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मेरे यार की शादी-2

Mere Yaar Ki Shadi-2

मैं- वो मेरी बेटी है।
रमित- तू सब भूल गया, तेरी किस्मत थी, तेरी शादी हो गई, भरपूर सेक्स मिला तुझे, तू नहीं समझेगा।
मैं- तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है?
रमित- आज तेरा हाथ मेरे गिरेबान तक पहुँच गया, तब क्यूँ नहीं पहुँचा जब तू मुझसे उधार माँगा करता था, यहाँ तक ब्लू फ़िल्म देखने के लिए वीडियो भी मैं लेकर आता था, जब तेरे को सेक्स का भूख लगती थी तब ब्लू फ़िल्म थिएटर में मैं अपने ज़ेब खर्च से दिखाता था।
मैं- उसके बदले तू क्या चाहता है?
रमित- भाभी??

रमित के बारे सोचकर बहुत बुरा लग रहा था मुझे उसका दर्द देखा नहीं जा रहा था, सोचा जाहन्वी तो मेरी बीवी है, रमित मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, बेचारे की किस्मत !
मुझे आज भी याद है कि हमने साथ में मुठ मारना शुरू किया था, हम अक्सर चुदाई की बातें करते थे और यह भी कहते थे कि जब शादी होगी तब खूब चुदाई करेंगे अपनी अपनी बीवी की।
मेरी शादी भी हो गई और फिर मैंने तो बहुत चुदाई की लेकिन बेचारा रमित बिन चुदाई के ही जिया।

अब मेरी बारी थी उसके कुछ देने की !
मैं- यार तू मेरी बीवी को चोदेगा?
रमित- लेकिन यार, भाभी भला तैयार होगी चुदने के लिए?
मैं- मैं तेरा दर्द समझता हूँ, जाहन्वी से मैं बात करूँगा, वो मान जाएगी, उसमें बस एक ही कमी है जब दारु पी लेती है तब वो बिल्कुल मदहोश हो जाती है फिर !
रमित- भाभी दारु भी पीती है?
मैं- कभी कभी लेकिन दारु उसे पसंद है और पीने के बाद फुल टल्ली !

उस शाम उर्वशी पढ़ने जा चुकी थी अपनी सहेली के घर, अब सुबह ही लौटेगी। मैंने जाहन्वी से रमित के लिए बात की, पहले तो वो एक्दम भड़क उठी, फ़िर मेरे बहुत मनाने, मिन्नत करने से वो मान गई। हमने तय किया कि दारू के नशे में जाहन्वी यही दिखाएगी कि उसे पता नहीं लग र्हा है कि उए कौन चोद रहा है।
हमने दारु पीनी शुरु की, पहले तो जाहन्वी रमित के सामने पीने से हिचकिचाई, फिर गटागट पीना शुरू किया।
देखते देखते जाहन्वी ने कई पेग पी लिए। यह कहानी आप HotSexStory.xyz पर पढ़ रहे हैं।
रमित- यार भाभी तो एकदम टैंकर है?
मैं- बस दोस्त अब तू देखता जा !

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मैंने रूम की सारी लाइटें बंद की और एक नाईट लैंप जला दिया।
मैंने जाहन्वी की नाईटी खोल कर हटा दी, रमित के सामने अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में थी।

जाहन्वी- जान, ये क्या कर रहे हो? हिच्च !
मैं- प्यार करना है न, चल यहीं लेट जा कारपेट पर !
जाहन्वी- रूम चलते हैं न जान हिच्च हिच्च !

मैं धीरे से- देख, कभी देखा है औरत को दो कपड़ों में?
रमित कूदकर जाहन्वी के पास बैठ गया।
रमित- यार भाभी के तो बहुत बड़े बड़े है, खोलकर नहीं दिखायेगा?

मैं- हट पागल भाभी न आज इसे जाहन्वी बोल, आज ये तेरी जाहन्वी है, देख ले जो देखना है।
रमित ने खुद ही जाहन्वी की ब्रा खोली और मम्मे दबाने लगा।
जाहन्वी अब तक बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी अब वो मुझमें और रमित में कोई फर्क महसूस नहीं कर पा रही थी।
रमित- यार मम्मे कितने मुलायम होते हैं, चूसकर देखता हूँ !

रमित बड़े प्यार से मम्मे चूस रहा था, फिर उसने पैंटी खोली, जाहन्वी की चूत हमेशा की तरह गीली थी, रमित चूत फैला फैला कर देख रहा था, उसमें से गन्दी बदबू आ रही थी, मुझे जाहन्वी की चूत की बदबू पसंद नहीं थी लेकिन पता नहीं रमित को कैसे नहीं आ रही थी ! वो तो अब जाहन्वी की चूत चाटने लगा।
जाहन्वी- अहह अह्ह्ह बस !
मैं- यार रमित, तुझे चूत की बदबू से घिन नहीं आ रही?
रमित- हट पागल चूत की खुश्बू है, भीनी भीनी सी, इतना नहीं सोचते !

