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मेरी गांड को निहार रहे थे अमित ऑफिस में

(Meri Gand Ko Nihar Rahe The Amit Office Mein)

Desi Gand Ki Chudai मेरे पति स्कूल में टीचर थे और मेरी शादी को अभी सिर्फ 3 वर्ष ही हुए थे लेकिन एक दिन मेरे पति दीपू की तबीयत एकदम से खराब हो गई मैं उस दिन बहुत ज्यादा घबरा गई थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनकी तबीयत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि उन्हें अस्पताल में लेकर जाना पड़ा अब उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया था और डॉक्टरों की निगरानी में उनका ऑपरेशन होने लगा लेकिन उनका ऑपरेशन सफल नहीं हो पाया और उसके कुछ ही दिनों बाद दीपू की मृत्यु हो गई। Meri Gand Ko Nihar Rahe The Amit Office Mein.

जब दीपू की मृत्यु हो गई तो मैं बहुत ही अकेली हो गई थी मेरे सास-ससुर और जितने भी हमारे समाज के लोग हैं उन्होंने मेरे ऊपर ही दीपू की मौत का इल्जाम लगा दिया। मुझे इस बात का बहुत ही दुख था कि मेरी गलती की वजह से तो ऐसा नहीं हुआ है लेकिन शायद मेरे भाग्य में यही लिखा था और मैंने भी अपने भाग्य में लिखे हुए को स्वीकार कर लिया।

मेरी जिंदगी जैसे थम सी गई थी मेरे पास ना तो कोई ऐसा था जिससे कि मैं बात कर पाती और ना ही कोई मेरा अपना था मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी। मैं अंदर ही अंदर मानसिक तौर पर बीमार होने लगी थी मैं बहुत ज्यादा बीमार रहने लगी थी और मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था मेरे पास किसी भी बात का जवाब नहीं था। कुछ दिनों के लिए मैं अपने मम्मी पापा के पास चली गई थी लेकिन मम्मी पापा के पास जाने से भी मुझे मेरी बातों का जवाब नहीं मिला और मैं अंदर ही अंदर इस बात से परेशान थी कि कहीं मेरी वजह से ही तो दीपू की मृत्यु नहीं हुई है।

मैंने दीपू की मृत्यु का जिम्मेदार अपने आप को ही ठहराना शुरू कर दिया था स्कूल की तरफ से मुझे नौकरी का लेटर आ गया और उसके बाद मैंने स्कूल में ही नौकरी करनी शुरू कर दी। मेरे आस-पास अब नए लोग मुझे नजर आने लगे थे और माहौल थोड़ा सा बदलने लगा था माहौल के बदलने से मैं थोड़ा बहुत खुश होने लगी थी। मुझे लग रहा था कि अब मैं शायद अपनी जिंदगी को पहले की तरह ही जी पाऊं लेकिन मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान थी कि मेरा जीवन कितना अकेला है।

मैं जब अपने ससुराल लौटती तो अपने सास-ससुर का चेहरा देख कर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वह लोग अब तक मुझे दीपू की मृत्यु का जिम्मेदार ठहरा रहे थे और मुझे भी इस बात का दुख था कि दीपू की मृत्यु हो चुकी है लेकिन कोई मुझे समझने को ही तैयार नहीं था। मेरा जीवन जैसे थम सा गया था मेरी जिंदगी अब स्कूल और घर के बीच तक ही सिमट कर रह गई थी मेरे पास और कोई भी दूसरा रास्ता नहीं था कि मैं किसी के साथ बात कर सकूँ या फिर किसी से मैं अपने दिल की बात कह पाऊं। मैं बहुत ही ज्यादा तन्हा और अकेली हो गई थी हमारे ऑफिस में ही अमित जी काम करते हैं और उनके हंसमुख स्वभाव की वजह से वह सब लोगों को हंसा दिया करते हैं लेकिन मैं उनकी बातों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया करती थी और अभी तक मैं अपने आप को पूरी तरीके से उन लोगों के साथ एडजस्ट भी नहीं कर पाई थी।

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मैं सिर्फ अपने आप तक ही सीमित रह कर रह गई थी और जब भी कोई मुझसे बात करता तो मैं सिर्फ उसके बातों का ही जवाब दिया करती थी इस बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान भी थी। एक दिन अमित जी ने लंच टाइम में मुझसे पूछा कि सुलेखा मैडम आपकी आंखों में मुझे देख कर लगता है कि आप बहुत ज्यादा परेशान है तो मैंने उस दिन अमित  जी को अपने दिल की बात कह दी जैसे मैं उनके मुंह से यह बात सुनने के लिए बेताब थी की वह मेरे बारे में कुछ तो पूछे।

मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया उन्हें यह बात तो मालूम थी कि मेरे पति का देहांत हो चुका है लेकिन उन्हें मेरे अंदर की पीड़ा मालूम नहीं थी मैंने जब उन्हें अपनी तकलीफ़ को बताना शुरू किया तो उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया। अमित जी ने मेरा इतना साथ दिया कि शायद उनकी जगह कोई और होता तो मुझे कभी समझ नहीं पाता अमित जी मुझे हमेशा ही समझाते रहते और उनकी बातें जैसे मेरे दिमाग पर सीधा असर करती थी। मुझे अमित जी से बात करके बहुत अच्छा लगता था उन्होंने ही कहीं ना कहीं मुझे इस सदमे से बाहर करने में मेरी मदद की।

