हिंदी सेक्स स्टोरी

नीलू की एक रात की कीमत-1

Neelu ki ek raat ki kimat-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रिंकू है और में आज एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक और सच्ची घटना लेकर आया हूँ. दोस्तों मेरी आज की यह कहानी एक नई शादीशुदा लड़की की है, उसकी शादी को अभी कुछ ही समय हुआ है और उसका पति उसको अकेला तड़पता हुए छोड़कर कम्पनी के टूर पर चला जाता है और अब में अपनी यह कहानी थोड़ा विस्तार से आप सभी को सुनाता हूँ. मुझे उम्मीद है कि यह आप सभी को बहुत अच्छी लगेगी. दोस्तों मैंने इस कहानी को एक नये तरीके से लिखने का प्रयास किया है और उम्मीद है कि आप लोग इसे जरुर सराहेंगे.

दोस्तों वो रात का समय था और नीलू अपने मकान की बालकनी पर खड़ी होकर बाहर देख रही थी और उस समय उसका पति एक सप्ताह के लिए बाहर गया हुआ था और उस समय फ्लेट में वो बिल्कुल अकेली बहुत बोर हो रही थी इसलिए थोड़ी देर बाहर खड़ी हो गयी थी. कमरे में डीवीडी बज रहा था, लेकिन उसका दिल पति के बारे में बहुत चिंतित था क्योंकि उसकी अभी नयी नयी शादी हुई थी और उसके साथ केवल 15 दिन बिताकर बाहर कम्पनी के किसी टूर पर चले गये और केवल दो तीन दिन के लिए ही वो घर पर आते थे.

दोस्तों उनकी अभी नयी नयी शादी थी, लेकिन नीलू का दिल अभी पूरी तरह भरा नहीं था, लेकिन अपने पति की मजबूरी की वजह से वो बिल्कुल चुप रह जाती थी और उसका दिन तो किसी ना किसी तरह बीत ही जाता था, लेकिन पूरी रात अकेले बिस्तर पर करवट बदलते ही गुजारनी पड़ती थी. दोस्तों इस समय वो मेक्सी पहने हुई थी. वो मेक्सी जालीदार थी और यह मेक्सी उसको उसके जीजा जी ने दी थी और जब भी मेरी निगाह उस मेक्सी की तरफ जाती तो मेरे सामने उसके जीजा की सूरत आ जाती थी क्योंकि जब वो 20 साल की थी और अभी अभी जवान होने लगी थी उसके बूब्स, गांड ने अपना आकार बदलना शुरू किया था और वो बहुत सेक्सी दिखने लगी थी. उसके जीजा जी उसे बहुत प्यार करते थे और उस समय उसकी बहन गर्भवती थी इसलिए वो उनके घर के कामों में हाथ बटाने के लिए अपने जीजा जी के पास गई हुई थी और उस समय दीदी अलग सोती थी.

फिर वो कभी कभी जीजा जी के पास चली जाती थी तो उसके जीजा जी रात में एक सख़्त सी चीज़ उसकी जाँघो और चूतड़ों पर चुभाते थे और उसे बहुत अच्छा लगता था. एक दिन उसने जब उस चीज को हाथ लगाकर महसूस किया तो वो रबर की तरह लचीला और बहुत कड़क था और फिर जीजा जी ने उसे हाथ में पकड़ा दिया था. वो उसे अपने हाथ से रगड़ने लगी थी और उस समय जीजा जी अपनी दोनों आखें बंद करके ज़ोर ज़ोर से हाँ और ज़ोर से की आवाज़ कर रहे थे. नीलू अपने दोनों हाथों से ऊपर नीचे कर रही थी. उसे भी ऐसा करने में अब बहुत मज़ा आने लगा था. तभी दस मिनट तक ऊपर नीचे करने के बाद अचानक से एक फव्वारा सा उठा और उसमे से गरमा गरम पानी निकला और उसके हाथों के ऊपर गिरने लगा.

