भाई-बहन की चुदाई

मौसी की बेटी की गर्म चुदाई-2

वो कुछ बोल तो नहीं रही थी लेकिन उसका हाथ मेरे लंड पर था और वो मेरे लंड को हल्के हल्के से सहला रही थी. अब मैंने उसके सूट को थोड़ा सा ऊपर उठाया और उसकी चूची को खींच कर बाहर निकाल लिया.

उसकी कसी हुई सी चूची बाहर निकल आई और मैंने उसकी चूची को मुंह में लिया और चूसना शुरू कर दिया.

ये सब करते हुए डर भी बहुत लग रहा था. एक तो दिव्या के बारे में मैं पूरा आश्वस्त नहीं था कि कब उसको कुछ बुरा लग जाये और वो कहीं मेरी मां को इस बारे में न बोल दे.

इसके साथ ही एक डर ये भी था कि कहीं बगल में सो रही बहन और मां को हमारी करतूत की भनक न लग जाये. इसलिए सब कुछ आहिस्ता से करना पड़ रहा था.

अगर मां जाग जाती और उनको ये पता लग जाता कि मैं उसकी बहन की बेटी के साथ ये सब कर रहा हूं तो मेरा बुरा हाल हो जाना था जबकि दिव्या तो किसी तरह से बच भी जाती.

इसलिए मैं सभी चीजें बहुत धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक कर रहा था. अब मैं उसकी चूची को धीरे-धीरे चूस रहा था. अब दिव्या भी मेरा साथ दे रही थी.

वो अपनी चूची को दबा दबा कर मुझे पिला रही थी. हालांकि उसमें से कोई सच का दूध तो नहीं निकल रहा था लेकिन उसे चूसने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं अपनी ज़िन्दगी में पहली बार ये सब कर रहा था तो आप लोग समझ ही सकते हैं कि कैसा अनुभव रहा होगा.

मैं उसकी एक चूची को चूस ही रहा था, तभी उसने इशारे से मुझे दूसरी वाली चूची को चूसने के लिए बोला. फिर उसने अपनी दूसरी चूची को निकाल दिया और मुझसे चूसने को कहने लगी.

अब मैंने भी उसके दोनों मम्मों को एक-एक करके खूब चूसा. बीच-बीच में मैं उसको लिप किस भी कर ले रहा था. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. दोस्तो, जब मैं किस कर रहा था तो उसके निप्पलों को दबा रहा था.

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मुझे किस करना सबसे ज्यादा पसंद है इसलिए मैं काफी लम्बा लम्बा किस कर रहा था. मैंने करीबन 20 मिनट तक उसको किस किया. वो मेरा साथ देती रही. शायद उसको भी मेरे होंठों को चूसने में उतना ही मजा आ रहा था.

उसके बाद फिर उससे रहा न गया. अब मेरा हाल भी ऐसा ही हो चुका था. मैं और ज्यादा नहीं कंट्रोल कर सकता था अब. फिर मैंने बिना देर किये उसको विपरीत दिशा में घुमा दिया.

अब उसकी पीठ मेरी ओर हो गयी थी और उसका मुंह दूसरी तरफ हो गया था. अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और चड्डी को खींचकर नीचे कर दिया. मैंने उसकी चूत में 2-3 बार उंगली की. इस दौरान वो बार बार मेरा हाथ पकड़ रही थी. मगर मैं अब कहां रुकने वाला था.

मैंने देर न करते हुए अपने लंड को बाहर निकाला और पीछे से उसकी चूत में लंड को घुसाने की कोशिश करने लगा. अभी तक शायद किसी ने उसको नहीं चोदा था. वो कुंवारी ही थी. उसकी चूत बहुत टाइट थी तो साफ साफ पता चल रहा था.

मेरा लंड उसकी चूत में नहीं जा पा रहा था. मैंने बहुत कोशिश की लेकिन लंड अंदर नहीं गया. फिर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर सेट किया. फिर मैंने अपने हाथ को उसके मुंह के पास रखा.

हाथ मैंने इसलिए रखा क्योंकि अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरीज में मैंने पढ़ा था कि अगर लड़कियों की पहली बार चुदाई करो तो उनको बहुत दर्द होता है और वो इसी दर्द के कारण चिल्ला देती हैं.

इसलिए मैंने अपना हाथ उसके मुंह के पास रखा और जोर का एक झटका मारा जिससे मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया और वो दर्द के कारण मुझे पीछे धकेलने लगी.

