हिला हिला कर घुमा घुमा कर अपने मुँह में लेकर चूसने लग्गी चाटने लगी। बिच बिच में शायद उसका थोड़ा वीर्य निकल जा रह था इसलिए कभी कभी नमकीन लग रहा था।

वो अपनी दांत को पीस रहा था और आह आह आह सुउउउ सुउउउ ओफ़्फ़्फ़्फ़ आउउउ कर रहा था। मैं चुपचाप चूस रही थी वो अजीब अजीब आवाज अपनी मुँह से निकाल रहा था। अब समय आ गया था चुदने का। मैं इशारे से बोली अब दे दो। मैं लेट गयी और वो अपनी घुटनो पर आ गया और अपना मोटा लंड मेरी चुत के ऊपर रखा और ऊपर से निचे तक पहले रगड़ा। और फिर छेद फील कर के वो मेरी चुत में घुसा दिया। दर्द जोर का हुया।

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उसने मेरी चूचियों को सहलाने लगा और रुक गया चुत से खून निकल रहा था। मेर होठ सुख रहे थे। फिर उसने हौले से धक्के दिया और अब मुझे ऐसा फील हुआ की पूरा का पूरा लंड मेरी चुत के दिवार को रगड़ता हुआ अंदर चला गया। दो तीन मिनट तक तो मुझे दर्द किया फिर मुझे अच्छा लगने लगा।

अब वो मेरी बूब्स को मसलते हुए जोर जोर से धक्के दे रहा था। मैं अपना दोनों पैर उसके कंधे पर रख जी चौड़ी गांड के बिच में हलकी सी छेद वाली चुत में उसका लौड़ा सटा सट जा रहा था। वो जोर जैसे से धक्के देता पूरा का पूरा शहरी और मेरी चूचियां हिल जाती। मैं अब वासना में भर गयी थी। मजे ले रही थी। गांड घुमा घुसा कर सिसकारियां ले ले कर चुदवा रही थी।

फिर वो निचे हो गया और मै ऊपर आ गयी और उसके मोठे लंड को अपनी चुत में ले ली और बैठ जाती और फिर ऊपर होती इससे पूरा लौड़ा मेरी चुत के अंदर होता और मुझे बहुत अच्छा लगता। दोस्तों वो मुझे पूरा दिन चोदा और मैं भी चुदी। रात में भी तीन बार मुझे चोदा पर मैं खुश हो गयी थी।

मेरी रक्षाबंधन यादगार हो गयी थी। इस बार मैं आपको फिर से बताउंगी। क्यों की उसी दिन ही प्रॉमिस किया था की हम दोनों बहन भाई के रिश्ते को बरकरार रखते हुए। सिर्फ राखी के दिन ही चुदाई करेंगे पुरे साल नहीं। और हुआ भी यही इस बार आपको फिर से बताउंगी क्या हुआ मेरे साथ मेरी राखी कैसी रही।