जंगल में चोदी सुप्रिया की चूत
Jungle me chodi supriya ki chut
मेरा नाम ओम गुप्ता है।
मेरी उम्र 28 साल है, मैं 6 फीट 3 इंच का हूँ और मेरा रंग गोरा-चिकना एवं शरीर तगड़ा है।
मै एक निजी कम्पनी में जुनियर इंजिनियर के रुप में कार्यरत हूँ।
मैं आज अपनी पहली सेक्स कहानी आपके साथ बटाना चाहता हूँ।
बात उस समय की है जब मैं 12वीं कक्षा मैं था।
नवम्बर का महीना था, हम सब अपनी-अपनी जगह पर बैठकर भूगोल प्रैक्टिकल की तैयारी में लीन थे कि अचानक हमारे भूगोल वाली शिक्षिका आयीं।
उनके साथ बाहर से आये कुछ शिक्षक भी थे।
उन्होंने कहा कि तुम लोगों को भूगोल प्रैक्टिकल के लिए बाहर जाना पड़ेगा।
अगले दिन स्कूल मैदान पर बस खड़ी हुई थी।
हमनें अपने कपड़े व सामान बस में रखा।
भूगोल प्रैक्टिकल के लिए टूर 5 दिनों का था।
हम सब रास्ते का सफर तय करने के लिए अंताक्षरी खेलने लगे क्यूंकी हमें 540 किमी का सफर तय करना था।
18 घंटे का लंबा समय लगा तब जाकर हम अपने सर्वेक्षण की जगह जो कि घने जंगल में था वहां पहुँचे।
हमारी कक्षा में 51 लोगों ने सर्वे में भाग लिया।
सर्वे के लिए 3-3 लोगों की टोली बनाई गयी जिसमें 2 लड़के व 1 लड़की को रखा गया।
मेरी टोली में मैं, रमेश व सुप्रिया थे।
आज पहली बार सुप्रिया इतनी खुबसुरत लग रही थी।
उसके उभार बड़े सख्त लग रहे थे, मैं तो बस सुप्रिया को देखता ही रह गया।
रमेश ने कहा – यार, देखते ही रहोगे क्या? कुछ बोलेगे या नहीं, नहीं तो गाड़ी छुट जाएगी।
मैंने कुछ नहीं कहा।
मैं बस एक मौके की तलाश में था।
इतने में टिचर ने मुझे और सुप्रिया को बुलाया और कहा कि तुम दोनों को यह कागज आफिस में छोड़ना है, तुम्हारे पास सिर्फ 7 घंटे का समय है।
अभी शाम के 5 बज रहे थे।
हमने एक बाईक ली और चल दिये।
आफिस 75 किमी की दूरी पर था।
वो मुझे सर्वे के बारे में पूछ रही थी, पर मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था कि इसे चोदने का मौका मिले।
आखिर भगवान ने मेरी सुन ली। जंगल का रास्ता 5-6 किमी बचा था कि गाड़ी पंचर हो गयी।
शुक्र है कि वहां पर गैरेज थी।
हमारे पास पैसे भी नहीं थे।
हमने गैरेज मालिक के पास से ही कैम्प में फोन लगाया और सारा किस्सा सुनाया।
अब रात भी होने को थी।
गैरेज मालिक ने कहा – पंचर अभी नहीं बन पाएगा, रातभर तुम यहां रुक जाओ, सुबह होते ही गाड़ी बना दूँगा और पैसे मैं तुम्हारे कैम्प से ले लूँगा।
उसने हमारे लिए एक गेस्ट हाउस की व्यवस्था कर दी।
रात के 8 बजने वाले थे।
मैं डीनर की व्यवस्था करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
उफ़! नीले सूट पर उसकी लटकती लट क्या खूब लग रही थी।
उसने कहा – मैं फ्रेश होना चाहती हूँ और वो बाथरूम की ओर चली गयी।
फिर क्या था? मौका देखकर मैं भी उसके पीछे हो लिया क्योंकि उसे मुझे चोदना जो था।
लेकिन कोई मौका नहीं बन पाया।
अब रात को दोनों सोने के लिए गये।
उसने कहा – मुझे कुछ देर अकेला छोड़ दो, फिर मैं सोने चला गया।
रात के 1:30 बजे जब मेरी नींद खुली तो मेंने देखा सुप्रिया बेसुध होकर सोई है।
उसके बूब्स बाहर आने के लिए बेकरार हो रहे थे।
मैं अपने आप को रोक नहीं सका और हल्के से उसके होंठ पर चूम लिया।
उसको देखकर मेरा लौड़ा फूल रहा था। अब मैं धीरे-धीरे उसे चूमने लगा।
धीरे से मैंने उसके बूब्स पर हाथ फेरा। वो कसमसा सी गयी।
फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो करवट बदलने लगी।
मैं कुछ देर चुप रहा फिर सोचा अगर सुप्रिया को पता चला तो वो मेरे बारे में गलत सोचेगी।
लेकिन मैंने थोड़ी हिम्मत करके अपने आप से कहा – जो होगा देखा जाएगा।
अब क्या था जो हाथ उसकी चूत को ऊपर से छू रहे थे वो मैंने चूत में डाल दिए और सहलाने लगा।
कुछ देर बाद मुझे महसुस होने लगा कि उसकी चूत गीली हो रही है।
मैं समझ गया कि वो सोने का नाटक कर रही है।
मैंने कहा – अब नाटक क्यों कर रही हो?
