First Time Sex

मेडिकल गर्ल्ज़ हॉस्टल-2

Medical Girls Hostel-2

मेरी योनि में अजब सी सुरसुरी होने लगी। मुझे लगा जैसे मेरी योनि चिपचिपा रही है और मेरी पैंटी कुछ गीली सी हो गई है। संजय ने अपने एक हाथ को मेरी पैंटी में सरका दिया और मेरी योनि को हल्के हल्के सहलाने लगा। उसकी इस हरकत ने आग में घी डाल दिया। मैं उत्तेजना के मारे सिसियाने लगी।

संजय ने धीरे से मेरी पैंटी को उतार दिया और मेरी टांगों को चौड़ा खोल कर मेरी योनि में अपनी उंगली डालने का प्रयास करने लगा। क्योकि मेरी योनि अभी तक कंवारी थी इसलिए उसमे सिर्फ उंगली का पोर ही जा पा रहा था। मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे योनि के अंदर से कोई तरल द्रव रिस रहा है और उसकी वजह से योनि मुख और संजय की उंगलियाँ चिपचिपा रही हैं। मेरे मन में संजय के लिंग को छूने की इच्छा हुई तो कंपकपाते हाथों से मैंने उसके लिंग को पहले धीरे से सहलाया, फिर उँगलियों का घेरा बना के लिंग हो हल्के से पकड़ लिया औए धीरे धीरे शिश्नाग्र की त्वचा को आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी।

संजय ने भी उत्तेजना भरी सिसकारी ली और मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगा। मैंने शर्म से आँखे बंद कर ली। संजय का लिंग बहुत ही बड़ा और मोटा था और हाथ के स्पर्श से मुझे वो वैसा ही सख्त लग रहा था जैसा मैंने ब्लू-फिल्मों में देखा था।

सारिका दीदी ने मुझसे कहा था कि संजय का लिंग बहुत प्यारा है, उसका आकार देखकर घबराना नहीं, ऐसे ही लिंग असली मजा देते हैं। दीदी ने मुझसे यह भी कहा कि आज चाहे जितना दर्द हो योनि में, चाहे जान हलक में आ जाए, खेल खत्म कर के ही रुकना, क्योंकि आज के बाद तुझे हर बार इस खेल में जन्नत का आनन्द आएगा, और शर्म मत करना।

मैंने शर्म को फिर त्याग दिया और उठ कर बैठ गई और संजय के लिंग को जोर जोर से सहलाने लगी। संजय सिसिया रहा था और मेरे स्तनों को जोर जोर से भींच रहा था।

मुझे संजय का लिंग बहुत प्यारा लग रहा था, उसकी महक उन्मादक थी। पूरे कमरे में भरी वो अजीब सी महक मुझे उन्मादित कर रही थी। मैंने झुक कर उसके लिंगमुंड का चुम्बन ले लिया, फिर लिंग-मुंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। मैंने ढेर सारा थूक निकाला और हाथ से उसके पूरे लिंग पर चुपड़ दिया। संजय मेरे सर को अपने लिंग की तरफ दबा रहा था।मैं समझ गई कि वो क्या चाह रहा है, सो मैंने उसके पूरे लिंग को अपने मुंह में लेकर कसकर चूसने लगी। संजय की उत्तेजना और लिंग का आकार दोनों बढ़ गए। मैं उसके आधे लिंग को ही मुंह के अंदर ले पा रही थी। मैं धीरे धीरे उसके लिंग को मुंह में अंदर बाहर करते हुए चूस रही थी और अंडकोषों को सहला रही थी।

Hindi Sex Story :  कुँवारी लड़की को पेला पढ़ाई में हेल्प के बदले-4

मैं बहुत देर तक संजय का लिंग चूसती रही, कि उसका लिंग बहुत की विकराल नज़र आने लगा, लिंग की नसें तक दिखने लगी थी।

संजय ने फिर मुझे धीरे से बिस्तर पर चित लिटा कर मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए और मेरी टांगों को फैलाकर खुद बीच में बैठ गया, अपने लिंग मुंड को पहले उसने मेरी योनि के मुख से रगड़ा, तो मुझे बड़ा सुखद एहसास हुआ। मेरी योनि उसके लिंग मुंड की गर्मी का एहसास करके फूल गई।

संजय ने हल्के से लिंग को मेरी योनि की तरफ दबाया, तो लिंगमुन्ड योनि के मुहाने में फंस गया। मैं उत्तेजना के मारे कांपने लगी थी। हजारों कहानियाँ हैं HotSexStory.xyz पर !

