नौकर-नौकरानी चुदाई

जवानी की प्यास नौकर से बुझवाई-2

(Jawani Ki Pyas Naukar Se Bujhwayi-2)

वो बोला- नहीं मैडम, कर लूंगा.
मैंने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा- तुम्हारी शादी नहीं हुई क्या अभी?
वो बोला- मैडम शादी तो हुई है, लुगाई गांव में है.
“तुम्हारा दिल नहीं करता उसको साथ रखने का?”

वो पहले थोड़ा शरमाया, फिर बोला- पहले तो यहीं थी, वो क्या है ना मैडम जी कि वो पेट से है, तो मैं उसको कैसे अकेला रख पाता.
“ओह यह बात है.. जब अकेले होते हो तो तुमको उसकी याद नहीं आती?”
वो मुस्कुराने लगा.
“अच्छा एक कप चाय पिला दो मुझे.”
“आप जाकर बैठो जी, मैं अभी लाया.”

तभी मेरे दिमाग में आईडिया आया. पास थोड़ा पानी गिरा पड़ा था, उस पानी से गीले फर्श पे पाँव रख कर मुड़ते मुड़ते मैंने खुद को गिरा दिया.

“आओऊच उफ्फ फिसल गई.” ये कह कर मैं पाँव को पकड़ नीचे ही बैठ गई.
“क्या हुआ क्या हुआ मैडम जी?” कहता हुआ वो मेरे करीब आ गया.
“पानी से फिसल गई मैं … पांव में बहुत दर्द है.”

उसने मेरे नाज़ुक पाँव को अपने हाथों से पकड़ा, तो मेरे बदन में सिहरन सी उठने लगी. कितने मज़बूत हाथ थे उसके.
वो बोला- उठने की कोशिश करो!
मैंने उठना चाहा, पर नाटक करते हुए फिर से बैठ गई और बोली- ऊंह … नहीं उठा जाता, सहारा दो मुझे.

उसने हाथ आगे किया तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उठी, पर मैंने पांव नीचे नहीं लगाया.
“मुझे कमरे तक छोड़ दो प्लीज़.”
उसने कांपते हाथ को मेरी कमर में डाला. मैंने भी दूसरा अपना हाथ उसके गले में डाल दिया.

आखिर वो भी मर्द था, एक रस भरे यौवन से लदी औरत उससे सट कर चल रही थी. मैं उसके सहारे कमरे में आई और उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. उसका चेहरा लिटाते वक़्त मेरे करीब आया, मैंने उसकी तेज़ सांसें महसूस की. मेरी नज़र उस पर ही थी, जब उसने मुझे लिटाया, तब उसकी नज़र मेरी पहाड़ जैसी चूचियों पर टिकी थी.

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मैं सीधी लेटी सी हुई थी. वो जाने लगा, तो मैंने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे अपने ऊपर खींच लिया.
वो डर सा गया- यह आप क्या कर रही मैडम?
“भीम जब से तुमने मुझे छुआ, मेरे जिस्म में सिहरन हो रही है.”
मैंने ज़ोर से उसको बांहों में भींच लिया. वो खुद को अलग करना चाहता था, पर मैंने अपनी पहाड़ियों को उसके चौड़े सीने से चिपका दिया.

“मैडम मां जी आने वाली हैं, आप ऐसा मत करिए.”
“देखो भीम नीचे तुम्हारा मर्द जग चुका है.. जिसको मैं महसूस कर रही हूँ.” मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसके खड़े हो रहे लंड को दबाते हुए कहा.
“मैडम पर मेरी रोटी का सवाल है. माँ जी आती ही होंगी.”
“मैंने नशीली आवाज़ में उसकी आंखों में देखते हुए कहा- तो क्या माँ जी कल नहीं जाएंगी क्या?

उसके लंड को ऊपर से दबाया, तो उसने मुझे बांहों में कसते हुए मेरे होंठों को चूम लिया और मेरे चूचों को दबाने लगा. फिर खुद पर काबू करके उसने खुद को अलग किया- यह मौका सही नहीं है मैडम.
“तो फिर कल.. उस दिन वाली चाय ले आना.”

अगले दिन सुबह उठी तो देखा कि पति जा चुके थे. सासू माँ मेरे पास आईं और बोलीं- पम्मी पुत्तर … हम लोग कथा सुनने कीर्तन दरबार जा रहे हैं. तुम नहा धो कर नाश्ता कर लेना!
मैं उठकर ब्रश करने लगी.

