नौकर-नौकरानी चुदाई

मुझे जी भर के चोद डाल

Mujhe ji bhar ki chod daal

लेखक – सोमनाथ

सम्पादिका – मस्त कामिनी

मेरे प्रिय पाठकों, आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाता हूँ…

मेरा नाम सोमनाथ है और मैं रायपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र महज 28 वर्ष की है, बात उन दिनों कि है, जब मेरी एक छोटा से कर्मचारी के रूप में नई-नई पोस्टींग हुई थी।

मुझे एक साहब के यहां सरकारी क्वाटर पर पानी भरने के लिए लगाया गया था। मैं पानी डालने रोज जाया करता था, वहीं पर एक 30 बरस की कामवाली बाई भी काम पर आती थी।

जो दिखने में बेहद खुबसुरत थी। उसका फिगर मन मोहने वाला था और उसके चुचे छोटे-छोटे मदहोश करने वाले थे।

वह बहुत ही झगड़ालू औरत थी, सभी से झगड़ा करती थी और सभी उससे डरते थे, पर वह मुझसे बहुत प्यार से पेश आती थी।

मैं उसे देख कर रोज़ मन ही मन चोदने का प्लान बनाया करता था।

जब साहब नहीं रहते तो उससे मीठी-मीठी बातें किया करता था, मैंने सुना था कि उसका पति उसे छोड़ कर चला गया है और इसी बात से वह परेशान रहती थी।

एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे पूछ ही लिया कि आप अकेली रहती हैं क्या?

तो उसने बात टालते हुए कहा कि आप अपने काम से काम रखो और मैं डर गया…

उस दिन से मैंने उससे बात करना छोड़ दिया।

कुछ दिन बाद उसने खुद से मुझे बताया कि मेरा पति शराबी था, जो मुझे परेशान किया करता था, इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया…

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एक दिन यूँही उसने मेरे ऊपर पानी का छींटा मार दिया, मैंने भी मौके का फायदा उठाया और मैंने भी एक छींटा लगा दिया।

इसके बाद फिर रोज छूट-पुट छेड़-छाड़ हमारे बीच होने लगी, अब वो भी मुझे छेड़ा करती थी।

ऐसे ही एक रोज उसने मुझे कहा कि मुझे बाजार से मिठाई ला दो।

मैंने झट से मिठाइ ला दी और वो बहुत खुश हो गई…

समय ऐसे ही बीतता गया और होली का समय आ गया, साहब लोग होली मनाने अपने गांव दुर्ग चले गये।

मैंने काम वाली को अकेले में साफ-सफाई के लिए बुलाया और वह ठीक बारह बजे आई।

मेरे को होली की रंग लगा कर बोली – कुछ मिठाई वगेरह खिलाओ। मैं समझ नहीं पाया या यूँ कहिए कि अनसुना कर दिया, मुझे उसकी उस झगड़ालू प्रवृति से डर लगता था।

खिलता हूँ ना – कह कर वहाँ से चला गया।

रात में सोते हुए मैं उसकी बातों को याद करने लगा कि उसकी मिठाई का मतलब क्या हो सकता है, कहीं मेरा लौड़ा तो नहीं?

फिर दूसरे दिन मैंने उससे पूछा – आज बताओ, क्या चाहिए तुम्हें?

उसने मुझे देखा और हंसते हुए बोली – मुझे उम्म… झुमका

मैंने तुरंत ही साइकिल उठाई और 40 रूपये वाला झुमका ले आया और उसे दे दिया…

उसने कहा – वाह यार, चल अब ले आया है तो पहना भी दे।

मैंने कुछ सोचे बगैर मौका देखते हुए उसके कानों में पहना दिए, पहनाते ही उस झगड़ालु औरत की आँखों में आँसू आ गए और उसने मेरे गालों को जोर से चूमना चालू कर दिया…

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मैंने भी उसके चुचे मसल दिए, पर वो कुछ नहीं बोली जिससे मेरा हौसला बढ़ गया और मैंने पागल की तरह उसे बाहों में जकड़ लिया। उसने भी मेरे होंठों में अपना मुँह डाल कर चूमना चालू कर दिया।

मैं भी उसके होंठों को चूमते हुए अपना हाथ धीरे से उसके पेटीकोट की तरफ ले गया और एक हाथ से उनके चुचों को मसलना चालू कर दिया…

वह कुछ नहीं बोली तो मेरा हौसला बढ़ता गया, मैंने फट से पेटीकोट को उठाया और उसकी चूत में मेरा हाथ चला गया।

वह अंदर कुछ नहीं पहनी थी, उसकी झांटे बहुत बड़ी-बड़ी थीं जो मेरे हाथों में आ गईं।

मैं उसकी चूत पर हाथ फेर ही रहा था कि बोली – ये सब बाद में करना… बोल कर वह मुझे धक्का देकर काम पर लग गई, मेरा भी समय हो गया था सो मैं भी अपने घर चला आया पर मेरा मन बार-बार उसी पल को याद करके मचल रहा था।

शाम को मैं उसके घर चला गया, वो घर में अकेली थी…

उसका एक दस साल का लड़का था, जो पास में ही अपनी नानी के घर चला गया था…

मैंने जाते ही बाई को अपने बाहों में भर लिया।

उसने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया…

हमनें एक-दूसरे के होंठों को चूमना चालू कर दिया और बाई एकदम से जोश में आ गई और बोलने लगी – आज तो बस मुझे अपने रंग में रंग डालो।

मैंने उसके होंठ चूमते-चूमते उसके चुचों को जोरों से मसलना चालू कर दिया और धीरे से उसकी ब्लाउस की पिन खोल दी…

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छोटे-छोटे से दो चुचे मेरे हाथों में आ गए और मैंने उनको अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया।

वो सिसकारियाँ भरने लगी और मदहोश होकर उसने मेरा लौड़ा, जो अब तक मेरी चड्डी को फाड़ रहा था, अपने हाथों में ले लिया और मुझसे कहने लगी – आज ना जाने कितने बरसों बाद चुदवाने का मौका मिला है… मुझे जी भर के चोद डाल, आज तो…

मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई…

फिर उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए धीरे से जमीन पर लेट गए, उसका पूरा बदन चूमने के बाद, चूत की बारी आई…

अब उसने झट से मेरा सुपड़ा अपने हाथों में लेकर अपनी चूत में घुसा दिया, मैंने भी पेल दिया…

जोर-ज़ोर से आठ-दस बार पेलने के बाद मैं झड़ गया और अपना पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया…

फिर मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और अपने घर आ गया, अब जब भी मौका मिलता है मैं उसको साहब के घर पर ही चोदता हूँ।

मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी…