माँ की चुदाई

माँ की चुदाई देख मज़ा आ गया: भाग 6

Ma Ki Chudai Dekh Maza Aa Gaya: Part 6

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हैल्लो! दोस्तों मेरा नाम रोहन राय है।
मैं अब 23 साल का हूँ और मैं झारखण्ड में रहता हूँ।
और आज मैं HotSexStory.xyz पर इस कहानी का छठा भाग बताने जा रहा हूँ।

ये बात पिछले साल अप्रैल के महिने की है, जब मेरे पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर में हुआ था।
और हम आपने नए क्वाटर में नए–नए शिफ्ट हुए थे, मैं तब कुछ दिनों तक आपने माँ–बाप के साथ था।
उसके बाद मैं ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए चला गया, मेरा ग्रेजुएशन का आखरी साल था.

इसीलिए मैं नवंबर में ग्रेजुएशन का फाइनल परीक्षा दे कर घर आया हुआ था।
तब घर में मेरी माँ, मेरे पापा दोनों थे, पर शाम में पापा इंटरसिटी लेकर जाने वाले थे।
तो पापा मुझे शाम में स्टेशन तक उनका बैग पकड़ कर साथ में आने के लिए बोले थे।

तो मैं पापा के साथ गया था, तो उसी दौरान पापा के एक दोस्त उनसे आ कर मिले।
उनका नाम बिनोद था मेरे वो अंकल ही लगते, तो बिनोद अंकल पापा से बात किए।
और मेरे पापा उनसे मेरा परिचय भी करवाए, तो पापा के जाते बिनोद अंकल मुझे एक होटल लेकर गए।

होटल में बिनोद अंकल मेरे लिए गुलाबजामुन पैक करवाए, फिर मेरी माँ के लिए एक तोफा दिए।
और मैं उन्हें लेकर घर जाने लगा मैं सोचने लगा बिनोद अंकल कितने अच्छे आदमी है।
और घर आ कर मैं माँ को वो तोफा दिया और हम साथ में गुलाबजामुन भी खाए।

पर मेरी माँ उस तोफा को खोल नहीं रही थी,…

तो मैं ज़िद्द करने लगा की : माँ उस तोफा में आखिर क्या है? दिखाओ न।
तो मेरी माँ कहने लगी : अरे! बेटा ये तोफा मेरे लिए है, तुम देख कर क्या करोगे।

तो मैं ज़िद्द करता रह गया, लेकिन मेरी माँ उस तोफे को खोलने नहीं दी और अलमारी में जा कर रख दी।
फिर शाम से रात हुई और हम खाना खा कर आपने–आपने कमरे में सोने चलेगाए।

हमारे रेलवे के क्वाटर में कुल चार कमरे है, मुख्य दरवाजा से घुसते ही हमारा टीवी वाला कमरा आता है।
जिसमें टीवी के साथ सोफा, दो खिड़की भी है और उसी कमरे से जुड़ा हुए एक और कमरा है।
जिसमें मेरे माँ–बाप सोते है और उसमें तीन खिड़की है, दो तो बाहर में है और एक अंदर में है.

और मैं उन दोनों कमरे के बाहर सोता हूँ, जो बारांडा और रसोई के पास है।

तो मैं देर रात तक मोबाइल में पोर्न देखा रहा था और जगा हुआ था, रात के 12:20 हो रहे होंगे।
और मेरी माँ कॉल पर बात करते हुए टीवी वाले कमरे का दरवाज़ा खोलने वाली थी।

लेकिन उससे पहले ही मैं करवट बदल कर सोने का बहाना किया।
तो मेरी माँ कॉल में बोली, “हाँ, वो सो रहा है आप आ जाओ।”, फिर मेरी माँ उस दरवाज़ा को अंदर से बंद कर दी।
मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा और मैं सोचने लगा मेरी माँ यहाँ भी किसीको दीवाना बना दी क्या?

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वैसे तो मेरी माँ अब 44 साल की हो चुकी है और आज कल तो वो पहले से कुछ ज्यादा ही कामुक लगती है।
उनकी 38–34–42 की फिगर तनिक भी ढीला नहीं हुआ है, तभी मेरी माँ के कमरे से अलमीरा खुलने की आवाज़ आई।

तो मैं चुपके से उठ कर उनके खिड़की के तरफ अंदर झाँकने गया, जिसमें सिर्फ एक पर्दा लगा हुआ है।
और मैं उस पर्दा को जब हटाया तो देखा की मेरी माँ बिनोद अंकल के दिए तोफा के रेपर खोल रही है।

