Office Sex

नौकरी के लिए कुछ भी करुँगी

नौकरी के लिए चुदाई की ये मेरी पहली और सच्ची कहानी है HotSexStory.xyz में जिसमें मैं आप लोगों को बताउंगी की नौकरी पाने के लिए मैं क्या और किसके साथ की?

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम हर्षिता सिंघ है, मैं हरयाणा की रहने वाली हूँ, पर मैं दिल्ली में रहती हूँ और मैं 25 साल की हूँ।
वैसे मैं दिखने में तो गोरी नारी, सुडौल और काफ़ी सेक्सी लड़की हूँ, मेरी फिगर की साइज 36–30–38 है और कद 5’7” है।

दोस्तों आज कल के दौर में मेहनत और कौशल दोनों की ज़रूरत होती है, खास तौर पर जब आप दिल्ली जैसे बड़े शहर में नौकरी की तलाश में आए हो तब।
मैं मार्च के महिने में हरयाणा से दिल्ली नौकरी की तलाश में आई थी, दिल्ली में मेरी एक सहेली मोनिका रहती थी जो की एक चार सितारा होटल में हाउसकीपिंग की नौकरी करती थी।
और मोनिका उसी होटल में मेरी नौकरी लगवाने वाली थी, पर मोनिका मुझे ये नहीं बताई थी की नौकरी के लिए वो क्या–क्या की थी?

मोनिका मुझे इतना बोली थी की वो मेरे बारे होटल के मैनेजर से बात की है और ठीक तीन दिन बाद सुबह के 9 बजे मेरी इंटरव्यू है, इसीलिए मैं इंटरव्यू देने के लिए पूरी तैयार थी।
ठीक तीन दिन बाद मैं इंटरव्यू देने गई थी, वैसे तो इंटरव्यू देने मेरे अलावा कोई और नज़र नहीं आए, इसीलिए मैं मैनेजर के ऑफिस के बाहर बैठी हुई थी।
तभी रिसेप्शनिस्ट आई और मुझे अंदर जाने के लिए बोली, तो मैं इंटरव्यू के लिए थोड़ी घबराई हुई थी, पता नहीं मैनेजर मुझसे कौनसा सवाल पूछे और मैं बाता पाऊँगी भी या नहीं।

तो मैं मैनेजर के दरवाज़े को खोली और बोली, ” क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?”
तो मैनेजर मुझे देखे नहीं और बोले, ” हाँ, आ जाओ और अपनी फ़ाइल टेबल पर रख कर सामने बैठ जाओ।”

तो मैं मैनेजर के टेबल में अपनी फ़ाइल रखी और सामने के सोफे में बैठ गई, फिर मैनेजर अपना डेस्कटॉप पर काम ख़तम करने के बाद मेरी ओर देखे।
पहले तो मैनेजर मुझे देख देखते ही रह गए, मैं तो थोड़ी असुविधाजनक महसूस करने लगी,…

तो मैं मैनेजर से बोली की, ” सर मेरी फ़ाइल…”
तो मैनेजर थोड़े चौंक कर बोले, ” ओह, हाँ… हाँ… फ़ाइल, देखता हूँ।”

और तब मैनेजर मेरी फ़ाइल देखने लगे,…

तो मेरी फ़ाइल देख मैनेजर मुझसे पूछे की, ” तो तुम रिसेप्शनिस्ट की नौकरी के लिए आई हो?”
तो मैं मैनेजर से बोली की, ” जी सर, मेरी दोस्त मोनिका शायद आपको बताई होगी मेरे बारे?”
तो मैनेजर मुझे बोलने लगा, ” ओह, मोनिका बताई तो थी पर हमें रिसेप्शनिस्ट के लिए फिलहाल कोई नौकरी नहीं है।”

