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मेरी अधूरी जवानी की बेदर्द चुदाई-14

Meri Adhuri Jawani Ki Bedard Chudai-Hindi Sex

फिर एक दिन मैंने उन्हें कहा- आप कल आकर मेरे घर मुझसे मिल सकते हो !
सुनते ही वो खुश हो गए और बोले- क्या वाकई?
मैंने कहा- हाँ, कल 11 बजे तक आ जाओ, मम्मी ननिहाल जा रही हैं, पापा को
खेत पर जाना है, भाई जो स्कूल में पढ़ाने जाता है, वो स्कूल में ठेके पर
टीचर लगा हुआ है तो ये सभी वापिस शाम को आयेंगे !
मैंने उन्हें यह नहीं बताया कि भाभी आई हुई है और उसके एक बेटा और एक
बेटी और मेरा एक बेटा भी है। उन्होंने मेरी भाभी और उसके बच्चों का तो यह
सोचा कि वे भाभी के पीहर में होंगे और मेरे बेटे के बारे में यह सोचा कि
वो स्कूल जायेगा !
यह सोच कर वे खुश हो गए और बोले- मैं स्कूल से निकल कर बाइक से सीधा तेरे
गाँव आ जाऊँगा।
जीजाजी भी सरकारी टीचर हैं, उनका स्कूल मेरे गाँव से 25-30 किलोमीटर पर है।

मैंने कहा- हाँ, आ जाओ !
मैंने सोचा, देखेंगे, किस्मत हुई तो मौका देखा कर चौका मार लेंगे वरना
मिल तो जायेंगे क्योंकि मुझे अगले दिन जयपुर जाना था।
सुबह उन्होंने फोन पर पूछा- मम्मी ननिहाल गई क्या?
मेरी मम्मी जा रही थी इसलिए मैंने दबी आवाज में कहा- हाँ जा रही हैं !
फिर पूछा- और पापा?
मैंने कहा- वे तो जल्दी ही खेत पर गए।
यह सुनकर वे अपनी स्कूल से रवाना हो गए।

करीब 45-50 मिनट के बाद उनका फोन आया- मैं तेरे गाँव के बस स्टैण्ड तक
पहुँच गया हूँ, घर आ जाऊँ क्या?
मैंने कहा- हाँ आ जाओ जल्दी !
उस वक्त मैं कमरे में झाड़ू लगा रही थी, भाभी बाहर हाल में पोचा लगा रही
थी, मैं बिल्कुल धूल से भरी हुई थी, नहाई भी नहीं थी, घागरा और
कुर्ती-कांचली पहन रखी थी।
और वो 2-3 मिनट में बाइक लेकर घर आ गए। घर में घुसते ही मेरा और भाभी के
दोनों बच्चे उनके सामने गए खुश होकर और उनके सर पर मानो बम पड़ा ! रही
सही कसर मेरी भाभी जो पौचा लगा रही थी, उसने धोक लगा कर पूरी कर दी !
मुझे उनका चेहरा देख कर हंसी आ रही थी, उनके चेहरे पर पूरे बारह बज रहे थे !
बच्चे बाहर उनकी बाइक पर चढ़ रहे थे !
मुझे मालूम था वे आते ही मुझे बाँहों में पकड़ेंगे, वे फाटक से अन्दर आये
और जब मैंने धोक देकर कहा- आइये जीजाजी, जीजी को साथ नहीं लाये?
तो उन्होंने आशीर्वाद देते मेरा कन्धा गुस्से में जोर से दबाया मेरे मुँह
से कराह निकल गई पर हंसी भी उनकी हालत देख कर जबरदस्त आ रही थी !
फिर मैंने धीरे से कहा- मैं कल जयपुर जा रही हूँ, आपसे मिलना हो गया, यही
क्या कम है !

