मम्मी की चूत फाड़ी बेटे ने: एक हॉट और मसालेदार कहानी
हाय दोस्तों, कैसे हो आप सब? आज मैं आपके लिए एक जबरदस्त चुदाई की कहानी लेकर आया हूँ, जो आपके दिल और दिमाग को हिला देगी। उम्मीद है आपको ये स्टोरी पसंद आएगी। मेरा नाम संजय सिंह चौहान है और हम मूल रूप से जयपुर के रहने वाले हैं। आज मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने दिन-रात मेहनत करके अपनी मम्मी की चूत को अपने काबू में किया।
दोस्तों, मेरी मम्मी की उम्र करीब 30-32 साल होगी और पापा 50-52 के आसपास होंगे। उम्र के इस फासले की वजह से पापा मम्मी को फुल संतुष्ट नहीं कर पाते थे। नतीजा ये कि मम्मी पापा को ज्यादा भाव नहीं देती थीं। एक दिन की बात है, मुझे पेशाब लगी। हमारे घर में बाथरूम और टॉयलेट अलग-अलग हैं, पर दोनों सटे हुए हैं। टॉयलेट से निकलते वक्त मुझे बाथरूम से चूड़ियों की खनक सुनाई दी। मेरा शैतानी दिमाग जाग उठा और मन में ख्याल आया कि क्यों न मम्मी को नंगी नहाते हुए देखूं।
घर में कोई नहीं था, तो बेफिक्र होकर मैंने बाथरूम के की-होल से झांकना शुरू किया। अंदर लाइट जल रही थी, जिससे सब कुछ साफ दिख रहा था। मम्मी पूरी नंगी थीं, अपने गोरे बदन पर साबुन लगा रही थीं और कपड़े से रगड़-रगड़ कर नहा रही थीं। पर अभी तक उनकी चूत के दर्शन नहीं हुए थे। थोड़ी देर बाद जब मम्मी उठीं, तो उनकी चूत साफ दिखाई दी। हल्की-हल्की झांटों से सजी चूत को देखते ही मेरा लंड टनटना उठा। मैं वहां से हट गया और अपने कमरे में जाकर लंड पर सांडा का तेल लगाने लगा। कई महीनों से मैं इस तेल का इस्तेमाल कर रहा था, जिससे मेरा लंड मोटा और लंबा हो गया था।
रात करीब 1-1:30 बजे मेरी नींद खुली। पेशाब का जोर था, तो मैं टॉयलेट गया। लौटते वक्त देखा कि मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी। कुछ सोचकर मैंने खिड़की से झांका। अंदर का नजारा देख मेरे होश उड़ गए। मम्मी बिल्कुल नंगी पापा के सामने खड़ी थीं। उनका गोरा बदन लाइट में चमक रहा था। पापा ने मम्मी की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी चूत को चाट रहे थे। मम्मी “आह आह ओह ओह” की सिसकारियां भर रही थीं। थोड़ी देर बाद पापा ने अपना लंड डाला, पर दो-चार धक्कों में ही झड़ गए। मम्मी गुस्से में बोलीं, “सारा मूड खराब कर दिया!” और लाइट बंद करके सो गईं। मैं मन ही मन सोचने लगा कि मम्मी की चूत प्यासी रह गई है और इन्हें एक तगड़ा लंड चाहिए।
ये सोचते हुए मैंने फिर से अपने लंड पर सांडा का तेल मलना शुरू कर दिया। अगले दिन गांव से फोन आया कि दादी बीमार हैं। पापा बोले, “मैं गांव जा रहा हूँ, तुम मम्मी का ख्याल रखना। आने में कुछ दिन लगेंगे।” पापा चले गए, मैं स्कूल के लिए निकल गया। शाम को घर लौटा तो मम्मी थोड़ी परेशान लग रही थीं। मैंने पूछा तो बोलीं, “बेटा, आज मेरे कमरे में सो जाना, अकेले नींद नहीं आती।” मैंने कहा, “ओके मम्मी।” रात 10-11 बजे मैं उनके कमरे में सोने आया। लाइट बंद करके बेड लाइट जलाई और मम्मी की तरफ मुंह करके लेट गया।
नींद नहीं आ रही थी। नजर पड़ी तो मम्मी की नाइटी जांघों तक उठी हुई थी और उनकी चिकनी जांघें चमक रही थीं। मैंने धीरे से हाथ उनकी जांघों पर रखा। मम्मी जाग गईं और मेरी तरफ पीठ करके सो गईं। मेरा मूड खराब हो गया। एक दिन बीता, दो दिन बीते, फिर पापा का फोन आया कि वो दो दिन बाद आएंगे। अब मेरे पास सिर्फ दो दिन थे। मूड बहुत खराब था, सोचा कुछ तो करना पड़ेगा। दिमाग में एक आइडिया आया। मैं नहाकर निकला, तौलिया लपेटे हुए था।
किचन की तरफ जाता हुआ मम्मी ने आवाज लगाई, “बेटा, ऊपर से तेल उतार देना।” मेरा दिमाग तो वैसे ही गर्म था। सोचा, क्यों न आज लंड दिखाकर काम बनाया जाए। मैं किचन में गया और बोला, “क्या काम है?” मम्मी बोलीं, “तेल उतार दे, मेरा हाथ नहीं पहुंच रहा।” मैं स्टूल पर चढ़ा और जानबूझकर हाथ ऊपर उठाया, जिससे तौलिया खुलकर नीचे गिर गया। अब मैं मम्मी के सामने पूरी तरह नंगा खड़ा था। मेरा मोटा-लंबा लंड देखकर मम्मी की आंखें फटी की फटी रह गईं।
