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लड़के ने बस में मेरी चूत गीली की और घर आके चोदा-1

Ladke Ne Bus Mein Meri Chut Gili Ki Aur Ghar Aake Choda 1

मेरा नाम सुनीता है, मै ३० वर्ष कि साधारण सी दिखने वाली एक घरेलु महिला हूँ. घर में मेरे पति है जो बहुत सौम्य है और मुझे प्रेम करते है और साथ में हमारी एक १३ साल कि एक बेटी है. हम लोग मुम्बई के मलाड इलाके में में रहते है. मेरे पति जिनका नाम संजीव है करीब ३६ साल के है और एक बैंक में मैनेजर पद पर कम करते है.संजीव स्वभाव से बिलकुल भी दकयानूसी नहीं है, अन्य मधामवर्गीय मर्दो कि तरह उन्हें मेरे पुरुष मित्रो और कॉलेज के ज़माने के दोस्तों से बात करने पर कोई इतराज़ नहीं है. Ladke Ne Bus Mein Meri Chut Gili Ki Aur Ghar Aake Choda 1.

मै रोज अपनी बेटी को ऑटो रिक्शा से स्कूल छोड़ती हूँ , फिर सब्जी और बाज़ार का काम करते हुए दुपहर तक घर वापस आ जाती हूँ. एक दिन मैंने अपनी बिटिया को स्कूल छोड़ा और लौटने में मुझे ऑटो रिक्शा नहीं मिला और जो मिल भी रहे थे वो बड़े अनाप शनाप किराया बता रहे थे. २० मिनट इंतज़ार के बाद भी जब मुझे कोई कायदे का रिक्शे वाला नहीं मिला तब मैंने बस पकड़ने कि सोची जिसका स्टोपेज मेरे घर के पास ही था. थोड़ी देर में बस आ गयी और जब बस देखि तो भीड़ देख कर एक बार मैंने न चढ़ने का फैसला किया लेकिन कोई और चारा न देख कर मै उस पर चढ़ गयी. मुझे बस पर चलने कि कोई आदत नहीं थी और अस्त में दोनों हाथ में घर का सामान था, मै घुस तो गयी लेकिन अब कोई और चारा भी नहीं था. मै सामान को दोनों हाथो में साधे हुए उस भरी बस में किसी तरह बीच में खड़ी रही. मेरे सामने एक बुजर्ग आदमी खड़े थे और मेरे पीछे एक कॉलेज जाने वाला लड़का खड़ा था. उस हिचकोले खाती बस में मै उन दोनों के बीच फसी थी और किसी तरह मै अपने को सम्भाले हुई थी.

थोड़ी देर बस चलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे पिछवाड़े पर कुछ लग रहा है, मैंने पीछे मुड़कर देखा और खड़े हुए लड़के को भौ चढ़ा कर देखा. उस लड़के ने कंधे उचका दिए जैसे बता रहा हो कि जान भुझ कर उससे नहीं हुआ है. बस कि भीड़ देखते हुए , मुझे भी यही लगा कि उसने जान भुझ कर नहीं किया होगा, आखिर मै एक ४० साल कि औरत थी और कोई १९/२० साल का मेरे लड़के ऐसा, लड़का तो इतनी उम्रदराज के साथ नहीं करेगा. थोड़ी देर बाद मुझे फिर लगा कि मेरे चुतर में कुछ रगड़ रहा है. और एक झटका सा लगा जब यह समझ में आया कि वो दबाव उस लड़के का लंड से हो रहा था जो कड़ा होगया था. उसके रगड़ने से जहाँ मुझे एक दम से गुस्सा आया वाही एक अजीब सी अनुभूति भी हुई , उसके लंड का मेरे चुतर में दबना कही न कही मुझे एक मीठा सा सुख भी दे रहा था. मै बस कि भीड़ में एक तरह से फंसी हुयी थी और हलात को देखते हुए मैंने कोई भी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी.                                “Bus Mein Meri Chut Gili Ki”

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मेरे चुप रहने से उस लड़के कि हिम्मत थोड़ी खुल गयी थी. बस के हिचकोले लेने पर वह और मेरे पीछे आकर सट गया, उसका कड़ा लंड अब मेरे चूतरो में पहले से ज्यादा करीब से रगड़ खाने लगा था. उसका लंड जब मेरे चूतरो में जब पूरी तरह रगड़ा तो मेरे शारीर में एक सनसनी से दौड़ गयी और मेरी साँसे भरी चलने लगी. मै खुद पर विश्वास नहीं पर पा रही थी कि उस लड़के का अपना लंड मेरे चूतरो में रगड़ना मुझे अंदर से सुख दे रहा है. उस अनजाने सुख कि तलब इस तरह मेरे अंदर घर कर गयी थी कि मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि मै उसके लंड को और अपने पीछे महसूस करने के लिए मैंने अपने शारीर को और पीछे की तरफ धकेल दिया था. उस लड़के ने इस बात का एहसास कर लिया था कि मुझे उसके लंड का स्पर्श अच्छा लग रहा है और उसने अपना लंड और कस के मेरे चूतरो पर रगड़ने लगा, यहाँ तक कि मेरे दोनों चूतरो के फांक के बीच भी उसमे धसने लगा था. मेरी साँसे बहुत भारी चलने लगी थी, मेरी आँखे भी अधमुँदी हो गयी थी और मै पुरे एहसास का मौन लुत्फ़ लेने लगी. मैंने अपनी कमर को थोडा इस तरह से कर लिया कि उसका लंड मेरे चूतरो के बीच कि दरार को भी महसूस कर सके. मेरे इस तरह से अपने शरीर को करने से उस लड़के ने मेरा स्वागत ही समझा और उसने पहली बार मेरे चूतरो को छुआ. अपने हाथो से मेरे चुतर सहलाते हुए उसने उन पर चुटकी काट ली. उसकी इस हरकत से मेरे पैर एक दम से कमजोर हो गये और मेरी चूत गीली हो गयी.                                                                     “Bus Mein Meri Chut Gili Ki”

