हिंदी सेक्स स्टोरी

कड़ाके की सर्दी में मौसी और मामीजी को सरसो के खेत में पेला–3

Kadake ki shardi me mausi aur mamiji ko sarso ke khet me pela-3

मौसी– आईईईई ,बहुत बड़ा है यार।
मैं– हां मौसी।
अब मैंने मौसी को अच्छी तरह से फोल्ड कर दिया और मै मौसी को बुरी तरह से बजाने लगा। कड़ाके की सर्दी में मै मौसी की सरसो के खेत में जबरदस्त ठुकाई कर रहा था।मेरा लन्ड बुरी तरह से मौसी की चूत में खलबली मचा रहा था।
मौसी– आईईईई आईईईई आईईईई आह आह ओह ऊंह।
मैं बड़ी शिद्दत से मौसी को चोदता जा रहा था।मौसी आज लपक लपककर मेरा लन्ड लेे रही थी।
मौसी– ऊंह आह अहा ओह आह आईईईई आईईईई बहुत मज़ा आ रहा है।आह आह और चोद मुझे रोहित।आह आह ओह बहुत मस्त लंड है तेरा।
मैं– आज तो मौसी तेरी चूत को पूरी फाड़ दूंगा।

मौसी– आईईईई ओह आह आह आईईईई ओह फाड़ दे मेरे सैंया।
मैं– ओह फाड़ रहा हूं मेरी रण्डी।
मैं मौसी की बहुत ज्यादा जोश में आकर चुदाई कर रहा था।मुझे कड़क सर्दी में मौसी की चुदाई करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मौसी भी आज बहुत ज्यादा मूड में लग रही थी।
मौसी– ऊंह आह अहा ओह आईईईई आईईईई और ज़ोर ज़ोर से चोद रोहित।आह आह आह बुझा दे मेरी चूत की आग।
मैं– हां मेरी रण्डी।आज तो तेरी चूत को पानी पानी कर डालूंगा। चिंता मत कर तू।

मैं मौसी को गपागप चोदे जा रहा था।मेरा लन्ड मौसी की चूत को बहुत बुरी तरह से पेल रहा था। शायद नया नया लंड मिलने से मौसी की प्यास बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी।मौसी को चुदाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मौसी– ऊंह आऊ ओह आईईईई आईईईई बहुत मज़ा आ रहा है चुदाने में।बस ऐसे ही चोदता रहे मेरे सैय्या।
मैं– हां मेरी रण्डी,आज तो तेरी चूत की पूरी गर्मी शांत कर दूंगा।
अजब गजब नज़ारा था यारो मैं ज़ोर ज़ोर से मौसी की ठुकाई कर रहा था।सरसो के खेत में फाच फस्क फस डाच की ज़ोर ज़ोर से आवाजे गूंज रही थी। आज मौसी को चोदने के इस कार्यक्रम के सरसो के पौधे और पक्षी गवाह बन रहे थे।हम दोनों जिस्मो की प्यास बुझाई में लगे हुए थे।
मैं फूल स्पीड में मौसी को बजा रहा था। भयंकर सर्दी में मौसी पसीने पसीने हो चुकी थी।

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मौसी– आईईईई आईईईई आईईईई ओह आह आह आह आह आईईईई ऊंह ओह गई में तो…….
तभी मौसी की चूत से गरमा गरम लावा फुट पड़ा।मेरा लन्ड मौसी के लावे में पूरा भीग चुका था। अब मेरे लन्ड के हर एक शॉट के साथ फच फैच फस की ज़ोर ज़ोर से आवाजे गूंजने लगी। मैं कसकर मौसी को चोद रहा था।मौसी का लावा नीचे बहने लगा था। भंवरे फूलों का रस पीने के बजाए मौसी की चुदाई देखने का आनंद ले रहे थे। अब मैं भी पूरा पसीने में भीग गया था। अब मैंने तुरंत मेरे जैकेट शर्ट और बनियान उतार फैंकी और पूरा नंगा हो गया।तभी मै मौसी के कपड़े खोलने लगा।
मौसी– मत खोल यार बहुत ठंड लगेगी।
मैं– नहीं लगेगी मौसी,बहुत गर्मी है तेरे अंदर।

तभी मैंने मौसी की स्वेटर और ब्लाउज खोल फेंका और नीचे से मौसी की साड़ी खोलकर उनका पेटीकोट भी तुरंत उतार कर सरसो में फेंक दिया। अब मैं और मौसी कड़ाके की सर्दी में सरसो के खेत में पूरे नंगे हो चुके थे।
अब मैंने मौसी की चमचमाती टांगो को फिर से फोल्ड कर दिया और लंड तुरंत मौसी की चूत में ठोक दिया। अब मै फिर से मौसी की ज़ोरदार चुदाई करने लगा।
मौसी– आह अहा आह आईईईई आईईईई आई ओह उंह। और चोद मेरे राजा आह आह।
मैं– चोद रहा हूं मेरी रण्डी।

