Family Sex Storiesमाँ की चुदाई

मेरी हिंदी कि पूरी कहानी-2

Meri Hindi Chudai Ki Poori Kahnai-2

माँ ने अपने पैर को फैलाया और अपनी बुर को सहलाया. बुर पर काले काले जांट थे लेकिन बड़े नहीं..  शायद १० दिन पहले ही शेव किया गया हो. डबल रोटी जैसे फुला हुआ बुर का पड़ था. मैंने जिन दो औरतो  को चोदा था उनसे बड़े क्लिट थे लेकिन बुर का फांक फैला हुआ नहीं था… मेरी माँ की जंघे बहोत ही  मस्त और मोटी मोटी थी. बुर को सहलाते हुए मेरी माँ ने कहा,

मेरे बेटे “तू अब तक दो दो बुर मे लौड़ा पेल चुका है, यह मेरा बुर है, देखा ना सब औरतों का बुर एक जैसा ही होता है तेरी मां का बुर भी सपना काकी और तेरी बैंक वाली रंडी की बुर के जैसा ही है.”

मैंने पैंट के ऊपर से लोड़े को सहलाते हुए मां के बुर को ध्यान से देखाने के बाद कहा,

“नहीं माँ, सपना काकी का बुर तुमसे बड़ा है फांक बहुत फैला हुआ है”….

मां ने कहा : हरामी तेरे मोटे लोड़े ने चोद चोद कर सपना का बुर फैला दिया है.

मैंने कहा : लेकिन रेखा ( मेरी बेंक वाली ओरत ) का बुर अंदर की और चिपका है, तुम दोनों के बुर से छोटा है और फांक भी बहुत टाइट है उसकी.

मैंने ट्राउजर की चेन को खोल दिया.

मां ने कहा : एक दो साल और चुदवाएगी तुमसे तो उसका बुरा भी मेरे जैसा, सपना जैसा फ़ैल जाएगा.

अब मैं माँ को किसी भी  तरह से चोदना चाहता था. उसने देखा कि मैं ब्राउजर का बटन खोल रहा हूं उसने मुझे मना किया.

“बेटा, तुम ने बुर देख लिया, लौड़ा बाहर मत निकालो”.

मैंने तो जोर से अपनी पेंट से हाथ हटाया और दोनों हाथ जॉइन कर मां को प्रणाम किया, आगे आ कर निचे जूक कर दोनों पैर को टच किया.

“ माँ, अपनी मस्त, सुंदर चूची भी दिखा दो… प्लीज मां, तेरी जैसी मस्त माल ना तो सपना का है और ना रेखा का है , उसकी चूची तो बहुत छोटी है.                                                                                   “Hindi Chudai Ki Poori Kahnai”

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मैंने एक हाथ से  साइज बनाकर चूची का साइज दिखाया. माँ फिर ना ना कहने लगी लेकिन आखिर मान गई…

उसने कहा तू बहुत बड़ा हरामी हो गया है.. ले देख ले.

और बोलते बोलते मार ने झटके से ब्लाउज के चारों बटन एक ही झटके में खोल डाले और मेरे सामने थी मेरी माँ की दो बड़ी बड़ी मांसल चुचिया.  मुझे याद नहीं आया कब मैंने आखिरी बार इन चुचियों को देखा था…

फिर मैने मेरी माँ से कहा की माँ यह चुचिया जितनी तेरी है, जितनी  बाबू जी की है, उतनी मेरी भी है. मैंने  ईसे बहुत दबाया और चूसा है. तू बुर में हाथ नहीं लगाने दोगी, या लवडे को बुर से सटाने नहीं दोगी. कम से कम चूची को तो मसलने दो, चूसने दो…उफ्फ्फ वाह्ह क्या मस्त गजब की चूचीया हे मेरी जान..  कभी ध्यान ही नहीं दिया कि तेरे पास इतना मस्त माल है.

दूसरी औरतों की तरह मां को भी अपनी अच्छी बात बहुत पसंद आई, उसने अपनी बूब्स  को मेरी और ठेला, निपल्स टाइट हो गए थे, अपने वजन से जो थोड़े ढल गए थे. अब टाइट दिखने लगे.                                           “Hindi Chudai Ki Poori Kahnai”

फिर थोड़ी माँ बेटे के बिच हां ना हां ना होता रहा और मैने कंधे को पकड कर थोड़ा धक्का दिया, वह वरन्दाह पर मेरे बेड पर बैठ गई. मैंने उसके कंधे दबाएं रखे और बेड पर नीचे दबाया.  अब माँ  मेरे बेड पर सो गई थी.