लेकिन अगले धक्के ने मेरी जान हलक में ला दी, उसका लिंग मेरी योनि को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गया। मैं दर्द से छटपटाते हुए चीख पड़ी। संजय ने मुझे कमर से कसकर पकड़ा और एक और झटका मारा, तो उसका लिंग मेरी योनि में और अंदर घुस गया। मैं चीखते हुए अपने को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी कोशिश नाकाम हो गई।

संजय ने मेरे होठों से अपने होठों को चिपका लिया और जोर जोर से मुझे चूमने लगा। मेरी चीखें घुट कर रह गई। अगले झटके का दर्द मुझे बर्दाश्त के बाहर लगा, मैंने अपने होठों को छुड़ा लिया और जोर जोर से ‘दीदी–दीदी’ चिल्लाने लगी।

मेरी चीख पुकार सुन कर सारिका दीदी आ गई, दीदी पूरी तरह नग्न थी। दीदी मेरे पास आकर बैठी और मेरे आंसू पोंछते हुए बोली- बस नीलू, आज यह दर्द पी जा, पहली बार में होता ही है !

मैं दीदी से बोली- दीदी बहुत दर्द हो रहा है, नहीं झेला जा रहा।

दीदी बोली- चल मैं मदद करती हूँ।

सारिका दीदी मेरे बगल में लेट गई और मेरे स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगी। उधर संजय अपने लिंग को मेरी योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए मर्दन कर रहा था। दीदी मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी और साथ ही मेरी योनि के दाने को उंगली से छेड़ने लगी।

Hindi Sex Story :  पड़ोसी वर्जिन लड़की को चोदा अपने प्यासे लौड़े से

दीदी की इस हरकत ने जादू कर दिया। मेरे बदन में फिर से उत्तेजक सिहरन उठने लगी। अब मुझे संजय के झटकों में अजब सा आनन्द आ रहा था।

दीदी बोली- अब बता मेरी बन्नो, मजा आ रहा है?

मैं कुछ न बोली।

दीदी बोली- हाँ या ना तो बोल, मेरी बन्नो।

मैंने कहा- हाँ दीदी, आ रहा है।

दीदी ने संजय से कहा- संजय धीरे धीरे कर ना !

संजय ने फिर धीरे धीरे झटके मारते हुए लिंग को और घुसाना जारी किया। मगर अब मुझे पहले की तरह दर्द नहीं हुआ। हालांकि हल्की पीड़ा हो रही थी, मगर मुझे लिंग की रगड़ से मिल रही उत्तेजना ने पागल कर दिया।

जब संजय ने अपना पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया तो दीदी ने अपने मोबाईल से मेरी योनि का फोटो लेकर मुझे दिखाया- ये देख तू आज कली से फूल बन गई।

इतना कहकर दीदी और संजय दोनों हँसने लगे। मैंने शर्माते हुए फोटो को देखा, तो सच में मेरी योनि में संजय का पूरा लिंग घुसा हुआ था। योनि से कुछ रक्तस्राव भी हुआ था।

संजय मेरे ऊपर लेट गया और मुझसे नज़र मिला कर मुस्कुराते हुए बोला- बस अब तैयार हो जाइए, जन्नत की सैर के लिए।

मैंने कहा- धत्त झूठे, इतना दर्द देते हो। मर जाती तो जन्नत ही पहुँच गई थी मैं तो आज।

