पड़ोसन चूत में केला पेल कर पानी निकाल रही थी
(Padosan Chut Mein Kela Pel Kar Pani Nikal Rahi Thi )
मेरी एक दुकान है मेरे दुकान में दो लोग काम करते हैं और मुझे अपनी दुकान को खोले हुए 5 वर्ष हो चुके हैं। मैं एक दिन अपनी दुकान से वापस लौट रहा था उस दिन मुझे कुछ काम था तो मैंने सोचा मैं जल्दी ही घर लौट जाता हूं। मैं घर जल्दी आया तो मैंने देखा दिव्या कहीं दौड़ती हुई जा रही थी मैंने दिव्या को आवाज देकर रोकने की कोशिश की लेकिन उसने कुछ सुना ही नहीं और वह चली गई मेरी समझ में नहीं आया की वह इतनी तेजी से दौड़ती हुई कहां जा रही थी। Padosan Chut Mein Kela Pel Kar Pani Nikal Rahi Thi.
मैं जब घर पहुंचा तो मैंने अपनी पत्नी सीमा से पूछा आज मैंने दिव्या को देखा वह ना जाने कहां इतनी तेजी से दौड़ती हुई जा रही थी उसने मेरी तरफ देखा तक नहीं। सीमा कहने लगी बेचारी की तो किस्मत ही ठीक नहीं है पहले उसके पति ने उसे छोड़ दिया और अब उसका लड़का भी उसे परेशान करने पर तुला हुआ है।
मैंने सीमा से कहा तुम क्या बात कर रही हो तो सुरभी कहने लगी हां मैंने सुना है कि उसका लड़का गलत संगत में पड़ गया है और वह बहुत ज्यादा नशा करता है जिसकी वजह से वह बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी है। दिव्या को हम लोग काफी पहले से जानते हैं उसके पति और मेरे बीच में अच्छी दोस्ती थी लेकिन ना जाने ऐसा क्या हुआ कि वह उन्हें छोड़कर चला गया। कमलेश ने किसी और से शादी करली है और दिव्या अब अकेली है उस पर उसके लड़के की जिम्मेदारी भी है उसके लड़के की उम्र 16 वर्ष की है लेकिन वह गलत संगत में पड़ चुका है जिस वजह से दिव्या टेंशन में रहने लगी है।
मैंने सीमा से कहा तुम कभी दिव्या से इस बारे में बात करना यदि तुम उससे बात करोगी तो उसे अच्छा लगेगा सीमा कहने लगी हां मैं दिव्या से मिलती हूं। मेरी पत्नी सीमा बहुत ही समझदार है, वह अगले दिन दिव्या से मिली जब वह अगले दिन दिव्या से मिली तो उसने दिव्या को समझाया लेकिन दिव्या अपने दुखों से बहुत ज्यादा परेशान थी वह कहने लगी कि जब से कमलेश ने मुझे छोड़ा है तब से तो मेरी जिंदगी जैसे बद से बदतर होती चली जा रही है। सूरज भी अब हाथ से निकल चुका है और वह ना जाने किसके संगत में है वह बहुत नशा करने लगा है और मैं बहुत परेशान भी हो गई हूं अभी उसकी उम्र भी इतनी नहीं है कि वह कुछ समझ सके लेकिन मैं जो चाहती थी शायद वह कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
मैं चाहती थी कि सूरज पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बने और वह अपने जीवन में कुछ अच्छा करे लेकिन वह तो हमें ही मुसीबत में डालता जा रहा है। जब यह बात मुझे सीमा ने बताई तो मैंने सीमा से कहा तुम चिंता मत करो मैं इस बारे में कमलेश से बात करता हूं, कमलेश से अभी भी मेरी बात होती है लेकिन वह दूसरी जगह रहता है। मैंने कमलेश को एक दिन फोन किया और उसे कहा मुझे तुमसे मिलना था कमलेश मुझे कहने लगा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए आता हूं कमलेश मुझसे मिलने के लिए आया। जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरी शॉप में आया तो मैंने कमलेश को कहा देखो कमलेश तुमने जो दिव्या के साथ किया वह तुम्हारा आपसी मामला था लेकिन उसके चलते सूरज तुम दोनों के बीच में पिस रहा है तुम्हें सूरज का ध्यान देना चाहिए तुम्हें मालूम भी है की सूरज गलत संगत में पड़ चुका है।