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वो सफेद कलर का बहुत चिपचिपा गाड़ा सा रस था उसके बाहर निकलते ही जीजा जी उस समय बिल्कुल शांत हो गये. फिर रोज़ रोज़ रात को जीजा जी वही सब करने लगे और अब कभी कभी जीजा जी अपनी उंगलियों से नीलू की जाँघो के बीच उसकी प्यारी सी नाजुक चूत में घुसकर अंदर बाहर करते. यह सब करवाना नीलू को बहुत अच्छा लगता था और फिर एक दिन जीजा जी ने अच्छा मौका देखकर अपनी उंगलियों और हाथों का इस्तेमाल ना करते हुए सीधा उस रबर जैसी कठोर चीज़ का इस्तेमाल उसकी चूत पर किया जिसकी वजह से नीलू बहुत ज़ोर ज़ोर से रोई, लेकिन वह कठोर चीज़ अंदर दर्द करती चली गई और अब बहुत सारा खून भी बाहर निकला और उसको दर्द भी बहुत हुआ, लेकिन कुछ देर के बाद उसे भी अच्छा लगने लगा और अब यह फव्वारा नीलू की जाँघो के बीच चूत में ही गिरता.

दोस्तों आज भी नीलू सोच रही थी कि इस समय भी उसके जीजू आ जाते तो उसे बहुत फिर मज़ा आ जाता और अब वो इसी उधेड़ बुन में थी कि तभी उसके फ्लॅट के सामने एक स्कूटर आकर रुका, उसमे से आकाश का दोस्त अंकित उतर गया. अंकित को देखकर नीलू ने अपना मुहं दूसरी तरफ घुमा लिया क्योंकि उसे अंकित से बहुत नफ़रत थी क्योंकि वो जब भी आकाश के साथ उसके घर पर आता तो उसकी निगाह हमेशा उसके बदन पर ही घूमती रहती थी और अंकित को आज यह बात मालूम है कि आकाश इस समय अपने घर पर नहीं है.

यह यहाँ पर क्यों आ गया, में अभी इसे दरवाजे से ही वापस लौटा दूँगी, यह बात सोचकर वो दरवाज़ा खोलने लगी, तो वो दरवाजे पर आया और कहने लगा कि नमस्ते भाभी जी आप सोच रही होगी कि में इतनी रात को यहाँ पर क्यों आया? क्योंकि इस समय आकाश घर पर नहीं है, लेकिन मुझे आकाश ने ही भेजा है. तो आकाश का नाम सुनते ही नीलू ने उसे अंदर बुलाया और फिर उसने नीलू से कहा कि आकाश ने यह कुछ पैसे दिए है और एक कपड़ो का सेट माँगवाया है क्योंकि वो 12 दिन और बाहर रहेगा और मुझे भी कल सुबह पहुंचना है.

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नीलू ने वो पैसे अपने रख लिए और फिर इतनी दूर से स्कूटर चला कर आया है तो यह बात सोचकर वो उसके लिए चाय बनाने किचन में चली गई और इधर अंकित बाहर बैठा बैठा सोच रहा था कि आज मौका बहुत अच्छा है और अगर में आज की रात उसको कुछ भी नहीं कर पाया तो फिर में कभी भी कुछ भी नहीं कर सकता. फिर कुछ देर बाद नीलू चाय बनाकर ले आई और अंकित चाय पीने लगा, लेकिन वो दोनों एकदम चुप थे और अंकित चुपचाप मन ही मन में सोच रहा था कि अगर यह मुझे रुकने को कहेगी तभी में यहाँ पर रुकूँगा नहीं तो में चला जाऊंगा और फिर तक़दीर का खेल देखो कि नीलू को अंकित पर दया आ गयी और वो मन ही मन सोचने लगी कि वो अब इतनी रात को कहाँ जाएगा. में इसे यहीं पर रोक लेती हूँ, लेकिन एक बार कहकर देखती हूँ.

