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मेरी नैनीताल वाली दीदी की चुदाई-4

Meri Nainital Vali Didi ki chudai-4

करीब बीस मिनट तक उनकी बुर चुदाई के बाद भी मेरा माल नहीं निकल रहा था।
दीदी बोली- थोड़ा रुक जाओ।

मैं दीदी की बुर में अपना सात इंच का लिंग डाले हुए ही थोड़ी देर के लिए रुक गया। मेरी साँसे तेज़ चल रही थी। दीदी भी थक गई थी। मैंने उनकी चूची को मुंह में भर कर चूसना शुरू किया। इस बार मुझे शरारत सूझी। मैंने उनकी चूची में दांत गड़ा दिए।

वो चीखी, बोली- क्या करते हो?

फिर मैंने उनके ओठों को अपने मुंह में भर लिया। दो मिनट के विश्राम के बाद मैं अपने कमर को फिर से हरकत में लाया। इस बार मेरी स्पीड काफ़ी बढ़ गई। दीदी का पूरा बदन मेरे धक्के के साथ आगे पीछे होने लगा।

दीदी बोली- अब छोड़ दो सोनू। मेरा माल निकल गया।

मैंने उनकी चुदाई जारी रखते हुए कहा- रुको न, अब मेरा भी निकल जाएगा।

चालीस-पचास धक्के के बाद में लिंग के मुंह से गंगा जमुना की धारा बह निकली, सारी धारा दीदी के बुर के विशाल कुएं में समा गई, एक बूंद भी बाहर नहीं आई। बीस मिनट तक हम दोनों को कुछ भी होश नहीं था। मैं उसी तरह से उनके बदन पे पड़ा रहा।

बीस मिनट के बाद वो बोली- गुड्डू, तुम ठीक तो हो न?

मैंने बोला- हाँ।

दीदी- कैसा लगा बुर की चुदाई करके?

मैं- मज़ा आ गया।

दीदी- और करोगे?

मैं- अब मेरा माल नहीं निकलेगा।

दीदी हँसी और बोली- धत पगले। माल भी कहीं ख़त्म होता है। रुको मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बना कर लाती हूँ।

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दीदी नंगे बदन ही रसोई में गई और कॉफ़ी बना कर लाई। कॉफ़ी पीने के बाद फिर से ताजगी छा गई। दीदी के जिस्म देख देख के मुझे फिर गर्मी चढ़ने लगी।

दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ कर कहा- क्या हाल है जनाब का?

मैंने कहा- क्यों दीदी, फिर से एक दौर हो जाए?

दीदी- क्यों नहीं ! इस बार आराम से करेंगे।

दीदी बिस्तर पर लेट गई। पहले तो मैंने उनकी बुर को चाट चाट कर पनिया दिया। मेरे लिंग महाराज बड़ी ही मुश्किल से दुबारा तैयार हुए लेकिन जैसे ही मैंने उनको दीदी की बुर देवी से मिलवाया वो तुंरत ही जाग गए।

सुबह के चार बज गए थे। उसी समय अपने लिंग महाराज को दीदी की बुर देवी में प्रवेश कराया। पूरे पैंतालिस मिनट तक दीदी को चोदता रहा। दीदी की बुर ने पाँच छः बार पानी छोड़ दिया।

वो मुझसे बार बार कहती रही- गुड्डू छोड़ दो। अब नहीं, कल करना।

लेकिन मैंने कहा- नहीं दीदी, अब तो जब तक मेरा माल नहीं निकल जाता तब तक तुम्हारी बुर नहीं छोड़ूंगा।

पैंतालीस मिनट के बाद मेरे लिंग महाराज ने जो धारा निकाली तो मेरे तो जैसे प्राण ही निकल गए। जब दीदी को पता चला कि मेरा माल निकल गया है तो जैसे तैसे अपने ऊपर से मुझे हटाया और अपने कपड़े लेकर खड़ी हो गई। मैं तो बिल्कुल निढाल हो बिस्तर पर पड़ा रहा। दीदी ने मेरे ऊपर कम्बल औढ़ाया और बिना कपड़े पहने ही हाथ में कपड़े लिए अपने कमरे की तरफ़ चली गई।

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आँख खुली तो दिन के बारह बज चुके थे, मैं अभी भी नंगा सिर्फ़ कम्बल ओढ़े हुए पड़ा था। किसी तरह उठ कर कपड़े पहने और बाहर आया, देखा कि दीदी रसोई में हैं।

मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- एक रात में ही यह हाल है, जीजाजी का आर्डर सुना है ना? पूरे एक महीने रहना है।

हां हां हां हां !!!!

इस प्रकार दीदी की चुदाई से ही मेरा यौवन का प्रारम्भ हुआ। मैं वहाँ एक महीने से भी अधिक रुका जब तक जीजा जी नहीं आ गए। इस एक महीने में कोई भी रात मैंने बिना उनकी चुदाई के नहीं गुजारी।

दीदी ने मुझसे इतनी अधिक प्रैक्टिस करवाई कि अब एक रात में पाँच बार भी उनकी बुर की चुदाई कर सकता था। उन्होंने मुझे अपनी गाण्ड के दर्शन भी कई बार करवाए। कई बार दिन में हम दोनों ने साथ स्नान भी किया।

आख़िर एक दिन जीजाजी भी आ गए।

जब रात हुई और जीजाजी और दीदी अपने कमरे में गए तो थोड़ी ही देर में दीदी की चीख और कराहने की आवाज़ ज़ोर ज़ोर से मेरे कमरे में आने लगी। मैं तो डर गया कि लगता है कि दीदी की चुदाई का भेद खुल गया है और जीजा जी दीदी की पिटाई कर रहे हैं।

रात दस बजे से सुबह चार बजे तक दीदी की कराहने की आवाज़ आती रही।

सुबह जैसे ही दीदी से मुलाकात हुई तो मैंने पूछा- कल रात को जीजाजी ने तुम्हें पीटा? कल रात भर तुम्हारे कराहने की आवाज़ आती रही।

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दीदी बोली- धत्त पगले। वो तो रात भर मेरी चुदाई कर रहे थे। चार महीने की गर्मी थी इसलिए कुछ ज्यादा ही उछल कूद हो रही थी।

मैंने कहा- दीदी अब मैं जाऊँगा।

दीदी ने कहा- कब?

मैंने कहा- आज रात ही निकल जाऊँगा।

दीदी बोली- ठीक है। चल रात की खुमारी तो निकाल दे मेरी।

मैंने कहा- जीजाजी घर पर हैं। वो जान जायेंगे तो?

दीदी बोली- वो रात को इतनी बीयर पी चुके हैं कि दोपहर से पहले नहीं उठने वाले।

दीदी को मैंने अपने कमरे में ले जाकर इतनी चुदाई की कि आने वाले दो-तीन महीने तक मुझे मुठ मारने की भी जरूरत नहीं हुई।

जीजा जी ने जब दीदी को आवाज़ लगाई तभी दीदी को मुझसे मुक्ति मिली।

आखिरी बार मैंने दीदी के बुर को चूमा और वो अपने कपड़े पहनते हुए अपने कमरे में जीजा जी से चुदवाने फिर चली गई।

उसी रात को मैंने अपने घर की गाड़ी पकड़ ली।

//कहानी समाप्त//