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मम्मी पापा वाला खेल-1

 Mammi Papa Vala Khel-1

रात को अचानक पापा के कमरे की बत्ती जलने से बन्टी की नींद खुल गई। बन्टी को पेशाब आने लगा था। दीदी पास ही सो रही थी। बन्टी ने दरवाजा खोला और बाथरूम में चला गया।

बाहर आते ही बन्टी को खिड़की से अपने पापा की एक झलक दिखी। वो बिलकुल नंगे थे।

उसे उत्सुकता हुई कि इस समय पापा नंगे क्यों हैं?

खिड़की पूरी खुली हुई थी, शायद रात के दो बजे उन्हें लगा होगा कि सभी सो रहे होंगे। उसे दूर से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने हाथ में अपना लण्ड पकड़ा हुआ था और वे मम्मी को जगा रहे थे।

बन्टी को रोमांच हो आया। बन्टी जल्दी से अपनी मेघना दीदी को जगाया और उसे बाहर लेकर आया। उस दृश्य को देखते ही मेघना की नींद उड़ गई।

मम्मी जाग गई थी और अपने बाल बांध रही थी। मम्मी खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वो भी नंगी हो गई।

“मम्मी पापा यह क्या कर रहे हैं?” बन्टी ने उत्सुकतापूर्वक दीदी से फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।

“क्या मालूम बन्टी?” मेघना की सांसें उसे देख कर फ़ूलने लगी थी। वो तो सब जानती थी, उसने तो कई बार चुदवा भी रखा था।

तभी मम्मी बिस्तर पर पेट के बल उल्टी लेट गई और अपने चूतड़ ऊपर की ओर घोड़ी बनते हुये उभार लिये।

मेघना दीदी ने बन्टी को देखा, बन्टी ने भी उसे देखा। मेघना की नजरें एक बार तो नीचे झुक गई।

“मम्मी तो जाने क्या करने लगी हैं?” बन्टी बोला।

तभी पापा ने क्रीम की डिब्बी में से बहुत सी क्रीम निकाली और मम्मी की गाण्ड में लगाने लगे।

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“पापा दवाई लगा रहे हैं।” बन्टी फ़ुसफ़ुसाया।

“नहीं नहीं, वो तो कोल्ड क्रीम है… दवाई नहीं है !” फिर कह कर वो खुद ही झेंप गई।

पापा ने अपनी अंगुली मम्मी की गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगे। मम्मी के मुख से सी सी जैसा स्वर निकलने लगा।

मेघना जानती थी कि मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं।

फिर वही क्रीम पापा ने भी अपने लण्ड पर लगा ली। अब पापा बिस्तर पर चढ़ गये और अपना कड़ा लण्ड धीरे से मम्मी की गाण्ड में डालने लगे।

मेघना ने बन्टी की बांह कस कर पकड़ ली। मेघना की सांसें तेज हो चली थी। मेघना जवान थी, 21 वर्ष की थी, बन्टी उससे तीन वर्ष ही छोटा था।

“पापा का लण्ड कैसा मोटा और बड़ा है?” मेघना ने बन्टी से कहा।

“लण्ड क्या होता है दीदी?” बन्टी को कुछ समझ में नहीं आया।

“यह तेरी सू सू है ना? इसे लण्ड कहते हैं ! अब चुप हो जा !” मेघना ने खीज कर कहा।

पापा ने अपना लण्ड मम्मी की गाण्ड में घुसाने का प्रयत्न किया। पहले तो वो मुड़ मुड़ जा रहा था फिर अन्दर घुस गया।

मेघना ने अपने हाथ से अपनी उभरी हुई छाती दबा ली और सिसक उठी।

“मेघना, क्या हुआ, सीने में दर्द है क्या?” बन्टी ने मेघना की छाती पर हाथ रख कर कहा।

मेघना ने उसे मुस्करा कर देखा,”हाँ बन्टी, यहाँ इन दोनों में दर्द होने लगा है !”

“दीदी, मैं दबा दूँ क्या?”

