मस्त आंटी और मदमस्त भोसड़ी 1
Mast aunty aur madmast bhosdi-1
indian sex aunty, दोस्तो ये मेरी पहली कहानी है।
बात आज से तीन साल पहले की है, उस समय मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था।
मैं छे फीट का हटा-कटा तंदूरस्त जवान हूँ और मेरा लण्ड आठ इंच लंबा और बहुत मोटा है।
तो दोस्तो, मेरे सामने वाले घर मे एक खूबसूरत आंटी रहती थीं। वो बतिस साल की थीं, लंबाई करीब साढ़े पांच फीट और थोड़ी सी मोटी। ख़ास बात थी कि उनके चूचे (बूब्स) बहुत ही मस्त थे, साइज़ होगी करीब ३४। फिगर लगभग ३४-३०-३६ था।
क्या मस्त सेक्सी दिखती थीं यार वो। उनका नाम था रेखा।
उनका घरवाला 40 साल का था और उनके दो बच्चे भी थे।
ज़्यादातर मैं बाहर पढ़ाई करता था, इसकी वजह से मेरी उनसे ज़्यादा मुलाकात नहीं हो पाई थी।
लेकिन क्यूंकी अब मेरी छुटियाँ हो चुकी थीं, इसलिए मैं घर पर रहने आया था।
एक दिन सुबह मैं नहाने के बाद अपने रूम में आया और कपड़े बदलने लगा, मैंने अपना तोलिया निकाल दिया और चड्डी पहनने लगा तभी एकदम जब यूँही मैंने मेरी खिड़की में से देखा तो सामने वाली आंटी अपने बरामदे में खड़ी थीं और झाड़ू लगा रही थीं।
तभी उनकी और मेरी नज़र एक हुई, उन्होंने मुझे अंडरवियर पहनते हुए देखा और मैं एकदम शरमा गया और वहाँ से दूर हो गया। मैंने फटाफट कपड़े पहने और बाहर चला गया।
जब मैं घर वापस आया तो वो आंटी मेरे घर में मम्मी के पास बैठीं थीं।
उन्होंने मुझसे पूछा – राजू, कब आया रे तू? तू तो बहुत बड़ा हो गया है… ऐसा कहकर वो हँसने लगीं।
मैं फिर थोड़ा शरमा गया और कुछ नहीं बोला।
फिर दूसरे दिन मैं सुबह नहाकर निकला और अपने रूम में कपड़े पहने गया, आज मैंने पहले खिड़की में से देखा तो आंटी नज़र नहीं आई, इसीलिए मैं आराम से तोलिया निकाल कर कपड़े बदलने लगा।
अचानक सामने वाली खिड़की में से आवाज़ आई, तो मेरी नज़र उस खिड़की पर पड़ी।
मैंने देखा तो वो आंटी वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे कपड़े बदलते देख रही थीं। अब की बार मैं नहीं शरमाया, बल्कि मुझे भी मज़ा आया।
फिर अगले दिन जब मैं नहाकर निकला, तो मैंने जानमुझ कर खिड़की खुली छोड़ दी और सामने देखा तो वो आंटी बरामदे मे नीचे झुक कर झाड़ू लगा रही थीं। उनके चुचों की दरार बहुत साफ दिख रही थी।
कुछ देर में उन्होंने ऊपर देखा तो हमारी नज़र एक हुई। वो फ़ौरन हंस पड़ी, तो मेरी भी हिम्मत थोड़ी-बहुत खुल गई।
मैंने भी उन्हें स्माइल दिया और फिर वो वहाँ खड़ी-खड़ी झाड़ू लगाती रहीं और बीच-बीच में मुझे चोर नज़र से देखती रहीं।
अब मैंने भी हिम्मत जुटाकर मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरा नंगा लण्ड उनके सामने आ गया। वो ये देख कर एकदम घबरा गईं और अंदर भाग गईं।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, अब मुझे भी ये खेल करना अच्छा लगने लगा। खैर, फिर मैं अपने मकान की छत पर गया और वहाँ बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगा।