मैं झमाझम मौसी की चूत में लंड की बारिश कर रहा था।मौसी की गरमा गर्म सांसे मुझे महसूस हो रही थी। अब धीरे धीरे ठंड के मारे मौसी की गांड फटने लगी।मौसी की गांड़ और पीठ के नीचे सरसो के भीगे हुए पौधे और ठंडी ठंडी मिट्ठी थी जिससे मौसी को बहुत ज्यादा ठंड लगने लगी। मैं मौसी को खचाखच चोदे जा रहा था।
मौसी– आह ऊंह आह अहा ओह बहुत अच्छा लग रहा है।आह आह और चोद मुझे।और चोद,आह आह।
मैं– आज तो चोद चोद के तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा साली रण्डी।
मौसी– तो बना दे ना साले कुत्ते।

अब मैं मौसी को और जोश में आकर चोदने लगा।मेरा लन्ड मौसी की चूत की बखिया उधेड़ रहा था।तभी मौसी फिर से कांप उठी और उनकी चूत पानी पानी हो गई।फिर मैंने बहुत देर तक मौसी को इसी तरह से बजाया। अब मैंने मौसी से घोड़ी बनने के लिए कहा तो मौसी तुरंत घोड़ी बन गई।मौसी की छरहरी पीठ पर सरसो के पत्ते चिपके हुए थे। इधर खेत की मिट्टी ने भी मौसी की पीठ पर अपनी छाप छोड़ दी थी।
अब मैंने फिर से मौसी की चूत में लंड टिका दिया और मौसी की कमर पकड़कर उन्हें फिर से बजाने लगा। मौसी घोड़ी बनकर अच्छी तरह से चुदाने लगी।आज तो मौसी को चुदाने का बहुत ज्यादा जोश चढ़ा हुआ था।
मौसी– ऊंह आह आह आह ओह बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा।
मैं– ओह मेरी रानी, बहुत मज़ेदार है तेरी चूत। खूब मज़ा दे रही है।
मौसी– हाय,क्या लंड है तेरा।आह और चोद मुझे।आह आह आहआह आईईईई।

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मैं– हां साली रण्डी आज तो चोद चोद के तेरी चटनी बना दूंगा।
मौसी– आईईईई आईईईई ओह आह अहा तो बना दे भैन् के लौड़े।
मैं मौसी को गांड़ हिला हिलाकर अच्छी तरह से पेल रहा था।मेरा लन्ड खचाख्च मौसी की चूत में जा रहा था।कड़ाके की सर्दी में हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे।फिर मैंने मौसी को बहुत देर तक इसी तरह से चोदा।
अब मैंने मौसी को ऐसे के ऐसे सरसो के पत्तो पर गिर दिया। अब मै मौसी के सेक्सी जिस्म पर चढ गया और मौसी के बालो को हटाकर उनकी गर्दन और कानो पर किस करने लगा।मौसी सरसो के खेत में कसमसाने लगी।
मौसी– ऊंह आऊ अहा ओह ऊंह ओह।

मैं कड़क सर्दी में मौसी को जिस्म की गर्मी दे रहा था।इधर मेरा लन्ड मौसी की मस्त चूतड़ों को रगड़ रहा था। अब मै मौसी के कंधो और बाजुओं को चूमने लगा।मुझे मौसी के जिस्म पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मौसी गरमा गरम सांसे ले रही थी।
मौसी– ऊंह अहा आह ऊंह आह अहा।
मेरे पूरे बदन का वजन मौसी के कामुक जिस्म पर था। मौसी को नीचे से खेत की मिट्टी चुभ रही थी और ऊपर से मै मौसी के ऊपर चढ़ा हुआ था फिर भी मौसी सबकुछ झेल रही थी। आखिरकार चुदाई का मज़ा होता ही ऐसा है।
मौसी के घने बालों में सरसो के फुल उलझ चुके थे। अब मै मौसी की छरहरी पीठ पर किस करने लगा।मौसी की पीठ पर मिट्टी और सरसो के पत्तो की खुशबू आ रही थी। मैं मस्त होकर मौसी की छरहरी पीठ का मज़ा ले रहा था।आज मै इस शानदार माल की अच्छी तरह से ठुकाई करना चाहता था।

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अब मै मौसी की पीठ को चूमकर मौसी की गांड पर आ गया।मौसी की गांड़ भी सरसो के पत्तो की रगड़ से हरी भरी हो चुकी थी। अब मै मौसी की गांड़ पर टूट पड़ा और दे दना दन किस करने लगा।मौसी सिहरते हुए इधर उधर हिलने लगी लेकिन मैंने मौसी को बुरी तरह से दबोच लिया और मौसी की गांड़ अच्छी तरह से किस करने लगा।
मुझे मौसी की गांड पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।फिर मैंने थोड़ी देर मौसी की गांड़ पर चुम्बनो की बारिश कर दी। मैं बीच बीच में मौसी के चूतड़ों को काटने भी लगा।मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने मौसी को थोड़ा सा उठाया और उन्हें फिर से घोड़ी बनने का इशारा किया। अब मौसी फिर से घोड़ी बन गई। अब मौसी मेरा इशारा समझ गई।

मौसी– आज फिर से मारेगा तू मेरी।
मैं– अब मारना क्या है मौसी,मज़ा तो लेना ही पड़ेगा ना।
मौसी– हां कुत्ते, इतनी सर्दी में मज़े लेने के लिए ही तो यहां लाया है मुझे।
मैं– हां मेरी रण्डी।
अब मैंने मौसी की गांड़ के सुराख में मेरा लन्ड टिकाया और ज़ोरदार धक्का लगा कर मौसी की गांड़ में लंड ठोक दिया।  कहानी जारी रहेगी…………….
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