“देख, ठीक से दबाना … !” मेघना की आँखें चमक उठी।

बन्टी ने उसका हाथ हटा दिया और शमीज के ऊपर से उसके उरोज दबाने लगा।

“वो देख ना बन्टी, पापा जोर जोर से मम्मी को चोद रहे हैं !” मेघना मतवाली सी होने लगी।

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“चल अब सो जायें !”

“अरे नहीं ! और दबा ना … फ़िर चलते हैं। फिर देख ना ! पापा मम्मी को कैसे चोद रहे हैं?”

“अरे वो तो जाने क्या कर रहे है, चल ना !”

“तुझे कुछ नहीं होता है क्या? रुक जा ना, तेरा लण्ड तो बता … पापा जैसा है ना?”

“क्या सू सू … हाँ वैसी ही है !”

मेघना ने बन्टी का लण्ड पकड़ लिया। वो अनजाने में खड़ा हो चुका था। बन्टी को पहली बार ही यह विचित्र सा अहसास हो रहा था,”दीदी, छोड़ ना, यह क्या कर रही है?”

“अरे, वो देख… !” उसने पापा की ओर इशारा किया। उनके लण्ड से वीर्य छूट रहा था।

बन्टी के शरीर में जैसे बिजलियाँ दौड़ने लगी।

वो दोनो कमरे में वापस आ गये। मेघना की आँखों में अब नींद कहाँ ! उसका शरीर तो मम्मी-पापा को देख कर जलने लगा था।

दोनों लेट गये।

“बन्टी, चल अपन भी वैसे ही करें !” दीप ने वासना से तड़पते हुये कहा।

“सच दीदी … चल क्रीम ला … कैसा लगेगा वैसा करने से?” बन्टी की आँखें चमक उठी। उसके दिल में भी वैसा करने को होने लगा।

मेघना जल्दी से अपनी क्रीम उठा लाई और उसे खोल कर बन्टी को दे दिया।

“पर दीदी ! नंगा होना क्या जरूरी है, मुझे तो शर्म आयेगी !” बन्टी असंमजस में पड़ गया।

“हाँ, वो तो मुझे भी होना पड़ेगा ! ऐसा करते हैं, अपन दोनों बस चड्डी उतार लेते हैं, फिर क्रीम लगाते हैं, बाकी कपड़े पहने रहते हैं।”

“तू तो शमीज ऊपर कर लेगी, पर मुझे तो पजामा पूरा उतरना पड़ेगा ना?”

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“अरे चल ना ! इतना तो अंधेरा है, कुछ नहीं दिखेगा, और बस अपन दोनों ही तो हैं !”

बन्टी ने सहमति में अपना सर हिला दिया।

मेघना ने तो अपनी चड्डी उतार ली, पर शमीज पहने रही। बन्टी को तो नीचे से पूरा नंगा होना पड़ा। पर दोनों को इस कार्य में बहुत आनन्द आ रहा था। ऐसे नंगा होना और फिर क्रीम लगाना …! सब खेल जैसा लग रहा था।

बन्टी का लण्ड भी अब रोमांचित हो कर कठोर हो गया था। बन्टी अपनी खाट से उतर कर मेघना के पास चला आया था।

“चल यहाँ लेट जा, अब मम्मी-पापा खेलते हैं। पहले प्यार करेंगे !” मेघना उसे अपनी आग में झुलसाना चाहती थी।

उसने बन्टी को अपने आगोश में ले लिया। बन्टी को मेघना के जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी थी। उसका लण्ड भी खड़ा होकर मेघना के जिस्म में ठोकर मार रहा था। दोनो लिपट गये, पर लिपटने में फ़र्क था। मेघना अपनी चूत उसके लण्ड पर दबाने की कोशिश कर रही थी जबकि बन्टी उसे प्यार समझ रहा था।

“अब क्रीम लगाएँ…?”

“नहीं बन्टी, अभी और प्यार करेंगे। तू यह बनियान भी उतार दे !”

“तो आप भी शमीज उतारो दीदी !”

“ओह , यह ले… !” मेघना ने अपनी शमीज उतार दी तो बन्टी ने भी अपनी बनियान उतार दी।

मेघना ने बन्टी का हाथ अपने स्तनों पर रख दिया।

कहानी जारी है….