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नंदोई ने मुझे चोदा-3

Nandoi ne mujhe choda-3

फिर वो बोले कि नहीं आज तो पूरी रात लाईट ऐसे ही जलती ही रहेगी, क्योंकि उस रात को मैंने तुम्हारे ससुराल में तुम्हारे बदन को सिर्फ़ छूकर ही महसूस किया था, लेकिन आज में तुम्हारी सुन्दरता को अपनी आँखो से देखना चाहता हूँ, लेकिन मुझे अब उनसे बहुत शर्म आ रही है और मैंने दोबारा बंद करने के लिए और कहा कि मुझे शर्म आती है. तो वो बोले कि यह शर्म तो कुछ देर की है अभी कुछ देर में तुम्हे जैसे ही गरमी और जोश आएगा वैसे ही यह शर्म मुंह छुपाकर कहीं दूर भाग जाएगी, मेरी एक बात हमेशा याद रखो चुदाई का पूरा मज़ा तभी लिया जा सकता है जब इंसान अपनी शर्म का चोला उतार फेंके और पूरा बेशर्म बन जाए.

फिर मैंने उनसे कहा कि में ऐसा कभी नहीं कर सकती, तभी वो बोले कि प्लीज ऐसा मत कहो मेरे पास एक ऐसी तरकीब है जिससे एक दो मिनट में तुम्हारी सारी शर्म दूर भाग जाएगी तुम ज़रा अपनी जांघे तो फैलाओ. दोस्तों अब मैंने उनके कहने पर अपनी दोनों जांघो को खोल दिया, लेकिन शर्म से मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और अगले ही पल मुझे अपनी गरम चिकनी चूत पर किसी खुरदरी वस्तु का स्पर्श पाकर में चौंक पड़ी मैंने आँखे खोली तो देखा कि जीजा जी ने मेरी जांघों के बीचों बीच अपना मुंह लगा रखा है और उनकी सख़्त मूँछे मेरी चूत की मुलायम त्वचा से रगड़ खा रही है.

फिर मेरे मुहं से निकला कि हाए जीजा जी आप यह सब क्या कर रहे है? तभी मेरे प्यार जीजा जी एक पल को अपना चेहरा ऊपर उठाकर मुस्कुराकर बोले और फिर झुककर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगे. उनके ऐसा करते ही मेरे बदन में एक अजीब सी लहर उठने लगी और मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे मेरी चूत फूलकर अब मोटी होती जा रही है तभी जीजा जी मेरी चूत की कोमल फांकों को अपने होंठों के बीच में रखकर मेरी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को चूसने लगे और अब तो में बुरी तरह से तड़प उठी और मेरी चूत इस तरह से मचल उठी कि जैसे कि में अब झड़ने वाली हूँ.

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मैंने जीजा जी का चेहरा अब अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत से पूरी तरह से सटा दिया और में अपनी गांड को धीरे से हिला हिलाकर अपनी चूत उनके पूरे चेहरे पर रगड़ने लगी थी जिसकी वजह से मेरी चूत का वो चिपचिपा पानी उनके चेहरे से लगने लगा था.

दोस्तों जीजा जी को शायद चूत को चूसने का बहुत अच्छा अनुभव था क्योंकि वो बार बार मेरी चूत को बीच में रुककर चूम रहे थे और कभी उसे दांतों से काट भी लेते तो कभी उंगलीयों से मसल देते उनकी जीभ लप लप करती हुई कई बार मेरी चूत के ऊपर घूम चुकी थी और उसकी लार से मेरी पूरी चूत गीली हो गई थी और अब मुझे लंड की जबरदस्त तलब महसूस हो रही थी मेरा मन हो रहा था कि में जीजा जी का लंड पकड़कर अपनी चूत में खुद ही घुसेड़ लूँ और तब में ताबड़तोड़ उछल कूद करूँ, जिसके कि मेरी जलती हुई चूत को ठंडक मिल जाए.

दोस्तों में अभी यह बातें सोच ही रही थी कि तभी जीजा जी ने अचानक से अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर सरका दिया और उसे जल्दी जल्दी चलाने लगे में पूरी तरह से उत्तेजना में तो थी ही और जीभ की रगड़ लगते ही मेरी चूत खुलकर फफक पड़ी और में ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेकर अपने नंदोई से लिपट पड़ी.

जीजा जी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और फिर वो मेरे गालों को चूमने लगे थोड़ी देर बाद मेरी गांड को मसलते हुए वो मुझसे पूछने लगे कि तुम मुझे सच सच बताना क्या ऐसा मज़ा तुम्हारे पति ने तुम्हे कभी दिया है? अब मुझे मजबूर होकर सच सच उनसे कहना पड़ा कि नहीं कभी नहीं और फिर वो अपना लंड मेरी जांघो पर रगड़ते हुए मुझसे कहने लगे कि मैंने तुम्हारी आग तो शांत कर दिया है और अब तुम भी मेरी प्यास को बुझाओ. दोस्तों में समझी कि अब वो मुझे चोदना चाहते है इसलिए मैंने अपने हाथों से उनका लंड पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसेड़ लिया.

