Sali Sex

जीजा मेरे पीछे पड़ा-1

Jija Mere Pichhe Pada-1

कैसे हो जी…?

मजे में ना…?

भूले तो नहीं ना मुझे…?

मैं शालिनी जयपुर वाली… !

मेरी पहली कहानी “तो लगी शर्त” याद है ना?

बहुत पसंद की थी आप लोगों ने ! इतने मेल आए कि गदगद हो गई आप सबका प्यार देख कर।

आप सबका प्यार देख कर दिल किया कि आगे की मजेदार बातें भी आप लोगों से करूँ।

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि जीजा वो दूसरा इंसान था जिसका लण्ड मैंने अपनी चूत में लिया था। पहला मेरा पति और दूसरा मेरा जीजा। जीजा ने मेरे घर में आकर मेरी जो चीखे निकलवाई कि मैं तो जीजा की और जीजा के लण्ड की दीवानी हो गई। उस चुदाई के बाद तो जीजा का अक्सर मेरे घर पर आना जाना हो गया और मेरे पति और जीजा की भी अच्छी दोस्ती हो गई। जीजा जब भी आता तो मुझे चोदने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था या यूँ कहो कि मैं चुदवाए बिना जीजा को जाने ही नहीं देती थी।

जब भी जीजा आता और मुझे चोदता तो मेरी गाण्ड की इतनी तारीफ करता की पूछो मत। हर बार वो मुझे लण्ड गाण्ड में डलवाने के लिए मनाता पर मूसल जैसे लण्ड को देख कर मेरी हवा सरक जाती और मैं किसी न किसी बहाने जीजा को टाल देती।

एक दो बार जीजा ने अपनी उंगली घुसाई भी मेरी गाण्ड में जिससे मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं डर गई कि जब पतली सी उंगली से ही इतना दर्द होता है तो जब मोटा मूसल जैसा लण्ड इसमें जाएगा तो मेरी तो जान ही निकल जायेगी।

कुछ महीने बीते और तभी जीजा की बहन यानि मेरी चचेरी बहन सुमन की ननद की शादी तय हो गई। जीजा ने हमें भी न्यौता दिया था। जीजा जब शादी का कार्ड देने आया था तो मुझे कह गया था कि शादी में जब आओ तो अपनी गाण्ड पर अच्छे से तेल लगा कर आना।

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मैंने सोचा कि जीजा मजाक कर रहा है और मैंने वो बात हँस कर टाल दी।

आखिर शादी में जाने का दिन भी आ गया। मैं अपने पतिदेव के साथ बन-ठन कर जीजा के घर के लिए रवाना हो गई। जब मैं तैयार हो रही थी तो मुझे एकदम से जीजा की बात याद आई तो मेरी गाण्ड में गुदगुदी होने लगी। अनजाने में ही मेरा हाथ पहले चूत पर और फिर गाण्ड पर चला गया, मैं मन ही मन हँस पड़ी, मैंने कुछ सोचा और फिर एक उंगली भर कर गाण्ड पर तेल लगा लिया।

रास्ते भर मैं इसी बात को सोच सोच कर मंद-मंद मुस्कुराती रही। पतिदेव ने एक दो बार पूछा भी पर मैंने बातों बातों में टाल दिया।

सफर जैसे जैसे खत्म हो रहा था मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी। और फिर हम जीजा के घर पर पहुँच ही गए। जीजा भी जैसे मेरे ही इन्तजार में दरवाजे पर खड़ा था। मुझे देखते ही उसने आँख दबा कर मेरा स्वागत किया तो मैंने भी जवाब में आँख दबा दी। घर पहुँच कर सबसे मिलना जुलना हुआ और जीजा ने मेरे पति को अपने किसी दोस्त के साथ पास के शहर में कुछ सामन लाने भेज दिया।

कुछ ही देर बाद जीजा आये और मुझे बुला कर अपने साथ चलने को कहा।

“जीजा…सब लोग क्या सोचेंगे… अच्छा नहीं लगेगा ऐसे जाना !”

पर जीजा मुझे घर के पीछे वाले दरवाजे पर आने का बोल कर चले गए। मैं कुछ देर तो सोचती रही पर फिर अपने आप को जाने से नहीं रोक पाई। दरवाजे से निकली तो पीछे एक गाड़ी खड़ी थी। जीजा उसमे पहले से ही बैठा था। मैं भी जाकर बैठ गई तो जीजा ने गाड़ी एक सड़क पर दौड़ा दी।

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इस बीच मैंने जीजा से दो-तीन बार पूछा- कहाँ ले जा रहे हो?

पर जीजा ने कोई जवाब नहीं दिया और बस बोले- तुम्हें जन्नत की सैर करवाने ले जा रहा हूँ।

कुछ देर के सफर के बाद जीजा ने खेतों में बने एक मकान की तरफ गाड़ी घुमा दी। मकान के गेट पर ताला लगा था। जीजा ने ही ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए।

अंदर जाते ही जीजा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं तो खुद जीजा की दीवानी थी तो भला मैं अपने आप को कैसे रोक सकती थी तो मैंने भी जीजा का साथ देने लगी। जीजा दीवानों की तरह मुझे चूम रहा था। उसके हाथ मेरी चूचियों को टटोल रहे थे।

कुछ देर बाद जीजा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और अंदर एक कमरे में ले गए जहाँ एक डबलबेड था। जीजा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगे।

मैंने पूछा तो जीजा ने बताया कि यह उनके एक दोस्त का मकान है और वो दोस्त मेरे पति को लेकर शहर गया है ताकि मैं तुम संग मज़ा कर सकूँ।

मेरी हँसी छूट गई जीजा की मेरे प्रति दीवानगी देख कर।

खुद के कपड़े उतारने के बाद जीजा मेरे पास आया और मेरे कपड़े मेरे शरीर से अलग करने लगा। देखते ही देखते जीजा ने मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं छोड़ा और मुझे बिल्कुल नंगी करके ही दम लिया।

जीजा ने अभी भी अंडरवियर पहना हुआ था जिसमें जीजा का लण्ड एक गाँठ की तरह लग रहा था। मैंने भी देर नहीं की और लण्ड महाराज को अंडरवियर की कैद से आजाद करवाया। बाहर निकलते ही लण्ड अपने पूरे शबाब के साथ तन कर खड़ा हो गया। मैं तो दीवानी थी इस लण्ड की। नौ इंच लम्बा और तीन इंच से ज्यादा मोटा लण्ड देख कर तो किसी भी औरत की चूत पानी पानी हो जाए तड़प उठे उसे अपने अंदर लेने को।

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जीजा ने लण्ड मेरे मुँह की तरफ किया तो मैंने धीरे धीरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और सुपारे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर कुछ देर तक लण्ड को चूसा और जीजा को मस्त कर दिया। जीजा ने मुझे सीधा लेटाया और लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। जीजा का लण्ड अंदर घुसते ही मेरी आह्ह निकल गई।

जीजा जबरदस्त चुदाई करने लगा। चुदाई करते करते उसने एक उंगली मेरी गाण्ड पर लगाईं तो उसे चिकनाई का एहसास हुआ।

जीजा हँस पड़ा और बोला- साली साहिबा अपने जीजा का कितना ख्याल रखती हैं… गाण्ड पर तेल लगा कर आई हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

मेरी भी हँसी छूट गई। जीजा ने स्पीड बढ़ा कर चुदाई करनी शुरू की तो आठ दस धक्कों के बाद ही मेरी चूत से झरना बह निकला। मैं झड़ गई थी।

अगले भाग में कहानी समाप्त-