तभी एकदम मेरी नज़र सामने वाले मकान के कॉंपाउंड में पड़ी। मैंने देखा तो वो आंटी आँगन में कपड़े धो रही थीं, उन्होने अपनी साड़ी को घुटने तक ऊपर चढ़ा रखा था। उफ़!!! उनके पैर बहुत ही सुंदर और सेक्सी दिख रहे थे।
अब मैं पढ़ाई छोड़ कर उनको देखने लगा, आंटी कपड़े धोते-धोते पूरी भीग गईं थीं और उनका हाथ जब उँचा-नीचा होता तो उनके चूचे मोहक अदा में हिल रहे थे। जिसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और धीरे-धीरे पूरा आठ इंच लंबा हो गया।
आंटी कपड़े धोने के बाद वहाँ आँगन में ही नहाने लगीं, कुछ देर में उन्होंने अपनी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर नहाने लगीं।
नहाते-नहाते उन्होंने अपना पेटीकोट अपनी जाँघ तक ऊपर कर दिया। मेरी तो आँख फटी की फटी रह गई।
मैं ज़िंदगी में पहली बार ये नंगा जलवा देख रहा था। मेरा लण्ड मेरे काबू में नहीं था और अब मैं पूरी तरह से आंटी को नंगा देखना चाहता था और दोस्तो, ये आशा भी मेरी जल्दी ही पूरी होने वाली थी।
अब आंटी ने धीरे से अपना ब्लाउज भी निकाल दिया और उसे भी धोने लगीं, मैंने जब ब्रा में उनके बड़े-बड़े चूचे देखे तो मेरी आँखें बड़ी हो गईं और मुँह से पानी टपकने लगा। उफ़!!! दोस्तो, आंटी बहुत ही सेक्सी दिख रही थीं।
फिर उन्होंने अपने शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया, लेकिन ब्रा की वजह से वो आराम से अपने चुचों को धो नहीं पा रहीं थीं, इसलिए उन्होंने अब ब्रा को भी अपने शरीर पर से उतार दिया।
दोस्तो, उनके चूचे देखकर मेरा तो जी मेरे गले मे अटक गया। उफ़!!! क्या नज़ारा था वो, आज तक मैंने मेरी ज़िंदगी में इससे अच्छा नज़ारा कभी नहीं देखा।
मेरा लण्ड मेरे काबू में नहीं था, वो मेरी पैंट की चैन तोड़कर बाहर आने के लिए उछल रहा था, मैंने भी जल्दी ही लण्ड की इच्छा पूरी की और लण्ड को पैंट की चैन खोलकर बाहर खुली हवा में छोड़ दिया और अधनंगी आंटी को देखकर मूठ मारना चालू कर दिया।
आंटी अब तक नहा चुकी थीं, वो खड़ी हो गईं और अपना शरीर टॉवेल से पोछने लगीं।
अंत में उन्होंने अपना पेटीकोट उतारा पर बदक़िस्मती से तुरंत टॉवेल लपेट लिया, लेकिन इस बीच मे आंटी की भोसड़ी की एक झलक पा चुका था और मेरी मूठ मारने की स्पीड डबल हो गई थी और फिर मैंने अपना पूरा माल निकाल दिया।
दोस्तो, अब मेरे दिमाग़ मे बस आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे। मैं बस कोई भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा।
मेरे शैतानी दिमाग़ में ना जाने कितने विचार आ-जा रहे थे।
पर क्या मुझे कोई ऐसा उपाय मिल पाया, जिससे मैं आंटी की भोसड़ी चोद लूँ…
किस्मत अब तक मेरे साथ थी, पर क्या आगे भी किस्मत की मेहरबानी मुझ पर बनी रहेगी या मेरे घर पर इस नंगे-नाच का पर्दाफाश हो जायेगा…
जल्द ही हाज़िर हूँगा, इस रोमांचक कथा का समापन भाग ले कर…
आपके मार्गदर्शन की मुझे बहुत जरूरत है, तो कृपया मुझे मेल करें –