हिंदी सेक्स स्टोरी

लिंग की आत्मकथा-2

(Ling Ki Aatmkatha-2)

वैश्विक स्तर पर लिंग का औसत आकार

लिंग-अवस्था लम्बाई परिधि (घेरा)
शिथिल 9.0 – 9.0 cm
3.5 – 3.7 इंच
8.5 – 9.0 cm
3.3 – 3.5 इंच
उत्तेजित 12.8 – 14.0 cm
5.0 – 5.7 इंच
10 – 10.5 cm
3.9 – 4.1 इंच

मेरे दो पड़ोसी भी हैं जो मेरे साथ जुड़े हुए से हैं। पहले तो मुझे उनके अस्तित्व का पता नहीं था पर जैसे-जैसे शेखर बड़ा हुआ मेरा ध्यान इन पड़ोसियों पर पड़ा। इनका नाम तो अंडकोष है पर इन्हें प्यार से टट्टे या गोलियाँ बुलाते हैं। ये मेरी तरह आकर्षक तो नहीं हैं पर शेखर की मर्दानगी मुझसे ज्यादा इनके कारण हैं। शायद शेखर को इनके बारे में ज्यादा पता नहीं है … वह तो मुझे ही मर्दानगी का चिह्न मानता है। सिर्फ शेखर ही नहीं अन्य लोग भी यही समझते हैं.

पर मैं जानता हूँ अंडकोष बहुत ज़रूरी काम करते हैं। उनके अंदर करोड़ों शुक्राणु (sperm) पैदा होते हैं जिन्हें मैं सम्भोग के चरमोत्कर्ष के समय विस्फोट के साथ छोड़ देता हूँ। इन करोड़ों शुक्राणुओं में से कोई एक सफल शुक्राणु, स्त्री के अंडे को भेदता है जिससे एक नई ज़िंदगी की शुरुआत होती है। यह प्रकृति की सबसे अनूठी और अद्भुत क्रिया कही जा सकती है। इसमें मेरा काम केवल स्तंभित हो कर स्त्री की योनि में प्रवेश करना होता है जिससे वीर्य स्त्री की योनि के भीतर छूट सके। बाकी काम, जैसे शुक्राणु और वीर्य उत्पादन अंडकोष और प्रोस्टेट ग्रंथि करते हैं। अगर ये ठीक से काम ना करें तो शेखर कभी पिता नहीं बन सकता, बस मेरे कारण यौन-सुख अवश्य भोग सकता है और स्त्री को सुख दे सकता है।

Hindi Sex Story :  देसी पत्नी और मेरा दोस्त चुदाई-1

अंडकोष की थैली में विशेष मांसपेशियाँ होती हैं जो सिकुड़ कर उसे बदन के करीब ला सकती हैं या ढीली होकर बदन से दूर लटका सकती हैं। ये मांसपेशियाँ तीन मुख्य भूमिका निभाती हैं :

1. शुक्राणु एक निश्चित तापमान में ही रह सकते हैं जो कि शरीर के सामान्य तापमान से थोड़ा कम होता है। इसलिए ठन्डे मौसम में अंडकोष को गरमाहट देने के लिए बदन के करीब खींच लेती हैं और गर्मी में उन्हें कर ठंडक पहुंचाने के लिए दूर लटका देती हैं। ऐसा करने से शुक्राणु को जीवित रहने में मदद मिलती है।

2. जब चरमोत्कर्ष में वीर्योत्पात होता है तो वीर्य को वेग से बाहर भेजने के लिए ये सिकुड़ कर वीर्य का रास्ता कम कर देती हैं।

3. जब शेखर को भय, कौतूहल या दुविधा हो या वह किसी ऐसी क्रिया में लगा हो जिसमें अंडकोषों को चोट लगने का डर हो तो वे सिकुड़ कर अंडकोषों को शरीर के पास ले जाती हैं।

शुक्राणु के अलावा अंडकोष एक अत्यंत महत्वपूर्ण रसायन, टेस्टोटेरोन (testoterone) का संचार करते हैं जिससे शेखर की मर्दानगी पनपती है। जब शेखर अपनी माँ की कोख में था तभी से इस रसायन का उत्पादन शुरू हो गया था जिस कारण शेखर लड़की ना बनकर लड़का बना था। फिर शेखर के यौवन प्रवेश के समय इस रसायन के अतिरिक्त उत्पादन के कारण ही उसके बदन पर बाल, दाढ़ी-मूछें, आवाज़ में मर्दानगी और मेरे आकार में विकास जैसे मर्दाने बदलाव आये थे।

शेखर को शायद नहीं पता कि प्रजनन का परिणाम लड़का होगा या लड़की, यह स्त्री पर नहीं बल्कि सिर्फ पुरुष पर ही निर्भर होता है। पुरुष के शुक्राणुओं में अगर सिर्फ एक तरह के अंश (XX) होते हैं तो लड़की का और अगर दो तरह के अंश (XY) होते हैं तो लड़के का जन्म होता है। स्त्री के अंडे में इस तरह के विकल्प नहीं होते … वह सिर्फ एक तरह के अंश (YY) ही पैदा कर सकती है। इसलिए बच्चे के लिंग की पूरी ज़िम्मेदारी मर्द पर होती है।

Hindi Sex Story :  Mere Friend K Premarital Honeymoon-2

पर भाग्य की विडम्बना देखिये … कोई भी शेखर को, एक के बाद एक, तीन बेटियों के जन्म के लिए जिम्मेदार नहीं मानता … सब उसकी पत्नी को ही दोषी मानते हैं। पर मुझे पता है … इस के ज़िम्मेदार मेरे पड़ोसी टट्टे हैं।भगवान का शुक्र है मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है। मैं तो सिर्फ पिचकारी का काम करता हूँ … या तो मूत्र या फिर वीर्य की बौछार करना मेरा काम है। बाकी तकनीकी काम शेखर के टट्टे और अंदरूनी अंग, अव्यय और ग्रंथियां करते हैं! मुझे खुशी है मेरा काम सबसे मज़ेदार है। ना केवल शेखर को मैं चरम आनन्द पहुँचाता हूँ, मैं उसकी पत्नी अंजलि को भी अत्यंत सुख दिलाता हूँ … ना केवल सम्भोग के द्वारा बल्कि वह मुझे छूने में, सहलाने में और अपने मुँह में लेकर चूसने में भी आनन्द लेती है।

प्रायः मैं शिथिल अवस्था में ही रहता हूँ जब मेरा आकार करीब 3.5 से लेकर 5.5 इंच तक का होता है। जब शेखर को यौन-उत्तेजना होती है तो मैं कड़क हो जाता हूँ और मेरा आकार 5 से 6 इंच तक का हो जाता है। यह हम भारतीयों और एशिया-वासी मर्दों के लिंगों का औसत आकार होता है। मैं कड़क कैसे होता हूँ यह भी एक रोचक क्रिया है।