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कामिनी की कमसिन चूत 2

Kamini ki kamsin chut-2

थोड़ी ही देर में मैंने उसकी शर्ट का बटन खोल दिया।

कामिनी शरमा तो रही थी लेकिन अवरोध भी नहीं कर रही थी।

अब मैंने उसकी शर्ट निकाल दी।

कुछ ही देर में कामिनी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

उफ़!! काली ब्रा में बहुत ही अच्छी लग रही थी वो।

मैंने उसकी कमर के उपरी भागों पर अपना हाथ चलाया और नाभि में उंगली डाल कर नाभि को चूसने लगा।

उसकी सिसकारियों से पता चल रहा था कि उसको खूब मजा आ रहा था।

मैंने देखा कि कामिनी अब अपने आप अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ सहला रही थी। शायद उसकी चूचियाँ मसलवाने के लिए मचल रही थीं और तंग ब्रा के भीतर कुनमुना रही थीं।

मैंने कामिनी की ब्रा का हुक खोलकर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया। उसकी नंगी चूचियाँ अब मेरे सामने थीं।

गोल-गोल और मेरी कल्पना से बहुत ज़्यादा अच्छी। ज़रा सोचिए गौर वर्ण और गुलाबी निप्पल। अभी तक उसकी चूचियाँ एकदम कसी हुई और सुडोल थीं।

मुझे बाद में पता चला कि उसका पति चूची ढीली होने के डर से ज्यादा मसलता और चूसता नहीं था।

ना जाने कितनी देर मैं उसकी चूचियों को निहारता रहा।

कामिनी को ब्रा उतरवाते समय बहुत शरम आ रही थी इसलिए उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।

जब उसे लगा कि मैं कुछ कर नहीं रहा हूँ तो उसने धीरे से आँखें खोलीं और मुझे अपनी चूचियाँ निहारते देख कर शरमा गयी।

उसने कहा – इसे क्यों घूर रहे हो? और अपनी चूचियाँ छुपाने के लिए मुझे पकडकर अपनी बाहों में भींच लिया।

उसकी दोनों नरम-नरम चूचियाँ मेरी छाती में दब गयी थीं।

मैंने उसे थोडा सा अलग किया और दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ जोर से मसलते हुए कहा – ये तो देखने और मसलने के लिए ही हैं मेरी रानी और उसकी चूचियाँ जोर-जोर से मसलने लगा।

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अब उसकी काम वासना बढने लगी थी उसके दोनों निप्पल बेहद कड़क होकर खड़े हो गये थे।

मैंने दोनों निप्पल को चुटकी से मसलना शुरु किया।

कामिनी सिसकारियाँ ले रही थी और मैं बस चूची और निप्पल बेतहाशा मसले जा रहा था।

कुछ देर बाद मैंने एक हाथ से उसकी चूचियाँ मसलते हुए दूसरे हाथ से उसकी जीन्स का बटन खोलकर उसे नीचे सरका दिया।

क्या बताऊँ मैं तो उसकी गांड ओर चूचियों का दिवाना था। किस्मत से इस वक़्त मेरे पास दोनों थे। मैं उसकी चूची और गांड दबाने लगा। अब कामिनी मदहोश होने लगी थी।

अचानक मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा खडा लंड सहला रहे थे।

अब मैंने अपना पैंट और शर्ट निकाल दिया। मैं अब सिर्फ अंडरवियर पहना था और कामिनी सिर्फ पैंटी।

मैं उसकी चूचियाँ मसलते हुए उसके होंठ चूसने लगा।

पता नही कब कामिनी ने मेरे अंडरवियर में हाथ घुसाकर मेरा लौडा पकड़कर दबाना शुरु कर दिया था।

मैं तो कामिनी की चूची का दिवाना था। उसकी दाईं चूची मसलता रहा और बाईं चूची को चूसने लगा।

मुझे चूची चूसने में मजा आ रहा था और उसे मेरा लौडा दबाने में। फिर मैं उसकी बाईं चूची मसलने लगा और दाईं चूची को चूसने लगा।

