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मरीज का मोटा लंड पकड़ कर खुद मरीज बन गई-1

(Mareej Ka Mota Lund Pakad Kar Khud Mareej Ban Gai-1)

मेरा नाम दामिनी है, में 25 साल की बड़ी ही सुंदर लड़की हूँ, मेरे बड़े आकार के बूब्स और पतली कमर किसी को भी पागल कर देने के लिए बहुत है। दोस्तों मैंने एम.बी.बी.एस किया है और पिछले कुछ समय से मेरी पोस्टिंग राजस्थान के एक छोटे से कस्बे के सरकारी अस्पताल में हुई है और में यहाँ के ओर्थोपेडिक वॉर्ड में काम कर रही हूँ। दोस्तों शुरू से ही मेरे ऊपर मेरी सुंदरता को देखकर मरने वालों की कोई कमी नहीं रही है, कॉलेज के दिनों में भी मेरे पीछे बहुत लड़के पड़े थे और अब यहाँ के अस्पताल के भी कई डॉक्टर भी मुझ पर मरते है, लेकिन मेरी पसंद कुछ अलग किस्म की है। Mareej Ka Mota Lund Pakad Kar Khud Mareej Ban Gai Main.

दोस्तों में उन परिंदों पर अपना रस न्योछावर करने में विश्वास नहीं करती, जिनका काम ही हमेशा फूलों का रस पीकर उड़ जाना होता है। अब तक मुझे मेरी पसंद का मुझे कोई भी लड़का नहीं मिला, पता नहीं क्यों मुझे कोई भी पसंद ही नहीं आता है? मेरे घरवाले भी मुझसे हमेशा बड़ा ही परेशान थे, वो कई लड़को की तस्वीरें भी भेज चुके थे, लेकिन मैंने उनको हमेशा ना कर दिया। फिर एक बार एक डॉक्टर अंधेरी जगह पर मुझे पकड़कर जबरदस्ती करने लगा, वो मेरे बूब्स को कसकर मसलने लगा था।

फिर में उसको धक्का मारकर उसकी गिरफ़्त से निकल गयी और फिर उसके बाद तो मैंने उसकी वो ठुकाई कि उसने मेरी तरफ देखना भी छोड़ दिया, लेकिन इतनी मगरूर लड़की आख़िर किसी के प्रेम में पड़ गयी और उस पर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। फिर हुआ यह कि एक दिन में राउंड पर निकली थी, उस समय शाम के 6 बज रहे थे। अब मेरेसाथ एक नर्स भी थी, हम दोनों एक-एक मरीज के पास जाकर उसको देख रहे थे। अब एक बड़ा सा हॉल था और कोने की तरफ हल्का सा अंधेरा था काम करते-करते में जब कोने की तरफ बढ़ी, तभी अचानक से किसी काम से मेरे साथ वाली वो नर्स वापस लौट गयी, जिसकी वजह से अब में अकेली ही थी और मेरे सामने बस एक आखरी मरीज ही था।                “Mareej Ka Mota Lund”

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दोस्तों उसके पैर में डिसलोकेशन था औरफिर में उसके पास पहुँचकर मुआयना करने लगी थी। फिर चार्ट को देखते हुए मैंने उसकी तरफ देखा, वो करीब 30-32 साल का एक तंदुरुस्त नौजवान था और वो उस समय बिस्तर पर अपनी पीठ केबल लेटा हुआ था और उसने चादर को अपनी छाती तक ओढ़ रखा था। फिर उसकी रिपोर्ट देखते-देखते मेरी नजर उसकी कमर पर पड़ी, उसकी कमर के नीचे के हिस्से में चादर टेंट की तरह उठी हुई थी और उसके हाथ अपने लंड पर चल रहे थे।              “Mareej Ka Mota Lund”

फिर में कुछ पल तक एकटक उसके लंड की हलचल को देखती रही, अब वो मेरी तरफ दिखाता हुआ अपने लंड पर लगातार अपना एक हाथ चला रहा था। अब में एकदम घबरा गयी थी और भागती हुई उस कमरे से बाहर निकल गयी, मेरा बदन पसीने से पूरा भीग चुका था। दोस्तों में वहीं पास के एक क्वॉर्टर में रहती थी और सीधी घर जाकर ठंडे पानी से नहाई, पता नहीं क्यों मेरे मन में एक गुदगुदी सी होने लगी थी? और अब बार-बार मेरा मन मुझे वहीं पर खींचकर ले जा रहा था। फिर किसी तरह से मैंने अपने जज्बातों पर अंकुश लगाया, लेकिन जैसे-जैसे रात बढ़ती गयी, मेरा अपने ऊपर से काबू हटने लगा था और फिर आख़िर में तड़प कर वापस अस्पताल की तरफ बढ़ चली। दोस्तों उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे, देर रात की वजह से चहल पहल बहुत कम हो चुकी थी। फिर में स्टाफ की नजरों से बचती हुई ओर्थोपेडिक वॉर्ड में घुस गई। फिर मैंने देखा कि ज़्यादातर मरीज उस समय सो गये थे, में इधर उधर देखती हुई आखरी पलंग पर पहुँच गई और मेडिकल कार्ड देखने लगी, मैंने देखा कि उस पर इशान नाम लिखा था। फिर मैंने उसकी तरफ देखा, वो अब भी वापस उसी हालत में था, उसका लंड खड़ा था और वो उस पर अपना हाथ चला रहा था।

