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मैं लंड की प्यासी मोहल्ले के सभी लंड खा गई-1

(Main Land Ki Pyasi Mohalle Ke Sabhi Lund Kha Gai-1)

मेरा नाम मधु है, मेरी शादी को 3 साल हो गये है, मेरा रंग गोरा, चेहरा आकर्षक और बदन कसा हुआ है। मेरे पति मुझे बेहद प्यार करते है, लेकिन ना जाने क्यों में अभी तक माँ नहीं बन पाई हूँ? हालाँकि मेरे पति का बदन तगड़ा है, उनके लंड का आकार भी ठीकठाक है, लेकिन मुझे उनके साथ चुदाई करने में मज़ा नहीं आता है, इसका कारण में स्वयं भी नहीं जानती हूँ। वैसे अंधरूनी तौर पर पिछले कई सालों से में एक मनोविकृति का शिकार हूँ। मुझे अपनी उम्र के मर्दों के बजाए कम उम्र के लड़कों के साथ संभोग की कल्पना करके ज़्यादा रोमांच महसूस होता है और में अपने पति की नज़र बचाकर कई बार अपनी ये इच्छा पूरी भी कर चुकी हूँ। Main Land Ki Pyasi Mohalle Ke Sabhi Lund Kha Gai.

एक बार में अपने घर में अकेली थी, तभी पड़ोस का एक लड़का मेरे घर पर आ गया, उसका नाम तरुन था। अब तरुन को एकांत में पाकर मेरी भावनाएँ भड़क उठी थी। अब पहले तो में उसे लेकर काफ़ी देर तक बिस्तर पर लेटी रही और फिर मैंने अपनी कुर्ती उतार डाली और मेरी ब्रा में से एक चूची बाहर निकालकर तरुन को पिलाने लगी। अब स्तनपान कराते-कराते मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि मैंने अपनी सलवार भी हटा दी और फिर अपनी चूत तरुन के होठों से लगा दी। अब तरुन मेरी चूत को चूमने, चाटने लगा था, तो मेरी उत्तेजना और बढ़ गई और मैंने तरुन की पेंट नीचे सरकाकर उसका लंड बाहर निकाल लिया। फिर कुछ देर तक उसका नर्म लंड मसलने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया। लेकिन मेरे चूसने के बावजूद तरुन के लंड में उतना कड़कपन नहीं आ पाया था कि वो मुझे संभोग का मज़ा दे पाता।

अब में हारकर उसके लंड को ऊपर से ही अपनी चूत पर रगड़ने लगी थी। फिर काफ़ी देर के घर्षण के बाद आख़िरकार मेरा झड़ना शुरू हो गया। इस पुरानी घटना का जिक्र करने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ़ यह बताना है कि में शादी से पहले ही कम उम्र के लड़कों की दीवानी थी और शादी के बाद तो मेरा ये शौक और बढ़ गया था। फिर जब मेरी शादी होकर में ससुराल आई, तो यहाँ मेरे पति के अलावा उनका 18 साल का भाई निखिल भी रहता था, वो हाई स्कूल में पढ़ता था। उस समय मेरी उम्र 24 साल थी, हालाँकि उम्र के लिहाज से मेरे 28 वर्षीय पति मेरे जोड़ के थे, लेकिन मेरी निगाहा पहले ही दिन से उनकी बजाए उनके छोटे भाई पर थी।         “Main Land Ki Pyasi”

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फिर कुछ दिनों के अंदर ही मुझे निखिल के साथ खेलने का मौका मिल गया। अब मेरे पति 2 दिन के लिए बाहर गये हुए थे अब घर में, में और निखिल अकले थे। फिर मैंने रात के वक़्त डर लगने का बहाना करके उसे अपने बिस्तर पर ही सुला लिया। अब मैंने सोते वक़्त जानबूझ कर नाइटी पहनी थी और मेरे दोनों आंतरिक कपड़े यानी ब्रा और पेंटी उतार दी थी। फिर लाईट बुझने के बाद निखिल जैसे ही मेरे पास आया। तो में अपने कपड़ों में कोई ज़हरीला कीड़ा घुस जाने का शोर करती हुई चीखने लगी, यह सिर्फ़ मेरा नाटक था ताकि मेरा देवर लाईट जलाकर मेरे कपड़े हटाने को मजबूर हो जाए और हुआ भी ऐसा ही। फिर जैसे ही मैंने झूठमूठ तड़पने का बहाना करते हुए चीखना शुरू किया, तो निखिल ने घबराकर जल्दी से लाईट जला दी और मेरे कपड़ों को उलट पलट कर कीड़ा ढूँढने लगा, वो कीड़ा तो खैर तब मिलता ना, जब वो होता। लेकिन हाँ इस उथल पुथल में मेरी नाइटी ज़रूर मेरे बदन से कुछ इस तरह सरक गई थी कि उसका होना ना होना एक समान हो गया था।