उसने कहा – मैं देखना चाहती थी कि तुम मेरे साथ क्या करना चाहते हो?
मैंने कहा – तुम्हे क्या लगता है?
उसने कहा – लगता है तुम्हारे साथ चुदाई करने में बहुत मजा आने वाला है।
फिर क्या था? मुझे तो लाईसेंस मिल ही गया था।
उसने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नंगी हो गयी।
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं थे।
मैंने भी अपने कपड़े उतार डाले। मैं अब सिर्फ़ चड्डी में था और उसे बेइन्तेह चूम रहा था।
जब उसकी चूत का स्वाद लेने लगा तो वो कसमसा उठी और बोली – और जोर से चाटो।
वो बौखला रही थी।
मैंने भी देर ना करते हुए अपने लंड को उसके मुँह में डाला दिया।
वो तो बड़ी जोर से उसे खींचकर चाटने लगी।
कुछ देर बाद उसने कहा – अब सहन नहीं हो पा रहा है, चोदो ना।
जब मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में डाला तो वो पागल सी होने लगी।
मुझे लगा कि वो कुँवारी थी इसलिए उसकी चूत बड़ी टाईट थी।
एक-दो झटके के बाद लंड चूत में पूरी तरह उतर गया।
वो चीख उठी बोली – दर्द हो रहा है।
मैंने कहा – थोडी देर के बाद दर्द गायब हो जाएगा।
मैं लौड़ा को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगा तो वो बोली – थोड़ा जोर से करो। मैं जोर से उसे चोदने लगा।
उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी।
लगभग 15-20 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा – मैं झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा – अंदर ही डाल दो।
मैंने बिना सोचे – अंदर ही पानी डाल दिया।
सुबह तक हम नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे।
सुबह मैंने सुप्रिया से पूछा – रात को कैसा लगा?
वो मेरा लौड़ा पकड़कर चूमके बोली – थैक्यू।
उसने कहा – चुदाई कैसी होती है यह सिर्फ मैंने देखा, सुना था। आज देख भी लिया।
मैंने कहा – कैसे?
उसने कहा मेरी दीदी जो 5 साल बड़ी है, वो डाक्टर है हम दोनों बहने बहन कम दोस्त ज्यादा हैं।
एक-दूसरे की चूत के बाल भी साफ किया करते है और वो हमेशा चुदाई के बारे में बात करती रहती हैं।
उन्होंने अपने बाय्फ्रेंड से पहली चुदाई मेरे कमरे में मेरे ही सामने की थी।
मैंने कहा – लगता है तुम्हारी दीदी को भी चोदना पड़ेगा।
उसने कहा – बिल्कुल बहुत जल्द तुम से उसकी चुदाई करवा दूँगी मगर एक शर्त है।
मैंने कहा – क्या?
उसने कहा – उसे चोदने के बाद मुझे भूल नहीं जाना।
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी?
अपनी अमूल्य राय से मुझे जरूर अवगत कराये।