ना जाने वह कैसे कैसे लड़कों के साथ रहता है दिव्या बहुत ज्यादा परेशान रहती है तुम्हें उसका साथ देना चाहिए। कमलेश को भी मेरी बातों का थोड़ा बहुत असर हुआ और वह कहने लगा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मुझे ही सूरज से बात करनी पड़ेगी, थोड़ी देर बाद कमलेश मेरी शॉप से चला गया। अगले दिन कमलेश ने मुझे फोन किया और कहा अमित क्या तुम मेरे साथ चल सकते हो मैंने कमलेश से कहा क्यों नहीं हम दोनों सूरज के स्कूल में चले गए। सूरज के लंच के वक्त जब कमलेश और मैं सूरज से मिले तो सूरज कमलेश को देखते ही वहां से बचने की कोशिश करने लगा और वह वहां से अपनी क्लास की तरफ जाने लगा लेकिन मैंने उसे आवाज देते हुए कहा कि बेटा मुझे तुमसे कुछ काम था। सूरज रुक गया क्योंकी वह मेरी बहुत इज्जत करता है, सूरज कहने लगा आप इन्हें कह दीजिये की यहां से चले जाएं मुझे इनकी शक्ल तक नहीं देखनी है और मुझे इनसे कोई बात भी नहीं करनी है।
सूरज के दिल में कमलेश के लिए बहुत ज्यादा नफरत थी और वह कमलेश को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था कमलेश और दिव्या की गलती सूरज भुगत रहा था लेकिन मैंने उसे समझाया और कहां बेटा देखो बड़ों से ऐसे बात नहीं की जाती हमें तुमसे कुछ बात करनी थी। सूरज मेरी बात मान गया और हम लोग सूरज से बात करने लगे सूरज को जब कमलेश ने कहा कि बेटा मैंने सुना है कि तुम आजकल मम्मी को बहुत ज्यादा परेशान कर रहे हो और तुम्हारी वजह से वह बहुत परेशान रहने लगी है।
सूरज कहने लगा आपने तो अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है और अब आपको मेरे और मां के बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने सूरज को समझाया और कहा देखो बेटा तुम्हारे पिताजी और तुम्हारी मां के बीच में जो भी झगड़े थे वह सब बातें अब तुम भूल जाओ तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मैंने उसे समझाया तुम गलत संगत में पड़ रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी मां बहुत परेशान रहने लगी है उसका तुम्हारे सिवा इस दुनिया में आखिर है कौन इसलिए तुम्हें उसकी देखभाल करनी चाहिए और उसकी बातों को मानना चाहिए। शायद मेरी बातों का सूरज पर कुछ असर पड़ रहा था फिर कमलेश ने भी उसे समझाया तो सूरज पर हमारी बातों का थोड़ा बहुत असर तो पड़ा ही था उसके बाद उसने अपने दोस्तों की दोस्ती छोड़ दी और अब वह पढ़ाई पर ध्यान देने लगा था।
मैं एक दिन दिव्या से मिलने के लिए उसके घर पर गया उस दिन सूरज भी घर पर ही था मैंने सूरज से पूछा बेटा तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है तो वह कहने लगा मेरी पढ़ाई तो ठीक चल रही है और अभी मैं खेलने के लिए जा रहा था। मैंने सूरज से कहा तुम कहां जा रहे हो वह कहने लगा कि हम लोग फुटबॉल खेलने के लिए जा रहे हैं और फिर वह चला गया जब वह गया तो मैंने दिव्या से पूछा अब तो सूरज ठीक है ना दिव्या कहने लगी मैं आपका एहसान कैसे चुका सकती हूं। मैंने दिव्या से कहा इसमें एहसान की क्या बात है सूरज गलत रास्ते पर था तो मैंने उसे समझाया और कमलेश ने भी उसे समझाया, दिव्या सूरज से भीत प्यार करती थी।
