हिंदी सेक्स स्टोरी

भाई के दोस्त ने संसार संवारा-2

Mere bhai ke dost ka land-2

उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुहं में भी पूरा नहीं आ रहा था। फिर थोड़ी देर मुहं चोदने के बाद उसने मुझे बेड पर सुला दिया और मेरी टांगो के बीच मेरी चूत के पास बैठ गया और एक जटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया मेरी तो चीख निकल गई और उसका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में खंजर घोप दिया हो। एक पल के लिए ऐसा लग रहा था मानो मेरी जान ही निकल गई हो और फिर वो ज़ोर ज़ोर से अपना लंड डाल रहा था और फिर थोड़ी देर बाद जैसे में राहत की साँस लेती तो कमबख्त लंड मेरी चूत से बाहर निकालता और ज़ोर से ठोक देता और मेरी चीख निकल जाती थी और फिर वो इस तरह चार बार मुझे चोद चुका था और मेरा दर्द बड़ता ही जा रहा था।

वो कहता था कि जब तक लड़कियों की चीख नहीं निकलती.. चोदने में मज़ा ही नहीं आता। फिर मैंने कहा कि तुम सच में बड़े जालिम हो ऐसे भला कोई करता है क्या? और वो भी अपने दोस्त की बहन के साथ। वो बोला लेकिन मज़ा तो आ रहा है ना मेरी जान। उसकी ये बात सही थी और आज पहली बार मुझे चुदने का एहसास हो रहा था। दर्द और मज़ा दोनों ही आ रहा था। आज की रात शायद ही कभी भूल सकूँ और फिर करीब दस मिनट चोदते चोदते वो झड़ने वाला था तो उसने पूछा कि कहाँ पर निकालू मेरी जान अंदर या बाहर? तभी मैंने कहा कि इतनी मेहनत करने के बाद बाहर निकालने से क्या फ़ायदा तुम अंदर ही छोड़ दो वो साला हिजड़ा तो वैसे भी कुछ नहीं कर सकता.. तुम ही मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो।

तभी उसने मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया और में आज पहली बार संतुष्ट हुई थी और कितनी बार झड़ी थी ये में भी नहीं जानती और वो थकान की वजह से मुझ पर ही गिर पड़ा और हम थोड़ी देर पड़े रहे। फिर वो उठकर नंगा ही बाथरूम में चला गया और फ्रेश हो कर नंगा ही बाहर आ गया और फिर में भी उठकर बाथरूम गई और फ्रेश हो गई। मैंने देखा तो कपड़े सब बाहर ही थे तो में एक मेक्सी पहन कर बाहर आ गई। फिर उसने कहा कि ये क्या तुमने कपड़े क्यों पहने? तभी मैंने कहा कि अब क्या है? इतनी देर तो जालिम की तरह चोद चुके हो। फिर वो बोला कि अभी तो पूरी रात है अभी सेक्स का खेल खत्म कहाँ हुआ है।

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फिर उसने दोबारा मुझे बेड पर खींचा तब मैंने मना किया तुम जालिम हो आराम से नहीं करते और बहुत दर्द देते हो। फिर वो बोला कि अब आप जैसा चाहोगी वैसा ही करूँगा.. फिर में बेड पर से उठी और वापस मेक्सी उतार कर बिल्कुल नंगी उसके पास में सो गयी और वो फिर से मुझे चूमने लगा चाटने लगा। उसने मेरे पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमा और फिर वो मेरी चूत में उंगली करने लगा और मेरी चूत चोदने लगा। फिर वो धीरे धीरे करते हुए दो उंगलियां मेरी चूत में डालने लगा और मेरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ के स्पर्श से में फिर गरम हो गई थी और वो मेरी चूत को चाटे जा रहा था जैसे कोई आईसक्रीम चाट रहा हो।

फिर उस दौरान में तीन बार झड़ चुकी थी और जितनी भी बार झड़ती वो मेरी चूत का पानी अपने मुहं में भरता और मेरी चूचियों पर छोड़ देता वैसे उसने मेरी दोनों चूचियाँ मेरी चूत के पानी से गीली कर दी और अपना लंड मेरे मुहं में दे दिया और चूसने को बोला.. वो जैसे जैसे बोलता में करती रही। फिर पहले कम से कम आधे घंटे वो नहीं झड़ा और जब झड़ने लगा तो मेरे मुहं से लंड निकालकर मेरे बूब्स के बीच में रख दिया और मेरे बूब्स को चोदने लगा। अपने लंड का पूरा पानी मेरी चूचियों पर गिरा दिया और मेरे सारे बूब्स पर मल दिया। मेरे बूब्स लाईट में उसके लंड के और मेरी चूत के पानी से चमक रहे थे और फिर उसने मेरी चूत को चाटकर चिकना किया और फिर से मुझे चोदने लगा। इस बार झड़ने की वजह से वो डेड़ घंटे तक मेरी चूत चोदता रहा। उस दौरान में दो बार झड़ चुकी थी। अब तो शायद में खुद नहीं जानती थी कि उस एक रात में कितनी बार झड़ चुकी थी.. लेकिन आज की रात जो चुदने का अनुभव हुआ था उससे मेरी जिंदगी बदल चुकी थी और आज में सही तरह से औरत बनी थी। फिर रात के 4:30 बजे हम दोनों नंगे ही एक दूसरो की बाहों में सो गये।

