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लंड बाज़ मालिश वाला: भाग 1

Lundbaaz mailsh wala: Part 1

लंड बाज़ मालिश वाला , जो की मेरे गाँव का है और वो मेरी मालिश करने आया था एक औरत बन कर , लेकिन जब मुझे पता चला की वो मालिश का बेटा हैं तो मैंने उसके साथ क्या किया?ये आप खुद ही पढ़िए ।
मेरा नाम जयंती सिंह हैं , मैं 34 साल की विवाहित महिला हूँ और मैं छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूँ , मेरी कद 5’7″ हैं और मेरी फिगर की साइज 38 34 40 हैं , दिखने में मैं गोरी नारी और कामुक हूँ ।
तो हुआ ये था की मैं दुर्गा पूजा के बाद अपने गाँव गई थी , अपने बेटे जगदीश के साथ ,वो अभी 10 साल का है और मेरे पति अशोक साथ नहीं आये थे , क्यों की उन्हें पुणे जाना था ।
और मेरा गाँव बहुत दूर हैं , तो हुआ ये था की मैं जिस दिन गाँव आई लोकल बस से तब ख़राब रस्ते के कारन मेरी पीठ में अकड़न सी हो गई थी , पर मैं सोची थी की ये अकड़न कुछ समय के लिए ही है ।
पर घर पहुंचने के बाद मैं उस अकड़न से मुक्त नहीं हो रही थी , तो मेरे घर में मेरे चाचा जी और मेरी छोटी चाची ही रहते हैं और उनका एक बेटा भी है , पर वो दिल्ली में है ।
तो मैं मेरी चाची को अपनी समस्या बताई , तो मेरी चाची मुझे बोली की ,

चाची : गाँव में एक मालिश वाली है मैं उसे बुला दूंगी ।
मैं : ठीक है चाची बुला दीजिएगा ।

तो मेरी चाची गई थी उस मालिश वाली के घर , पर पता चला की वो कुछ जड़ीबूटी लेने गई है , आने में रात हो जाएगी , तो ऐसे में मैं उस मालिश वाली के घर पर ही मालिश करवाने की सोची ।
क्यों की मेरी अकड़न की वजह से मैं ठीक से झुक नहीं पा रही थी और ना ही बैठ पा रही थी , पर जैसे ही मेरी चाची को पता चला की मैं उस मालिश वाली के घर जाना चाहती हूँ तो वो मुझे बोली की ,

चाची : पागल हो गई हो क्या?तुम उन दलितों के घर जाओगी ।
मैं : क्यों क्या हुआ उसमें , कोई पाप तो नहीं कर रही ना मैं ।
चाची : हम राजपूत है हम किसी नीचे जाती के लोगों के घर का पनि तक नहीं पिटे और तुम्हें उनके घर जाना है ।

अब मैं परेशां हो गई थी अपनी अकड़न से तो मैं रात में खाना खाई और जगदीश को कमरे में सुलाने ले कर गई , जगदीश बहुत जल्द सो गया , पर मुझे नींद कहाँ आती , इसीलिए मैं जाएगी हुई थी ।
तो मेरे चाचा मेरे कमरे पे आये और मुझसे पूछे की ,

चाचा जी : जाया बेटा तुम्हारी अकड़न ठीक हुई या नहीं?
मैं : नहीं चाचा जी , नहीं हुई है ठीक ।
चाचा जी : तो तुम चली जाओ उस मालिश वाली के घर , यही एक रास्ता है ।
मैं : पर चाचा जी , चाची को पता चला तो गुस्सा करेगी ।

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तो चाचा जी मुझे बोले की , वो अब नहीं उठेगी क्यों की वो नींद की गोली खा कर सोइ हुई है , और चाचा जी ने मुझे कुछ पैसे दिए और मुझे उस मालिश वाली के घर के बारे बताए ।
मेरे गाँव में लोग अक्सर 7–8 बजे तक सो जाते हैं , पर वो मालिश वाली देर रात तक जागती है और उसी के घर में रौशनी दीखती है , तो मैं नाईटी पहनी हुई ही निकल गई टॉर्च लाइट लेकर , उस समय रात के 8:30 बजे थे ।
तो मैं उस मालिश वाली के घर के पीछे से आ रही थी , उसी समय मुझे उस मालिश वाली के घर की खुली खिड़की से ठुकाई होते हुए दिखी , मैं ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखि थी ।
मैं चुपके से उस खिड़की के पास आई और देखि , मैं देखि की , एक मर्द एक औरत के ऊपर चढ़ा हुआ है और उस औरत को ज़ालिम तरीके से चोद रहा है , गालियों के साथ , मैं तो बोखला ही गई थी ।
क्यों की उस आदमी का लंड , लंड कहूँ या अनाकोंडा बड़ा, मोटा था और टट्टों का क्या कहना एक दम मस्त चिकने थे और काला भी , तो मैं एक पल के लिए उन दोनों की चुदाई देखि रही और मेरी चूचियों की निप्पल शकत हो गई थी ।
मैं सोची की , ये मालिश वाली है? मुझे तो ये मालिश वाली कम और रंडी बाज़ ज्यादा लगती है , तो मैं शायद चुदाई के आखरी पल में पहुंची थी और वो आदमी उस औरत की गांड में अपना मुठ झाड़ कर लेटा हुआ था ।
तो मैं सोची की अभी जाना ठीक रहेगा या नहीं , तो मैं सामने के दरवाज़े की तरफ गई तो एक बूढी औरत को देखि जो की कुछ जड़ीबूटी बना रही थी , तो मैं उनसे बोली की ,