दिव्या ने मुझे कहा आपने हमारी हमेशा ही मदद की है और सीमा भी मुझे हमेशा समझाती रहती है आप लोग मेरा बहुत बड़ा सहारा हो। मैंने दिव्या से कहा तुम्हारे ऊपर अब सूरज की जिम्मेदारी है और तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है हमसे जितना हो सकेगा हम लोग सूरज के लिए उतना करेंगे। दिव्या कहने लगी आपने अपनी दोस्ती का फर्ज बखूबी निभाया है लेकिन कमलेश ने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया मैंने दिव्या से कहा तुम यह सब बातें भूल जाओ और सूरज की पढ़ाई पर ध्यान दो। तुम कोशिश करो कि वह अच्छे से पढ़ाई कर सके ताकि वह अपने जीवन में आगे बढ़ सके, मैंने दिव्या से कहा मैं अभी चलता हूं और मैं वहां से चला गया। दिव्या बहुत ज्यादा परेशान रहती थी लेकिन उसे मेरा और सीमा का बहुत सपोर्ट मिलता था काफी समय हो चुका थे मैं दिव्या से नहीं मिला था। मैं जब दिव्या से मिलने के लिए जा रहा था तभी सूरज मुझे दिखा मैंने सूरज से पूछा क्या मम्मी घर पर है तो वह कहने लगे हां मम्मी घर पर ही हैं।
मैं जैसे ही घर के अंदर गया तो मैंने जब घर का नजारा देखा तो मै देखकर दंग रह गया दिव्या अपनी चूत पर तेल लगा रही थी और वह केले को अपनी चूत में ले रही थी मैं यह देखकर दंग रह गया। दिव्या ने भी मुझे देख लिया था वह शर्माने लगी लेकिन उसके स्तन और उसकी बड़ी गांड को देख कर मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने दिव्या की चूत मे उंगली डाली तो वह मचलने लगी और उसे बहुत मजा आने लगा।
मैंने दिव्या से कहा तुम्हारी चूत तो बड़ी रसीली है उसने मेरे लंड को बाहर निकाला वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी आपका लंड भी तो कम नहीं है। मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपनी चूत में लोगी तो वह कहने लगी क्यों नहीं इतने बरसों से मेरी चूत सूनी पड़ी है। उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया वह उसे चूसने लगी जब वह मेरे लंड को चुसती तो उसे बहुत मजा आता और मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था। “Padosan Chut Mein Kela”
मैंने जैसे ही दिव्या की चूत के अंदर अपने लंड को डाला वह चिल्लाने लगी और मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के देने लगा मुझे उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आ रहा था। जब मैं उसे धकके देता तो उसे भी बड़ा आनंद आता काफी देर तक मैं उसे धक्के मारता रहा। उसके अंदर की गर्मी को मैंने शांत करने की कोशिश की लेकिन उसके अंदर की गर्मी शांत ही नहीं हो रही थी जैसे ही मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और दिव्या की गांड के अंदर डाला तो वह कहने लगी अब मजा आ रहा है।
मुझे उसकी गांड मारने में बड़ा मजा आता मैं तेजी से उसे धक्के दिए जा रहा था मैंने उसकी गांड के मजे बड़े ही अच्छे से लिए जैसे ही उसकी गांड के अंदर मेरा वीर्य गिरा तो वह मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया। आपने मेरा कितना साथ दिया है और आज आपने मुझे खुश कर दिया है मैंने उसे कहा मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतनी सेक्सी हो और तुम कितना तड़प रही थी यदि तुम मुझे पहले इस बारे में कहती तो मैं तुम्हारी इच्छा कब की पूरी कर चुका होता। दिव्या कहने लगी आपका जब भी मन हो तो आप आ जाइएगा आपके लिए हमेशा घर के दरवाजे खूले है जब चाहे आप मुझे चोद लीजिएगा। “Padosan Chut Mein Kela”