माँ जी भीम से बोलीं- सफाई करके मंडी से सब्ज़ियां ले आना.
इतना कह कर वो लोग निकल गए. भीम मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था. मैंने कहा- चाय चढ़ा दो, नहाने जा रही हूं,
मैं नहाते वक्त अपनी फुद्दी पर हाथ फेर बोली- मेरी लाडो … आज तेरी प्यास बुझने वाली है.

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मैं नहाकर, टॉवल लपेट कर रोज़ की तरह बाहर निकल आई. सामने भीम खड़ा था. उसने मुझे देखा और मेरी तरफ बढ़ा. उसका बोलने का तरीका बदल चुका था. वो बोला- उफ्फ मेरी जान क़यामत लग रही हो.
मैंने भी टॉवल उतार फेंका और जाकर उससे लिपट गई. उसके हाथ मेरे जिस्म पर चलने लगे. उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. मेरे कबूतर फड़फड़ाते बाहर निकल आए. उसने झुकते हुए मेरा निप्पल मुँह में लेकर चूसा और हाथों से पीछे से मेरे चूतड़ों को दबाया.

“उफ्फ मेरे राजा बहुत प्यासी हूं … मेरे जिस्म की भूख मिटा दो.”
“चिंता मत कर मेरी जान … देख तुझे किस जन्नत की सैर करवाता हूँ.”

मैंने उसकी शर्ट खोल दी और उसके लोअर को खींच घुटनों तक सरकाते हुए खुद भी नीचे बैठ गई. उसके कच्छे में कैद उसके लंड को पहले ऊपर से चूमा और फिर एक झटके में उसको भी सरका दिया.
काले रंग के नाग ने फुंकार भरी, कितना तगड़ा लंड था उसका.

“उफ्फ क्या कीमती नगीना है तेरा …”
यह कह कर मैंने उसके लंड पर जीभ फेरी तो उसने मेरा सर दबा दिया. मैंने उसके आधे लंड को मुँह में भरकर चूसना शुरू किया. वो धकेल धकेल कर लंड चुसाई का लुत्फ उठाने लगा. फिर उसने मुझे उठा कर बिस्तर पर पटका और मेरी फुद्दी को उंगलियों से फैला कर बोला- मस्त चिकनी फुद्दी है आपकी.

ये कहते ही उसने अपनी जीभ से मेरे दाने को रगड़ा, तो मैं तड़पने लगी. मैं अपने चूतड़ और ऊपर उठा कर अपनी फुद्दी उसके होंठों की तरफ धकेलने लगी- चूस मेरे शेर … उफ्फ मेरे राजा खा जा मेरी फुद्दी … तेरे मालिक से कुछ नहीं होता.

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वो उठा और उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और साथ साथ मेरी फुद्दी चाटने लगा.

उसने इतनी मस्त फुद्दी चाटी कि मैं झड़ने लगी. कुछ देर मेरे चूचे चूसने के बाद उसने मेरी टांगें उठाईं और अपना 8 इंच से बड़ा लंड जैसे ही मेरी फुद्दी पर टिकाया. मैं पागल होने लगी और उसको उकसाने लगी- हरामी कुत्ते … मेरा पालतू कुत्ता बन जा … उफ्फ भीम … फाड़ दे मेरी फुद्दी.

उसने मेरे कंधे पकड़े और मेरे होंठ अपने होंठों में दबाते हुए करारा झटका दे मारा. कई दिनों बाद असली लंड फुद्दी में घुसा था सो थोड़ी तकलीफ झेल ली.

उसने पूरा लंड घुसा दिया जो मेरी बच्चेदानी से टकराने लगा. तेज़ झटकों वाली रफ्तार ने मुझे उसका मुरीद बना दिया. वो अरबी घोड़े की तरह मेरी फुद्दी चोदने लगा. उसकी रगड़ से मेरी फुद्दी दूसरी बार भी पानी छोड़ गई. उसने रुक कर कुछ देर रुक मेरे मम्मे चूसे और फिर मुझे घोड़ी बना कर फुद्दी में लंड डाल कर एक हाथ मेरी कमर पर टिका दिया. दूसरे हाथ से मम्मे दबाते हुए चोदा और कुछ ही देर में उसने भी पानी छोड़ने को कर दिया.

तभी उसने झट से लंड निकाला और मेरे मुँह में दे दिया. इस तरह उसने मेरी प्यासी फुद्दी को पानी दिया.

अब अक्सर मौका देख हम दोनों हमबिस्तर हो जाते.

जल्दी ही मैं अपनी अगली कहानी लेकर आऊंगी. आपके मेल के इन्तजार में हूँ.