अब ना सिर्फ़ मेरे दोनों स्तन बल्कि मेरी दोनों जांघे, कूल्हें और चूत भी पूरी तरह से खुल गई थी। अब मेरी नाइटी एक महीन दुपट्टे की शक्ल में मेरे पेट तथा नाभि तक सिमट कर रह गई थी। अब निखिल अपनी मुग्ध निगाहों से मुझे घूरने लगा था, यही तो में चाहती थी। लेकिन फिर भी मैंने अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा लिया और शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली कि क्या देख रहे हो निखिल? तो निखिल बोला कि भाभी तुम कितनी सुंदर हो? तो में बोली कि हे राम मुझे लज्जा आ रही है और अपनी जांघे मोड़ ली और उससे बोली कि कम से कम लाईट तो बंद कर दो। अब इतना सुनते ही निखिल फुर्ती से बिस्तर से उठा और उसने तुरंत लाईट बंद कर दी। फिर उसके बाद जैसे ही वो मेरे पास आया, तो मैंने उसे दबोच लिया। अब कमरे में अंधेरा था इसलिए मुझे शरमाने का नाटक करने की कोई ज़रूरत नहीं थी और निखिल को अपनी बाहों में भरा और मर्दाने अंदाज में उस पर चढ़ गई। अब वो मेरी तेज़ी से घबरा गया था, लेकिन मैंने इस बात की कोई परवाह नहीं की और मैंने खुद ही अपनी कमर चलाकर चुदाई की क्रिया संपन्न की और संतुष्ट हो गई।            “Main Land Ki Pyasi”

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फिर उसके बाद मैंने कई बार निखिल के साथ संभोग किया और जवानी का भरपूर आनंद उठाया। लेकिन 2 साल के बाद वो पढ़ने के लिए बाहर चला गया, तो में उदास रहने लगी। अब मेरे पति मेरे पास ही थे, लेकिन उनके साथ मेरा सेक्स संबंध मात्र औपचारिकता था, उनके साथ संभोग क्रिया में मुझे रत्ती भर भी मज़ा नहीं आता था। अब ऐसे ही समय गुजर रहा था, ये अभी 4 महीने पहले की बात है, मेरी बड़ी ननद ने अपने किशोर उम्र के बेटे राजवीर को हमारे पास पढ़ने को भेज दिया था। अब 19 साल के राजवीर को देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गई थी और मेरे दिल में दबी प्यास फिर से जाग उठी थी। राजवीर का बदन गठीला था और उसे अभी तक दाढ़ी मूँछ भी नहीं आई थी। अब में कल्पना करने लगी थी कि कब मुझे मौका मिले? और में इस लड़के को अपनी बाहों में भरकर मसल डालूं।         “Main Land Ki Pyasi”

फिर एक दिन एकांत में मैंने राजवीर को उलझाने के लिए जाल बिछा डाला, जब गर्मी का मौसम था। अब मैंने मेरी ब्रा और पेटीकोट के अलावा अपने सारे कपड़े उतार डाले और बिस्तर पर लेट गई। तभी मुझे राजवीर मेरे कमरे की तरफ आता हुआ दिखा, अब उसे देखते ही मैंने अपना पेटीकोट मेरी जाँघो तक ऊपर उठा लिया और मेरी दोनों जांघे घुटनों से मोड़कर इस तरह पसार ली, जिससे की कमरे में कदम रखते ही राजवीर की नज़र मेरी चूत पर पड़े। फिर मैंने अपने एक बूब्स को मेरी ब्रा से बाहर किया और उसी हालत में अपनी आँखें बंद करके लेट गई। फिर राजवीर ने मुझे 2 बार आवाज़ दी मामी जी, मामी जी। लेकिन में जानबूझ कर कुछ नहीं बोली, ताकि उसे मेरी गहरी नींद का यकीन हो जाए। अब मुझे सोती देखकर राजवीर का मन भटक गया था। अब एक जवान खूबसूरत औरत के खुले अंगों को देखकर कौन युवक विचलित नहीं होगा? यह सही है कि राजवीर अभी जवान नहीं हुआ था, लेकिन वो बच्चा भी नहीं था।         “Main Land Ki Pyasi”

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फिर वो धीरे से मेरे बिस्तर पर बैठ गया और मेरे खुले हुए स्तन पर अपने हाथ फैरने लगा और फिर झुककर अपने होंठ मेरे निपल पर रख दिए, तो में सिसक उठी। अब उसके नर्म होठों का स्पर्श पाकर मेरा स्तन तन गया था। फिर वो कुछ देर तक मेरे निपल को चूसने के बाद धीरे-धीरे अपने दाँतों से कुरेदने लगा। अब तो मेरे ऊपर उत्तेजना का बुखार चढ़ने लगा था। फिर काफ़ी देर तक राजवीर मेरे स्तनों से ही खेलता रहा, तो मुझे बोरियत होने लगी तो मैंने नींद में ही करवट लेने का बहाना किया और इस उपक्रम में मैंने अपने पेटीकोट को पूरी तरह से अपनी कमर के ऊपर सरका दिया। अब मेरी जांघे और कूल्हें पूरी तरह से बेपर्दा हो गये थे, अब मेरी यह कोशिश सफल हो गई थी। अब राजवीर मेरे कूल्हों को देखकर ललचा गया था। फिर वो मेरे पैरो के पास आकर बैठा, तो मैंने ठीक उसी समय करवट ली और सीधी लेट गई। अब मेरी मांसल गुलाबी चूत राजवीर की आँखों के ठीक सामने थी।                 “Main Land Ki Pyasi”