चुदाई की कहानियाँ

मेरी अधूरी जवानी की बेदर्द चुदाई-15

Meri Adhuri Jawani Ki Bedard Chudai-Desi kamukta kahani

अब बाइक पर मैं, मेरी भाभी उसके दो बच्चे एक टंकी पर, दूसरा उसकी गोद में
! जीजाजी और भाभी के बीच में मैं ही बैठी थी, मुझे पता था इतने जने बाइक
पर बैठेंगे तो एक दूसरे से चिपक कर बैठना पड़ेगा और मैं नहीं चाहती थी कि
मेरे जीजाजी के पीठ में मेरी भाभी के स्तन चुभें !
वास्तव में वहाँ मुझे ईष्या हो रही थी।
इस प्रकार हम सब बाइक पर बैठ गए, रास्ते में काफी रेत थी, जीजाजी सावधानी
से चला रहे थे पर एक मोड़ पर हमारी बाइक रेत के कारण टेढ़ी हो गई पर
जीजाजी ने गिरने नहीं दिया।
खैर हम खेत पर पहुँच गए, पापा बहुत खुश हुए जीजाजी को देख कर !
फिर हम वापिस आ गए, तब मेरी मम्मी भी ननिहाअल से आ गई, वो बड़ी शक्की है,
उन्होंने पूछा- तेरे जीजाजी कब आये? ये कभी आते तो नहीं हैं, आज कैसे आ
गए? और तेरी दीदी को साथ क्यों नहीं लाये?

ऐसी बातें वो मुझसे पूछ रही थी। मैंने उसका शक दूर किया पर अब मुझे पता
चल गया था कि अब ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे मम्मी को और शक हो जाये।
ये बातें मैंने जीजाजी को भी इशारों से बता दी थी !
जीजाजी ने पूछा- यार, मैं रात को रुकूँगा तो मेरा काम हो सकता है क्या?
पर मैंने उनको सख्ती से चेतावनी दे दी कि आपका काम मैंने कर दिया है, अब
रात को आपने कुछ करने की कोशिश की तो अपना रिश्ता आज से टूट जायेगा !
इतना सुनते ही जीजाजी चुप हो गए और बोले- मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा, मैं
संतुष्ट हूँ, बस अपने रिश्ते तोड़ने वाली बात मत करो यार ! मेरे दिल में
दर्द होता है !

मुझे जल्दी उठना था, रात को सामान भी बांधना था। वास्तव में जीजाजी ने
अपना वादा निभाया, मुझे नहीं छेड़ा, चुपचाप हाल में सोते रहे।
मुझे पता था कि मेरी मम्मी कमरे में सो रही हैं पर हर आहट पर उनके कान
लगे हुए हैं, अब उनको क्या पता कि जो होना था वो दोपहर में ही हो गया !
औरत का मन होता है तो वो कहीं भी और कभी भी चुदवा लेती है, उसके लिए कोई
पहरा काम नहीं आता है !
सुबह चार बजे जयपुर के लिए गाड़ी थी, मैंने जीजाजी को और अपने भाई को 3.30
बजे उठा दिया था, वो दोनों और मैं साथ-साथ स्टेशन गए। मुझे पता था कि
लेडीज डिब्बा गार्ड के डिब्बे के पास लगता है इसलिए हम काफी पीछे गए,
आगे-आगे भाई चल रहा था और उसके कंधे पर मेरा बैग था। स्टेशन के इस तरफ 4
बजे से पहले इतने यात्री भी नहीं थे इसलिए जीजाजी चलते चलते कई बार मेरे
चूतड़ों पर हाथ फेर देते थे तो कभी स्तन दबा देते थे। कुछ ठण्ड भी लग रही
थी और मैं उनके चिपक कर भी चल रही थी। मेरा भाई जो आगे चल रहा था, उसे
हमारी इस लीला का कुछ पता नहीं था !

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मैं भी रात में जीजाजी के सेक्स के लिए कोशिश नहीं करने पर उनसे खुश थी,
मुझे पता था कि उनके लिए कितना मुश्किल हुआ होगा पने पर काबू करना इसलिए
मैंने चलते चलते उनका गाल चूम कर उन्हें इसका इनाम दे दिया !
गाड़ी आई और मैं बैठ गई, जीजाजी और मेरा भाई दोनों बाहर रहे। मेरी भी
ट्रेन चल रही थी, मैं उन्हें देख रही थी, साथ जाते जाते दोनों ही लम्बे
थे, दोनों लम्बू वापिस घर जा रहे थे जब तक मैं देखती रही मैं और वे दोनों
हाथ हिलाते रहे। फिर मैं आकर बर्थ पर बैठ गई और अपनी ड्यूटी संभाल ली !
जीजाजी का फोन आता, कहते- अब जब भी तुम्हें गाँव जाना हो, मुझे फोन करना,
मैं जयपुर आ जाऊँगा, एक रात वहीं होटल में ठहरेंगे, फिर साथ ही गाँव आ
जायेंगे !