संजय ने हल्के हल्के मेरी योनि में अपने लिंग को अंदर बाहर करते हुए मर्दन शुरू किया। मेरी उत्तेजना फिर से उठान पर आ गई। मैंने उसके होठों को अपने होठों से चिपका लिया और जमकर संजय के अधरों का चुम्बन लेने लगी। संजय ने मेरे स्तनों को दबोच लिया और जोर जोर से भींचने लगा। मैंने अपनी टांगो का घेरा बना कर संजय की कमर के चारों ओर लपेट लिया और उसके झटकों के साथ अपनी कमर भी उचकाने लगी।

मेरी योनि के अंदर की दीवारों में अजब सी सुरसुरी उठने लगी जैसे मेरी योनि बार बार संकुचित हो रही थी कि मेरी योनि का कसाव संजय के लिंग पर बढ़ने लगा। संजय ने लिंग के झटकों का आयाम और गति दोनों बढ़ा दिया। अचानक मुझे बहुत तीव्र उत्तेजना हुई और मेरी योनि का स्खलन होने लगा, जैसे कोई तरल मेरी योनि से निकल पड़ा। मैं बदहवास सी संजय से चिपट कर उस स्खलन का आनंद ले रही थी।

मैंने संजय को कसकर जकड़ लिया कि वो और झटके न मार पाए, मगर असफल रही। संजय उसी प्रकार झटके लगाता रहा। मेरा दूसरा स्खलन आने वाला था। संजय भी जोर जोर सांस ले रहा था, मैं उसकी और देखते हुए स्खलन का आनन्द ले रही थी, कि तभी उसने एक जोरदार झटका लगाया और थम गया। मुझे अपनी योनि में गर्म गर्म महसूस हुआ, जो कि एक सुखद एहसास था मेरे लिए।

Hindi Sex Story :  गर्लफ्रेंड की सेक्सी बहन को चुदाई करना सिखाया

संजय अभी भी हल्के हल्के झटके लगा रहा था। मगर वो खुद मेरे ऊपर ढेर हो गया था। काफी देर तो वो मेरे ऊपर लेटा रहा। फिर सारिका दीदी ने संजय को मेरे ऊपर से उठाया। ‘पुच्च’ की आवाज़ के साथ संजय का लिंग मेरी योनि से बाहर निकला और निकल पड़ी उसके वीर्य की धार, जो उसने मेरी योनि में स्खलित किया था।

दीदी मेरी योनि से निकले वीर्य को चाट गई। फिर वो संजय के लिंग को चूसने लगी, जैसे वीर्य के आखिरी बूँद तक चूस लेंगी।

मैं बिस्तर पर चित लेटे हुए सुस्ताने लगी। सारिका दीदी बगल में संजय की मालिश कर रही थी, वो मेरी तरफ देख रहा था। जैसे ही मुझसे नज़र मिली तो बोला- आपकी चूत गज़ब की कसी है, और चूचियाँ भी… कसम से बहुत मजा आया। आपको कैसा लगा?

मैं शरमा कर रह गई और कुछ न बोलकर शर्माते हुए आँखें फेर ली।

सारिका दीदी ने तुरंत मेरी चिकोटी ली और बोली- अरे, बोल ना ! मेरी बन्नो रानी कैसा लगा, तू भी बोल, राजा ! तेरा लंड गज़ब का है, मेरी चूत को तृप्त कर दिया… अरे बोल ना…

मैं और संजय दोनों हँसने लगे।

दीदी- अब देखना, ये साला संजय, महीनों तक मेरी चूत को देखेगा भी नहीं, तेरी चूत का ही गेम बजाया करेगा। मेरी चूत बेचारी बस इसके लंड को याद करके आंसू बहाया करेगी।

संजय- अरे नहीं जान, इसको तैयार तो करो, अभी आपको और आपकी चूत को शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

इतना सुनते ही दीदी संजय के लिंग को चूसने में लग गई, संजय ने मेरी तरफ आँख मारी और मेरी चूचियों… माफ करें मैं भी उनकी तरह गंदी भाषा बोलने लगी… स्तनों से खेलने लगा…

अगली बार संजय मेरे रूम में घुस आया, मेरी गुदा में अपना लिंग डाला… इसकी कथा भी शीघ्र प्रेषित करुँगी…

आज के लिए इतना ही…

मेरी योनि आप सब के लिए … नमस्कार..