जीजा मुझे बाहों में लेने की कोशिश करने लगे, मैंने कहा- अरे अभी मैं धूल
से भरी हूँ, मेरी हालत ख़राब है !
ऐसा कह कर मैं एकदम नीचे बैठ कर उनकी बाहों से निकल कर बाहर भाग जाना
चाहती थी पर जीजाजी बहुत चपल थे और बहुत तेज़ भी, मेरी कोशिश उन्होंने
खुद नीचे झुक कर फ़ेल कर दी और मुझे पकड़ कर सीधा खड़ा कर दिया, सीधे मेरे
कुर्ती के ऊपर से ही स्तन पकड़े और मैं नहीं-नहीं करूँ, तब तक मेरे चुम्बन
लेकर होंठ भी चूस लिए और बोले- मेरी जान तू कैसी भी हालत में हो, मुझे तो
बहुत प्यारी लगेगी !
मैंने उन्हें कहा- अभी देखो, मुझ पर भरोसा रखो, आपका काम हो जायेगा ! अभी
बच्चे पड़ोस में जीमने जायेंगे तब मौका निकल जायेगा !
उनके मन में थोड़ी आशा जगी, उन्होंने अपनी पैंट का उभार दिखाया और कहा-
मुन्ना जाग गया है अपनी मुन्नी से मिलने के लिए !

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मैं हंस पड़ी !
फिर उनको चाय पिलाई और बच्चों को जीमने भेज कर मैं बाथरूम में चली गई नहाने !

जीजाजी भूखे शेर की तरह मेरे घर में इधर उधर घूम रहे थे !
मैं नहा कर आई तब वे कमरे में थे, मैं कमरे में गई खुले और गीले बालों के साथ !
जीजाजी की उत्तेजना चरम सीमा पर थी !
भाभी बाहर झाड़ू लगा रही थी, मैं कमरे में गई तो मुझे कोई गाना याद आया
मैंने वो गा कर थोड़ा ठुमका लगा कर जीजाजी के अपनी कमर हिला के गाण्ड से
टक्कर मारी तो अनजान खड़े जीजाजी पलंग पर गिर गए, मुझे फिर से हंसी छुट
गई, मैं उन्हें देख कर बहुत खुश थी, मेरे लिए सेक्स कोई मायने नहीं रखता
पर जीजाजी का दिमाग सेक्स पर ही घूम रहा था इसलिए वे बस कैसे चोदूँगा-
कैसे चोदूँगा ही अपने दिमाग में सोच रहे थे, कुछ फिक्रमंद भी थे इसलिए
उन्होंने गाण्ड से ठुमका लगा कर गिराने का कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया !
मैं खड़ी थी, जीजाजी पलंग पर बैठे थे। मुझे उन पर कुछ दया आई, मैंने अपनी
मैक्सी उठाई और अपनी नंगी चूत उनके सामने कर दी और बोली- अभी भाभी नहाने
जाएगी, तब तुम चौका लगा लेना और यह आइसक्रीम खा लो !
ऐसा कहते ही बैठे-बैठे जीजाजी ने अपना मुँह मेरी नहाई-धोई चिकनी चूत पर
लगाया और सपर-सपर चाटने लगे। आनन्द से मेरी आँखे बंद होने लगी। एक मिनट
भी नहीं चाटा होगा कि बच्चों का शोर सुनाई दिया और मैंने फटाफट अपनी
मैक्सी नीचे की और कमरे से बाहर आ गई। यह कहानी आप HotSexStory.xyz
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अब जीजाजी का चेहरा और उनकी झुंझलाहट देखने लायक थी !
मैंने उन तीनों बच्चो को कहा- जल्दी जीम कर आ गए?
तो मेरे बेटे ने कहा- जीमन अच्छा नहीं था !
मेरी भाभी वहाँ आ गई थी और बच्चों से कह रही थी- तुम्हें एक जगह और भी जाना है !
बच्चे मना कर रहे थे- वहाँ नहीं जायेंगे, बहुत दूर घर है।
मैंने कहा- यहाँ तो तुम्हें जिमा कर 2-2 रूपये ही दिए थे, वहाँ 5-5 रूपये
देंगे और उनके जिमन भी अच्छा है।
जीजाजी भी जाने का जोर दे रहे थे कि वहाँ जीम के आओगे तो तुम्हें बाइक पर घुमाऊँगा।
खैर जीजाजी की किस्मत ने जोर मारा और बच्चे रवाना हो गए।
उनके जाते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, भाभी ने पानी की बाल्टियाँ बाथरूम
में रखी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई।
अब घर सुनसान हो गया था, हम कमरे में भागते से गए और अन्दर वाले कमरे में
जाकर मैंने जीजाजी को कहा- अब फटाफट कर लो !
पर उन्होंने कहा- उस कमरे में नहीं, वहाँ से बाहर का ध्यान नहीं रहेगा।
इस बाहर वाले कमरे में आओ, इससे बाहर भी दीखता भी रहेगा और कमरे की
खिड़की से बाथरूम का दरवाजा भी दीखता रहेगा कि भाभी बाहर निकली तो हमें
पता चल जायेगा।