और तोफा खोलते ही मेरी माँ उस तोफे के समान को बाहर निकाली और उसमें काली रंग की लिंगेरी थी।
और मेरे माँ के चेहरे पर एक मुस्कान थी, मेरी माँ जल्दी से अपनी पहनी हुई नाइटी उतारी और पूरी नंगी हो गई।

और नंगी होने के बाद मेरी माँ उस लिंगेरी को पहनने लगी, तब मैं समझ बिनोद अंकल आने वाले है।
और जब मेरी माँ उस कामुक लिंगेरी को पहनी तो मेरा लंड मेरा कच्छा फाड़ने के कगार पर आ चूका था।
और मेरी माँ अलमारी में लगे आईने में खुदको देख रही थी और आपने बालों को भी खोल रखी थी और लिपस्टिक लगा रही थी।

तभी 12:40 के आस–पास उन्हें एक कॉल आया और वो मुख्य दरवाजा खोलने गई।
और दरवाज़ा खुलते ही मुझे दोनों की चुम्मा–चाटी की आवाज़ आने लगी।

ऐसा लग रहा था दोनों बहुत ही कामुक अंदाज़ से एक दूसरे को चुम चाट रहे थे।
मैं देखने की कोशिश किया लेकिन दरवाज़ा बंद होने के कारण नहीं देख पाया।

पर जब दोनों अंदर के कमरे में आए, तब मैं हल्का सा पर्दा हटा कर देखा तो बिनोद अंकल मेरी माँ को गोद में उठाए चुम रहे है।
और मेरी माँ बिनोद अंकल के कंधों में हाँथ डाले उन्हें होंठ चुम रही है।

और थोड़ी देर चुम्मा–चाटी के बाद बिनोद अंकल माँ को बिस्तर पर लेटा कर आपने कपड़े उतारने लगते है।
और मेरी माँ तब भी बिनोद अंकल को लुभाती रही आपने पैर से बिनोद अंकल के सीने को रागढ़ते हुए।
और उसी दौरान बिनोद अंकल आपने पैंट समेत आपने कच्छे को भी उतार दिए।

और माँ की पैर को उठा कर चाटने–चूसने लगे और धीरे–धीरे माँ की जांघों के बिच अपना मुँह लगाए।
और घुटनों पर आ के अंकल मेरी माँ की झांट वाली बूर को चाटने लगे।
जिससे मेरी माँ धीमी–धीमी आवाज़ में सिसकने लगती है,”ईईस्स्स्स… आहह… ईईस्स्स…”

और साथ ही अपनी चूचियों को भी दबाने लगती है, बिनोद अंकल मेरी माँ की दोनों टांग उठाए बूर चाटे जा रहे थे।
और उन्हें देख मेरा लंड कच्छा से बाहर आना चहता था, इसीलिए मैं आपने लंड को बाहर निकाल लिया था।

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तब बिनोद अंकल मेरी माँ की बूर चाटते हुए उनकी पैंटी को उतार कर कुछ देर चाटे।
और फिर पूरा पैंटी ही उतार फेंके, मेरी माँ पलंग के कोने पर थी और बिनोद अंकल आपने लंड पर कंडोम लगा रहे थे।

और बिनोद अंकल आपने लंड में कंडोम लगाते ही मेरी माँ की दोनों टांगों को उठा लिए।
और मेरी माँ अंकल के मोटे लंड को पकड़ के अपनी बूर में सेट की और अंकल माँ की बूर में पूरा लंड ही धकेल दिए।
जिससे मेरी माँ ईईस्स्स्स… आह!… करती हुई सिसक गई थी, और अंकल माँ की बूर में लंड अंदर–बाहर करने लगे थे।

शुरुवात में तो बिनोद अंकल धीरे–धीरे धक्के दे रहे थे और उनके टट्टे माँ की गांड से लगा कर थप…थप… की आवाज़ कर रहे थे।
फिर जब बिनोद अंकल बिस्तर पर चढ़े तब अंकल ज़ोरदार धक्का देना शुरू किए।

मेरी माँ तो तब, “आईई… आहह… ईईस्स्स…”, करने लगी थी और मेरी माँ की बूर से सफ़ेद तरल भी निकलने लगी थी।
जो माँ की बूर से सीधे उनकी गांड की खुली छेद में जा रही थी, और ये नज़ारा देख तो मेरा तो लंड एक दम लोहे जैसा हो गया था।

और देर तक ज़ोरदार धक्के देने के बाद बिनोद अंकल का पीठ पसीने से लथपथ हो गया था।
इसीलिए वो मेरी माँ की बूर से अपना मोटा लंड निकाल कर माँ की टांगों को भी आपने कंधों से उतार दिए।

मुझे लगा बिनोद अंकल का हो गया, लेकिन तभी अंकल मेरी माँ के ऊपर लेट गए और उनकी ब्रा से 38 साइज की चूचियों को बाहर निकालने लगे।
और माँ की चूचियां जैसे बाहर आई अंकल माँ की चूचियों को कस–कस के दबाते हुए चूसने लगे।

