मीना ने गांड में ऊँगली करवाई
पढ़ें हर्ष और मीना की सच्ची सेक्स कहानी, जहाँ छत पर शुरू हुई शरारत बेडरूम में जाकर कामुक अनुभव में बदल गई। चूत, गांड और बूब्स के नशे में डूबी इस उत्तेजक कहानी में जानें कैसे मीना ने हर्ष को वासना की दुनिया में खींच लिया।
हैलो दोस्तों, मेरा नाम हर्ष है और मैं वडोदरा, गुजरात से हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे जीवन का सबसे कामुक और रोमांचक अनुभव बन गया। ये कहानी है कि कैसे मैं चूत, गांड और बूब्स का दीवाना बना। तो तैयार हो जाइए, क्योंकि ये सफर बेहद गर्म और उत्तेजक होने वाला है।
जब मैं 18 साल का था, गर्मियों की उन रातों में मैं छत पर सोने जाता था। मेरे पास में एक लड़की सोती थी, उसका नाम मीना था। वो 21 साल की थी, गोरी, भरे हुए जिस्म वाली, और उसकी आँखों में एक शरारती चमक रहती थी। वो अपनी दादी के साथ छत पर सोने आती थी, लेकिन रात के सन्नाटे में उसकी मौजूदगी मेरे दिल की धड़कनों को बेकाबू कर देती थी।
एक रात, नींद में मेरा हाथ अनजाने में उसकी नरम, गोल गांड पर चला गया। उसकी चिकनी त्वचा का स्पर्श मेरे शरीर में बिजली-सा दौड़ा गया। मैं घबरा गया, लेकिन तभी मीना ने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी गांड से हटाकर अपने भरे हुए बूब्स पर रख दिया। उसने मेरी हथेली को अपने नर्म उभारों पर दबाया, और मेरे कान में फुसफुसाई, “दबाओ ना…” उसकी गर्म साँसें मेरे होश उड़ा रही थीं। मैं जाग गया, लेकिन उसका नशीला स्पर्श मुझे रोक नहीं सका। फिर भी, मैंने खुद को संभाला और हाथ खींचकर वापस सोने की कोशिश की। लेकिन वो पल मेरे दिमाग में बार-बार घूमने लगा।
अगले दिन दोपहर को मैं उसके घर के पास से गुजर रहा था। उसने मुझे देखा और एक कामुक मुस्कान के साथ बुलाया, “हर्ष, इधर आओ ना!” उसकी आवाज़ में मिठास थी, लेकिन उसमें छुपी हुई भूख साफ झलक रही थी। मैं उसके घर पहुँचा। उसकी दादी बाहर गई थीं, और घर में सन्नाटा था। मीना ने दरवाज़ा बंद किया और मुझे अपने बेडरूम में खींच ले गई। वहाँ उसने बिना वक्त गंवाए अपनी शर्ट उतारी, फिर ब्रा खोलकर फेंक दी। उसके गोल, रसीले बूब्स मेरे सामने थे, और निप्पल्स सख्त होकर मुझे ललकार रहे थे। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने निप्पल मेरे मुँह में ठूंस दिए। “चूसो इन्हें, हर्ष,” उसकी आवाज़ में मादकता थी। मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसका स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं।
वो मेरे सिर को अपने बूब्स पर जोर-जोर से दबाने लगी। “और ज़ोर से चूसो… ओह्ह… आह्ह… माँआआ… और ज़ोर से!” उसकी आवाज़ में वो जुनून था जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था। उसने अपने बूब्स मेरे मुँह पर रगड़ने शुरू किए, और उसकी साँसें तेज हो गईं। फिर उसने अपनी पैंट और चड्डी उतार फेंकी। उसकी चिकनी, गीली चूत मेरे सामने थी, और उसकी महक मुझे पागल कर रही थी। उसने मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और अपने हाथों से उसे चौड़ा कर दिया। “अपनी जीभ डालो… चाटो इसे,” उसका आदेश मेरे लिए नशा बन गया।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर फेरी। उसका नमकीन, गर्म रस मेरी जीभ पर लगा, और मैं उसे चाटने लगा। मैं अपनी जीभ को अंदर-बाहर करने लगा, और मीना अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। “ओह्ह… आह्ह… माँआआ… मर गईईई… और ज़ोर से चाटो!” उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। उसका जिस्म काँप रहा था, और उसकी चूत मेरे मुँह में पूरी तरह समा रही थी।
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी एक उंगली अपनी चूत में डाल दी। “अंदर-बाहर करो,” उसने कहा। मैंने अपनी उंगली उसकी गीली चूत में डालकर हिलाना शुरू किया। वो अपनी गांड को उछालने लगी, और मेरे मुँह पर अपनी चूत को जोर-जोर से मारने लगी। “दूसरी उंगली भी डालो!” उसकी माँग में वासना टपक रही थी। मैंने दूसरी उंगली डाली, और अब वो और ज़ोर से चिल्लाने लगी। “हाईईई… माँआआ… ओह्ह… और ज़ोर से… में मर जाऊँगी!” उसकी चूत ने मेरी उंगलियों को जकड़ लिया, और अचानक वो मेरे मुँह में झड़ गई। उसका गर्म रस मेरे गले से नीचे उतर गया, और मैंने उसे चाट-चाटकर साफ कर दिया। वो हाँफते हुए मेरे पास लेट गई, लेकिन उसकी भूख अभी खत्म नहीं हुई थी।
थोड़ी देर बाद वो फिर से जोश में आ गई। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने कूल्हों की ओर खींच लिया। “मेरी गांड चाटो, हर्ष,” उसकी आवाज़ में एक नया नशा था। मैंने अपनी जीभ उसके नरम, गोल कूल्हों पर फेरी, और फिर उसकी गांड के आसपास चाटना शुरू किया। उसने अपने हाथों से अपनी गांड को चौड़ा किया, और मैं उसकी तंग, गर्म गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा। वो अपनी गांड को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। “हाईईई… ओह्ह… माँआआ… और चाटो!” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
फिर उसने कहा, “हर्ष, अपनी उंगली मेरी गांड में डालो।” मैंने अपनी एक उंगली उसकी तंग गांड में धीरे से डाली। वो सिहर उठी, लेकिन उसने मुझे रुकने नहीं दिया। मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू किया, और वो “ओह्ह… आह्ह… माँ रे… और ज़ोर से!” कहकर अपनी गांड मेरे मुँह पर मारने लगी। उसकी सिसकारियाँ तेज होती गईं। फिर मैंने हिम्मत करके दो और उंगलियाँ उसकी गांड में ठूंस दीं। वो ज़ोर से चिल्लाई, “हाईईईई… मर गईईई!” उसका जिस्म काँपने लगा, और उसकी गांड मेरी उंगलियों को जकड़ रही थी। वो फिर से झड़ गई, और उसकी साँसें थम-सी गईं।
उस दिन के बाद, दोस्तों, मुझे चूत, गांड और बूब्स का ऐसा चस्का लगा कि मैं हर बार उस नशे में डूब जाता हूँ। मीना ने मुझे वो सुख दिया, जो मैं कभी नहीं भूल सकता। उसकी वो मादक सिसकारियाँ, उसकी गर्म चूत और तंग गांड आज भी मेरे सपनों में आती हैं। क्या कहते हो, दोस्तों, कैसी लगी मेरी कहानी?