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हम ये बातें फुसफुसा कर कर रहे थे !
मुझे जीजाजी का विचार पसंद आ गया, मैं जीजाजी के दिमाग की कायल हो गई और
उस कमरे में आकर खिड़की से बाथरूम का दरवाज़ा देखा वो बंद था, खिड़की पर
मच्छर जाली लगी थी इसलिए हमें तो बाहर का दिख रहा था बाहर से अन्दर कुछ
नहीं दीखता था।
मैं सीधे पलंग पर लेट गई, अपनी मैक्सी ऊँची कर दी और जीजाजी को कहा-
फटाफट अपना पानी निकाल लो ! और कुछ भी चूमा चाटी नहीं करनी है, वक़्त
बहुत कम है, किसी के आने पर आपका बिना निकले ही रह सकता है, फिर मुझे दोष
मत देना !
जीजाजी ने पैंट की चैन खोली अपने अकड़े हुए लण्ड को मुश्किल से बाहर
निकाला और मेरी ऊँची की हुई टांगों के बीच में बसी चूत के छेद में थूक
लगा कर पेल दिया !
मैंने कहा- कंडोम कहाँ है? मैं ऐसे नहीं चुदवाऊँगी !
वे बोले- यार तुमने हाथ फ़ेरने दिया नहीं, चाटने दिया नहीं, अब 2 मिनट तो
मेरे नंगे लण्ड को तुम्हारी नंगी चूत में जाकर चमड़ी से चमड़ी तो मिलने दे,
मेरी जेब में कंडोम है, अभी लगा लूँगा ! तुम्हारे चूत में ऐसे ही थोड़ी
देर घुसेगा तो यह ज्यादा गर्म हो जायेगा और मेरा भी पानी फटाफट निकल
जायेगा !
मैंने कहा- ठीक है !

