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मम्मी को मिला दो लोड़ो का मजा-1

Mummy ko mila do lodo ka maza-1

हैल्लो मेरे प्यारे दोस्तों, आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने आया हूँ. दोस्तों यह कोई झूटी कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है और इस घटना में मैंने अपनी आखों से जो सभी कुछ देखा में वो बताने आया हूँ. दोस्तों में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और एक दिन मैंने इसको भी आप तक पहुँचाने के बारे में सोचा, क्योंकि यह मेरी माँ की वो चुदाई थी, जिसको मेरे चाचा ने पूरा किया, इसलिए में बताने से थोड़ा झिझक महसूस कर रहा था और फिर मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके इसको आप तक पहुंचा दिया और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप लोगों को जरुर पसंद आएगी.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है, जब मेरी मम्मी की उम्र करीब 30 साल थी, उस समय मेरी मम्मी की जवानी अपने पूरे ज़ोर पर थी और वो दिखने में बहुत सुंदर और उनका गोरा रंग और उनके गदराए बदन की बनावट हर किसी को एक बार देखने से ही अपनी तरफ आकर्षित करती और जब वो मेक्सी को पहनकर घर में अपने काम किया करती तो उनके बड़े आकार के लटकते हुए गोरे गोरे बूब्स उनकी उस मेक्सी से बाहर आने को बेताब रहते थे और उनके कूल्हे भी बहुत भारी थे, जिनकी वजह से वो बहुत ही हॉट सेक्सी दिखती और मेरे पापा के दोस्त जब भी हमारे घर पर आते थे तो वो भी मेरी मम्मी के कूल्हों को अपनी प्यासी नजर से घूरते रहते थे.

दोस्तों उन दिनों की बात है, जब मेरे स्कूल में गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और मेरे पापा उनके ऑफिस के किसी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे. उस वजह से अब घर में हम दोनों ही थे और उसी सुबह मेरे नरेश चाचा हमसे मिलने हमारे घर पर आ गए, वैसे तो वो हमसे मिलने हर कभी आते थे, लेकिन इस बार वो बहुत दिनों के बाद हमारे घर पर आये थे. अब उनको देखकर मेरी मम्मी बहुत खुश हो गई और उनकी वो ख़ुशी में मुझे उनके खिलते हुए चेहरे से साफ साफ पता चल रहा था और में उनके चेहरे की उस हंसी को देखकर तुरंत समझ गया था कि आज मेरी मम्मी मेरे चाचा से जरुर अपनी चुदाई करवाएगी, इसलिए वो खुश थी.

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अब में ड्रॉयिंगरूम में बैठकर टी.वी. देख रहा था, वहीं दीवार पर एक बड़ा सा कांच लगा हुआ था, जिससे में एक जगह पर बैठा हुआ ही पूरी किचन को साफ साफ देख सकता था. मम्मी मेरे चाचा को देखकर उनसे बोली कि में आपके लिए चाय बनाकर अभी लेकर आती हूँ. तभी मेरे चाचा उनसे कहने लगी कि चलो भाभी में भी आपकी कुछ मदद कर देता हूँ और वो यह बात कहकर मेरी मम्मी के पीछे पीछे किचन में चले गये और में उस कांच से सब कुछ देख रहा था और फिर मैंने देखा कि वो मेरी मम्मी के पास में खड़े होकर मम्मी के कूल्हों पर अपने हाथ को फेर रहे थे और मम्मी चाय बनाते हुए उनकी तरफ देखकर बार बार मुस्कुरा रही थी.

कुछ देर बाद चाचा ने उनके कूल्हों को थोड़ा ज़ोर से भींच दिया और उन्होंने उसी के साथ तुरंत मम्मी के गाल पर एक किस भी कर दिया. अब मम्मी ने बाहर मेरी तरफ देखा और देखकर उन्होंने समझा कि में तो टी.वी. देख रहा हूँ, इसलिए उन्होंने भी चाचा के लंड को उनकी पेंट के ऊपर से ही ज़ोर से दबाते हुए रगड़ दिया और तब तक उनकी चाय भी तैयार हो गयी थी, इसलिए वो दोनों ड्रॉयिंग रूम में चाय लेकर आ गये. अब वो दोनों वहीं पर मेरे सामने बैठकर चाय पी रहे थे और साथ में बहुत हंस हंसकर बातें भी कर रहे थे. फिर मम्मी मेरे चाचा से कहने लगी कि नरेश मेरी कमर में पिछले कई दिन से पता नहीं क्यों थोड़ा सा दर्द हो रहा है? तो चाचा ने उनकी तरफ मुस्कुराकर कहा कि कोई बात नहीं है भाभी, में अभी आपकी कमर पर तेल की मालिश कर देता हूँ, वो सब एकदम ठीक हो जाएगा.

