चुदाई की कहानियाँ

पहला सच्चा प्यार-1

(Pahla Sachcha Pyar-1)

सभी दोस्तों को नमस्ते !

मेरा नाम राजीव है, मेरे दोस्त मुझे राज भी कहते हैं और आज मैं आपके साथ मेरे एक ऐसे अनुभव को बाँटना चाहता हूँ जो असल में मेरा पहला प्यार था लेकिन वो अधूरा ही रहा था। मेरे और भी कई अनुभव हैं जो मैं बाद में जरूर लिखूँगा लेकिन यह अनुभव मेरा सबसे पहला अनुभव भी है और नहीं भी और इस अनुभव को मैं हमारे (आपके और मेरे) बहुत अच्छे दोस्त संदीप शर्मा के कहने पर लिख रहा हूँ और इस अनुभव के होने में भी संदीप का बहुत बड़ा योगदान है।

कैसे वो आप को आगे पता चल जायेगा।

पहले मैं अपने बारे में बता दूँ। नाम तो मैं बता ही चुका हूँ, मैं दिल्ली में ही खुद का व्यवसाय करता हूँ, 33 वर्षीय शादीशुदा बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हूँ, भरा पूरा परिवार है और जिंदगी मजे से कट रही है।

लेकिन मेरी कहानी शुरू तब होती है जब मैं बारहवीं पास करके अगली कक्षा में पहुँचा था। मैं तब भी मिलनसार ही था तो मेरे आस-पास लड़कियों का जमावड़ा लगा ही रहता था और मैं भी उनके साथ मस्ती मजाक कर लिया करता था लेकिन कभी भी उससे आगे की बातें मैंने सोची नहीं और कभी की भी नहीं।

उसी बीच मुझे अपनी ही कक्षा की एक लड़की नीतू से प्यार हो गया और मैंने उसे अपने दिल की बात बता भी दी, लेकिन जाने क्यों उसने तब ना कर दी और मैं भी उसकी ना को स्वीकार करके मेरी जिंदगी में व्यस्त हो गया। थोड़ी उदासी अपने अंदर समेट कर पर मैंने कभी नीतू को वापस से अपने पास आने के लिए नहीं कहा पर उसे मन ही मन प्यार करता ही रहा और शायद उसका ही नतीजा था कि नीतू को भी मेरे प्यार का अहसास हो गया और एक दिन उसने अपनी एक सहेली से कह कर मुझ तक यह संदेश भेजा कि वो भी मुझे प्यार करती है।

Hindi Sex Story :  पतली दुबली सरहज को गोद में उठा के चोदा

मुझे तो तब मानो दुनिया जहाँ की सारी खुशियाँ मिल गई थी ! और उसके बाद हम दोनों ही एक दूसरे के प्यार खो गए थे, जब हम मिलते तो ढेरो बातें किया करते थे, एक दूसरे के साथ बैठे रहते थे और आने वाले कल के सपने बुना करते थे।

इसी बीच एक दिन मुझे उसने अपने घर पर बुलाया जब वहाँ कोई था नहीं। मैं उसके घर पहुँचा तो उसके लिए गुलाब के फूल लेकर गया और उसे फूल देने के बाद उस दिन मैंने उसे बाँहों में भर लिया और नीतू ने भी कोई इनकार नहीं किया।

बाँहों में भरने के बाद मैंने बिना रुके अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूम लिया। प्रति-उत्तर में नीतू ने भी मेरे चुम्बन का जवाब चुम्बन से ही दिया और उसके बाद मैं और वो एक एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे की जबान को चूसने लगे, कभी मैं उसके जबान को चूस रहा था और कभी वो मेरी जबान को।

इसी बीच मेरे हाथ उसकी पीठ से फिसलते हुए उसके सीने तक भी आ गए थे और मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया, ना ही उसने कोई विरोध किया और ना ही मैंने खुद को रोकने की कोशिश की।

हम दोनों ही एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं उसके स्तनों को सहला रहा था, मसल रहा था और वो इस मस्ती में मस्त हो रही थी। यह कहानी आप HotSexStory.xyz पर पढ़ रहे हैं।