जाहन्वी भी अब रमित की बांहों में थी और रमित सिर्फ चड्डी में और जाहन्वी नंगी पड़ी थी। रमित ने जाहन्वी के मुंह में लंड डाल दिया।
जाहन्वी भी चूसे जा रही थी, वो नशे में इतनी धुत्त थी,

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रमित अब जाहन्वी की जांघें फैला रहा था, मैं समझ गया था अब वो इसे चोदेगा। चालीस साल के लिए रमित का लंड काफी जानदार दिख रहा था।
रमित- यार भाभी की एकदम चिकनी है, तुझे तो बहुत मज़ा आता होगा?
मैं- हाँ तू भी ले इसके मज़े !

रमित ने अपना लंड बुर के ऊपर रखा, रमित का लंड मेरे से बड़ा और लंबा था, जाहन्वी लंड के लिए बौखलाई हुई थी।
रमित ने जाहन्वी के दोनों कूल्हों को ऊपर उठाया और अपना लौड़ा अंदर डालने लगा। जाहन्वी को पता नहीं समझ नहीं आ रहा था या नहीं कि आज उसे रमित चोद रहा था।
जाहन्वी- अई ! आराम से जी !

रमित चुप था लेकिन मैं उसके लंड को देख रहा था अंदर जाते हुए !
मैं- कैसा लग रहा है?
रमित- जन्नत दोस्त, आज तूने जन्नत की सैर करा दी।
रमित का लंड अंदर घुस चुका था और वो तेज़ तेज़ झटके मर रहा था, बीच बीच में वो पप्पी भी ले रहा था।
मैं- अरे मस्त पप्पी ले, जाहन्वी के होंठ बड़े मुलायम हैं, अच्छे से चूस के चुम्बन कर !

रमित मेरे कहने पर जाहन्वी के गुलाबी होंठों को चूस रहा था और जीभ भी अंदर बाहर कर रहा था।
रमित बहुत तेज़ झटके मार रहा था जिससे जाहन्वी को दर्द हो रहा था।
मैं- अरे, मेरी बीवी की फ़ुद्दी फाड़ेगा क्या?
रमित- अह्ह्ह आज मत रोको यार, इसकी तो बुर फाड़ दूंगा !
मैं- आराम से ! मम्मे भी चूस !

रमित एक एक करके मम्मे चूस रहा था।
जाहन्वी पूरी मदहोश थी और चुदाये जा रही थी। जाहन्वी चुद रही थी, रमित चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था।
मैं- यार बुर में मुठ मत निकालना, गर्भ ठहर जायेगा।

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रमित ने मुझे धक्का दिया, जब तक मैं उसे रोक पाता, मैंने रमित के गांड को सिकोड़ता हुए देखा, रमित अपना सारा मुठ उसकी चूत में छोड़ चुका था।
रमित स्खलित होकर एक तरफ निढाल हो गया और जाहन्वी भी !
लंड निकल चुका था और जाहन्वी की फ़ुद्दी से मेरे यार का मुठ बह रहा था।

जाहन्वी- आज मज़ा आ गया अहह वाओ !
मैंने जाहन्वी को बेडरूम पहुँचाया।

अगले दिन सुबह सुबह मैंने रमित को जाते हुए देखा, मैं बोला- रमित, तू आज ही जा रहा है?
रमित- हाँ यार, भाभी से आँख नहीं मिला पाऊँगा।
मैं- कैसी बात कर रहा है, तू तो मेरा यार है।
रमित- यार तूने को मुझे तोहफा दिया उसके लिए शुक्रगुज़ार रहूँगा, वर्ना मैंने सोच लिया था इस जन्म में मैं कभी चूत चोद नहीं पाता।
मैं- यार जब सेक्स का मन करे, ज़रूर आना, जाहन्वी मेरे बीवी है लेकिन तू मेरा दोस्त है जब चाहे तू उसे चोद सकता है।
रमित- नहीं दोस्त, एक रात बहुत था उम्र गुज़ारने के लिए, यही सोच के अब ज़िन्दगी भर मुठ मारनी है।

दोस्तो, सेक्स हर इंसान की ज़रूरत है, आज भी न जाने कितने बेरोज़गार नवयुवक, मज़दूर, रिक्शा वाले और जेल मैं बंद कैदी रोज़ रात मुठ मार कर सोते होंगे। और शादी शुदा लोग अपनी बीवी को चोद चोद के सोते हैं।
जो शादीशुदा हैं, वो रब का शुक्र अदा करें, कुंवारे लोग जल्दी अपना साथी तलाश करें।
क्यूंकि याद रखें:
एक तो कम ज़िंदगानी,
उस पर भी कम है जवानी !!
यह आपबीती है मेरे एक दोस्त की लेकिन आप सभी से मैं श्रेया आहूजा यह विनती करती हूँ कि भ्रूण हत्या ना होने दें !