बिनोद अंकल मेरी माँ की चूचियों को इसकदर चूस–चाट रहे थे की मानो खा ही जाएँगे।
और मेरी माँ अंकल के पीठ को आपने पैरों से जकड़ी हुई थी और अंकल के सर को सहला रही थी।

और मेरी माँ की चूचियां अंकल के लार से लथपथ हो गई थी और चमक रही थी।
फिर बिनोद अंकल मेरी माँ को उलटा लेटाए और माँ को ऊंट बनाए।

मेरी माँ आराम से तकिया में सर रखी हुई थी और अपनी 42 साइज की भारी गांड उठाए हुई थी।
और बिनोद अंकल मेरी माँ की चूतड़ों को फैला के गांड की छेद में थूक लगा के ऊँगली किए जा रहे थे।

जिससे माँ ईईस्स्स… आहहह… ईईस्स्स… आहहह… करते हुए सिसक रही थी।
फिर बिनोद अंकल मेरी माँ की गांड की छेद से ऊँगली निकाल कर थूक चुवाए।

और माँ की गांड की छेद में अपना लंड घुसाने लगे जिससे मेरी माँ की सिसकारी निकलने लगी ईईस्स्स… उउह्ह्ह…
और जैसे ही बिनोद अंकल का लंड मेरी माँ की गांड की छेद में घुसा तब अंकल माँ पर सवार हो गए।

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और अंकल धीरे–धीरे आपने लंड को माँ की गांड की छेद में अंदर–बाहर करने लगे।
और ये नज़ारा देख के तो मैं आपने लंड में थूक चुवा कर ज़ोर–ज़ोर से लंड को हिलाने लगा था।

और अंकल धीरे–धीरे से थोड़े ज़ोर–ज़ोर से माँ की गांड चोदने लगे थे।
जिससे माँ की मुँह से आहह… और गांड से पट…पट… करते पाद निकल जा रही थी।

और साथ ही अंकल के टट्टे माँ की बूर से लग–लग कर गीली चिपचिपी होती जा रही थी।
और अंकल का ज़ोर–ज़ोर का धक्का देते हुए चोदना माँ की हालत ख़राब कर रही थी।

इसीलिए वो ज्यादा देर ऊंट बनी नहीं रह पाई और पूरा लेट ही गई।
लेटने के बाद भी बिनोद अंकल माँ की चोदन जारी रखे हुए थे और आपने पैरों से माँ की पैरों को खोले हुए थे।

जिससे मुझे साफ नज़र आ रहा था, अंकल का पूरा लंड माँ की गांड में घुसा हुआ है।
और फिर अंकल आखरी में जो ज़ोर–ज़ोर के तीन धक्के दिए माँ की मुँह से आईई… आहह… करते हुए सिसक पड़ी।

और साथ ही मेरा मुठ भी निकाल दी, लेकिन बिनोद अंकल माँ के ऊपर ही लेटे रह गए।
और जब मेरा मुठ निकला मेरा पैर अकड़ सा गया था, एक तो मैं काफ़ी देर से खड़ा हुआ था।

और ठंड भी लग रहा था, लेकिन अगली सुबह मेरा नींद माँ से पहले खुला।
और जिस दरवाज़े को माँ बंद की थी वो भी खुला हुआ था और जो मुख्य दरवाजा था वो बंद तो था लेकिन कुंडी नहीं लगा हुआ था।

इसीलिए मैं कुंडी लगा कर माँ के कमरे में झाँकने गया था, तब मेरी माँ कंबल ओढ़े गहरी नींद में सो रही थी।
लेकिन मुझसे तब रहा नहीं गया, मेरी माँ तब एक तरफ मुँह करके सोई हुई थी।

तब मैं आहिस्ता से कंबल उठाया और माँ की महकती हुई नंगी गांड को देखा जिसमें कंडोम फंसा हुआ था।
मुझसे ज़रा भी रहा नहीं गया और मैं झट से अपना लंड निकाला और मेरी माँ की गांड की दरार में अपना लंड थोड़ा सा घुसा दिया।

लेकिन मेरा तो दरार में घुसते ही मुठ निकाल गया और मैं जल्दी से भाग निकला।
हालांकि माँ को पता नहीं चला पर मुझे मज़ा आया और ऐसा मैं दो बार किया था।

और मेरी माँ बिनोद अंकल के अलावा भी एक बिजली विभाग में काम करने वाले फ़िरोज़ भईया से भी चुदवाई थी।
लेकिन उसके बारे में मैं आप लोगों को नहीं बताऊंगा।

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