मैंने कहा- पहले कुछ नहीं कह सकती, बाद में सोचेंगे !
मेरी माहवारी की तारीख जीजाजी को पता होती, मेरी माहवारी हमेशा महीने के
4 दिन पहले आती उस हिसाब से जीजाजी हर माहवारी की तारीख का अंदाज़ अगले
महीने 4 दिन पहले से लगा लेते !
अब आप सोचेंगे माहवारी का कहानी में क्या मतलब? पर मतलब है इसलिए यह बात
बता रही हूँ !
मैंने उन्हें 3-4 दिन पहले गाँव जाने की तारीख बता दी तो उन्होंने कहा-
तेरी माहवारी आने की तारीख है उस दिन, इसलिए तू मेडिकल स्टोर से
संडे-मंडे की गोलियाँ ले लेना, दो दिन पहले से रोज़ की एक ! ये गोलियाँ
माहवारी का दिन आगे खिसकाने के काम आती हैं !
पर मुझे गोलियाँ लेना पसंद नहीं था इसलिए मैं उन्हें झूठ ही कह दिया कि हाँ ले ली !
वो फोन पर बात करते, उनके लिए मेरे फिक्स डायलोग थे ! जैसे वो एक बात
पूछते थे- अपना काम कब व कैसे होगा?

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मेरा डायलोग था- देख के मौका मारो चौका !
वो पूछते- कंडोम कितने लाऊँ?
मेरा डायलोग होता था- एज यू लाइक !
हर फोन पर मुझसे चुम्बन जरूर मांगते थे और कहते थे- ये चुम्बन जब तुम
मुझसे मिलेगी तो वापिस लौटा दूँगा !
जब तक चुम्बन नहीं देती, मुझे फोन नहीं रखने देते, अगर रख भी देती तो
चुम्बन के लिए वापिस लगा देते !
जिस दिन मैं रवाना हुई, जिसका डर था, वही हो गया, मेरी माहवारी शुरू हो गई !
मैंने कपड़ा लगाया और रवाना हुई। अब मैंने जीजाजी फोन किया- कहाँ हो?
वो बोले- रास्ते में हूँ, आ रहा हूँ मेरी जान !
मैंने कुछ अटकते अटकते कहा- आपका काम तो नहीं होगा !

उन्होंने एकदम से पूछा- क्यों?
मैंने कहा- मेरी माहवारी शुरू हो गई है !

उन्होंने फिर पूछा- संडे मंडे गोली नहीं ली क्या?
मैंने झूठ ही कहा- आज सुबह ही ली है पर नहीं रुका !
जीजाजी ने कहा- अरे यार। दो दिन पहले से लेनी थी। खैर कोई बात नहीं। मुझे
तेरे साथ रहना है ! रात भर मेरे सीने से चिपक कर सो जाना, मेरा दिल हल्का
हो जायेगा और मुझे तुमसे बातें करनी हैं, साथ रहना है, सेक्स कोई जरूरी
नहीं है।
वे मुझे होटल में ले गए और फ़िर वही कहा कि सेक्स जरूरी नहीं है।
मैं उनकी बातें सुनकर उनके प्रति प्यार में भर गई, फिर मैंने कहा- वैसे
मेरे इतना ज्यादा खून नहीं आता है, फिर आज तो पहला दिन है !
तो बोले- फिर तुम चिंता मत करो, वैसे भी मैं कंडोम साथ लाया हूँ और उनको
प्रयोग करता ही हूँ, बस आइसक्रीम खाने को नहीं मिलेगी !
मैंने सोचा- चलो, ज्यादा नाराज़ तो नहीं हुए ! मैं सोच रही थी कि मेरी
गलती से उनका आनन्द चला गया पर वो मुझ पर नाराज़ नहीं हुए !
मुझे किसी ने कहा था कि औरत के जब माहवारी आती है तो कुछ बदबू सी आती है,
अब मुझे इस बदबू का कोई पता ही नहीं चलना था क्योंकि मेरे नाक में कोई
बीमारी है, मुझे ना तो कोई खुशबू आती है और ना ही बदबू, इस कारण मैं कई
बार सब्जी बनाते बनाते जला देती हूँ !
इसलिए जीजाजी कभी अपने बिस्तर पर खुशबू छिड़क कर या फ़ूल बिछा कर चुदाई
करते हैं तो मैं कहती हूँ मुझे उस खुशबू का कोई पता ही नहीं चलता तो
क्यों पैसे लगाते हो !

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फिर उन्होंने कहा- तुम्हारी नाक का ऑप्रेशन करवाना पड़ेगा !
मैंने कहा- मुझे नहीं करवाना, मुझे तो चीरे और टांके के नाम से ही डर
लगता है और आपको फायदा है, आप भले कैसे ही रहो, मुझे तो बदबू आएगी नहीं !

और मैं हंस देती थी !
जीजाजी ने कहा- तब तो अच्छा है, मेरे सेंट और स्प्रे के पैसे बच गए !
पर मुझे लग रहा था कि शायद जीजाजी को मेरी बदबू ना आ जाये ! इसलिए मैंने
उन्हें उलाहना दिया- आज मैं आपके काम की नहीं हूँ, इसलिए आप ना तो नजदीक
आ रहे हैं और ना ही मुझे गले लगा रहे हैं !

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