मैं तेल पकड़ाकर चुपके से निकल गया। दिन का वक्त था, मैं बिस्तर पर लेटा तो नींद आ गई। थोड़ी देर बाद मम्मी ने आवाज लगाई, “खाना खा ले।” मैंने जवाब नहीं दिया तो वो मेरे कमरे में आईं। मुझे जगाने वाली थीं कि उनकी नजर मेरे लंड पर पड़ी, जो तौलिये से बाहर निकला हुआ था। मम्मी ने बड़े गौर से देखा, पकड़ने की कोशिश की, पर हिम्मत नहीं हुई। फिर मुझे जगाया और बोलीं, “तौलिया ठीक से लपेट।” खाना खाकर मैं सोने की तैयारी में लग गया। देखा कि मम्मी की नजर बार-बार मेरे लंड की तरफ जा रही थी।
रात को मम्मी नाइटी पहनकर मेरे बगल में लेट गईं। मैंने ठान लिया था कि आज चोदकर ही मानूंगा। मम्मी सीधी लेटकर सोने का नाटक करने लगीं, पर लंड देखने के बाद उनकी आंखों से नींद गायब थी। रात गहरी होती गई, पर हम दोनों की आंखों में नींद नहीं थी। मैंने देखा मम्मी आंखें बंद करके नाटक कर रही थीं। उनकी नाइटी जांघों तक उठी हुई थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी चूत पर हाथ रखकर सोने का नाटक शुरू कर दिया।
मम्मी ने मेरा हाथ हटाया और पीठ करके लेट गईं। मेरा दिमाग खराब हो गया। अब मैं नींद में खिसककर मम्मी से लिपट गया और अपना लंड उनकी गांड से सटा दिया। कोई रिएक्शन न देख मैंने जोर से दबाव बढ़ाया। मम्मी से रहा नहीं गया और उन्होंने नाइटी में हाथ डालकर चूत खुजलानी शुरू कर दी। जब हाथ बाहर निकाला तो चूत का पानी लग चुका था। मैं समझ गया कि मम्मी गरम हो चुकी हैं। थोड़ी देर बाद मैंने फिर लंड उनकी गांड पर सटाया।
अब मम्मी ने मुझे पीछे धकेला और उनका हाथ मेरे लंड से टकरा गया। मेरे कड़क लंड को देखकर वो पलटीं। मैं गहरी नींद का नाटक करता रहा। मम्मी ने निकर के ऊपर से लंड सहलाना शुरू कर दिया। फिर धीरे से निकर में हाथ डालकर लंड दबाया और सीधी होकर सो गईं। मेरा दिमाग अब और खराब हो गया। मैंने हाथ बढ़ाकर उनकी चूची दबाई, कोई रिएक्शन न देख मैंने फिर दबाया। फिर गांड पर हाथ फेरा। कोई जवाब नहीं मिला तो हिम्मत बढ़ी और मैंने नाइटी ऊपर उठाकर उनकी गांड दबानी शुरू कर दी।
मम्मी चुपचाप मजा ले रही थीं। मैंने हाथ उनकी चूत पर रखा। नाइटी ऊपर होने से चूत साफ दिख रही थी। हाथ फेरते ही मम्मी ने टांगें फैला दीं। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने कहा, “बस, अब नाटक नहीं!” और उनकी नाइटी जबरदस्ती उतारकर फेंक दी। उनकी चूचियों को मसलने लगा और होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मम्मी भी मेरा साथ देने लगीं।
मैंने उनकी टांगें फैलाईं और चूत चाटना शुरू किया। मम्मी “आह आह ओह, धीरे चूसो!” कहने लगीं। आधे घंटे चाटने के बाद उनकी चूत से नमकीन पानी निकला। वो बोलीं, “पी ले इसे!” और मेरे मुंह पर चूत रगड़ने लगीं। मेरा मुंह उनके रस से भर गया। फिर मैंने लंड उनके मुंह के पास ले जाकर कहा, “चूसो!” मम्मी ने झट से लंड मुंह में लिया और चूसने लगीं। बोलीं, “बेटा, अब अपने लंड की ताकत दिखा!” और चूत फैला दी।
मैं पूरा मादरचोद बन गया। लंड चूत में रखकर जोर का धक्का मारा। मम्मी कराह उठीं, “ये लंड है या लोहे का रॉड?” दूसरा धक्का मारा तो पूरा लंड अंदर घुस गया। फिर जोर-जोर से पेलना शुरू किया। कमरा “घचाघच, फचाफच” और मम्मी की “आह आह ओह ओह” से गूंज उठा। मम्मी बोलीं, “बस, अब नहीं झेल पाऊंगी, निकाल लो!” पर मैं कहां रुकने वाला था। और जोर से धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद मम्मी मेरी कमर से लिपट गईं और बोलीं, “झड़ गई बेटा, बस कर!”
मैंने कहा, “थोड़ा और रुक जाओ!” और दनादन पेलता रहा। झड़ने के बाद मम्मी पस्त पड़ गईं। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और गांड में लंड डालकर जोर का धक्का मारा। मम्मी चीख पड़ीं, “मर गई, फट गई गांड, धीरे पेल!” पर मैं दबादब गांड मारता रहा। आधे घंटे बाद उनकी गांड में झड़ गया। मम्मी बोलीं, “तेरे पापा तो प्यासा छोड़ देते थे, तूने तो मजा दे दिया।” उस रात मैंने उन्हें खूब पेला। सुबह मम्मी बोलीं, “तूने मेरी चूत की गर्मी एक रात में शांत कर दी।” पापा के आने तक मैंने जी भरकर चोदा। मम्मी बोलीं, “जो काम पापा 20 साल में नहीं कर सके, तूने दो दिन में कर दिखाया।” अब मम्मी लंगड़ाकर चलती हैं।
तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी स्टोरी?