मैं : सुनिए दादी माँ, वो मैं मालिश करवाने के लिए आई हूँ ।
बुढ़िया : ओह! अच्छा तुम किस घर की , छोरी हो?

तो मैं उन्हें बताई तो वो मेरे चाचा को अच्छे से जानती थी और तब मैं समझी की मालिश वाली तो ये बुढ़िया हैं , लेकिन मैं जिसे रंडी समझ रही थी वो रंडी ही थी और वो आदमी उस बुढ़िया का बेटा कुंदन था ।
तो उस बुढ़िया का एक अलग से मालिश वाला कमरा था और उस कमरे में लाइट नहीं था , बस एक लैंप था , तो बुढ़िया मुझे बोली की ,

बुढ़िया : अपने सारे कपड़े उतर दो और लेट जाओ ।
मैं : सारे कपड़े?
बुढ़िया : हाँ , तभी तो ठीक से मालिश करुँगी मैं ।

तो मैं अपनी नाईटी उतरी और फिर पेंटी और पूरी नंगी हो कर लेट गई , उसके बाद पता नहीं बुढ़िया ने कैसे इतनी जबरजस्त मालिश की , की मुझे नींद आने लगी थी और 20–25 मिनट के बाद मेरी मालिश हो गई थी ।
और मैं उस बुढ़िया को पैसे दी और घर के पीछे रस्ते से जाने लगी , तभी उस बुढ़िया का बेटा सामने से आ रहा था और वो सिर्फ एक पतला टॉवल में था , मेरी लाइट ठीक वहीं थी ।
वो कमीना मुझे देख मेरा रास्ता रोका और मुझे बोला की ,

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कुंदन : इतने रात गए किस्से मरवाने आई थी?
मैं : मालिश करवाने आई थी , अब हटो मेरे सामने से , कमीना कहीं का ।

तो मैं धक्का दे कर जा ही रही थी की , ये कुंदन इतना कमीना था की , मुझे एक दम से दबोच लिया और मेरी चूचियों को पूरा मसल दिया ऊपर से मुझे चोदने जैसा धक्का दिया और भाग गया ।
मैं उसे उस समय कुछ नहीं बोली और पहले घर आई और नहाते समय मुझे कुछ अजीब–अजीब ख्याल आने लगे , जैसे की उस रंडी औरत के जगह मैं होती और क्या होता अगर वो कमीना कुंदन जबरजस्ती चोदने लग जाता ।
नहाने के बाद मैं सोने गई और उस रात मुझे क्या मान किया मैं वापस से उस मालिश वाली के घर के तरफ जाने लगी और तभी रस्ते में मुझे कुंदन मिला और मुझसे पूछा ,

कुंदन : कहाँ चली ।
मैं : तुझे उससे क्या मतलब , चल हाट मेरे रस्ते से , कमीना कहीं का ।

कुंदन गुस्से से मुझे फिर से दबोच लिया और इस बार कुंदन नीचे से मेरी नाईटी ऊपर उठा कर मेरी चूत में ऊँगली घुसा दिया और मैं सिसकने लगी ,

मैं : ईईईसस…आह!…छोड़ मुझे कामीने ।
कुंदन : क्या हुआ चोदी… तेरी तो आज मैं लेकर रहूंगा ।

और कुंदन एक दम से मेरी नाईटी फाड़ डाला और कुंदन अपना टॉवल निकल फेंका और मुझे जबरजस्ती घुटनों पे ले आया और अपने गंदे महकते लंड को मेरी मुँह में रगड़ते हुए कहने लगा ,

कुंदन : चूस मेरे चुदक्कड लंड को , चूस चोदी ।
मैं : छी…छी…नहीं–नहीं, बदबू आ रही है ।

पर कुंदन सुनता कहाँ और वो मेरी मुँह आखिर कर अपना लंड दाल दिया और मुझे बोला की ,

कुंदन : अब चूस मेरे लंड को , अच्छी रंडी की तरह ।

और मैं करती भी क्या , कुंदन के लंड को चूसने के सिवाए , मैं कुंदन के लंड को चूसने लगी ,

मैं : उउममहह…उउउममम…उउममहह
कुंदन : आह!… ईईईसस… आह!…क्या मस्त लंड चुस्ती है रे तू , उउफफफ…मज़ा आ रहा है , आह!…ईईईसस…चूस साली ।

मैं कुंदन के लंड को इतना चूसी की , उसका लंड मेरी थूक से लटपट हो गया था और मुँह में दर्द भी हो रही थी , तब कुंदन ने मेरी मुँह से अपना लंड निकला और मुझे बोला ,

कुंदन : आह!…ईईईसस…अब चाट मेरे टटों को ।
मैं : क्या? छी…नहीं…इसे मैं नहीं चाटूँगी ।

लेकिन तभी कुंदन मेरी बाल पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने टटों पे रगड़ने लगा और मुझे कहने लगा ,

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कुंदन : चाट जल्दी , जल्दी चाट ।
मैं : ठीक हैं…ठीक है…मैं चाटती हूँ , चाटती हूँ ।

और मैं चाटने लगी , चूसने लगी कुंदन के टटों को और कुंदन मज़ा लेता रहा , और फिर कुंदन मुझे खड़ा किया और मेरी चूचियों को दबाते हुए , मसलते हुए कहा ,

कुंदन : बहुत मोटी चूचियां हैं तेरी , बहुत दूध भरा है इसमें ।
मैं : अअअहहह…ईईईसस…आह! कमीने अब छोड़ दे मुझे ।

पर कमीना मेरी चूचियों को दबा कर चूसने , चाटने लगा और बहुत गंदा चाट रहा था कुंदन मेरी चूचियों को , पुरे थूक से लटपट हो गई थी मेरी चूचियां , फिर कुंदन मुझे घुमाया और कहा ,

कुंदन : अब झुक जा चोदी ज़रा , तेरी चूत में लंड पेलना है मुझे ।
मैं : नहीं…कुंदन…नहीं ।
कुंदन : चुप कर लौड़ी , चल झुक ।

और मैं मज़बूरी में झुक गई और फिर कुंदन मेरे पीछे बैठा और मेरी गांड में अपना मुँह लगाया तब मेरी मुँह से निकल आया ,

मैं : उउफफफ…ईईईसस…ये क्या कर रहे हो कुंदन ।
कुंदन : लललममम…उउउममम…उउमम…तेरी गांड चाट रहा हूँ , बहुत मस्त गांड जो है तेरी उउफफफ…और तेरी गांड की गंध…आहा ।

कुंदन मेरी गांड चाट–चाट कर अपने थूक से मेरी गांड और चूत दोनों गिला कर दिया था और फिर कुंदन खड़ा हुआ और अपना लंड मेरी चूत में रगड़ते हुए आहिस्ता से एक झटके में घुसा दिया और मैं ,

मैं : अअअहहह…कुंदन आराम से…ईईईसस…आराम से ।
कुंदन : आज तेरी चूत का दिवाला निकल दूंगा लौड़ी ।

और कुंदन मेरी कमर पकड़ के चूत में झटकों की बौछार करना शुरू कर दिया , मैं चींखती गई और कुंदन झटके पे झटके लगता गया , और मुझे कहने लगा ,

कुंदन : मज़ा आ रहा है ना लौड़ी ।
मैं : अअअहहह…दर्द हो रहा है,…अअअईई…आहिस्ता से चोदो ना ।

लेकिन कुंदन सुनता कहाँ , मेरी चूत से पनि निकल रही थी और साथ ही मेरे पैर काँप रहे थे , कुंदन मेरी चूत मरते–मरते मेरी बाल को पकड़ा और फिर ज़ोरदार झटके देते हुए मुझे बोला ,

कुंदन : रंडी है तू आज से , बोल है ना?
मैं : हाँ…हाँ

और कुंदन मेरी चूत से लंड निकला और मेरी गांड में अपना गरम मुठ झाड़ दिया और फिर मैं दर्द के मारे वहीं बैठ गई और कुंदन मुझे अपने लंड को दुबारा चुसवाया ।
और मैं चूसी भी , और कुंदन चला गया , उसके जाने के बाद मुझे बहुत सुकून मिली और ये सब कुंदन के वजह से हुआ था ।
लेकिन तभी अलार्म बजी और मैं जाग गई , मैं असलमें सपना देख रही थी और मुझे ये सब हकीकत जैसी लग रही थी , और मेरी चूत भी गीली हो गई थी ।