कामिनी की मदहोशी बढ़ती जा रही थी अब वो मेरे लंड को और जोर से दबाने लगी। उसकी चूत में तो जैसे आग लग गई थी।

वो खुद ही अपने एक हाथ से अपनी चूत दबाने लगी और दूसरे हाथ से मेरा लंड।

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मैं समझ गया कि अब कामिनी की चूत लौडा लेने के लिए बेकाबू हो गयी है। पर क्या करूँ? मुझ उसे तरसाने में मजा आ रहा था।

मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेरते हुए दोनों जाँघों के बीच में हाथ डाल दिया।

खुद की चूत दबाने से उसकी पैंटी भीग गई थी।

मैंने उसकी पैंटी निकाल फेंकी और चूत में उंगली डालकर चलाने लगा। कामिनी अब तक पूरी तरह मदहोश हो गई थी।

उसने बोला – अब नहीं रहा जा रहा है भैया।

मैंने उसके कान में धीरे से कहा – भैया, मत बोल रानी, सैंया बोल।

उसने फ़ौरन कहा – अब नहीं रहा जा रहा है मेरे सैंया। जो करना है जल्दी करो मेरे राजा, अब चोद भी दो।

अब देर करना कामिनी की जलती चूत के साथ नाइंसाफी थी।

मैंने बिना देर किए कामिनी की गांड सोफे की बांह पर टिका कर उसे सोफे पर लिटा दिया और उसकी पैंटी निकाल फेंकी।

जब देखा तो उसकी बूर के पानी से झांट के बाल तक भीगे हुए थे। उसकी चूत उसी के रस से सनी हुई थी।

इतनी गीली चूत में लंड बिल्कुल आसानी से चला जाता और चुदाई का मजा न मुझे आता ना कामिनी को।

तो मैंने उसकी पैंटी से ही उसकी चूत भीतर तक पोंछ कर साफ कर दी उसके बाद मैं अपना अंडरवियर निकाल फेका और अपना औजार उसकी चूत पर रखा।

अब मैने कामिनी की दोनों टाँगों को ऊपर किया और उसकी तरफ मोडते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा।

जैसे-जैसे मेरा लंड भीतर जा रहा था वैसे-वैसे कामिनी की कराह बढने लगी और आह आह करते-करते उईईई मां करने लगी।

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उसका दर्द देखकर मुझे और मजा आ रहा था। मैंने जोर-जोर से धक्का देना शुरु किया। कामिनी अब दर्द से चीख रही थी।

कुछ ही देर करने के बाद कामिनी भी अभ्यस्त हो गई और उसे मजा आने लगा।

अब वह अपनी गांड उचका-उचका कर प्रतिक्रिया देने लगी। मैं ऊपर से धक्का देता और वह नीचे से।

मेरा लंड अंदर-बाहर हो कर उसकी बच्चेदानी को ठोंक रहा था।

कामिनी बहुत दिन बाद लंड ले रही थी और बहुत जोश में थी इसलिए करीब पांच मिनिट में झड़ गई।

मेरा लंड अपना काम कर ही रहा था। वो करह रही थी आह.. आह.. आह.. चोद.. और ज़ोर से चोद ना.. फाड़ डाल..

कुछ देर से बाद कामिनी निढाल हो गयी तो मैंने उसकी चूत में लंड की रफ्तार बढा दी और अपना सारा वीर्य उसकी बूर के अंदर डाल दिया।

कामिनी की चूत लबालब भर गई।

मैंने अपना लंड निकालकर कामिनी को चूमा और उठाया।

थोड़ी देर सोफे पर बैठकर हमने एक-दूसरे को प्यार किया।

मैंने उसके कान में कहा कि अभी मन नहीं भरा है। इस पर कामिनी बोली – आपका लंड और चोदने का तरीका इतना अच्छा है कि मन तो भर ही नहीं सकता। लेकिन अब देर हो जाएगी।

फिर कामिनी ने मेरे अंडरवियर से अपनी चूत साफ की और कपड़े पहनने लगी।

फिर हम दोनों कपड़े पहनकर निकल गये।

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