अब ये सुन कर तो मैं हताश हो गई, क्यूँकि मैं बड़ी उम्मीद लेकर आई थी की मुझे नौकरी मिल ही जाएगी, क्यूँकि मैं ग्रेजुएशन के साथ डिप्लोमा भी की थी।
पर मेरे पास होटल मैनेजमेंट का प्रमाणपत्र नहीं था और ना ही मैं पहले कभी किसी होटल में काम की थी,…

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तो मैं मैनेजर से दरखास्त करने लगी, ” सर ऐसे मत कहिए, मैं बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आई हूँ।”
तो मैनेजर मुझे बोलने लगे की, ” देखो हर्षिता फिलहाल तो तुम्हें रिसेप्शनिस्ट की नौकरी नहीं मिल सकती।”
तो मैं मैनेजर से बोलने लगी की, ” तो कोई और पोस्ट तो खाली होगा मैं कोई भी काम करने के लिए तैयार हूँ, प्लीज… सर प्लीज…”

तो मेरी ये बात सुन कर मैनेजर उठ गया और, “DO NOT DISTURB”, का बोर्ड लेकर अपने कमरे के दरवाज़े के बाहर लगा कर वापस आया।
तो मैं समझी नहीं की आखिर बात क्या है, लेकिन वापस आने के बाद मैनेजर मेरी कंधों पर अपना हाँथ रखा और सहलाने लगा, मुझे तब बहुत अजीब लग रही थी।

तो मैनेजर मुझे बोला की,” चलो हर्षिता, अगर तुम इतना बोल रही हो तो मैं तुम्हें हाउसकीपिंग की नौकरी दे दूँगा।”
तो मैं उतनी खुश नहीं थी पर मैं बोली की, ” ओह, सुक्रिया सर बहुत मेहरबानी हुई ये जान कर।”
तो मैनेजर मुझे बोलने लगा की, ” मैंने कहा दे दूँगा अगर बदले में तुम मुझे कुछ दोगी तब।”

तो मैं सोची कहीं ये मैनेजर मुझसे घुमा फिरा के पैसे की बात तो नहीं बोल रहा,…

तो मैं मैनेजर से बोली की, ” कितना चाहिए आपको?”
तो मैनेजर हँसते हुए बोला, ” तुम समझी नहीं शायद, मैं पैसों की बात नहीं कर रहा।”

ये कहते हुए मैनेजर ने कुरसी के साथ मुझे अपने तरफ घुमाया और अपने पैंट में टाइट हुए लंड के तरफ इशारा किया, जिसे देख मैं चौंक ही गई।
और मैं समझ गई की मैनेजर को क्या चाहिए, कमीना मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठाना चहता था,…

तो मैं मैनेजर से बोली की, ” सर आप मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठा रहे है।”
तो मैनेजर मुस्कुराते हुए बोला, ” सोच लो, उसके बाद ही तुम्हें नौकरी मिलेगा।”
तो ये सुन कर मैं मैनेजर से बोली की, ” अगर नौकरी की बात है तो, मैं कुछ भी करुँगी।”

ये कहते हुए मैं मैनेजर के पैंट में खड़े लंड को सहलाते हुए, मैनेजर के बेल्ट, चैन को खोलने लगी और मैनेजर के पैंट को निचे सरका दी।
तो जैसे ही मैं मैनेजर के पैंट को निचे सरकाई वैसे ही मैं मैनेजर के कच्छे में टाइट हुए बड़े मोटे लंड को देखि, मुझे आभास हो रही थी की मैनेजर का लंड बड़ा और मोटा होगा।
और जैसे ही मैं मैनेजर के कच्छा को खिंचते हुए निचे की वैसे ही मैनेजर का काला नाग जैसा मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया उउफ़्फ़्फ़… मेरी तो मुँह खुली की खुली रह गई थी।

तो मैनेजर मुझे बोलने लगा की, ” क्या हुआ हर्षिता? ज्यादा मोटा है क्या?”
तो मैं मैनेजर के लंड को पकड़ कर बोली की, ” हाँ सर मोटा तो है आपका।”
तो मैनेजर मुझे बोलने लगा, ” सोच लो ये तुमहारा इंटरव्यू है, अगर मैं खुश हो गया तो नौकरी पक्का समझो।”