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तभी जीजा जी ने अपना लंड तुम यह क्या कर रही हो कहते हुए तुरंत बाहर निकाल लिया और वो मुझसे बोले कि मैंने तुम्हे होठों से मज़ा दिया है तुम भी मेरे लंड को अपने होंठों से प्यार करो. अब में समझ गई थी कि जीजा जी मुझसे अपना लंड चुसवाना चाहते है, क्योंकि वो अभी कुछ देर पहले मेरी चूत को चाटकर मेरी प्यास को बुझा चुके थे इसलिए में भी उनकी उस मन की इच्छा को पूरा करने के लिए बहुत विवश थी. फिर मैंने झुककर जीजा जी का लंड अपने मुंह में डाल लिया और अब में उसको चूसने लगी थी.

फिर जीजा जी ने मेरे सर को अपने दोनों हाथों से थाम लिया और अपनी कमर आगे पीछे करने लगे. उसके साथ ही उनका लंड मेरे मुंह में अंदर बाहर होने लगा था और कुछ ही देर हुई होगी कि अचानक से जीजा जी का पूरा बदन ज़ोर से हिलने लगा जब तक में कुछ समझ पाती तब तक उनके लंड ने ढेर सारा सफेद लावा मेरे चेहरे पर उगल दिया. अब मैंने उठकर जीजा जी का लंड और अपना मुंह दोनों को साफ किया और में उसी हालत में सो गई.

फिर रात को जीजा जी ने मेरी चूत और गांड का बहुत मज़ा लिया और मैंने भी उनका पूरा पूरा साथ दिया. मैंने अपनी गांड पहले कभी नहीं मरवाई थी इसलिए शुरू में लंड डालते समय मुझे बहुत दर्द का सामना करना पड़ा और उन्होंने थूक लगाकर मेरी गांड मारी कुछ देर बाद में रास्ता खुल जाने से मुझे बहुत मज़ा आया और हम लोग सुबह 9 बजे उठे जीजा जी को दीदी का नाश्ता लेकर अस्पताल जाना था, लेकिन उठने से पहले भी एक बार उन्होंने मुझे चोदा फिर वो हॉस्पिटल चले गये और अस्पताल से लौटने के बाद वो फिर से मुझ पर आते ही चड़ गये हालाँकि मुझे भी उनके साथ जमकर चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था इसलिए मैंने भी उनसे कभी भी इंकार नहीं किया और मैंने खुलकर उनके मस्ताने लंड का पूरा मज़ा लिया.

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दोस्तों जितने दिन में दिल्ली में रही जीजा जी के साथ मैंने जमकर जवानी का पूरा पूरा मज़ा लिया उन्होंने मुझे हर कभी जब भी उनको याद आती मेरी चुदाई कि मेरी चूत को अपने मोटे तगड़े लंड से चोद चोदकर अब तक पूरी तरह से भोसड़ा बना दिया था मुझे अब उनके लंड की एक आदत सी हो गई थी बिना चुदाई के मेरी चूत फड़कने लगी थी, लेकिन अपनी ननद के ठीक होकर घर पर आ जाने के बाद मुझे अपने ससुराल वापस आना पड़ा और उसके बाद से में अपने पति के साथ ही रह रही हूँ, लेकिन जिस तरह एक बार जीभ का चटपटा स्वाद जाग जाने के बाद इंसान को सादा खाना पसंद नहीं आता ठीक उसी प्रकार अपने नंदोई के साथ खुलकर सेक्स कर लेने के बाद अब मुझे अपने पति के सीधे सरल प्यार में वो वैसा मज़ा नहीं आता. हर वक़्त मुझे अपने नंदोई के साथ चुदाई की याद आती है और ख़ासकर जिस समय मेरे पति मेरी चुदाई करते है उस वक़्त में नंदोई जी के साथ बिताए वो सुखद पलों की यादों में खो जाती हूँ.

अब में अपने ससुराल में कोई नंदोई जैसा चुदक्कड़ चूत का दीवाना खोज रही हूँ जो मेरी और मेरी चूत की बहुत अच्छी तरह से चुदाई करे और मेरी भड़कती आग को शांत कर दे. दोस्तों यह थी मेरी चुदाई अपने नंदोई के साथ, में उम्मीद करती हूँ कि यह मेरी चुदाई और उनका मुझे चोदने का तरीका आप सभी पढ़ने वालों को जरुर पसंद आया होगा.