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सुबह करीब 10 बजे भाई का फोन आया। फिर हम ऐसे ही बेड पर पड़े थे उसने सुबह उठते ही मुझे किस किया और मैंने भाई का फोन उठाया तो उसने कहा कि वहाँ पर उसके ससुराल में सब मेरे लिए पूछ रहे है तो में वहाँ पर आ जाऊँ.. क्योंकि मेरा पति भी वहां गया था। तभी मुझे विरेंद ने कहा कि तुम्हे जाना चाहिए.. शायद तुम्हारी सारी परेशानियां खत्म हो गई हो। फिर मैंने भाई से कहा कि हम शाम तक वहाँ पर पहुंच जाएँगे और फोन रख दिया। फिर उसने दोबारा मुझे चूमा और फिर कहने लगा कि अब तो इस ख़ुशी में जश्न होना चाहिए और तभी उसने मुझे पकड़ा और वहीं पर मुझे चोदने की तैयारी करने लगा और फिर में भी उसका साथ देने लगी। फिर उसने मेरे कपड़े उतार कर किचन से थोड़ा तेल लिया और मेरी गांड में लगाकर मेरी गांड मारने लगा। फिर करीब दस मिनट तक उसने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। आज उसने मुझे चोद चोद कर पूरा सुख दिया और उसने मेरी गांड और चूत दोनों को फैला दिया जिसे कि अब तक मेरा पति नहीं चोद पाया था।

फिर करीब दस मिनट बाद वो मेरी गांड की हालत पूरी तरह से खराब करने के बाद मेरी गांड में ही झड़ गया और दोनों हाथों से मेरे बूब्स दबा रहा था और अपनी बाकि की कसर निकाल रहा था। फिर करीब बीस मिनट बाद चुदाई खत्म होने पर मुझे जब होश आया तो मैंने कहा कि अभी हटो मुझे नाश्ता बनाना है और जाने की तैयारी भी करनी है और फिर वो बोला कि अभी तो जो नाश्ता पड़ा है वो एक बार और कर लूँ.. फिर दूसरा नाश्ता करेंगे और वो फिर से मुझे दोबारा सुबह सुबह किचन में उसने मुझे अपनी बाँहों में पकड़ा और फिर मुझे वहीं पर पटक कर चोदने लगा और में उसके हर धक्के पर उसका शुक्रिया कर रही थी। मेरी चूत और मेरा पूरा जिस्म उसका साथ दे रहा था। फिर आधे घंटे बाद हम उठे और साथ ही बाथरूम चले गये.. फिर नहा धोकर फ्रेश होकर हम बाहर आए और अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार होकर निकल पड़े। वीरेंद्र ने अपने बॉस को फोन करके दस दिन कि छुट्टियाँ ले ली और हम दोनों भाई के ससुराल चले गये जहाँ पर सब मुझे देखकर बहुत खुश हुए और रात की उस चुदाई के बाद में भी बहुत खुश थी और मेरे पति ने भी मुझसे माफी माँगी और घर चलने के लिए कहा। अब में भी खुश थी.. तो राज़ी हो गई और फिर वहां पर हम दस दिन रुके और उन दस दिनों में मैंने मौका देखकर अपनी चूत विरेन्द्र खूब चुदवाई। फिर में अपने पति के साथ ससुराल चली गई और तीन महीने बाद पता चला कि में प्रेग्नेंट हूँ। तभी सब लोग बहुत खुश हुए..

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में भी खुश थी लेकिन मेरे पति को ये पता था कि वो उसका बच्चा नहीं है लेकिन उसने इस बात को किसी से नहीं कहा और ना ही मुझसे कुछ पूछा.. क्योंकि वो भी जानते थे कि घर वाले सब इस बात से खुश थे और फिर वीरेंद्र का फोन आया तो उसने मुझे बहुत बधाईयाँ दी और मैंने भी उसका धन्यवाद किया। आख़िर वो ही पहला इंसान था जिसने मुझे पहले औरत और फिर माँ बनाया था और मेरा संसार सवांरा था। उसका ये एहसान में कभी नहीं उतार सकती थी और मेरे पति को अभी तक इस बारे में नहीं पता था कि वो इंसान कौन है? तो दोस्तों ये था मेरी ज़िंदगी का सच जो मैंने आप लोगो से शेयर किया ।