हिंदी सेक्स स्टोरी

दोस्त की गर्लफ्रेंड की गांड-1

हाय दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और मैं जयपुर से हूँ।

आज मैं आपको अपनी लेटेस्ट सेक्सी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उम्मीद है आपको ये पसंद आएगी।

मैं अक्सर ऑफिस से जल्दी घर आ जाता था। फ्रेश होकर हमारे घर के पास वाली ट्यूशन क्लासेस के बाहर चला जाता था। वहाँ से जब लड़कियाँ निकलतीं, तो मैं उन्हें पटाने की कोशिश करता। ऐसा करते-करते कई दिन बीत गए। फिर एक दिन अचानक मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी, जो पहले मेरे अंकल की सोसाइटी में रहती थी, जो यहाँ से 25 किलोमीटर दूर है।

जैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ी, उसी वक्त उसने भी मुझे देखा। लेकिन अफसोस, मैं कुछ कर नहीं पाया क्योंकि उसके साथ एक आंटी थी। फिर भी, मैंने नोटिस किया कि वो मुझे देखकर स्माइल कर रही थी। मैंने भी जवाब में स्माइल दी। फिर वो लोग सब्जी लेने एक दुकान में गए। मैं भी पास जाकर खड़ा हो गया और उसे चोरी-छुपे घूरने लगा। वो भी मुझे देख रही थी।

मैंने उसे स्माइल दी, तो उसने भी स्माइल पास की। बस फिर क्या था, मैंने सोचा, “हँसी तो फँसी!” मैंने धीरे से उसे आँख मारी। वो शरमा गई, लेकिन थोड़ी देर बाद उसने भी आँख मारकर जवाब दिया। अब मैं खुश हो गया कि चलो, बात बन गई। मैंने बिना देर किए एक कागज के टुकड़े पर अपना मोबाइल नंबर लिखा और उसके पास फेंक दिया। उसने चुपके से उसे उठाया, पढ़ा और इशारा किया कि वो रात को कॉल करेगी।

बस, अब मैं रात का इंतजार करने लगा। रात करीब 9:30 बजे उसका फोन आया और हमारी बातें शुरू हो गईं। बातचीत में पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है और वो हमारे पास वाली सोसाइटी में रहने आई है। जब मैंने उसे मिलने बुलाया, तो उसने मुझे अगले दिन शाम 7 बजे पास वाले गार्डन में बुलाया।

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अगले दिन ठीक 7 बजे मैं गार्डन पहुँच गया और उसका वेट करने लगा। थोड़ी देर बाद वो आई। उसने लाल रंग की साड़ी पहनी थी। दोस्तों, क्या बताऊँ, वो क्या गजब ढा रही थी! उसे देखकर मैं तो दंग रह गया। पहले जब मैंने उसे अंकल के घर देखा था, तो वो इतनी खूबसूरत और सेक्सी नहीं लगी थी, लेकिन अब तो वो चलती-फिरती सेक्स की दुकान लग रही थी।

जैसे ही वो मेरे पास आई, उसके बूब्स और उसकी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने कहा, “चलो, कहीं दूर चलते हैं, यहाँ कोई देख लेगा।” फिर क्या था, मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और लॉन्ग ड्राइव पर निकल पड़ा। जैसे ही हम सिटी के बाहर पहुँचे, वो मुझसे चिपककर बैठ गई और बातें करने लगी। लेकिन मेरा ध्यान तो उसके बूब्स पर था, जो मेरी पीठ से टच हो रहे थे। मेरा लंड तो लोहे की पाइप की तरह तन गया था।

थोड़ा आगे जाकर मैंने बाइक एक पेड़ के पीछे रोकी। हम बैठकर बातें करने लगे। मैं तो पहले से ही मूड में था। मैंने उसे अपनी ओर खींचा, उसने छूटने की कोई कोशिश नहीं की। इससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। वो भी मुझसे लिपट गई।

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बिना टाइम वेस्ट किए मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया। पहले उसके सिर पर, गालों पर, ठुड्डी पर, फिर धीरे से उसके होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी। फिर क्या था, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से चिपकाकर जोरों से किस किया। आपको बता दूँ, मुझे किस करने में जन्नत का मजा मिलता है।

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मैं उसके गुलाबी होंठों का रस पी रहा था और वो भी पूरा जोश से मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसके बूब्स पर फिराना शुरू किया। वाह! क्या बूब्स थे उसके—एकदम टाइट, मखमली और मस्त। मैं तो जैसे जन्नत में था। फिर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया। अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी निप्पल्स भी टाइट हो रही थीं। मैं तो सीधे उसके बूब्स पर टूट पड़ा और जोरों से दबाने लगा।

उफ्फ! क्या बूब्स थे, मेरे एक हाथ में भी नहीं समा रहे थे। वो भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसने मेरी पैंट की जिप खोली और मेरा लंड पकड़कर जोरों से हिलाने लगी। हम दोनों सेक्स में पूरी तरह डूबे थे कि तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी। उसने बताया कि उसे घर जाना होगा।

मेरा उसे छोड़ने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन उसने कहा कि अगले दिन उसके घर पर कोई नहीं होगा और वो मुझे फोन करके बुला लेगी। तो अगले दिन क्या हुआ, वो मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बताऊँगा।