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ये सुनते ही मैं मुँह खोल के मैनेजर के मोटे लंड को अपनी मुँह में आधा लेली और एक दम से चूसने लगी, तब तो मैनेजर सिसक ही जा रहा था।
और मुझे बोल रहा था, ” ईईस्स्स्स… हर्षिता क्या मस्त लंड चूसती है रे तू उउफ़्फ़्फ़… “, मैनेजर को ये पता नहीं था की मैं कितनी बड़ी लंडखोर हूँ।
तो जब मैं मैनेजर के लंड को चूस–चूस कर अपनी लार से लतपत कर दी, तब मैनेजर मुझे अपने कमरे में रखे एक आरामदायक सोफा पर लेकर गया।

वैसे उस सोफे का नाम Chaise Lounger है, तो मैनेजर पहले मुझे उस सोफे में लेटा दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर चढ़ाते हुए मेरी पैंटी को खींचते हुए निकाला।
मेरी गोरी चिकनी चूत देख मैनेजर से रहा नहीं गया, इसीलिए उसने मेरी दोनों टांगों को फैलाते हुए मेरी चूत में अपना मुँह लगा दिया उउफ़्फ़्फ़… ईईस्स्स्स… और चाटने लगा।
ईईस्स्स्स… मैनेजर अपना जीभ घुसा कर मेरी चूत–चाट रहा था और मेरी चूत के दाने को अपने ऊँगली से सेहला रहा था, जिससे मैं आहहह… ईईस्स्स्स… करते हुए नौकरी के लिए चुदाई सिसक जा रही थी।

और फिर मैनेजर मेरी चूत चाटते हुए मेरी गांड की छेद तक चाट ही लिया था, फिर मैनेजर मेरे सामने अपना पूरा पैंट, कच्छा सब उतार कर सोफा में लेट गया।
और मुझे अपने ऊपर बैठाया, तब मैं मैनेजर के लंड को पकड़ कर अपनी गीली चूत से लगाई और मैनेजर के लंड को अपनी चूत में लगा कर बैठ गई ईईस्स्स्स… आहहह…
और मैं मैनेजर के लंड पर अपनी गांड पटकने लगी उउफ़्फ़्फ़… ईईस्स्स… आहहह… और उछलते हुए ही मैं अपने ऊपर के कपड़े उतारने लगी।

और अंदर मैं ब्रा भी नहीं पहनी थी तो मैं जल्दी ही नंगी हो गई थी और उछलते समय मेरी चूचियां भी उछल रही थी, जिसे देख मैनेजर अपना मुँह लगा दिया और चूसने लगा।
उउफ़्फ़्फ़… ईईस्स्स्स… ऐसा कुछ होगा सोची नहीं थी मगर मज़ा भी आ रही थी, मैं शुक्रगुजार हूँ की मेरे पड़ोस के अंकल और मेरे मोहल्ले के लड़कों ने मुझे चोद कर इस काबिल बनाया।
वरना आज मेरी कुमारी चूत मैनेजर के लंड से चुदा कर बेहाल हो चुकी होती और मेरी चाल भी गड़बड़ा जती, ईईस्स्स… क्या मस्त लंड था मैनेजर का उउफ़्फ़्फ़…

तो उछल–उछल कर मैं कुछ देर तक मैनेजर के लंड से चुदवाती रही, फिर मैनेजर मुझे घोड़ी बनाया और मेरी कोंहड़ा जैसी गांड को देख तो मैनेजर मेरी गांड फैला कर चाट ही लिया ईईस्स्स…
और तभी मैनेजर को ये पता चला की मेरी गांड भी चुदवाई हुई है, तब तो मैनेजर मेरी गांड की छेद में थूक लगा कर अपने लंड के टोपा को मेरी गांड की छेद में दबाने लगा।