अब वे जोर जोर से धक्के लगा रहे थे और उनके हर धक्के से कुछ पुराना पलंग
थोड़ा चूं चूं कर रहा था, मैं सोच रही थी कि कहीं बाहर यह आवाज़ नहीं चली
जाये। पर कोई विकल्प नहीं था।
दो मिनट बाद ही जीजाजी ने लण्ड बाहर निकल लिया और जेब से कंडोम का पैकेट
निकाल कंडोम निकलने लगे।
मैं एकदम पलंग से उठ कर बाहर गई, जीजाजी ने पूछा- क्या हुआ? कहाँ जा रही हो?
मैंने कहा- मैं थोड़ा ध्यान रख कर आ रही हूँ।
मैंने बाहर हाल में जाकर कुछ कुर्सिया खिसकाई ताकि भाभी को पता चले कि
मैं हाल में काम कर रही हूँ, साथ ही भाभी को आवाज़ देकर कहा- पानी ज्यादा
मत ख़राब करना, जल्दी से नहा लो !
वो बोली- अभी तो मैंने शुरू किया है, क्यों परेशान करती हो? अभी मुझे
नहाने में समय लगेगा !
यह सुनकर मुझे पता चल गया कि भाभी अभी नहीं बाहर आएगी और मैं फटाफट
जीजाजी के पास पहुँच गई। वो अपने लण्ड पर कंडोम चढ़ाये हाथ में लेकर
मुट्ठिया दे रहे थे। मुझे पता था ये अपना पानी जल्दी निकलने की कोशिश में
हैं, मैं यहाँ नहीं थी तब वे रुके नहीं थे और हाथ से काम चला रहे थे !
मैं फिर से फटाफट लेट गई और अपनी मैक्सी उठा कर अपनी टांगें ऊँची कर फिर
से चोदने की दावत दी !
जीजाजी तैयार ही थे, उन्होंने फटाफट अन्दर डाला और एक्सप्रेस ट्रेन की
तरह शुरू हो गए। उनके कूल्हे बिजली की गति से ऊपर-नीचे हो रहे थे और उनकी
तूफानी रफ़्तार से मेरी चूत पसीज गई थी, पानी छोड़ रही थी, मुझे स्वर्गिक
आनंद मिल रहा था और मैं पीछे तिरछी होकर खिड़की को देखना बंद कर जीजाजी
से चिपक गई और अपनी गाण्ड उचका-उचका कर चुदा रही थी। मेरी दबी-दबी
आहें-कराहें निकल रही थी।
पहले मेरा मज़े लेने की कोई इच्छा नहीं थी, मैं सोचती थी कि जीजाजी का
पानी निकाल कर इन्हें खुश करना है, पर मेरे भी आनन्द के सोते फ़ूट पड़े थे।
और जीजाजी ने भी झटका खाकर धीरे-धीरे होकर अपना लण्ड फटाफट बाहर निकाला,

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कंडोम की गांठ लगा कर अपनी जेब में डाल लिया और बाहर हाल में चले गए !

उनके चेहरे से संतुष्टि झलक रही थी।
मैंने भी अपने पानी से गीली हुई चूत को वहाँ पड़े पुराने कपड़े से पौंछा,
फटाफट चड्डी पहन ली और मैक्सी को सही कर भाभी के बाथरूम के पास चली गई।
मुझे अचम्भा हुआ कि जीजू की चुदाई सिर्फ 6-7 मिनट चली थी, यानि मौके के
हिसाब से वे सही में अपना पानी निकाल लेते हैं ! हाँ गति उनकी बहुत तेज़
थी।
जीजू बाहर हाल में लेट कर अपनी सांसें सही कर रहे थे !
भाभी भी नहा कर बाहर आ गई, थोड़ी देर में बच्चे भी आ गए और अब मेरी ड्यूटी
पूरी हो गई थी इसलिए मुझे कोई चिन्ता नहीं थी !
थोड़ी देर बाद जीजाजी के साथ बाज़ार गई उनकी बाइक पर बैठ कर, मैंने जब तक
दूकान से सामान लिया तब तक आगे एक गन्दा नाला था, जिसमें जीजाजी जेब में
लाया हुआ कंडोम फेंक आये !

वापिस घर पहुँची तो मैंने जीजाजी को कहा- आप अपने गाँव कल ही जाना, सुबह
मेरी जल्दी की गाड़ी है, आप मुझे बाइक पर स्टेशन छोड़ देना ! आपके ससुरजी
भी शाम को आ जायेंगे, उनसे भी मिल लेना और जो बच्चो से वादा किया था,
इन्हें भी बाइक पर घुमा लाओ ! चलो हमें हमारे खेत ले जाओ !
वहाँ पापा की चाय लेकर जानी थी !

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