उसके बाद मैं नीतू को गोद में उठाया और उठा कर सोफे पर ले आया। सोफे पर लेटाने के बाद मैं उसे गालों पर चूमने लगा और उसके स्तनों को दबाता ही रहा। मैं उसके स्तनों को दबा रहा था, उसके मुँह से आह आह निकल रही थी, साथ ही वो एक ना भी कर रही थी जिसमें हाँ थी।

Hindi Sex Story :  Pune Ki Hotel Mein Jabardast Chudai-2

यह मेरा पहला ही अनुभव था जिसमें किसी लड़की को मैं इस तरह से चूम रहा था तो अब तक मैं पूरी चरम स्थिति में आ चुका था और नीतू की भी हालत कोई बहुत अच्छी नहीं थी।

ऐसे ही चूमते हुए मैं नीतू के उपर लेट गया और उसकी जांघों को कपड़ों के ऊपर से मेरे लण्ड से रगड़ने लगा तो नीतू ने मुझे कस कर पकड़ा और लगभग चीखते हुए झड़ गई।

मैं भी पहले ही चरम स्थिति में पहुँचा हुआ था तो मैं भी झटके मार कर साण्ड की तरह कराहते हुए अंडरवियर में ही झड़ने लगा।

उसके बाद जब थोड़ी हिम्मत आई तो नीतू ने मुझे वापस भेज दिया यह कहते हुए कि कोई घर पर आ जायेगा और हमारी यह मुलाक़ात पूरी होते हुए भी अधूरी ही रह गई।

मैंने सोचा कोई बात नहीं अभी नहीं तो बाद में फिर कभी मौका जरूर मिलेगा। और तब मैं उसके लिए यूँ भी बहुत संजीदा था कुछ महीनों पहले तक भी था तो मैं यौन सम्बन्धों को इतनी तवज्जो नहीं देता था, कम से कम उसके साथ तो बिल्कुल नहीं।

फिर उसके बाद हम दोनों जब भी मिलते तो एक दूसरे को चूमते और एक दूसरे के साथ मस्ती भी करते पर सब कुछ नियंत्रण में ही रहता था।

यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा और तभी जाने कैसे एक दिन नीतू के भाइयों को किसी तरह मेरे बारे में पता चल गया।

यह जान कर वो लोग मुझे पीटने के लिए ही आ गए थे, पर मेरी किस्मत अच्छी थी कि यह बात मेरे भाईयों तक पहुंची, उन्होंने उसके भाइयों को समझाया और वापस भेज दिया और यह बात पिताजी तक भी नहीं जाने दी।

Hindi Sex Story :  Dulhan Uski, Suhagraat mere saath Chudai

फिर भैया ने मुझे भी समझाया कि मैं नीतू को भूल जाऊँ।

मैंने हाँ तो कर दी लेकिन मेरे लिए नीतू को भूलना मुमकिन नहीं था ना ही मैं उसे भूलने वाला था।

मैंने सोचा था कि नीतू से मिल कर सारी बातें पूरी कर लूँगा और उसे सब समझा दूँगा लेकिन नीतू कुछ दिन स्कूल आई ही नहीं और उसके बाद जब वो आई तो उसने मुझसे बात भी नहीं की, मैंने उससे बात करने की कोशिश भी की और जब मैंने उससे बात करने की कोशिश भी की तो नीतू ने मुझे पूरी तरह से ना कर दी।

उसके बाद मेरा और आगे नियमित पढ़ने का मन नहीं रहा तो मैंने पारिवारिक व्यवसाय में काम करना शुरू कर दिया।

उसके एक साल बाद ही नीतू की शादी हो गई और वो दिल्ली से बाहर चली गई। कुछ वक्त बाद मेरी भी शादी हो गई और मैं मेरे जीवन में मस्त हो गया।

पर दोस्तो, यह कहानी का अंत नहीं है, शुरुआत है।

आगे की कहानी के लिए अगले भाग का इन्तजार कीजिए।

अपनी राय मुझे भेजिए।