तो मैं मैनेजर से बोलने लगी की, ” ईईस्स्स्स… सर आराम से करिएगा बहुत मोटा लंड है आपका।”
तो मैनेजर बोलने लगा, ” चिंता मत करो हर्षिता आराम से ही चोदुँगा तुम्हें।”

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ये कहते हुए मैनेजर अपने लंड के सुपाड़ी को मेरी गांड की छेद में घुसा दिए ईईस्स्स… आहहह… पहली बार तो नहीं थी, पर लंड का सुपाड़ी मोटा था जिससे मैं सिसक ही गई थी।
और फिर मैनेजर मेरी गांड में अपना लंड आगे–पीछे करते हुए धकेलने लगे ईईस्स्स… आहहह… ईईस्स्स्स… शुरुवात में तो मैनेजर आराम से धक्के दे रहे थे।
फिर मैनेजर आराम से धक्के देते हुए कब मैनेजर ने अपने सारे कपड़े उतारे और वो पुरे नंगे ही हो गए थे, फिर मैनेजर मुझे चोदते हुए पीछे से मेरे ऊपर ही चढ़ गए।

और तब मैनेजर मेरी दोनों चूचियों को दबोच लिए थे और साथ ही मुझे कुत्ते की तरह चोदे जा रहे थे बड़े ज़ोर–ज़ोर से ईईस्स्स्स… आहहह… आहहह…
ऊपर से मैनेजर के टट्टे सीधे मेरी गीली चूत से लग रही थी, नौकरी के लिए चुदाई जिससे थप… थप… थप… की आवाज़ और मेरी आहहह… आहहह… कराहने की आवाज़ आ रही थी।

तो मैनेजर मुझे चोदते हुए बोलने लगे, ” ईईस्स्स्स… आहहह… हर्षिता, नौकरी मिलने के बाद भी मुझे तुम चाहिए ईईस्स्स्स…”
तो मैं मैनेजर से बोलने लगी की, ” ईईस्स्स्स… आहहह… जी सर ईईस्स्सा… मैं देती रहूँगी।”

और तब मैनेजर मेरी एक चूची को छोड़ कर मेरी बाल को पकड़ लिए और मुझे चोदते रहे, और फिर मैनेजर मेरे ऊपर चढ़े हुए ही दो–तीन धक्के लगाए और गांड में ही मुठ मार दिए।
मैनेजर के गरम मुठ को मैं अपनी गांड में महसूस कर रही थी और फिर मैनेजर मेरी गांड से लंड निकाल के मेरी मुँह के सामने अपना लंड लेकर आए जिसमें मुठ लगा हुआ था।
तो मैं मैनेजर के लंड में लगे मुठ को चूस–चाट कर साफ की और फिर मैनेजर ने मुझसे अपने सांड के जैसे लटके हुए टट्टे भी चटवाने लगे।

तो मैनेजर मुझे बोले की, ” अभी के लिए तुम हाउसकीपिंग ही करती रहो, कुछ महिने के बाद मैं तुम्हें रिसेप्शनिस्ट का नौकरी दूँगा।”
तो मैं मैनेजर के बात से सहमत थी, ” ठीक है सर, जैसे आप कहें!”

फिर मैं अगले दिन से हाउसकीपिंग की नौकरी करने लगी, नौकरानी जैसी काम थी, मगर उतनी बुरी भी नहीं थी और मेरी पगार 15 से 16 हजार थी।
और मैनेजर भी मुझे चोदने के बाद पैसे देते थे, लेकिन उस होटल में जो मेहमान कुछ दिन के लिए आते थे, मैं उनकी नज़र में चढ़ गई थी और चुदवाई भी थी।
उसके बारे में भी मैं आप लोगों को अपनी दूसरी नौकरी के लिए चुदाई कहानी में बताउंगी, तब तक मेरी इस कहानी को शेयर करते रहे और मुठ मरते रहे। धन्यवाद!