मैं अब इस सदमे से तो बाहर आ चुकी थी लेकिन शायद मेरे पास अभी तक कोई भी ऐसा नहीं था जो कि मुझे समझ पाता या फिर मेरी भावनाओं को वह समझ कर मुझे कुछ कह पाता लेकिन अमित जी के मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन होने लगा। उन्होंने मुझे बताया कि कैसे मुझे अपने सास-ससुर का ध्यान रखना चाहिए मैं बिल्कुल उन्हीं की बातों का आचरण करने लगी और सब कुछ मेरे जीवन में जैसे ठीक होने लगा था।

मेरे सास ससुर भी मुझे अब प्यार करने लगे थे मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह लोग मुझे प्यार करेंगे सब कुछ इतनी जल्दी में हो रहा था कि मेरे लिए तो यह किसी सपने से कम नहीं था। अमित जी का मैं दिल से शुक्रगुजार थी कि उनकी वजह से ही तो मैं अब पूरी तरीके से ठीक हो पाई हूं इसलिए अमित जी के साथ मैं ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करती थी। जब भी वह ऑफिस में होते तो हमेशा ही वह मजाकिया अंदाज में नजर आते थे उनके मजाक करने का तरीका सब लोगों को अच्छा लगता था और सब लोग उनसे बहुत खुश रहते थे।

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मेरे जीवन में सिर्फ अमित की ही अहम भूमिका थी अमित के अलावा मैं किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थी क्योंकि मुझे लगता था कि शायद अमित के अलावा मुझे कोई भी समझ नहीं पाता है। मैंने अमित को अपना सब कुछ बना लिया था वह मेरी हर एक जरूरतों को समझते भी थे। एक दिन मैंने अमित को घर पर बुलाया उस दिन अमित मेरी तरफ ही देख रहे थे मेरे सास-ससुर उस दिन कहीं बाहर गए हुए थे मै ही घर पर नहीं थी। मैं अमित को उनसे पहले भी मिलवा चुकी थी जब अमित मेरी तरफ देख रहे थे तो मैंने उनसे पूछा आप मुझे ऐसे क्या देख रहे हैं तो वह कहने लगे कि आपकी सुंदरता को मैं निहार रहा था।

उन्होंने मेरी सुंदरता की बहुत ज्यादा तारीफ कर दी थी जिससे कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना पाई जब अमित ने अपने हाथ को मेरी जांघ पर रखा तो मैं मचलने लगी थी। काफी समय बाद मैंने किसी के बारे में अपने मन में ऐसे ख्याल पैदा किए थे जो ख्याल मेरे मन में पैदा हो चुके थे वही अमित के मन में भी चल रहे थे। अमित ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया तो मैं उठकर अमित की गोद में चली गई। अमित का लंड खड़ा होने लगा था अमित का लंड मेरी चूतडो से टकराने लगा था मैं समझ गई थी अमित बिल्कुल भी नहीं रह पाएंगे और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रही थी।

मैंने अमित के लंड को बाहर निकाला उसे जब मैं अपने हाथों से हिलाने लगी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था अमित और मैंने कभी भी एक दूसरे के बारे में ऐसा सोचा नहीं था लेकिन उस वक्त ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी थी कि हम दोनों ही कुछ सोच नहीं पा रहे थे। ना ही मैं कुछ सोच पाई और ना ही अमित कुछ सोच पा रहे थे। मैंने उनके लंड को हिलाना शुरू किया और काफी देर तक मैं अमित के लंड को अपने हाथों से हिलाती रही। अमित का लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो रहा था वह मुझे कहने लगे कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। अमित के मोटे और काले लंड को मैंने अपने मुंह के अंदर समा लिया अमित का लंड मेरी मुंह के अंदर घुस चुका था अब मैं उसे बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी। मैं अपनी जीभ से अमित के लंड को चाटती तो वह बहुत ज्यादा खुश हो जाते। “Meri Gand Ko Nihar”

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अमित ने मुझे उठाते हुए बिस्तर पर लेटा दिया अमित ने मेरे सूट को उतारकर मेरी लाल और सफेद रंग की ब्रा को उतार दिया। जब अमित ने मेरी ब्रा को उतारा तो उसके बाद उन्होंने कुछ देर मेरे स्तनों का रसपान किया जब वह अपने लंड को मेरे दोनों स्तनों के बीच में रगड़ने लगे तो मुझे अच्छा लग रहा था मेरी चूत से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था मैं अपने आपको बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी।

अमित ने मेरी उत्तेजना को उस वक्त और भी बढ़ा दिया जब वह मेरी चूत को चाटने लगे वह मेरी चूत को बड़े ही अच्छे तरीके से चाट रहे थे और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अमित ने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो अमित का लंड मेरी चूत के अंदर आसानी से जा चुका था क्योंकि मेरी चूत पूरी तरीके से गिली हो चुकी थी और गीली हो चुकी चूत के अंदर लंड आसानी से चला गया था।

मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा किया तो अमित मुझे और भी तेजी से धक्के मारने लगे अमित के धक्के में भी तेजी आने लगी थी और वह मुझे कहने लगे कि मुझे आपकी चूत को महसूस करने में मजा आ रहा है। उन्होने बहुत देर तक मेरी चूत मारी मेरी चूत का उन्होंने भोसड़ा बना कर रख दिया था लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैं अपने मुंह से लगातार सिसकियां ले रही थी और वह भी बहुत खुश नजर आ रहे थे। “Meri Gand Ko Nihar”

उन्होंने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए मेरी गांड के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे घुसाना शुरू किया पहले तो मेरी गांड में उनका लंड आसानी से नहीं जा रहा था। जैसे ही उनका मोटा लंड मेरी गांड के अंदर गया तो  मै चिल्लाने लगी वह बड़ी अच्छी तरीके से मेरी गांड मार रहे थे। गांड की आग को जब लह झेल नही पाए तो उन्होंने मेरी गांड के अंद अपने वीर्य को प्रवेश करवा दिया था।