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मम्मी की सहेली की रसभरी चूत-1

Mummy ki saheli ki rasbhari choot-1

हैल्लो दोस्तों, मेरी हाईट 5 फिट 9 इंच है, मेरा रंग गोरा है और मेरा शरीर बहुत अच्छा है. में दोस्ताना किस्म का हंसी मजाक करने वाला लड़का हूँ, में हर किसी को अपनी बातों से बहुत खुश कर देता हूँ. अब में सीधे अपनी आज की सच्ची घटना पर आता हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह भी आप लोगों के दिल को जरुर जीत लेगी और आप लोगों को बहुत अच्छी लगेगी.

दोस्तों हमारी कॉलोनी में एक महिला थी, उनकी उम्र करीब 47 साल थी, वो दिखने में मस्त थी, वो बहुत गोरी भी थी और उनका वो गदराया हुआ बदन हमेशा मेरी जान लेता था, वो दिखने में बहुत ही ज़्यादा सेक्सी थी और वो हमेशा साड़ी पहनती थी और सच में बिल्कुल कहता हूँ.

दोस्तों साड़ी में वो क्या मस्त दिखती थी. साड़ी में उनकी वो गोरी कमर और गहरी नाभि, ज़्यादातर दिख जाती थी और यह सब देखकर मेरी तो सांसे रुक सी जाती थी और में उन्हें देखने के बाद सच में पागल हो जाता था, वो दिखने में ज्यादा सुंदर नहीं थी, लेकिन उनका चेहरा एक सीधी-साधी ग्रहणी की तरह था और मुझे वो बहुत पसंद थी और में उनके सेक्सी हॉट जिस्म के बारे में तो में आप सभी को पहले ही बता चुका हूँ.

अब उस दिन हुआ यह कि क्योंकि हमारा घर आसपास ही था, इसलिए मेरी मम्मी के साथ उनकी अक्सर बातें हुआ करती थी और वो मेरी मम्मी के बहुत करीब थी, इसलिए मेरा भी उनसे हर कभी आमना सामना हो जाता था, वो हमेशा मुझे उनकी किसी ना किसी काम से बाज़ार भेजती और हर कभी घर का कुछ भी सामान लाने को मुझसे कहती थी और फिर में भी बहुत खुश होकर उनका सभी काम कर दिया करता था. दोस्तों मुझे उनकी मदद करने में कोई दिक्कत नहीं थी बल्कि में बहुत खुश था कि चलो में किसी की मदद तो कर पा रहा हूँ.

दोस्तों में भले ही मन ही मन उनके साथ बिस्तर पर जाने के लिए तड़प रहा था, लेकिन में मन से उनकी बहुत इज्जत भी किया करता था, क्योंकि वो मेरी मम्मी की उम्र की थी और में सच में उनकी बहुत इज्जत करता था.

फिर एक दिन में बाजार से उनके बताए हुए सामान को लेकर उनके घर पर पहुँचा और फिर उन्हें वो सामान में उनके दरवाज़े के पास से ही देकर वापस जाने लगा, लेकिन तभी उन्होंने मुझे रोका और फिर मुझसे कहा कि क्या तुम अंदर नहीं आओगे? तो मैंने उनसे कहा कि नहीं आंटी कोई दिक्कत नहीं, में अब चलता हूँ और तभी आंटी ने ज़ोर डाला और वो मुझे अपने घर के अंदर ले आई. फिर आंटी ने मुझे सोफे पर बैठा दिया और मुझे पीने का पानी लाकर दे दिया, आंटी ने उस दिन हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी. फिर वो मुझसे कहने लगी कि ज़रा तुम क्या मेरा एक काम कर दोगे? मुझे अपनी रसोई घर में थोड़ा सा काम है, मुझे वहां से कुछ सामान को हटाना है और वहां पर जगह बनानी है. फिर मैंने तुरंत कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है आंटी, में आपका वो काम कर दूंगा, चलो आप मुझे बताओ. फिर हम दोनों किचन में जाने लगे और तभी मेरी नज़र उनकी साड़ी में लिपटे उनके कूल्हों पर पड़ी, जिनको देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और तब मैंने खुद को जैसे तैसे संभाला और में आंटी के पीछे पीछे किचन में चला गया.

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अब आंटी मुझसे कहने लगी कि उन प्लास्टिक के बड़े बड़े डब्बों को वहां से हटाना है. फिर मैंने कहा कि हाँ ज़रूर में सब हटा दूंगा और अब में किचन की पट्टी पर चढ़ गया.

तभी आंटी मुझसे बोली कि अरे तू यह क्या कर रहा है? रुक में कुर्सी लेकर आती हूँ. फिर मैंने उनसे कहा कि कोई दिक्कत नहीं है आंटी, में कर लूंगा. तभी आंटी बोली कि कर लूंगा के बच्चे, अगर तू नीचे गिर गया और तुझे चोट लग गई तो गये काम से, चल अब उतर नीचे, लेकिन मैंने फिर भी ना सुनते हुए में उन प्लास्टिक के डब्बों को हटाता गया और मैंने 6 से 8 मिनट के अंदर ही अपना काम खत्म कर लिया था.

में नीचे उतरा और आंटी मुझसे बोली कि मानेगा नहीं ना? तू मेरे ना कहने के बावजूद भी नहीं रुका. फिर मैंने कहा कि आंटी अब आप जाने भी दीजिए ना और फिर आंटी मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि तू बहुत ज़िद्दी हो गया है. फिर में हंस पड़ा और आंटी भी हंस पड़ी और फिर आंटी मुझसे पूछने लगी कि क्या तू चाय पियेगा? मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं, अगर आप इतने प्यार से कहोगे तो में आपको मना कैसे कर सकता हूँ?