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बस स्टॉप जैसे ही मैनेजमेंट कॉलेज के पास आकर रुकने लगी उस लड़के ने अपने आप को मेरे पीछे से अलग कर लिया और जब मेरे बगल से आगे कि तरफ जाने लगा तब उसने एक शरारती मुस्कान देते हुए मेरी तरफ कनखियों से देखा, लेकिन मैंने अपनी जल्दी से आँखे घुमा ली. वोह लड़का वही उतर गया और मै अपनी साँसों को सँभालते हुए अपने स्टॉप का इंतज़ार करने लगी जो की थोड़े ही आगे था. मेरे स्टॉप आने पर मै तेजी से बस से उतर गयी और तेज कदमो से अपने घर कि ओर भागी.

मै जैसे तैसे घर पहुची और दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गई, मैंने सिक्यूरिटी को फ़ोन कर के कहा कि मेरी नौकरानी को थोडा देर से आने का सन्देश दे दे. उसके बाद मै सारा सामान ड्रॉइंग रूम में छोड़ कर अपने बेडरूम में चली गयी और अपने को अपनी ड्रेसिंग टेबल में लगे शीशे में निहारने लगी. मैंने बहुत दिनों के बाद अपने आप को इस तरह निहारा था और महसूस किया कि ४० साल कि उम्र के बाद भी मेरा शारीर ख़राब नहीं हुआ था, थोडा सा वजन जरुर बढ़ा हुआ था लेकिन मै अपने आपको एक आकर्षक महिला के रूप में देख रही थी. मै आज बस में हुई घटना, उस लड़के कि हरकत को याद करने लगी और एक यह सोच के गर्म होने लगी कि मुझसे आधे उम्र का लड़का मेरी ऐसी अधेड़ औरत पर आकर्षित हो गया था.                                                        “Bus Mein Meri Chut Gili Ki”

मैंने अपने सरे कपडे वही खड़े खड़े शीशे के सामने उतार दिए और अपने चूतरो के उन हिस्सो को छूने लगी जहाँ उस बांके छोरे के लंड ने उसको सहलाया था. दूसरे हाथ से मै अपनी चूचियों को पकड़ के सहलाने लगी और मेरी उंगलियां उनकी घुंडियों से खेलने लगी जो मेरे हर सपर्श से और तनी और बड़ी होती जा रही थी. मै अपने ही सपर्श से बेहद उत्तेजित हो रही थी. मेरा दूसरा हाथ चूतरो से हट कर सामने चूत पर आगया, जो लड़के कि हरकत से पहले से ही गीली थी और उसको सहलाने लगी, मेरी ऊँगली क्लिट को आहिस्ता आहिस्ता रगड़ने लगी. मेरी आँखे अब बन्द होगयी और मै वासना कि उतेजना में हचकोले खाने लगी थी. उस लंड कि याद करते करते मेरे शरीर में एक झनझनाहट हुयी और मुझे ओर्गास्म हो गया. वह बड़ा तेज ओर्गास्म था मेरी चूत ने पानी बाहर फेक दिया था. मै एक दम से अपने को निढाल महसूस करते हुए वैसे ही अपने बिस्तर पर गिर गयी. मेरी साँसे अब भी भारी चल रही थी औरमै हैरान थी कि मुझे इतनी जल्दी ओर्गास्म हो गया, जब कि मुझे १५/२० मिनट लग जाते थे.                                                       “Bus Mein Meri Chut Gili Ki”

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मै उसी हालत में ही सो गयी लेकिन बस में हुयी घटना मेरे दिमाग से नहीं उतार पा रही थी. वास्तव में उस घटना ने मुझे हिला दिया था और मुझे वह सब अंदर से अच्छा लगा था. हर औरत मर्दो कि आँखों में आकर्षित लगना चाहती है और खास तौर पर जब वो अधेड़ उम्र कि हो जाती है. मै समझती हूँ उसके कई कारण होते है, एक तो ढलती उम्र उसको अपनी जवानी के ख़तम होने का एहसास देती है , दूसरा उस उम्र में पति अपने काम और करिएर में व्यस्त होता है कि वोह अपनी पत्नी पर ध्यान ही नहीं दे पाता है और इन सबका असर सेक्स पर पड़ता है.

मुझे उन दिनों कि अच्छी तरह याद है जब मेरी नयी शादी हुयी थी, मेरे पति मुझे हर रात चोदते थे, मुझे बिल्कुल अपनी रानी बनाकर रक्खा हुआ था. हर बात का ख्याल रखते थे. अब समय के साथ साथ हमारे अंदर कि काम इच्छा ख़तम होने लगी थी, और जो मेरे अंदर थी वो शायद उनकी नज़र से ओझल हो गयी थी और उन्होंने मेरे अंदर कि औरत को महसूस करना भी बंद कर दिया था.

कहानी आगे जारी रहेगी पूरी कहानी के लिए अगला भाग पढ़े……………………..