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उसके बाद वो दोनों तुरंत अपनी अपनी चाय को जल्दी से खत्म करके बैठ गए और मम्मी उठकर तेल की बोतल ले आई और वो उनसे कहने लगी कि नरेश हम मालिश बेडरूम में चलकर करते है और वो मुझसे बोली कि विक्की बेटा तुम हमें बिल्कुल भी परेशान मत करना.

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है मम्मी, वैसे भी मुझे टी.वी. देखनी है और फिर में मन ही मन सोचने लगी कि अब मम्मी अंदर जाकर चाचा से अपनी चूत की मालिश करवाएगी और उन दोनों ने बेडरूम में जाकर तुरंत दरवाजे को बंद कर लिया और फिर मैंने कुछ देर बाद उठकर दरवाजे के चाबी वाले छेद से अंदर झांककर देखा तो मैंने पाया कि वो दोनों एक दूसरे से लिपटकर बाहों में खड़े है और चाचा अपने दोनों हाथों से मम्मी के कूल्हों को दबा रहे है और मम्मी के नरम गुलाबी होंठो पर उनके होंठ है. कुछ देर तक चाचा ने मम्मी के होंठो के रस को पिया.

अब वो दोनों अलग हुए और उन दोनों ने तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए, जिसकी वजह से अब वो दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे. अब चाचा कहने लगे कि वाह भाभी तेरे यह बूब्स तो पहले से भी ज्यादा मोटे, मजेदार हो गए है और यह बात कहकर वो मम्मी के बूब्स के निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगे और मम्मी उनके सर पर अपना एक हाथ फेर रही थी. अब मेरी मम्मी बोली कि नरेश ज़रा तुम अब मेरी चूत में ऊँगली भी डालो और चाचा ने मम्मी के मुहं से यह बात सुनकर उसी समय उनके बूब्स को चूसते हुए अपने एक हाथ की दो उँगलियाँ उन्होंने मेरी मम्मी की चूत के अंदर डालकर अपने हाथ को हिलाने लगे और आगे पीछे करने लगे.

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अब उसकी वजह से मम्मी की सिसकियाँ बंद हो गयी और वो उसका मज़ा लेने लगी. अब मम्मी से उस मज़े मस्ती की वजह से ठीक तरह से खड़ा रहना भी बड़ा मुश्किल हो रहा था. तभी चाचा ने उनकी वो हालत को देखकर तुरंत उनके बूब्स को चूसना छोड़ दिया और अब वो बेड के किनारे पर जाकर बैठ गए और मम्मी नीचे जमीन पर उनके दोनों पैरों के बीच में बैठकर उनके लंड से खेलने लगी और वो अपने एक हाथ से चाचा के लंड को धीरे धीरे हिलाने लगी और फिर कुछ देर बाद मम्मी ने अपना मुहं लंड के पास ले जाकर लंड पर अपनी जीभ को घुमाया और उसका स्वाद चखा और फिर मेरे देखते ही देखते धीरे धीरे चाचा का पूरा लंबा, मोटा लंड अब मेरी मम्मी के मुहं में गहराई तक समा गया और मम्मी चाचा के लंड को पूरे जोश से चूस रही थी, उनके गाल हर सक के साथ पिचक और फूल रहे थे और चाचा मोन कर रहे थे और वो कह रहे थे, ऊऊह्ह्ह भाभी बहुत अच्छा आह्ह्ह् वाह मज़ा आ गया, थोड़ा आप इसको अपने एक हाथ से भी हिलाओ.

कहानी जारी है…..