फिर आंटी चाय बनाने लगी और में उनके एकदम पास में था, लेकिन थोड़ा सा पीछे होकर खड़ा हुआ था, लेकिन वहां पर उस समय में अकेला नहीं खड़ा था. दोस्तों मेरा लंड भी मेरे साथ में खड़ा हुआ था. आंटी के इतने करीब और ऊपर से घर पर भी कोई नहीं था तो अब लंड को तो खड़ा होना ही था. फिर आंटी मुझसे हंस हंसकर बातें कर रही थी और मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ उनकी साड़ी में लिपटे उनके उस भरे हुए गरम जिस्म पर था. दोस्तों वो कहते है ना कि एक महिला अपने आप ही जान जाती है कि कौन उसे किस नजर से देख रहा है और कौन नहीं.

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फिर ऐसे में भी उनकी नजर से कैसे बच जाता, उन्होंने मुझे देखते हुए पकड़ तो लिया था, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली, में पूरी कोशिश कर रहा था कि उन्हें ना देखूं, लेकिन मेरा ध्यान बार बार उनके पल्लू में ढके पेट पर साड़ी से झांक रही गोरी कमर पर और उनके भरे हुए कूल्हों पर जा रहा था और में वो सब देखकर एकदम पागल हो रहा था.

फिर जो कसर बाकी रह गई थी, आंटी ने वो भी पूरी कर दी और आंटी ने अचानक मुझसे पूछा कि में आज इस साड़ी में कैसी लग रही हूँ? और मेरी उसी वक़्त बेंड बज गई, मुझे उनका यह सवाल सुनकर पसीने छूटने लगे थे.

फिर मैंने सोचा कि अब तो गये काम से, बुरे फंसे अब इस में इस समस्या से बाहर कैसे निकलूं? आंटी ने एक बार फिर से मुझसे पूछा कि क्यों तू किस सोच में डूब गया, तूने मेरी बात का जवाब नहीं दिया और तूने मुझे बताया नहीं कि में आज इस साड़ी में तुझे कैसी लग रही हूँ? फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके हिचकिचाते हुए सीधे सीधे उनको बोल दिया कि आंटी आप आज बहुत ही अच्छी लग रही हो. फिर आंटी ने कहा कि सिर्फ़ अच्छी क्यों तुम्हारी नजर में और कुछ नहीं, जो तुम मुझसे कहना चाहो?

फिर मैंने बहुत घबराकर कहा कि जी क्या? में आपके कहने का मतलब कुछ समझा नहीं? दोस्तों अब जो और भी थोड़ी सी बहुत कसर बाकी रह गई थी, वो आंटी ने ही पूरी कर दी. अब आंटी मुझसे कहने लगी कि बच्चू तू सब कुछ अच्छी तरह से समझ रहा है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ कि तू मुझे पागल बना रहा है, तू इतनी देर से घूर घूरकर मुझे ही देख रहा था ना? तो मैंने कहा कि जी नहीं आंटी आपने थोड़ा गलत अंदाजा लगा लिया, ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आपने सोचा और तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि में बताती हूँ कि तू आज तक क्या करता आ रहा है?

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तू मुझे उस वक़्त से देखते आ रहा है, जब से में तेरी मम्मी की दोस्त बनी, मेरे बच्चे इस उम्र में यह सब होता है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ, लेकिन तू बिगड़ जाएगा, अगर तूने खुद को नहीं संभाला तो. अब मैंने उनसे कहा कि आंटी में आपको कभी बुरी नज़र से नहीं देखता, बस में आपकी तरफ अपने आप खींचा चला आता हूँ, में सच में आपकी बहुत इज्जत करता हूँ.

फिर आंटी बोली कि में जानती हूँ मेरे बच्चे, लेकिन अब तुझे खुद को संभालना होगा, जैसे में भी खुद को संभाल रही हूँ. तभी मैंने उनकी यह बात सुनकर एकदम से चौंककर पूछा कि क्या? आप खुद को संभाल रही है?

आंटी बोली कि तुझे क्या लगता है सिर्फ़ तुम जवान लड़के लड़की को ही यह सब चीज़ें तड़पाती है, मेरी उम्र की औरतों को भी यह सब कमी लगती है और में भी कभी कभी तेरी तरफ आकर्षित होती हूँ, में भी तेरे साथ सेक्स करना चाहती हूँ, लेकिन तू सच में मेरी दोस्त का बेटा है तो में ऐसे कैसे कर लेती? और ऊपर से में भी तेरी माँ की उम्र की हूँ, इसलिए में आज तक चुप रही. दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सच्चाई सुनकर मुझे लगा कि में अब बेहोश हो जाउंगा. कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे और फिर में आंटी के पास धीरे से चला गया और मैंने तुरंत उनके चेहरे को आपने हाथों में ले लिया और झुककर अपने होंठ आंटी के होंठो से मिला दिए. आंटी वैसे ही खड़ी रही और बिना मुझे रोके या पीछे धक्का दिए.

फिर में उनके होंठो को चूमने लगा. मुझे इतना अच्छा लगा कि में आपको शब्दों में नहीं बता सकता और में आंटी के होंठो को प्यार से चूमता गया और आंटी भी अ

ब अपना मुहं खोलकर अपनी जीभ को मेरे मुहं के अंदर डालने लगी. में अब आंटी को अब पूरे दिल और दिमाग़ से चूम रहा था. दोस्तों उनके होंठो का रस कमाल का था और आंटी भी मुझे ज़ोर से चूम रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे कौन किसके होंठो को ज़्यादा अच्छी तरह से चूम सकता है, हमारे बीच ऐसी शर्त लगी हो.