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वह उठने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने कंधों को दबाए रखा हुआ था तो उसकी कोशिश नाकाम रही.

“ मां, देखो मैंने कपडे पहन रखे है. चाह कर भी तेरी प्यारी बुर में लौड़ा नहीं पेल सकता. लेकिन एक बार, अपनी नंगी जवानी को टच करने दो.. प्लीज़ माँ मना मत करो मुझे मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं.”

फिर थोड़ी देर की ना ना.. थोड़ा गुस्सा.. और फाइनली मां ने खुद मेरा एक हाथ पकड़कर एक चूची पर रख दिया. मुझे बहुत गरम लगा था जैसे दूसरी दोनों औरतों की चुचियो को टच करने पर लगा था…

मां सपना काकी और रेखा दोनों की चुचिया गर्म है लेकिन तेरी चुचिया तो बहुत ही ज्यादा गर्म है.

पहले दोनों हाथों से सूचियों के पूरी गोलाई को मसला, दबाया और पूरी मस्ती लेने के बाद दोनों निप्पलस को मसलने लगा. मां मोन कर रही थी…

आह्ह्ह हह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्ह ओम्म्म्म उम्म्म्म ओह्ह्ह्ह अयाय्य्य येस्स्स्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफ़ बस्स्स येस्स्स्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्म्म्म.                                                                        “Hindi Chudai Ki Poori Kahnai”

निपल्स को मसलते हुए में जूका और माँ के लिप्स को चूसने लगा. मेरी माँ एक दो मिनट शांत रही और फिर मेरे माथे को अपने हाथों से दबाते हुए मुझे चूमने लगी. कभी लिप्स को तो कभी गालों को मैंने कई बार चूमा.

मुझे अब लग रहा था मां अब चुदाने से मना नहीं करेगी, फिर भी पूरा कॉन्फिडेंस नहीं था. माँ को पूरा गरम करना जरूरी था, नहीं तो वह मुझे ना भी कह सकती थी.

रेखा से पहले सपना को मैं सालों से चोद रहा था, लेकिन सपना के साथ कभी कोई ओरल सेक्स नहीं हुआ, सिर्फ स्ट्रेट चुदाई की थी.  बुर में लौड़ा पेल कर  दना दन धक्के में उसको देता था. लेकिन रेखा ने चुदाई की मस्ती का नया तरीका मुझे सिखाया था और उसने लौड़ा चूसना, बुर को चूसना, चाटना, पूरी बॉडी को चाटना चूसना यह सब खूब सिखाया ही नहीं प्रेक्टिस भी करवाया था..              “Hindi Chudai Ki Poori Kahnai”

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और मैंने माँ को गरम करने का सोच लिया था. चुचियों के निपल्स को मसलते हुए मैं चूची को चूसा, खूब चूसा, मा बार बार आंखें बाहर निकाल रही थी. मैं फिर बेली पर अपनी जीभ को चलाने लगा. मां बॉडी को उछालने लगी… मैं चुचियों को छोड़ कर उसके उपर सीधा आ गया, अपने दोनों पैर को मां के दोनों पैर के बीच रखा और फिर चुचियो को दबोच लिया. माँ ने  कोई विरोध नहीं किया.

मेरी जीभ  अब माँ की वेस्ट पर मुव कर रहा था. और फिर मैंने अपनी जीभ को अचानक से बुर के पास लाया.

मां ने दोनों हाथों से मेरे बालों को जोर जोर से पकड़ कर कहा

“ बेटा नहीं बेटा, बुर.. पर … नहीं..  बेटा नही … बेटा नहीं”

लेकिन अब बहुत लेट हो गया था…  थोड़ी देर चूत पर जीभ चलाने के बाद मेरी जीभ उसकी चूत पर ऊपर नीचे होने लगी. मेरा एक हाथ चुचियो पर था और दूसरे हाथ के उंगलियां से मैं चूत को मसल रहा था                                                         “Hindi Chudai Ki Poori Kahnai”

कहानी जारी है……