मगर मैं जनता था कि अगर मैंने आज इसे छोड़ा तो ये मुझे दोबारा चोदने नहीं देगी. मेरा लंड उसकी चूत में जितना गया था मैंने उतना ही डाले रखा और मैं वहीं पर रुक गया. मैंने उसकी चूची को जोर से पकड़ लिया.

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अब मैं उसके स्तनों को हल्का हल्का सा दबाने लगा. करीब 10 मिनट तक मैं उसके दोनों स्तनों को हल्के हल्के से सहलाते हुए उनको बीच बीच में दबाता भी रहा. धीरे धीरे दिव्या की चूत का दर्द अब कम होता गया.

फिर जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने एक धक्का और मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. दिव्या मुझसे छूटने के लिए बहुत जोर लगा रही थी. मगर मेरी पकड़ मजबूत थी और वो छुड़ा नहीं पा रही थी.

करीब 10 से 15 मिनट के बाद जब दिव्या थोड़ी सी शान्त हुई तब मैंने उसे चोदना शुरु किया. 7-8 मिनट तक मैं उसकी चूत में हल्के धक्के लगाता रहा. उसको अभी भी दर्द हो रहा था.

फिर धीरे धीरे उसका दर्द जैसे गायब होता चला गया. उसके बाद दिव्या भी मेरा साथ देने लगी. दोस्तो, मैं उसकी चुदाई करने के साथ-साथ उसकी चूचियों को भी हल्का-हल्का दबा रहा था. दिव्या अपने चूतड़ों को अब खुद ही मेरी जांघों पर चिपकाने लगी थी.

उसको लंड लेने में अब आनंद आ रहा था. मैं भी उसको भींचते हुए चोदता जा रहा था. ठंडी में भी मेरे बदन में पसीना आने लगा था. 15 मिनट तक उसकी चूत मारने के बाद अब मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मेरा वीर्य छूट कर उसकी चूत में गिरने लगा.

फिर मैं शांत हो गया और उसकी चूत में लंड डाल कर लेटा रहा.

मगर मेरा मन नहीं भरा था अभी. आधे घंटे तक लेटे रहने के बाद मेरा मन फिर से उसे चोदने के लिए करने लगा था.

मैं फिर से दिव्या की चूत पर हाथ फेरने लगा और कुछ देर के बाद ही दिव्या ने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी. हम दोनों ही फिर से गर्म हो गये. मैंने एक बार फिर से दिव्या की चूत में लंड लगाया और पूरा अंदर उतार दिया.

अबकी बार उसको लंड लेने में इतनी अधिक परेशानी नहीं हुई. मैं उसकी चूत में लंड देकर चोदने लगा. दूसरे राउंड की चुदाई काफी लम्बी चली. करीब 25-30 मिनट मैंने उसकी चूत मारी. वो झड़ चुकी थी लेकिन फिर मैं भी उसकी चूत में लंड को पेलता रहा.

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फिर मैंने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. मैं तेजी से उसकी चूत में धक्के देने लगा और वो चुदते हुए कराहने लगी. मगर मैंने उसको आवाज नहीं करने का इशारा किया. फिर वो दर्द बर्दाश्त करने लगी.

15-20 जोरदार धक्कों के बाद एक बार फिर से मैंने दिव्या की चूत में पानी छोड़ दिया. वीर्य निकलने के बाद भी मैं उसको पकड़ कर वेसे ही पड़ा रहा.

करीब 10 मिनट के बाद मैंने उसको छोड़ा और फिर उसकी चूत में से लंड को निकाल लिया. फिर मैंने उसको बांहों में पकड़ लिया और उसकी चूचियों को हाथ में पकड़ कर सो गया.

दोस्तो उसके बाद मैंने अगली रात को फिर से दिव्या की दो बार चुदाई की. दिव्या हमारे घर 15-20 दिन तक रुकी और मैंने मौका पाकर उसकी चूत खूब चोदी. उसकी कुंवारी चूत की सील तो टूटी ही और अब उसकी चूत लंड को आराम से लेने भी लगी थी.
यह तो हम दोनों की किस्मत अच्छी थी कि इतनी चुदाई के बावजूद उसको गर्भ नहीं ठहरा.

वो मेरे लंड से चुदते हुए खूब मजा लेती थी. हम दोनों कहीं न कहीं किसी न किसी तरह से चुदाई करने का मौका ढूंढ ही लेते थे. मौसी की लड़की की चूत मार कर सच में बहुत मजा आया मुझे दोस्तो.

आपको कुवारी लड़की का सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताना. मुझे आप लोगों के जवाबों का इंतजार रहेगा. कहानी पढ़ने के लिये बहुत बहुत थैंक्स और अपना प्यार कहानी को देना न भूलें.