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फिर में धीरे-धीरे आगे सरकती हुई उसके पास पहुँच गई तभी अचानक से उसने चादर के नीचे से अपना एक हाथ निकला और उसने मेरी कलाई को सख्ती से पकड़ लिया। अब मैंने अपना हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश कि, लेकिन उसके हाथ नेतो लोहे की तरह मेरी कलाई को जकड़ा हुआ था। फिर मैंने अपनी नजर को आस पास डाला, सब या तो सो रहे थेया सोने की कोशिश कर रहे थे। अब किसी को भी कोई खबर नहीं थी कि कमरे के एक कोने में क्या ज़ोर मशक्कत हो रही थी? फिर उसने मेरे हाथ को चादर के अंदर खींच लिया, तभी मेरा एक हाथ उसके तने हुए लंड से टकरा गया। अब मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ने लगी थी और उसने जबरदस्ती मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया था।              “Mareej Ka Mota Lund”

फिर मैंने हिचकते हुए उसके लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया, वो मेरे हाथ को ऊपर नीचे चलाने लगा था। अब मुझे ऐसा लग रहा था किमानो मैंने अपनी मुट्ठी में कोई गरम लोहा पकड़ लिया हो, उसका लंड बहुत मोटा था, उसकी लंबाई कम से कम आठ इंच होगी। अब में उसके लंड पर अपना हाथ चलाने लगी थी, उसने धीरे-धीरे मेरे हाथ को छोड़ दिया, लेकिन में उसी तरहउसके लंड को अपनी मुट्ठी में सख्ती से पकड़कर ऊपर नीचे अपना हाथ चला रही थी।              “Mareej Ka Mota Lund”

अब कुछ देर के बाद उसका शरीर तन गया था और फिर थोड़ी देर के बाद उसने मेरे हाथों पर ढेर सारा चिपचिपा वीर्य निकाल दिया। तभी मैंने झट से उसका लंड छोड़ दिया और उस चादर से अपना हाथ बाहर निकाल लिया और देखा कि उस समय मेरा पूरा हाथ गाढ़े सफेद रंग के वीर्य से सना हुआ था। फिर उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चादर से साफ कर दिया, उसके बाद में अपना हाथ छुड़ाकर भाग गयी और घर पहुँचकर ही मैंने राहत की सांस ली। अब मैंने महसूस किया कि मेरी जांघो के बीच मेरी पेंटी गीली हो चुकी थी। फिर मैंने अपने हाथ को नाक के पास ले जाकर सूँघा, तो उसके वीर्य की गंध अभी तक मेरे हाथों में बसी हुई थी।

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अब मैंने एक उंगली को अपनी जीभ से छुआ, मुझे उसके वीर्य का स्वाद अच्छा लगा और अब तो में अपनी सभी उंगलियाँ ही चाट गयी। फिर में रात भर करवटें बदलती रही और अब मुझे जब भी झपकी आती, तब मुझे उसका चेहरा मेरे सामने नजर आ जाता था और फिर  वो मेरे सपनो में मेरे शरीर को मसलता रहा। फिर रात भर बिना कुछ किए ही में कई बार गीली हो गयी, पता नहीं उसमें ऐसा क्या था? जो मेरा मन बेकाबू हो गया था, जिसे जीतने के लिए अच्छे-अच्छे लोग अपना सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार थे, वो खुद आज पागल हो गयी थी।              “Mareej Ka Mota Lund”

फिर जैसे तैसे सुबह हुई, मेरी आंखे नींद और खुमारी से भारी हो रही थी, में जल्दी से तैयार होकर अस्पताल गयी और अपने काम पर निकली। अब में उसके पलंग तक नहीं जा सकी और फिर मैंने स्टाफ को बुलाकर उसके बारे में पूछा, तब मुझे पता लगा कि वो एक गरीब इंसान है और शायद उसके घर में कोई नहीं है, क्योंकि उसको मिलने कभी कोई नहीं आता था। फिर मैंने उसको डीलक्स वॉर्ड में शिफ्ट करने के ऑर्डर दिए औरउस वॉर्ड का खर्चा अपनी जेब से भर दिया। अब सभी लोगों के सामने उसके पास जाने में मुझे हिचक हो रही थी और में तबीयत खराब होने का झूठा बहाना करके घर चली गयी।                        “Mareej Ka Mota Lund”