तभी वो अपनी चाय खत्म करके बोला कि अच्छा भाभी जी में अब चलता हूँ, रात बहुत हो चुकी है और मुझे खाना भी खाना है, वर्ना बाहर सब होटल बंद हो जाएगी क्योंकि मेरी पत्नी अपने मायके गई हुई है इसलिए मुझे होटल में जाना ज़रूरी है. नीलू ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों आप यहीं पर खाना खाकर जाइए ना? तो वो बोला कि नहीं नहीं मेरी वजह से आप क्यों तकलीफ़ करेंगी? तो नीलू कहने लगी कि इसमे तकलीफ़ कैसी खाना तो बना हुआ रखा है, में गरम कर देती हूँ और आप खा लीजिए. तो अंकित बोला कि ठीक है और फिर जैसी आपकी मर्ज़ी, आप इतना कहती है तो में रुक जाता हूँ.

वो मन ही मन अब बहुत खुश था क्योंकि उसे आज इसी मौके की बहुत दिनों से तलाश थी और वो अब उसे मिल गया. फिर नीलू ने उसे जगह बताते हुए कहा कि आकाश के नाईट कपड़े वहां पर रखे हुए है और आप उनके रूम के जाकर बदलकर हाथ मुहं धोकर आ जाईएगा और जब तक में आपके लिए खाना गरम करती हूँ. अंकित ने अब आकाश के नाईट कपड़े पहने और जल्दी से हाथ धोकर बाहर आ गया. फिर उसने खाना खाया और फिर जाकर लेट गया, लेकिन उसे अब बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी और उसके सामने रह रहकर नीलू का चेहरा घूमता हुआ दिखाई दे रहा था. तभी वो करीब आधे घंटे के बाद उठकर खड़ा हुआ और फिर दरवाज़ा खोलकर बाहर आने लगा और तभी उसने सामने की तरफ देखा तो ठीक उसके सामने नीलू खड़ी हुई थी. वो उस समय उसे वहां पर पाकर एकदम चकित सा रह गया और फिर एकदम से बोल पड़ा कि भाभी आप? फिर नीलू थोड़ा मुस्कुराकर बोली कि में क्या करूँ मुझे नींद ही नहीं आ रही थी इसलिए में बाहर आ गई. तो उसकी मुस्कुराहट का मतलब अंकित अब पूरी तरह से समझ चुका था और वो झट से बोला कि हाँ नींद तो अकेले में मुझे भी नहीं आ रही है और यह बात कहकर अंकित ने नीलू को ज़ोर से अपनी बाहों में भरकर चूमने लगा.

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नीलू उसकी इस हरकत से डर गई और वो अब उसका विरोध करते हुए बोली कि यह क्या कर रहे हो. छोड़ो मुझे और नीलू ने उसका बहुत विरोध किया, लेकिन वो तो काम वासना में पूरी तरह डूब चुका था. उसने नीलू को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया और कहने लगा कि भाभी में तो अब तक समझता हूँ कि तुम ऊपरी मन से यह सब कह रही हो और यह बात कहकर अंकित ने नीलू को अपनी बाहों में भरकर अपने सुलगते हुए होंठ उसके गुलाब की पंखड़ियों पर रख दिए और उसका रस चूसने लगा और उसके धधकते हुए होठों का स्पर्श होते ही नीलू एकदम से सिहर उठी और उसने अंकित की मजबूत बाहों से छूटने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नाकामयाब ही रही.

अब अंकित धीरे धीरे आगे बढ़ता गया. अब अंकित उसके होठों को चूमते चूमते उसकी गर्दन को चूमता हुये अपने सुलगते होंठ उसके सीने के उभार पर रख दिये. उसके होठों का स्पर्श पाते ही नीलू का मन मचल गया और वो कराह उठी और वो बोल उठी कि अब क्या मुझे मार ही डालोगे? तो अंकित बोला कि हाँ आज में तुम्हे मार ही डालूँगा. तुमने मुझे बहुत समय से तड़पाया है और यह कहकर अंकित अपने दाँतों से नीलू के नाजुक अंगों को काटने लगा. नीलू उसी बीच एकदम उत्साहित हो उठी और उसकी मेक्सी की डोरी को कब अंकित ने पकड़कर खोल दिया उसे पता ही नहीं चला. वो अब बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी और अब नीलू एकदम नंगी हो चुकी थी और मोन कर रही थी.